अमेरिका में बढ़ते एंटी-एलजीबीटीक्यू कानून कनाडा के लिए चिंता
३० अगस्त २०२३
कनाडा की एडवाइजरी ने अमेरिका जाने वाले एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों को चेताया है कि वो कुछ अमेरिकी राज्यों में जाने से पहले वहां के स्थानीय कानूनों के बारे में जानकारी हासिल कर लें.
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कनाडा की सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों को कुछ अमेरिकी राज्यों में जाने से पहले वहां के स्थानीय कानूनों के बारे में सावधान रहने के लिए कहा गया है. एडवाइजरी में कहा गया है कि कुछ राज्यों ने ऐसे कानून बनाए हैं, जो एलजीबीटीक्यूआई प्लस समुदाय को प्रभावित कर सकते हैं. ऐसे में अमेरिका की यात्रा कर रहे कनाडाई लोगों को संबंधित कानूनों के बारे में जानकारी ले लेनी चाहिए.
कनाडा की ट्रैवल एडवाइजरी में ज्यादातर कुछ देशों में चल रही राजनीतिक अस्थिरता या प्राकृतिक आपदाओं के बारे में चेतावनी दी जाती है. हालांकि इस चेतावनी के बावजूद अमेरिका यात्रा करने वालों के लिए 'ओवरऑल रिस्क प्रोफाइल' को ग्रीन ही रखा गया है. यह इंगित करता है कि यहां यात्रा के लिए सामान्य सुरक्षा एहतियात ही बरते जाने की जरूरत है. बता दें कनाडा से सबसे ज्यादा लोग अमेरिका की ही यात्रा करते हैं.
अमेरिकी राज्यों में तेजी से बढ़ रहे हैं एंटी एलजीबीटीक्यू कानून
अमेरिका के कई राज्यों में सरकारें तेजी से एंटी एलजीबीटीक्यू कानून पेश कर रही हैं. एलजीबीटीक्यू अधिकारों की वकालत करने वाले एक समूह 'द ह्यूमन राइट्स कैंपेन' ने कहा है कि केवल इसी साल 41 अमेरिकी राज्यों में 525 एंटी-एलजीबीटीक्यू कानून पेश किए जा चुके हैं. जून की शुरुआत तक इनमें से 76 को कानून का रूप दिया जा चुका है. यह संख्या अब तक किसी भी साल में पास हुए ऐसे कानूनों से ज्यादा और पिछले साल पास हुए ऐसे कानूनों के मुकाबले दोगुनी है.
अपने 40 साल के इतिहास में पहली बार 'द ह्यूमन राइट्स कैंपेन' ने अपनी ओर से अमेरिका के एलजीबीटी लोगों के लिए इमरजेंसी की घोषणा कर दी है.
लैंगिक पहचान बदलना कहां है आसान और कहां मुश्किल
कई देशों ने लैंगिक पहचान बदलने के लिए मेडिकल या मनोवैज्ञानिक जांच की अनिवार्यता समाप्त कर दी है. जानिए किन किन देशों ने दिया आसानी से लैंगिक पहचान बदलने का अधिकार.
तस्वीर: Iulianna Est/Zoonar/picture alliance
संयुक्त राष्ट्र के 25 सदस्य
अंतरराष्ट्रीय लेस्बियन और गे एसोसिएशन के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र के कम से कम 25 सदस्य देश "निषेधात्मक अपेक्षाओं के बिना कानूनी रूप से लैंगिक पहचान की अनुमति देते हैं." लेकिन सिर्फ कुछ ही देश ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को एक सरल से बयान के आधार पर अपनी पहचान बदलने की इजाजत देते हैं.
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स्वीडन
स्वीडन 1972 में ही लैंगिक पहचान बदलने को कानूनी मान्यता देने वाला देश बन गया था. लेकिन हाल ही में वहां नाबालिगों के लिए रीअसाइनमेंट हॉर्मोन ट्रीटमेंट पर पाबंदियां लगाई गई हैं.
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अर्जेंटीना
अर्जेंटीना को ट्रांसजेंडर अधिकारों के क्षेत्र में अगुवाई के लिए जाना जाता है. वहां 2012 में सिर्फ एक बयान के आधार पर राष्ट्रीय पहचान पत्र में लैंगिक पहचान बदलने की इजाजत दे दी गई थी. इसके बाद कई लैटिन अमेरिकी देशों ने ऐसा किया, जिनमें बोलीविया, चिली, कोलंबिया, इक्वाडोर, पेरू और उरुग्वे शामिल हैं.
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चिली
चिली में ऑस्कर जीतने वाली फिल्म "अ फैंटास्टिक वुमन" की अंतरराष्ट्रीय सफलता ने एक लैंगिक पहचान कानून के लिए समर्थन जुटाने का काम किया. 2019 में यह कानून पास हो गया. फिल्म में मुख्य भूमिका ट्रांसजेंडर अभिनेत्री डैनिएला वेगा ने निभाई थी.
स्कॉटलैंड में हाल ही में लोगों के लिए अपनी लैंगिक पहचान खुद निर्धारित करना आसान बनाने के लिए एक कानून पारित किया गया था. लेकिन कानून स्वीकृति नहीं मिली.
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डेनमार्क
डेनमार्क 2014 में बिना मेडिकल या मनोवैज्ञानिक जांच कराए लैंगिक पहचान बदलने के लिए वयस्कों को आवेदन करने की अनुमति देने वाला पहला यूरोपीय देश बन गया था. उसके बाद बेल्जियम, आयरलैंड, माल्टा और नॉर्वे ने भी वैसा ही किया.
स्पेन ने फरवरी 2023 में बयान के आधार पर लैंगिक पहचान बदलने की अनुमति दे दी. इसे देश की 'बराबरी मंत्री' आइरीन मोंटेरो ने "आगे की तरफ एक विशाल कदम" बताया है. स्पेन ऐसा करने वाले यूरोप का सबसे बड़ा देश बन गया है. 14 साल तक के नाबालिग भी अपने माता-पिता या कानूनी अभिभावकों की इजाजत से आवेदन कर सकते हैं.
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जर्मनी
जून 2022 में जर्मनी की सरकार ने निजी बयान के आधार पर लैंगिक पहचान बदलने की अनुमति देने की योजना की घोषणा की. देश में 2018 में ही जन्म प्रमाण पत्रों पर तीसरे जेंडर को शामिल करने को कानूनी मान्यता दे दी गई थी.
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फ्रांस
फ्रांस में भी ट्रांसजेंडर लोगों को अपनी लैंगिक पहचान बदलने की अनुमति है, लेकिन उन्हें अदालत से स्वीकृति लेनी होती है.
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भारत
भारत में 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने तीसरे जेंडर को मान्यता दी. पड़ोसी देशों में से बांग्लादेश में 2018 से ट्रांसजेंडर लोग तीसरे जेंडर के रूप में बतौर मतदाता अपना पंजीकरण करा पा रहे हैं. पाकिस्तान 2009 में तीसरे जेंडर को कानूनी मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक बन गया था. नेपाल में 2013 में नागरिकता प्रमाणपत्रों में एक ट्रांसजेंडर श्रेणी जोड़ दी गई.
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ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में 2013 में पासपोर्ट में एक तीसरी लैंगिक श्रेणी जोड़ने की अनुमति दे दी गई.
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अमेरिका
अमेरिका में 2021 में विदेश मंत्रालय ने ट्रांसजेंडर लोगों को पासपोर्ट में 'X' श्रेणी चुनने की इजाजत दे दी. (एएफपी)
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बाइडेन प्रशासन से बातचीत पर बोलने से इंकार
कनाडा की डिप्टी पीएम क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने बताया कि सरकार ने कनाडा के खास समूहों को होने वाले खास तरह के खतरों पर निगरानी रखने के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति की है. हालांकि उन्होंने यह बताने से इंकार कर दिया कि एडवाइजरी से पहले क्या बाइडेन प्रशासन से बातचीत की गई थी.
'स्टैटिस्टिक्स कनाडा' के मुताबिक इस देश में करीब 4 करोड़ लोग रहते हैं, जिनमें से लाखों लोग खुद को खुलकर एलजीबीटीक्यू समुदाय से संबंधित बताते हैं.
एडी/एसएम (रॉयटर्स, एएफपी)
एलजीबीटीक्यू+ जहां खुल कर घूम सकते हैं
लेस्बियन, गे, ट्रांसजेंडर, बायसेक्शुअल या क्वीयर- चाहे कोई किसी भी तरह की लैंगिक पहचान या यौन वरीयता वाला इंसान हो, दुनिया में कहीं भी उनके जाने पर रोक तो नहीं होनी चाहिए. देखिए कौन से हैं सबसे क्वीयर-फ्रेंडली ठिकाने.
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कनाडा
कनाडा को विश्व का सबसे क्वीयर-फ्रेंडली देश कहना गलत नहीं होगा. वर्ल्ड ट्रैवल एवार्ड्स में इसे टॉप LGBTQ+ फ्रेंडली ठिकाना पाया गया. समलैंगिक शादियों को यहां 2005 से ही कानूनी मान्यता मिली हुई है. इसके अलावा यहां साल भर समुदाय की रंगबिरंगी पहचान का उत्सव मनाने के लिए कार्यक्रम होते रहते हैं. जैसे जून में होने वाला टोरंटो प्राइड (फोटो में) या अगस्त में मॉन्ट्रियाल प्राइड फेस्टिवल.
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माल्टा
भूमध्य सागर में बसा यह छोटा सा द्वीपीय देश यूरोप के कुछ सबसे प्रगतिशील देशों में से एक है. LGBTQ+ समुदाय के लिए यहां इतना काम हुआ है कि 2004 में यहां किसी भी यौन वरीयता या लैंगिक पहचान वाले इंसान के साथ भेदभाव पर रोक लग गई. 2016 में गे कनवर्जन थेरेपी को गैरकानूनी घोषित करने वाला भी यह पहला देश है.
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पुर्तगाल
लिस्बन और पोर्तो (फोटो में) को पुर्तगाल का सबसे विविधता से भरा और खुले विचारों वाला शहर कहा जा सकता है. यहां समलैंगिक शादियों को 2010 से ही वैधता मिली हुई है. इसके कुछ साल बाद समान सेक्स वाले जोड़ों को बच्चे गोद लेने का अधिकार भी मिल गया. लेकिन ट्रांसजेंडर लोगों की सुरक्षा और तथाकथित कनवर्जन थेरेपी पर बैन लगाने जैसे कदम अभी बाकी हैं.
तस्वीर: Diogo Baptista/ZUMAPRESS/picture alliance
स्वीडन
इसकी गिनती विश्व के सबसे प्रगतिशील देशों में होती है. यहां एलजीबीटीक्यू समुदाय की सुरक्षा के लिए कई कानून बनाए गए हैं. इस स्कैंडिनेवियन देश में समान सेक्स के लोगों के बीच सेक्स को 75 साल पहले ही अपराध के दायरे से बाहर निकाल लिया गया था. अब तो यहां किसी को संबोधित करने के लिए एक ही न्यूट्रल सर्वनाम चलता है - "hen". पहले महिलाओं के लिए hon ("she") और पुरुषों के लिए han ("he") सर्वनाम चलन में थे.
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उरुग्वे
लैटिन अमेरिका के सबसे सहनशील देश के रूप में उरुग्वे का नाम आता है क्योंकि यह समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने वाला पहला देश था. इस छोटे से देश में 1934 से ही समान सेक्स के लोगों के बीच सहमति से होने वाले सेक्स को अपराध के दायरे से बाहर निकाल लिया गया था. 2004 में यहां LGBTQ+ समुदाय को सुरक्षा देने वाले कई कानून बनाए गए.
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ऑस्ट्रेलिया
घूमने फिरने वालों के दिमाग में ऑस्ट्रेलिया की छवि खूबसूरत समुद्री तटों और रंगबिरंगी संस्कृति वाले शहरों से जुड़ी होगी. लेकिन अब भी शायद यह नहीं पता होगा कि यह बेहद सहनशील देश भी है. यहां भेदभाव विरोधी कानून 1984 में ही पास हो गए थे. इनका मकसद किसी भी इंसान को उसकी लैंगिक पहचान या यौन वरीयता के आधार पर दुर्व्यवहार से बचाना था. 2017 से यहां समलैंगिक विवाह भी वैध हैं.
तस्वीर: Subel Bhandari/dpa/picture alliance
जर्मनी
इंटरसेक्स लोगों के अधिकारों के लिए हाल के सालों में जर्मनी में काफी तरक्की हुई है. बड़े शहरों जैसे कोलोन (फोटो में) और राजधानी बर्लिन में समाज काफी हद तक क्वीयर-फ्रेंडली माना जा सकता है लेकिन देश के बाकी हिस्से इतने खुले विचारों वाले नहीं कहे जा सकते. एक ही लिंग के लोगों की आपस में शादी को यहां 2017 में ही कानूनी मान्यता मिल गई थी. इंटरसेक्स लोग भी अपनी अलग कानूनी पहचान रखते हैं.
तस्वीर: Christoph Hardt/Geisler-Fotopress/picture alliance
आइसलैंड
आर्कटिक के इस कम आबादी वाले देश आइसलैंड में ना केवल प्रकृति के अद्भुत नजारे और जाड़ों का स्वर्ग है बल्कि यहां क्वीयर लोगों की भी जन्नत है. ऐसे में LGBTQ+ लोगों के लिए इससे दोस्ताना, सुरक्षित और स्वागत करने वाला घूमने का ठिकाना खोजना मुश्किल होगा. राजधानी रिक्याविक (फोटो में) में 1999 से ही सालाना प्राइड फेस्टिवल होता आता है. समान-सेक्स शादियां 2010 से वैध हैं.
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ताइवान
LGBTQ+ लोगों के अधिकारों के मामले में एशिया के सबसे प्रगतिशील देश के रूप में ताइवान का नाम आता है. इस द्वीपीय देश में लैंगिक भेदभाव के खिलाफ कई कानून बनाए गए हैं. समान सेक्स के लोगों की आपस में शादी को 2019 में कानूनी मान्यता देने वाला यह एशिया का पहला देश बना. और इस तरह उनके घूमने फिरने का सुरक्षित ठिकाना भी.
तस्वीर: Ceng Shou Yi/NurPhoto/picture alliance
कोलंबिया
कोलंबिया की संस्कृति वैसे तो कैथोलिक आस्था वाली और समाज में पुरुषवादी रवैया कूट कूट के भरा दिखता है लेकिन फिर भी इसकी गिनती लैटिन अमेरिका के सबसे प्रगतिवादी देशों में होती है. उरुग्वे के बाद यहां एलजीबीटीक्यू+ स्पेक्ट्रम के लोगों को सबसे ज्यादा अधिकार मिले हुए हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने 2016 में समलैंगिक शादियों को भी कानूनी मान्यता दे दी.(जोफी डिसेमोंड/आरपी)
तस्वीर: Sofia Toscano/colprensa/dpa/picture alliance