कनाडा, अमेरिका में भी केस, क्या है तेजी से फैलता मंकीपॉक्स?
१९ मई २०२२
कोविड वायरस से उबर रही दुनिया को अब मंकीपॉक्स वायरस का खतरा सता रहा है. यूरोप के बाद कनाडा और अमेरिका में भी मंकीपॉक्स के मामले मिले हैं. आमतौर पर यह बीमारी अफ्रीका में पाई जाती है.
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कनाडा के क्यूबेक प्रांत में स्वास्थ्य अधिकारी मंकीपॉक्स के संदिग्ध करीब एक दर्जन मामलों की जांच कर रहे हैं. अमेरिका ने अपने यहां कम से कम एक मामले की पुष्टि कर दी है. और पुर्तगाल में इस वायरस के पांच मामलों की पुष्टि हो चुकी है.
अमेरिका ने बुधवार को कहा कि हाल ही में कनाडा से लौटे एक व्यक्ति में मंकीपॉक्स पाया गया है. इसी हफ्ते की शुरुआत में यूरोप में दर्जनभर मामलों की पुष्टि हुई थी. अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक मंकीपॉक्स एक खतरनाक वायरस है जिसकी शुरुआत फ्लू जैसी ही होती है. बुखार, बदन दर्द और जुकाम आदि के बाद चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों पर चिकनपॉक्स जैसे दाने उभर आते हैं.
भारत में बढ़ रहा है एनीमिया
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के ताजा आंकड़ों से पता चला है कि भारत में एनीमिया से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ गई है. क्या बच्चे, क्या वयस्क, क्या महिलाएं और क्या पुरुष, सभी में एनीमिया बढ़ता जा रहा है.
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बढ़ रही रक्तहीनता
एनएफएचएस के मुताबिक एनीमिया या रक्तहीनता आबादी के कई हिस्सों में बढ़ रही है. इनमें पांच साल से कम उम्र के बच्चे, किशोर लड़के और लड़कियां और गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं. इसमें खून में हीमोग्लोबिन का स्तर 11 ग्राम प्रति डेसीलीटर कम हो जाता है.
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बच्चों में गंभीर स्थिति
छह महीनों से पांच साल तक की उम्र के 67 प्रतिशत बच्चों में एनीमिया पाया गया. चार साल पहले सर्वेक्षण के पिछले दौर में यह प्रतिशत 58.6 था. यानी छोटे बच्चों में एनीमिया बढ़ रहा है.
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दो प्रतिशत बच्चों को गंभीर एनीमिया
29 प्रतिशत बच्चों में माइल्ड एनीमिया और 36 प्रतिशत बच्चों में मॉडरेट एनीमिया पाया गया. दो प्रतिशत बच्चे गंभीर एनीमिया से पीड़ित पाए गए.
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तीन साल तक के बच्चों में सबसे ज्यादा
थोड़े बड़े बच्चों के मुकाबले 35 महीनों से कम उम्र के ज्यादा बच्चों में एनीमिया पाया गया. 12 से 17 महीनों तक की उम्र के सबसे ज्यादा बच्चे एनीमिया से पीड़ित पाए गए. इस श्रेणी में तो 80 प्रतिशत बच्चे पीड़ित पाए गए.
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गुजरात सबसे ज्यादा प्रभावित
चाह महीनों से 59 महीनों की उम्र के बच्चों में एनीमिया की स्थिति को राज्यवार देखें तो सबसे बुरे हालात गुजरात (80 प्रतिशत) में पाए गए. गुजरात के बाद नंबर रहा मध्य प्रदेश (73 प्रतिशत), राजस्थान (72 प्रतिशत) और पंजाब (71 प्रतिशत) का.
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केरल में सबसे कम
केंद्र शासित प्रदेशों में लद्दाख में इस श्रेणी में 94 प्रतिशत, दादरा और नगर हवेली और दमन और दिउ में 76 प्रतिशत और जम्मू और कश्मीर में 73 प्रतिशत एनीमिया पाया गया. कम एनीमिया वाले राज्यों में सबसे आगे रहा केरल (39 प्रतिशत), उसके बाद अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (40 प्रतिशत), नागालैंड (43 प्रतिशत) और मणिपुर (43 प्रतिशत).
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पुरुषों से कहीं ज्यादा महिलाएं पीड़ित
15 से 49 साल की उम्र में जहां 25 प्रतिशत पुरुष एनीमिया से पीड़ित पाए गए, वहीं महिलाओं में यह प्रतिशत 57 पाया गया. लगभग हर उम्र की महिलाओं में 50 प्रतिशत से ज्यादा पीड़ित पाई गईं. पुरुषों में यह प्रतिशत 20 से ऊपर है.
सर्वेक्षण के पिछले दौर के मुकाबले अब चार प्रतिशत ज्यादा महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हो गई हैं. पुरुषों में दो प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. भारत सरकार के 'एनीमिया मुक्त भारत' कार्यक्रम के तहत 2018 से 2022 के बीच बच्चों और 20 से 49 साल के किशोरों और महिलाओं के बीच एनीमिया के फैलाव में तीन प्रतिशत गिरावट लाने का लक्ष्य था.
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कनाडा के क्यूबेक की राजधानी मॉन्ट्रियाल में अधिकारियों ने कहा है कि कम से कम 13 मामलों की जांच की जा रही है, जिन्हें मंकीपॉक्स होने की आशंका है. ये मामले अलग-अलग अस्पतालों में पाए गए हैं. परीक्षणों की जांच कुछ दिन के भीतर आने की बात कही गई है.
इससे पहले कनाडा के पड़ोसी अमेरिका में मसैचुसेट्स राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बुधवार को साल के पहले मंकीपॉक्स मामले की पुष्टि की. राज्य के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, "यह मामला आम लोगों के लिए किसी तरह का खतरा नहीं है. मरीज अस्पताल में भर्ती है और अच्छी हालत में है.”
यूरोप में कई मामले
बीते दो हफ्ते में पुर्तगाल, स्पेन और ब्रिटेन में लोगों के कई समूह ऐसे मिल चुके हैं जिनमें मंकीपॉक्स पाया गया. स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस बात पर चिंता जताई क्योंकि इन देशों में मंकीपॉक्स होना सामान्य बात नहीं है. अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारी और पॉक्स वायरस विशेषज्ञ इंगर डैमन के मुताबिक यौन संबंधों के नेटवर्क में ये मामले फैल रहे हैं.
डब्ल्यूएचओ के वायु गुणवत्ता मानकों पर कोई भी देश खरा नहीं उतरा
साल 2021 में कोई भी देश विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं उतरा है. एक कंपनी ने 6,475 शहरों का सर्वे कर यह चौंकाने वाली रिपोर्ट दी है.
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दिल्ली सबसे प्रदूषित राजधानी
साल 2021 में भारत की वायु गुणवत्ता बद से बदतर हो गई. स्विस फर्म आईक्यूएयर द्वारा जारी विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में भारत का वायु प्रदूषण और खराब हुआ है. दिल्ली लगातार दूसरे साल सबसे प्रदूषित राजधानी बन गई है. दिल्ली में पीएम 2.5 सांद्रता 96.4 हो गई है.
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ढाका भी प्रदूषित
दिल्ली के बाद बांग्लादेश की राजधानी ढाका का नंबर आता है. बांग्लादेश सबसे प्रदूषित देशों की सूची में पहले स्थान पर है. डब्ल्यूएचओ ने पिछले साल अपने दिशानिर्देश में बदलाव करते हुए सिफारिश की थी कि पीएम 2.5 के रूप में जाने वाले छोटे और खतरनाक कणों की औसत वार्षिक रीडिंग 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए.
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15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 10 भारत के
शीर्ष 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से दस भारत में हैं और ज्यादातर राष्ट्रीय राजधानी के आसपास हैं. इन शहरों में राजस्थान का भिवाड़ी, उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद, जौनपुर और नोएडा आदि शामिल हैं.
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दस गुना अधिक पीएम 2.5
सर्वे में शामिल शहरों में करीब 93 शहरों में वार्षिक पीएम 2.5 सांद्रता डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के 10 गुना अधिक थी.
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चीन में भी प्रदूषण चिंताजनक
2014 से चीन प्रदूषण पर युद्ध छेड़ रखा है, 2021 में पीएम 2.5 रैंकिंग में वह 22वें स्थान पर आ गया, जो एक साल पहले 14वें स्थान पर था.
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वायु गुणवत्ता में थोड़ा बेहतर
जापान, यूरोप के कई देश, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा, पुर्तगाल, एस्टोनिया और बहामास जैसे देश वायु गुणवत्ता के मामले में थोड़ा बेहतर कर रहे हैं और उनकी रैकिंग में सुधार दिखा है.
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खतरनाक है पीएम 2.5
पार्टिकुलेट मैटर या पीएम 2.5 में धूल और गंदगी के सूक्ष्म कण होते हैं जो सांस के जरिए हमारे अंदर जाते हैं. पीएम 2.5 के कण स्वास्थ्य के लिए सबसे हानिकारक माने जाते हैं. ये कण हृदय और फेफड़ों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं और गंभीर अस्थमा अटैक का खतरा भी रहता है.
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ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (यूकेएचएसए) ने बुधवार को कहा कि 6 मई के बाद से देश में मंकीपॉक्स के नौ मामले मिल चुके हैं. स्पेन और पुर्तगाल ने अपने यहां 40 मामलों की पुष्टि की है. डैमन ने कहा कि यूरोप में मिले मामले ऐसे पुरुषों के बीच मिले हैं जो अन्य पुरुषों के साथ संबंध बनाते हैं. हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि इस संक्रमण का यौनिक आकर्षण से कोई संबंध नहीं है और किसी भी लिंग के प्रति आकर्षण रखने वाले लोगों को मंकीपॉक्स हो सकता है.
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क्या है मंकीपॉक्स?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक यह बीमारी शारीरिक द्रव्यों से फैल सकती है. यानी किसी संक्रमित व्यक्ति के छूने, उसकी चीजें इस्तेमाल करने आदि से संक्रमण हो सकता है. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया है घर में साफ-सफाई के लिए इस्तेमाल होने वाले रसायन इस वायरस को खत्म कर सकते हैं.
यह माना जाता है कि मंकीपॉक्स अफ्रीका तक सीमित है अमेरिका या अन्य देशों में यात्रियों के जरिए ही पहुंचता है. अमेरिका में पिछले सालटेक्सस और मैरीलैंड में भी मंकीपॉक्स का एक-एक मामला मिला था. दोनों ही लोगों को नाइजीरिया की यात्रा के बाद मंकीपॉक्स हुआ था. बाद में 27 राज्यों में इसके मामले मिले थे. अफ्रीका में चूहों या अन्य छोटे जानवरों के काटने से यह बीमारी होती है लेकिन इसे बहुत ज्यादा संक्रामक नहीं माना जाता है, यानी यह बहुत आसानी से अन्य लोगों में नहीं फैलती है.
मंकीपॉक्स विषाणुओं के उसी परिवार का वायरस है, जिससे स्मॉलपॉक्स संबंधित है. ज्यादातर लोग मंकीपॉक्स से कुछ हफ्तों में ही ठीक हो जाते हैं लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इस बीमारी से ग्रस्त लगभग 10 फीसदी लोगों की जान चली जाती है.