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कम आप्रवासियों को वीजा देगा कनाडा, होगा भारत पर असर?

२५ अक्टूबर २०२४

कनाडा ने अपनी जनसंख्या वृद्धि को "रोकने" की कोशिश के तहत नए आप्रवासियों की संख्या में बड़ी कटौती का एलान किया है. इसका सीधा असर भारतीयों पर पड़ेगा, जो कनाडा जाने वाला सबसे बड़ा आप्रवासी समूह है.

कनाडा का टोरंटो शहर
तस्वीर: Abu Sadat

कनाडा अगले साल कम आप्रवासियों को वीजा देगा. उसने इमिग्रेशन के टारगेट में बड़ी कटौती की है. देश में आप्रवासियों को लेकर रुख बदल रहा है और हाल के दिनों में आप्रवासन के प्रति समर्थन में कमी देखी गई है.

कनाडा की यह घोषणा एक बड़े बदलाव का संकेत है, क्योंकि कनाडा एक ऐसा देश है जो नए आप्रवासियों का स्वागत करता है. लेकिन पिछले कुछ सालों में देश की आबादी तेजी से बढ़ी है. कनाडा की जनसंख्या 2023 से 2024 में 3.2 प्रतिशत बढ़ी, जो 1957 के बाद से सबसे बड़ी सालाना बढ़त है. अब यह 4.1 करोड़ हो गई है, जिसमें नए आप्रवासियों की लहर का भी योगदान है.

2023 की आखिरी तिमाही में कनाडा की आबादी छह दशक में सबसे तेज दर से बढ़ी है. इनमें सबसे ज्यादा वृद्धि अस्थायी नागरिकों, खासकर छात्रों की हुई, जो पांच दशक में सबसे ज्यादा थी. अस्थायी आप्रवासियों की संख्या में तीन लाख 12 हजार 758 की वृद्धि हुई.

आबादी नियंत्रण की जरूरत

कटौतियों की घोषणा करते हुए, प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि आप्रवासियों की संख्या ने कोविड महामारी से परेशान कनाडाई अर्थव्यवस्था को संभलने में मदद की है, लेकिन अब "समायोजन" का समय आ गया है.

उन्होंने कहा, "हम अगले तीन साल में आने वाले आप्रवासियों की संख्या कम करेंगे. इससे जनसंख्या वृद्धि में एक रुकावट आएगी."

ट्रूडो ने कहा कि कनाडा को अपनी जनसंख्या को स्थिर करना होगा ताकि "स्वास्थ्य सेवा, आवास और सामाजिक सेवाओं में जरूरी निवेश करने के लिए सभी स्तरों की सरकारों को समय मिल सके और भविष्य में अधिक लोगों को समायोजित किया जा सके."

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अभियान में आप्रवासन के विरोध को एक बड़ा मुद्दा बनाने वाले रिपब्लिकन उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप ने कनाडा के इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने अपने सोशल मीडिया चैनल ट्रुथ सोशल पर कहा, "यहां तक कि जस्टिन ट्रूडो कनाडा की सीमा बंद करना चाहते हैं."

कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने इस फैसले को "शायद अपनी तरह की पहली" योजना कहा, जिसका मकसद जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना है.

कनाडा ने पहले 2025 और 2026 में 5,00,000 नए स्थायी निवासियों को देश में बसाने की योजना बनाई थी लेकिन यह लक्ष्य अब 2024 में 3,95,000 और 2026 में 3,80,000 कर दिए गए हैं. 2027 का लक्ष्य 3,65,000 रखा गया है.

भारतीयों पर असर

2021 की जनगणना के अनुसार, कनाडा की जनसंख्या में 23 प्रतिशत लोगों का जन्म विदेश में हुआ था. ‘स्टैटिस्टिक कनाडा‘ ने कहा कि 2021 तक ज्यादातर प्रवासी एशिया और मध्य पूर्व से आए थे, लेकिन अफ्रीका से आने वाले प्रवासियों की संख्या बढ़ रही है. हाल ही में एक सर्वेक्षण में पाया गया कि नए आप्रवासियों में से लगभग एक-चौथाई भारत में जन्मे थे.

हाल के सालों में देश में आप्रवासन की नीति को लेकर समर्थन में कमी देखी गई है. ‘एनवायरोनिक्स इंस्टीट्यूट‘ ने सितंबर में किए एक सर्वेक्षण में कहा कि "25 साल में पहली बार, कनाडा के स्पष्ट बहुमत का कहना है कि यहां बहुत अधिक आप्रवासन हो रहा है." सर्वेक्षण में पाया गया कि 58 प्रतिशत कनाडाई मानते हैं कि देश में बहुत अधिक आप्रवासी आ रहे हैं, जो 2023 से 14 प्रतिशत ज्यादा है.

पिछले हफ्ते जारी आंकड़ों के अनुसार, एबैकस डेटा ने पाया कि हर दो कनाडाई में से एक का कहना है कि आप्रवासन देश को नुकसान पहुंचा रहा है. एबैकस के आंकड़ों में यह भी दिखाया गया कि कनाडाई लोगों की आप्रवासन के असर को लेकर चिंता घरों की उपलब्धता से जुड़ी है.

मिलर ने भविष्यवाणी की कि आप्रवासन में कटौती घरों की सप्लाई के अंतर को ठीक करेगी, जिससे कनाडा को 2027 तक 670,000 कम घर बनाने की जरूरत होगी. उन्होंने कहा, "यह बहुत बड़ी संख्या है."

2023 में करीब नौ लाख अंतरराष्ट्रीय छात्र कनाडा में पढ़ाई कर रहे थे जिनमें से लगभग 40 फीसदी भारतीय थे. पिछले साल कुल मिलाकर भारतीय छात्रों की संख्या में चार फीसदी गिरावट आई, फिर भी वे एक देश से जाने वाले छात्रों की संख्या में सबसे ऊपर थे.

हालांकि कनाडा ने पिछले साल भारतीयों को कम स्टडी वीजा जारी किए हैं. 2022 के मुकाबले पिछले साल की चौथी तिमाही में 86 फीसदी कम छात्र वीजा जारी हुए. जहां 2022 की चौथी तिमाही में 1,08,940 वीजा जारी किए गए थे, वहीं 2023 में इसी अवधि में मात्र 14,910 वीजा जारी हुए.

काम करने वाले कहां से आएंगे?

कनाडाई चैंबर ऑफ कॉमर्स ने चेतावनी दी है कि आप्रवासन कनाडा के "कामगारों की वृद्धि का एकमात्र स्रोत" है, क्योंकि इसकी जनसंख्या उम्रदराज है, प्रजनन दरें कम हैं, और बेबी-बूमर यानी 60 और 70 के दशक में जन्मी पीढ़ी रिटायर हो रही है.

एक बयान में चैंबर ने कहा, "हमारे लेबर पूल को इतनी बड़ी संख्या में कम करने से कनाडा भर में हजारों नौकरीदाताओं पर असर पड़ेगा, जिनके लिए काम करने वाले लोग खोजना मुश्किल हो रहा है."

इस बार बुरे फंसे जस्टिन ट्रूडो

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इस मुद्दे का एक पहलू राजनीतिक भी है. कनाडा में अगले साल चुनाव होने हैं और जस्टिन ट्रूडो की पार्टी की लोकप्रियता कम हो रही है. विपक्ष के नेता पीयर पॉलीएवरे की कंजर्वेटिव पार्टी हाल के मतदान में ट्रूडो की लिबरल पार्टी को पछाड़ रही है.

पॉलीएवरे ने कहा कि प्रधानमंत्री को अपनी पार्टी के भीतर विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है और वह अपनी लोकप्रियता बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "हम ऐसी कोई उम्मीद नहीं कर सकते कि जस्टिन ट्रूडो घबराहट में अंतिम क्षणों में किए गए ये वादे निभाएंगे."

वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)

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