कनाडा: ट्रक से परिवार को कुचलने वाले पर आतंकवाद का केस
१५ जून २०२१
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा हत्याओं को "घृणा से प्रेरित एक आतंकवादी हमला" बताए जाने के बाद मुस्लिम परिवार को ट्रक से कुचलने वाले पर आतंकवाद के आरोप लगाए गए हैं.
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कनाडा के ओंटारियो में एक मुस्लिम परिवार को ट्रक से कुचलने वाले 20 वर्षीय चालक पर आतंकवाद से जुड़े आरोप लगाए गए हैं. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इसे आतंकी घटना करार दिया था, जिसके बाद सोमवार 14 जून को अभियोजकों ने जानकारी दी की आरोपी पर आतंकवाद के आरोप लगाए गए हैं. 6 जून को अफजाल परिवार के चार सदस्य-एक परुष और उसकी पत्नी, एक लड़की और उसकी मां, ओंटारियो के लंदन में टहलने के लिए निकले थे. उसी दौरान 20 साल के नथेनियल वेल्टमन ने अपने ट्रक से उन्हें कुचल डाला था. इस हादसे में एक बच्चा गंभीर रूप से घायल हुआ था और उसका इलाज अस्पताल में चल रहा है.
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पूरे घटनाक्रम पर कड़ी निंदा व्यक्त करते हुए इसे आतंकवादी घटना करार दिया था. वेल्टमन के खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया था. लेकिन अब इसमें आतंकवाद से जुड़े आरोप भी लगा दिए गए हैं. वेल्टमन पर पहले चार लोगों की हत्या और एक हत्या के प्रयास का मामला दर्ज था. वेल्टमन ने इस परिवार को सिर्फ इसलिए अपने ट्रक से कुचल डाला था क्योंकि यह एक मुस्लिम परिवार था. पुलिस के मुताबिक वेल्टमन पीड़ित परिवार को पहले से नहीं जानता था.
रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने एक बयान में कहा, "संघीय और प्रांतीय अटॉर्नी जनरलों ने आतंकवाद से जुड़े आरोपों की कार्रवाई शुरू करने के लिए अपनी सहमति दे दी है. हत्याएं और हत्या का प्रयास भी आतंकवादी गतिविधि स्थापित करता है." वेल्टमन का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और किसी चरमपंथी समूह से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने वीडियो लिंक के माध्यम से अदालत को बताया कि उनके पास कोई वकील नहीं है. उन्होंने अभी तक कोर्ट में याचिका दायर नहीं की है और उन्हें 21 जून को अदालत में फिर से पेश होना है.
अफजाल का नौ साल का बेटा इस हादसे में बच गया था, लेकिन उसे गंभीर चोटें आई थीं. ट्रूडो ने हाउस ऑफ कॉमन्स में एक भाषण में कहा था, "यह हत्या कोई दुर्घटना नहीं थी. यह हमारे एक समुदाय के दिल में नफरत से प्रेरित एक आतंकवादी हमला था."
एए/ (रॉयटर्स, एएफपी)
दुनिया का सबसे नास्तिक देश है चीन
भारत में कई धर्मों के लोग रहते हैं. धर्म अकसर भारत में चर्चा का विषय रहता है. लेकिन ऐसे भी देश हैं जहां ज्यादातर लोग भगवान में विश्वास ही नहीं करते. खास कर चीन में, जहां की ज्यादातर आबादी नास्तिक है.
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चीन (90 फीसदी)
चीनी मान्यता में इंसान और भगवान के बीच श्रद्धा का कोई सिद्धांत नहीं है. यहां अपने महान पूर्वजों की शिक्षा का अनुसरण करने वालों के नाम पर ही ताओइज्म या कन्फूशियनिज्म की परंपरा है. गैलप इंटरनेशनल नामकी संस्था के सर्वे में करीब 61 फीसदी चीनियों ने किसी ईश्वर के अस्तित्व को नकारा. वहीं 29 फीसदी ने खुद को अधार्मिक बताया.
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स्वीडेन (76 फीसदी)
इस स्कैंडिनेवियन देश में हाल के सालों में सेकुलरिज्म तेजी से बढ़ा है. स्वीडेन के सरकारी आंकड़ों के अनुसार केवल 8 फीसदी स्वीडिश नागरिक किसी भी धार्मिक संस्था से नियमित रूप से जुड़े हैं. शायद इसीलिए 2016 को प्रोटेस्टेंट रिफॉर्मेशन की 500वीं वर्षगांठ मनाने के लिए पोप फ्रांसिस ने स्वीडेन को चुना था.
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चेक गणराज्य (75 फीसदी)
करीब 30 प्रतिशत चेक नागरिक खुद को नास्तिक बताते हैं. वहीं इसी देश के सबसे अधिक लोगों ने अपनी धार्मिक मान्यताओं के बारे में कोई भी उत्तर देने से मना किया. कुल आबादी का केवल 12 फीसदी ही कैथोलिक या प्रोटेस्टेंट चर्च से जुड़ा है.
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ब्रिटेन (66 फीसदी)
करीब 53 प्रतिशत ब्रिटिश लोगों ने खुद को अधार्मिक बताया और करीब 13 फीसदी ऐसे थे जो अपने आपको नास्तिक मानते हैं. पश्चिमी यूरोप में यूके के बाद नीदरलैंड्स नास्तिकता में सबसे आगे हैं. अप्रैल 2015 में इन नतीजों पर पहुंचने के लिए गैलप ने 65 देशों में कुल 64 हजार इंटरव्यू किए.
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हांगकांग (62 फीसदी)
पूर्व ब्रिटिश कालोनी और फिर चीन को वापस किए गए हांगकांग की ज्यादातर आबादी पर चीनी परंपराओं का असर दिखता है. बाकी कई लोग ईसाई, प्रोटेस्टेंट, ताओइज्म या बौद्ध धर्म के मानने वाले हैं. गैलप सर्वे में करीब 43 फीसदी हांगकांग वासियों ने माना कि वे किसी भी ईश्वर को नहीं मानते.
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जापान (62 फीसदी)
चीन की ही तरह जापान की लगभग सारी आबादी किसी ईश्वर की बजाए जापान के स्थानीय शिंतो धर्म का अनुसरण करते हैं. शिंतोइज्म के मानने वाले ईश्वर जैसे किसी दिव्य सिद्धांत में विश्वास नहीं रखते. गैलप के आंकड़ों के मुताबिक करीब 31 फीसदी जापानी खुद को नास्तिक बताते हैं.
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जर्मनी (59 फीसदी)
मुख्य रूप से ईसाई धर्म के मानने वाले जर्मन समाज में इस्लाम समेत कई धर्म प्रचलित है लेकिन 59 फीसदी किसी ईश्वर को नहीं मानते. स्पेन, ऑस्ट्रिया में भी किसी ईश्वर को ना मानने वालों की बड़ी संख्या है. पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता का गढ़ माने जाने वाले फ्रांस की करीब आधी आबादी ने खुद को अधार्मिक बताया.