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कानून का राज्यकनाडा

वैक्सीन प्रदर्शनों के खिलाफ ट्रूडो का कड़ा कदम

१५ फ़रवरी २०२२

कनाडा में हफ्तों से चल रहे प्रदर्शनों के खिलाफ आपात शक्तियों वाले एक कानून के तहत कड़ी कार्रवाई के आदेश दे दिए गए हैं. लेकिन नागरिक अधिकार संगठन ने कहा है कि इस कानून का आह्वान करने की शर्तों को पूरा नहीं किया गया है.

जस्टिन ट्रूडो
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडोतस्वीर: Patrick Doyle/REUTERS

कनाडा में कोविड वैक्सीन न लेने वालों के खिलाफ लागू किए कड़े कदमों के विरोध में कई हफ्तों से प्रदर्शन और बंद आयोजित किए जा रहे हैं. लेकिन सोमवार को इन प्रदर्शनों का अंत करने के लिए प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने देश के इतिहास में पहली बार आपातकाल कानून का आह्वान किया.

यह कानून 1988 में बना था लेकिन आज तक इसका इस्तेमाल नहीं किया गया था. इसके तहत प्रधानमंत्री को नागरिक अधिकारों पर रोक लगाने की शक्ति मिल जाती है. ट्रूडो ने इस कदम की घोषणा देश की राजधानी ओटावा में एक समाचार वार्ता में की.

(पढ़ें: कनाडा में तंबू लगाकर प्रदर्शन करते ट्रक चालक, राजधानी में आपातकाल लागू)

व्यापक प्रदर्शन

ओटावा में प्रदर्शनों में अग्रणी भूमिका निभा रहे ट्रक चालकों और दूसरे वाहन चालकों ने ट्रकों और दूसरे वाहनों से ओटावा के सिटी सेंटर को ब्लॉक किया हुआ है. उन्होंने अमेरिका जाने वाले सभी सरहदी रास्तों को भी अवरोधित किया हुआ है.

ओटावा में हो रहे प्रदर्शन का एक दृश्यतस्वीर: Spencer Platt/Getty Images

जनवरी में नए नियम लाए गए थे जिनके तहत अमेरिका से लौटने वाले ट्रक चालकों के लिए टीकाकरण का प्रमाण दिखाना अनिवार्य कर दिया गया था. ये प्रदर्शन शुरू में इस नियम के विरोध तक सीमित थे, लेकिन बाद में ये सरकार के महामारी प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शनों में बदल गए.

(पढ़ें: अनिवार्य टीके के खिलाफ यूरोप में भी निकलने लगा "आजादी का काफिला")

आपातकाल कानून के तहत सरकार ने प्रदर्शनकारियों की फंडिंग को रोकने के कदम उठाए. इसके अलावा स्थानीय पुलिस को केंद्रीय पुलिस की मदद दिलवाने के लिए भी कदम उठाए. ट्रूडो ने समाचार वार्ता में कहा, "ये अवरोध हमारी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं और जनता की सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं. हम अवैध और खतरनाक गतिविधियों को जारी रहने की इजाजत न दे सकते हैं और ना देंगे."

कड़ी कार्रवाई की आलोचना

(पढ़ें: कनाडा, फ्रांस के बाद अब न्यूजीलैंड में वैक्सीन से आजादी की मांग)

लेकिन कनेडियन नागरिक अधिकार संगठन ने कहा कि सरकार ने आपातकाल कानून का आह्वान करने की शर्तें पूरी नहीं की हैं. समूह ने कहा कि इस कानून का उद्देश्य "संप्रभुता, सुरक्षा और देश की अखंडता" के प्रति उत्पन्न होने वाले खतरों का सामना करना है.

"फ्रीडम कॉन्वॉय" प्रदर्शनों के नाम से जाने जाने वाले प्रदर्शनों ने ट्रूडो की हर तरह की नीतियों की आलोचना करने वालों को अपनी तरफ आकर्षित किया है, चाहे को महामारी से संबंधित प्रतिबंध हों या कार्बन टैक्स को. इनकी नकल में इसी तरह के प्रदर्शन इस्राएल, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी शुरू हो गए हैं.

सीके/एए (रॉयटर्स/डीपीए)

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