अमेरिका और कनाडा में खालिस्तान समर्थक सिखों पर हमले जारी हैं और दोनों देशों की सरकारों ने कई सिख कार्यकर्ताओं को चेतावनी जारी कर सावधान रहने को कहा है.
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अमेरिका में रहने वाले खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कहा है कि कनाडा की पुलिस ने वहां के एक खालिस्तान समर्थक नेता इंदरजीत सिंह गोसल को सावधान रहने को कहा है. मंगलवार को पन्नू ने बताया कि रॉयल कनाडाई माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) के साथ काम कर रही ओंटारियो प्रांत की पुलिस ने इसी सप्ताह इंदरजीत सिंह गोसल को "ड्यूटी टू वॉर्न" नोटिस जारी किया है.
पन्नू द्वारा जारी एक बयान में गोसल ने कहा, "कनाडाई अधिकारियों ने मुझे जान के खतरे के बारे में सूचित किया है. हालांकि, पंजाब को भारतीय कब्जे से मुक्त कराने की मेरी प्रतिबद्धता अडिग है."
पाकिस्तान में हिंदुओं का ऐतिहासिक भव्य मंदिर
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में कोहिस्तान नामक पर्वत श्रृंखला में कटासराज नाम का एक गांव है. यह गांव हिंदुओं के लिए बहुत ऐतिहासिक और पवित्र है. इसका जिक्र महाभारत में भी मिलता है. आइए जानें इसकी विशेषता.
तस्वीर: Ismat Jabeen
कई मंदिर
कटासराज मंदिर परिसर में एक नहीं, बल्कि कम से कम सात मंदिर है. इसके अलावा यहां सिख और बौद्ध धर्म के भी पवित्र स्थल हैं. इसकी व्यवस्था अभी एक वक्फ बोर्ड और पंजाब की प्रांतीय सरकार का पुरातत्व विभाग देखता है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
पहाड़ी इलाके में मंदिर
कोहिस्तान नमक का इलाका छोटी-बड़ी पहाड़ियों से घिरा है. ऊंची पहाड़ियों पर बनाए गए इन मंदिरों तक जाने के लिए पहाड़ियों में होकर बल खाते पथरीले रास्ते हैं. इस तस्वीर में कटासराज का मुख्य मंदिर और उसके पास दूसरे भवन दिख रहे हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
सबसे ऊंचे मंदिर से नजारा
कटासराज की ये तस्वीर वहां के सबसे ऊंचे मंदिर से ली गई है जिसमें मुख्य तालाब, उसके आसपास के मंदिर, हवेली, बारादरी और पृष्ठभूमि में मंदिर के गुम्बद भी देखे जा सकते हैं. बाएं कोने में ऊपर की तरफ स्थानीय मुसलमानों की एक मस्जिद भी है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
नहीं रही हिंदू आबादी
कटासराज मंदिर के ये अवशेष चकवाल शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर दक्षिण में हैं. बंटवारे से पहले यहां हिंदुओं की अच्छी खासी आबादी रहती थी लेकिन 1947 में बहुत से हिंदू भारत चले गए. इस मंदिर परिसर में राम मंदिर, हनुमान मंदिर और शिव मंदिर खास तौर से देखे जा सकते हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
शिव और सती का निवास
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव ने सती से शादी के बाद कई साल कटासराज में ही गुजारे. मान्यता है कि कटासराज के तालाब में स्नान से सारे पाप दूर हो जाते हैं. 2005 में जब भारत के उप प्रधानमंत्री एलके आडवाणी पाकिस्तान आए तो उन्होंने कटासराज की खास तौर से यात्रा की थी.
तस्वीर: Ismat Jabeen
शिव के आंसू
हिंदू मान्यताओं के अनुसार जब शिव की पत्नी सती का निधन हुआ तो शिव इतना रोए कि उनके आंसू रुके ही नहीं और उन्हीं आंसुओं के कारण दो तालाब बन गए. इनमें से एक पुष्कर (राजस्थान) में है और दूसरा यहां कटाशा है. संस्कृत में कटाशा का मतलब आंसू की लड़ी है जो बाद में कटास हो गया.
तस्वीर: Ismat Jabeen
गणेश
हरी सिंह नलवे की हवेली की एक दीवार पर गणेश की तस्वीर, जिसमें वो अन्य जानवरों को खाने के लिए चीजें दे रहे हैं. ऐसे चित्रों में कोई न कोई हिंदू पौराणिक कहानी है. कटासराज के निर्माण में ज्यादातर चूना इस्तेमाल किया गया है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
धार्मिक महत्व
पुरातत्वविद् कहते हैं कि इस तस्वीर में नजर आने वाले मंदिर भी नौ सौ साल पुराने हैं. लेकिन पहाड़ी पर बनी किलेनुमा इमारत इससे काफी पहले ही बनाई गई थी. तस्वीर में दाईं तरफ एक बौद्ध स्तूप भी है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
प्राकृतिक चश्मे
कटासराज की शोहरत की एक वजह वो प्राकृतिक चश्मे हैं जिनके पानी से गुनियानाला वजूद में आया. कटासराज के तालाब की गहराई तीस फुट है और ये तालाब धीरे धीरे सूख रहा है. इसी तालाब के आसपास मंदिर बनाए गए हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
खास निर्माण शैली
कटासराज की विशिष्ट निर्माण शैली और गुंबद वाली ये बारादरी अन्य मंदिरों के मुकाबले कई सदियों बाद बनाई गई थी. इसलिए इसकी हालत अन्य मंदिरों के मुकाबले में अच्छी है. पुरातत्वविदों के अनुसार कटासराज का सबसे पुराना मंदिर छठी सदी का है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
दीवारों पर सदियों पुराने निशान
ये खूबसूरत कलाकारी एक हवेली की दीवारों पर की गई है जो यहां सदियों पहले सिख जनरल हरी सिंह नलवे ने बनवाई थी. इस हवेली के अवशेष आज भी इस हालत में मौजूद हैं कि उस जमाने की एक झलक बखूबी मिलती है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
नलवे की हवेली के झरोखे
सिख जनरल नलवे ने कटासराज में जो हवेली बनवाई, उसके चंद झरोखे आज भी असली हालत में मौजूद हैं. इस तस्वीर में एक अंदरूनी दीवार पर झरोखे के पास खूबसूरत चित्रकारी नजर आ रही है. कहा जाता है कि कटासराज का सबसे प्राचीन स्तूप सम्राट अशोक ने बनवाया था.
तस्वीर: Ismat Jabeen
बीती सदियों के प्रभाव
इस तस्वीर में कटासराज की कई इमारतें देखी जा सकती हैं, जिनमें मंदिर भी हैं, हवेलियां भी हैं और कई दरवाजों वाले आश्रम भी हैं. इस तस्वीर में दिख रही इमारतों पर बीती सदियों के असर साफ दिखते हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
सदियों का सफर
इस स्तूपनुमा मंदिर में शिवलिंग है. भारतीय पुरातत्व सर्वे की 19वीं सदी के आखिर में तैयार दस्तावेज बताते हैं कि कटासराज छठी सदी से लेकर बाद में कई दसियों तक हिंदुओं का बेहद पवित्र स्थल रहा है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
मूंगे की चट्टानें
कटासराज के मंदिरों और कई अन्य इमारतों में हिस्सों में मूंगे की चट्टानों, जानवरों की हड्डियों और कई पुरानी चीजों के अवशेष भी देखे जा सकते हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
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गोसल ने सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर के सहायक के रूप में काम किया, जिनकी जून 2023 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. सितंबर में, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस हत्या में भारत सरकार की संभावित भूमिका के विश्वसनीय आरोपों का उल्लेख किया था. तब से पुलिस ने हत्या के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया है.
भारत ने इस गोलीकांड से किसी भी संबंध से इनकार किया है. भारत का आरोप है कि कनाडा खालिस्तान के नाम से जाने जाने वाला एक स्वतंत्र राज्य बनाने के समर्थक सिख अलगाववादियों को शरण देता है.
आरसीएमपी और ओंटारियो पुलिस से तुरंत टिप्पणी प्राप्त नहीं हो सकी. कनाडाई सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री डॉमिनिक लेब्लांक के कार्यालय ने भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
अमेरिका में भी हमले
अमेरिकी संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने पिछले सप्ताह कहा कि वे 11 अगस्त को हुई एक गोलीबारी की जांच कर रहे हैं, जिसमें कैलिफॉर्निया के एक सिख राजनीतिक कार्यकर्ता को निशाना बनाया गया था. यह कार्यकर्ता भी निज्जर से जुड़ा हुआ था.
भारत-कनाडा विवाद: क्या क्या है दांव पर
कनाडा में एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच गंभीर कूटनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. अगर विवाद और गहराया तो इसका असर दोनों देशों के रिश्तों के कई पहलुओं पर पड़ सकता है. आखिर क्या क्या है दांव पर?
तस्वीर: AFP
व्यापारिक रिश्तों पर असर
जून, 2023 में दोनों देशों ने कहा था कि एक महत्वपूर्ण व्यापार संधि पर इसी साल हस्ताक्षर हो जाएंगे. लेकिन सितंबर में कनाडा ने बताया कि उसने भारत के साथ इस प्रस्तावित संधि पर बातचीत को रोक दिया है. अनुमान लगाया जा रहा था कि इस संधि से दोनों देशों के बीच व्यापार में करीब 541 अरब रुपयों की बढ़ोतरी हो सकती थी.
तस्वीर: Paul Chiasson/ZUMA Press/IMAGO
किन चीजों का होता है व्यापार
दोनों देशों के बीच व्यापार में लगातार बढ़ोतरी की वजह से 2022 में दोनों देशों के बीच 666 अरब रुपयों का व्यापार हुआ. भारत ने करीब 333 अरब रुपयों का सामान कनाडा से आयात किया और उतने ही मूल्य का सामान कनाडा निर्यात किया.
तस्वीर: Adrian Wyld/AP/picture alliance
भारत में है कनाडा की दालों की मांग
भारत में कनाडा से आयातित दालों की मांग बढ़ती जा रही है. इसके अलावा भारत कनाडा से कोयला, खाद, न्यूजप्रिंट, कैमरे, हीरे आदि जैसे सामान भी आयात करता है. कनाडा भारत से दवाएं, कपड़े, गाड़ियों के पुर्जे, हवाई जहाज के उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसी चीजें आयात करता है.
तस्वीर: Olena Yeromenko/Zoonar/picture alliance
अरबों रुपयों का निवेश
कनाडा भारत का 17वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है. उसने पिछले 22 सालों में करीब 299 अरब रुपयों का भारत में निवेश किया है. इसके अलावा कनाडा के पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय स्टॉक और डेट बाजारों में अरबों रुपयों का निवेश किया है. कनाडा का पेंशन फंड भारत के रियल एस्टेट, रिन्यूएबल ऊर्जा और वित्तीय क्षेत्रों में मार्च 2023 तक 1,248 अरब रुपयों का निवेश कर चुका है.
तस्वीर: Andrew Vaughan/The Canadian Press/picture alliance
कंपनियों को क्या फायदा हुआ है
बॉम्बार्डियर और एसएनसी लावलीन जैसी 600 से भी ज्यादा कनाडा की कंपनियों की भारत में मजबूत उपस्थिति है. भारत की तरफ से टीसीएस, विप्रो, इंफोसिस जैसी कम से कम 30 कंपनियों ने कनाडा में अरबों रुपये लगाए हैं और हजारों नौकरियों को पैदा दिया है.
तस्वीर: Arnulf Hettrich/imago images
भारतीय छात्रों की पसंद
2018 में भारत कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा रहा. 2022 में तो उनकी संख्या में करीब 47 प्रतिशत का उछाल आया और यह संख्या 3,20,000 पर पहुंच गई. कनाडा में पढ़ रहे कुल अंतरराष्ट्रीय छात्रों में से 40 प्रतिशत भारतीय छात्र हैं.
तस्वीर: NurPhoto/picture alliance
सिखों के लिए इस विवाद के क्या मायने हैं
कई समीक्षकों का कहना है कि दोनों देशों के रिश्ते खराब होने से पंजाब में रह रहे हजारों सिख परिवारों के आर्थिक हितों पर असर पड़ेगा, क्योंकि उनके परिवार का कोई न कोई सदस्य कनाडा में रहता है और उन्हें हर साल वहां कमाए हुए डॉलरों का एक हिस्सा भेजता है. कनाडा में पिछले 20 सालों में सिखों की आबादी में दोगुने से भी ज्यादा बढ़ोतरी आई है और अब वह बढ़ कर देश की कुल आबादी का 2.1 प्रतिशत हो गई है. (रॉयटर्स)
तस्वीर: Chris Helgren/REUTERS
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वुडलैंड, कैलिफॉर्निया के सतिंदर पाल सिंह राजू ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि एफबीआई एजेंट्स गुरुवार को उनसे और उनके एक दोस्त से मिलने आए, जो हमले के वक्त ट्रक चला रहे थे. वह और एक अन्य यात्री योलो काउंटी में इंटरस्टेट 505 साउथ हाईवे पर देर रात खाना खाने के बाद वकैविल से लौट रहे थे.
राजू ने एक अनुवादक के माध्यम से बताया कि एक सफेद कार उनके ट्रक के बाईं ओर आई, फिर पीछे हो गई और फिर से उनके बगल में आ गई. तभी पहली गोली चलाई गई.
राजू ने कहा, "पहली गोली चलते ही मैं नीचे झुक गया, लेकिन फिर मैंने और भी गोलियों की आवाज सुनी. मुझे तुरंत हरदीप सिंह निज्जर की याद आई और यह महसूस किया कि यह वैसा ही हमला है."
गोलीबारी से बचने की कोशिश में उनका ट्रक फिसलकर खाई में गिर गया. राजू और उनके दो दोस्त पास के खेत में भाग गए और वहां एक घास के ढेर के पीछे छिपकर 911 को फोन किया. पुलिस ने उन्हें बाद में बताया कि घटनास्थल पर कम से कम पांच गोलियों के खोखे मिले हैं.
एफबीआई के सैक्रामेंटो कार्यालय ने पुष्टि की है कि वे कैलिफॉर्निया हाईवे पैट्रोल के साथ मिलकर इस गोलीबारी की जांच कर रहे हैं. कैलिफॉर्निया हाईवे पैट्रोल के एक प्रवक्ता ने शूटिंग की पुष्टि की, लेकिन अधिक जानकारी देने से इनकार कर दिया और कहा कि जांच जारी है.
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सिख कार्यकर्ताओं को पुलिस की चेतावनी
निज्जर की हत्या के बाद के दिनों और महीनों में, एफबीआई और कनाडाई रॉयल माउंटेड पुलिस ने कम से कम सात सिख कार्यकर्ताओं को निजी तौर पर चेतावनी दी थी कि उनकी जान को गंभीर खतरा हो सकता है. हालांकि उन्होंने खतरे के स्रोत का उल्लेख नहीं किया.
राजू ने बताया कि उन्हें ऐसी कोई चेतावनी नहीं मिली थी. इस महीने की शुरुआत में रायटर्स ने खबर छापी थी कि निज्जर की मौत के बाद से अमेरिका और कनाडा में सिख समुदाय के नेताओं, जिनमें चुने हुए अधिकारी भी शामिल हैं, के खिलाफ धमकियों और उत्पीड़न का सिलसिला जारी है.
राजू भी सिख्स फॉर जस्टिस नामक संगठन से जुड़े हुए हैं, जिसे पन्नू ने स्थापित किया था. यह संगठन दुनिया भर में गैर-बाध्यकारी जनमत संग्रह आयोजित करता है. इन जनमत संग्रहों में भारत के पंजाब राज्य को भारत से अलग कर स्वतंत्र खालिस्तान बनाने का आह्वान किया जाता है.
यह आंदोलन 1980 और 1990 के दशकों में भारत के पंजाब राज्य में एक हिंसक विद्रोह का कारण बना था, जिसे बाद में बेहद सख्ती से कुचला गया था.
राजू ने कहा कि वह पन्नू की तरह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध नहीं हैं, लेकिन वह जनमत संग्रह के आयोजन में सक्रिय हैं. उन्होंने कहा कि उनके कोई दुश्मन नहीं हैं और उन्हें संदेह है कि इस शूटिंग का मकसद खालिस्तान आंदोलन का समर्थन करने वालों में भय फैलाना था.
राजू ने कहा, "वे खालिस्तान जनमत संग्रह को रोकना चाहते हैं. लेकिन मुझ पर यह हमला और जान से मारने की धमकी मुझे इस अभियान को जारी रखने से नहीं रोक पाएगी."
अमेरिका और कनाडा में जांच
पिछले साल एफबीआई ने एक और प्रमुख सिख अलगाववादी, गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की एक कथित कोशिश को विफल किया था. अमेरिकी न्याय विभाग ने भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर भारतीय खुफिया अधिकारी के कहने पर पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है. गुप्ता ने दोषी ना होने की बात कही है और न्यूयॉर्क में मुकदमे का इंतजार कर रहे हैं.
कनाडा में चार भारतीय नागरिकों पर निज्जर की हत्या और साजिश का आरोप है. भारत ने दोनों घटनाओं में शामिल होने से इनकार किया है. यह स्पष्ट नहीं है कि राजू पर हुई गोलीबारी का इन घटनाओं से कोई संबंध है या नहीं. भारत के वॉशिंगटन दूतावास ने कैलिफॉर्निया में हुई हालिया गोलीबारी पर कोई टिप्पणी नहीं की थी.
पिछले हफ्ते व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा था कि अमेरिका और कनाडा सिख अलगाववादियों पर हुए हत्या के प्रयासों से संबंधित जांच पर सहयोग कर रहे हैं.