स्मोकिंग, अल्कोहल और मोटापा, इन तीन कारणों से कैंसर तेजी से फैल रहा है. लान्सेट के शोध के मुताबिक 2019 में कैंसर से हुई आधी मौतों के पीछे यही तीन कारण थे.
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प्रतिष्ठित ब्रिटिश जर्नल लान्सेट का दावा है कि तंबाकू, अल्कोहल और हाई बॉडी मास इंडेक्स यानि मोटापे को काबू में कर कैंसर के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाई जा सकती है. शोध के मुताबिक व्यवहार बन चुकी कुछ आदतें, कैंसर से होने वाली मौतों के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं. लान्सेट का दावा है कि 2019 में दुनिया भर में कैंसर हुई 44.4 फीसदी मौतें मानव व्यवहार से जुड़ी थीं.
वैज्ञानिकों ने ऐसे 34 रिस्क फैक्टरों की पहचान की है जो सबसे ज्यादा कैंसर का खतरा पैदा करते हैं. इनमें सबसे ज्यादा गंभीर स्मोकिंग है. कैंसर के 33.9 फीसदी मामले तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों से जुड़े मिले. 2019 में पूरे विश्व में 23 किस्म के कैंसर से एक करोड़ लोगों की मौत हुई. लान्सेट के रिसर्चरों इन एक करोड़ मौतों की पड़ताल की.
शोध के सीनियर को ऑर्थर क्रिस्टोफर मरे कहते हैं, "कैंसर का बोझ जनस्वास्थ्य के लिए अब भी एक गंभीर चुनौती बना हुआ है और दुनिया भर में इसका असर बढ़ता जा रहा है."
शोध यह भी कहता है कि कैंसर का असर वित्तीय और मौसमी परिस्थितियों के साथ साथ उम्र पर भी निर्भर करता है. निम्न आय वर्ग वाले देशों में स्मोकिंग, असुरक्षित सेक्स और अल्कोहल कैंसर के मरीज की उम्र पर बहुत गहरा असर डालते हैं. दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और सब सहारा देशओं में मेटाबॉलिक रिस्क बहुत ज्यादा है. ये सारे इलाके सोशल डेमोग्राफिक इंडेक्स में काफी नीचे आते हैं.
कैंसर रजिस्ट्री डाटा के मुताबिक भारत में हर साल कैंसर के 8 लाख नए मामले सामने आ रहे हैं. प्रोजेक्टेड डाटा इस संख्या को 2.4 करोड़ प्रति वर्ष बता रहा है. इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च की रिपोर्ट "बर्डन ऑफ कैंसर्स इन इंडिया" के मुताबिक 2025 तक भारत में हर साल कैंसर के करीब 2.9 करोड़ मामले सामने आ सकते हैं. फिलहाल भारत में कैंसर के ज्यादातर मामले तंबाकू से जुड़े मिलते हैं.
शोध का दावा है कि आदतों में बदलाव कर कैंसर के खिलाफ काफी हद तक सुरक्षा हासिल की जा सकती है. शोध के मुताबिक कैंसर की जल्द पहचान और असरदार इलाज अब भी प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए.
ओएसजे/एनआर (एएफपी, डीपीए)
कैंसर के 9 प्रमुख कारण
लंबे शोधों के बाद दुनिया भर के वैज्ञानिक ऐसे नौ कारणों पर सहमत हैं, जो कैंसर के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं. जानिए ये 9 कारण.
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तंबाकू
तंबाकू सेवन और धूम्रपान कैंसर की सबसे बड़ी वजहें हैं. कैंसर के मरीजों में 20 फीसदी तंबाकू की वजह से ट्यूमर का शिकार बनते हैं. सिगरेट से सिर्फ लंग कैंसर ही नहीं होता, बल्कि अन्य तरह का कैंसर भी होता है.
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अत्यधिक वजन
कैंसर का दूसरा बड़ा कारण है मोटापा. शरीर में इंसुलिन का स्तर बढ़ने से हर तरह के कैंसर की संभावना बढ़ जाती है. मोटापे की शिकार महिलाओं के सेक्स हार्मोन्स बढ़ जाते हैं और यूट्रेरिन और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
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आलसी जीवन शैली
आम जिंदगी में खूब आराम फरमाने वाले भी कैंसर के शिकार हो सकते हैं. लंबे शोधों में यह बात साबित हो चुकी है कि एक्सरसाइज से ट्यूमर का खतरा घटता है. कसरत करने से शरीर में इंसुलिन का लेवल घटता है और वजन नहीं बढ़ता. कुछ किलोमीटर की सैर या साइकिल की सवारी भी काफी असरदार होती है.
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ज्यादा शराब
अल्कोहॉल मसूडों, गले और आहार नली में कैंसर का जोखिम पैदा करता है. शराब के साथ सिगरेट पीने से कैंसर का खतरा 100 गुना बढ़ जाता है.
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लाल मीट
बीफ, मटन या अन्य तरह का लाल मीट बहुत ज्यादा नहीं खाना चाहिए. बहुत ज्यादा रेड मीट खाने से आंतों के कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है. हालांकि मछली खाना सेहत के लिए अच्छा है.
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कबाब और टिक्का
मांस को ग्रिल करने पर पॉलिएरोमैटिक हाइड्रोकार्बन रिलीज होते हैं. जानवरों पर किए गए शोध से पता चला है कि पॉलिएरोमैटिक हाइड्रोकार्बन ट्यूमर को जन्म दे सकते हैं. जले हुए मांस में ऐसे तत्व सबसे ज्यादा होते हैं.
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फास्ट फूड
सब्जियां, फल और रेशेदार वनपस्तियां कैंसर से बचाती हैं. लंबे समय तक किए गए शोधों से पता चला है कि अच्छा आहार कैंसर के खिलाफ काफी असरदार होता है. फास्ट फूड से परहेज करना अच्छा रास्ता है.
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आधुनिक चिकित्सा उपकरण
एक्सरे जीनोम को नुकसान पहुंचाता है. सबसे ज्यादा नुकसानदेह कंप्यूटर टोमोग्राफी होती है, इसीलिए जब तक बहुत जरूरी न हो, तब तक कंप्यूटर टोमोग्राफी से बचना चाहिए.
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दुर्भाग्य
अगर कोई इंसान सब कुछ ठीक भी करे, तब भी उसे कैंसर हो सकता है. कैंसर के 50 फीसदी मामलों के लिए जीन और उम्र जिम्मेदार होते हैं. ब्रेन कैंसर आनुवांशिक भी होता है. (रिपोर्ट: ब्रिगिटे ओस्टेराथ/ओएसजे)