‘जेल नहीं जमानत’ के न्यायिक सिद्धांत पर जोर देते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे की आशंका के आधार पर किसी व्यक्ति को असमीमित समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता.
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भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर जांच चल रही है तो सिर्फ इस अंदेशे पर किसी को असीमित समय तक जेल में बंद नहीं रखा जा सकता कि वह व्यक्ति किसी ऐसी गतिविधि में शामिल रहा होगा जिससे राष्ट्र की सुरक्षा को खतरा हो सकता है.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने यह टिप्पणी सोमवार को मोहम्मद इनामुल हक के केस की सुनवाई के दौरान की. इनामुल हक को सीमा पार से जानवरों की तस्करी के आरोप में पकड़ा गया था. इसी मामले में बॉर्डर सिक्यॉरिटी फोर्स (बीएसएफ) के एक कमांडेंट को भी गिरफ्तार किया गया था. आरोप था कि आरोपी कमांडेंट सीमा पार से तस्करी में शामिल था और उससे होने वाली कमाई का हिस्सा राजनीतिक दलों को भी जा रहा था.
14 महीने से जेल में बंद
कोर्ट ने इनामुल हक को जमानत दे दी. उनकी पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि सीबीआई ने 6 फरवरी 2021 को जानवरों की तस्करी के मामले में चार्जशीट दाखिल की थी और 21 फरवरी को अतिरिक्त आरोप जोड़े गए थे.
रोहतगी ने कहा कि बीएसएफ कमांडेंट और अन्य आरोपियों को जमानत दे दी गई जबकि कलकत्ता हाई कोर्ट ने हक की जमानत याचिका खारिज कर दी और वह एक साल से भी ज्यादा समय से जेल में हैं जबकि इस अपराध में अधिकतम सजा सात साल की है.
सीबीआई की तरफ से पेश हुए अडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने कहा कि आरोपी गिरोह का सरगना है जिसमें बीएसएफ और कस्टम के अधिकारियों के अलावा स्थानीय पुलिस के अफसर भी शामिल हैं और यह गिरोह भारत-बांग्लादेश सीमा पर तस्करी में सक्रिय है. लेखी ने यह भी कहा कि हक के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया था जिसे वह गच्चा दे गए और बांग्लादेश से होते हुए पश्चिम बंगाल पहुंच गए.
कितना वक्त चाहिए?
लेखी ने कहा कि यह पूरा मामला देश की सुरक्षा के लिए खतरे का संकेत है और एक बड़ी साजिश की जांच अभी होनी है तो बेंच ने पूछा, "हम इस असीमित जांच का मतलब नहीं समझ पा रहे हैं. किसी व्यक्ति को असीमित समय तक जेल में रखने से बड़ी साजिश की जांच में कैसे मदद मिलेगी, जबकि अन्य आरोपियों को जमानत दे दी गई है? क्या एक साल और दो महीने बडी साजिश की जांच के लिए काफी नहीं हैं?”
भारत में पिछले दिनों पुलिस ने काफी बड़ी संख्या में देशद्रोह के मुकदमे दर्ज किए हैं और सैकड़ों लोग इन मुकदमों में जेल में बंद हैं. पिछले साल राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि
2014 से 2019 के बीच देशद्रोह के 326 मामले दर्ज हुए जिनमें 559 लोगों को गिरफ्तार किया गया जबकि सिर्फ 10 लोगों को सजा हुई.
रिपोर्टः विवेक कुमार (एपी)
पत्रकारों के लिए बेहद खराब रहा 2021
न्यूयॉर्क स्थित मीडिया वॉचडॉग 'कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स' की नई रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में साल की शुरुआत से 1 दिसंबर 2021 तक 293 रिपोर्टरों को जेल में डाला गया. यह अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है.
तस्वीर: Maja Hitij/Getty Images
जोखिम में रिपोर्टर
कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में सलाखों के पीछे पत्रकारों की संख्या 2021 में बढ़कर सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल 1 दिसंबर तक 293 पत्रकारों को जेल में डाला जा चुका है.
तस्वीर: Brent Swails/CNN/AP/picture alliance
कवरेज के दौरान 24 पत्रकार मारे गए
सीपीजे ने 9 दिसंबर को प्रेस की स्वतंत्रता और मीडिया पर हमलों पर अपने वार्षिक सर्वेक्षण में कहा कि कम से कम 24 पत्रकार न्यूज कवरेज के दौरान मारे गए और 18 अन्य की मौत ऐसी परिस्थितियों में हुई, जिससे यह साफ तौर पर तय नहीं किया जा सका कि क्या उन्हें उनके काम के कारण निशाना बनाया गया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Brogca
क्यों जेल में डाले जा रहे है पत्रकार
अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थित संस्था का कहना है कि पत्रकारों को जेल में डालने का कारण अलग-अलग देशों में भिन्न है. संस्था के मुताबिक यह रिकॉर्ड संख्या दुनिया भर में राजनीतिक उथल-पुथल और स्वतंत्र रिपोर्टिंग को लेकर बढ़ती असहिष्णुता को दर्शाती है.
तस्वीर: Getty Images/C. Court
सरकारों का कैसा दखल
सीपीजे के कार्यकारी निदेशक जोएल साइमन ने एक बयान में कहा, "यह लगातार छठा साल है जब सीपीजे ने दुनिया भर में कैद पत्रकारों की संख्या का लेखाजोखा तैयार किया है." उनके मुताबिक, "संख्या दो जटिल चुनौतियों को दर्शाती है - सरकारें सूचना को नियंत्रित और प्रबंधित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और वे ऐसा करने की कोशिश बहुत बेशर्मी से कर रही हैं."
दानिश सिद्दीकी भी 2021 में मारे गए
भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी अफगान सुरक्षाबलों के साथ पाकिस्तान से सटी अहम सीमा चौकी के पास तालिबान लड़ाकों के साथ संघर्ष को कवर रहे थे. 16 जुलाई 2021 को तालिबान ने उनकी हत्या की थी. 2021 में ही मेक्सिको के पत्रकार गुस्तावो सांचेज कैबरेरा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
सीपीजे की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने 50 पत्रकारों को कैद किया, जो किसी भी देश में सबसे अधिक है. इसके बाद म्यांमार (26) का स्थान आता है. म्यांमार में 1 फरवरी को सेना ने तख्तापलट किया था और इसकी रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर कार्रवाई की गई. फिर मिस्र (25), वियतनाम (23) और बेलारूस (19) का नंबर आता है.
तस्वीर: Imago Images/S. Boness
मेक्सिको में बड़े जोखिम
सीपीजे के मुताबिक मेक्सिको में पत्रकारों को अक्सर निशाना बनाया जाता है. ऐसा तब होता है जब उनके काम से आपराधिक गिरोह या भ्रष्ट अधिकारी परेशान होते हैं. मेक्सिको पत्रकारों के लिए पश्चिमी गोलार्ध का सबसे घातक देश बना हुआ है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Y. Cortez
यूरोप में भी हमले के शिकार पत्रकार
छह जुलाई 2021 को नीदरलैंड्स की राजधानी एम्सटर्डम के बीचो बीच एक जाने माने क्राइम रिपोर्टर पेटर आर दे विरीज को एक टेलीविजन स्टूडियो के बाहर अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी. अंदेशा है कि हमले के पीछे संगठित अपराध की दुनिया का एक गिरोह शामिल है. गोली लगने के नौ दिन बाद उनकी मौत हो गई.