जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में पुलिस,सेना और सीआरपीएफ ने वक्त रहते कार बम हमले को नाकाम कर दिया है. निजी कार में करीब 40-45 किलो विस्फोटक फिट था और इसका इस्तेमाल सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के इरादे से किया जाना था.
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जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षा बलों ने विस्फोटकों से भरी कार को जब्त किया और बाद में विस्फोटक को बहुत ही एहतियात के साथ उसे कंट्रोल्ड तरीके से नष्ट किया. जम्मू-कश्मीर पुलिस का कहना है कि समय पर मिले इनपुट के आधार पर पुलवामा पुलिस, सीआरपीएफ और सेना ने आईईडी ब्लास्ट की बड़ी आतंकी घटना को नाकाम किया है. जम्मू-कश्मीर के आईजी विजय कुमार ने इस घटना के बारे में पत्रकारों से कहा, "हमें जैश-ए-मोहम्मद की साजिश की जानकारी मिली थी. यह एक आत्मघाती हमले की साजिश थी जिसके निशाने पर सुरक्षाबल थे." उन्होंने बताया कि बरामद की गई कार में करीब 40 से 45 किलो विस्फोटक था जिसे पूरी सावधानी के साथ नष्ट कर दिया गया.
जम्मू-कश्मीर पुलिस का कहना है कि पिछले एक हफ्ते से पुलवामा पुलिस को जानकारी मिल रही थी कि जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन एक बहुत बड़े हमले की योजना बना रहे हैं. पुलिस का कहना है कि उसे जानकारी मिली थी कि आतंकी संगठन कार बम का इस्तेमाल कर सकते हैं. आईजी विजय कुमार के मुताबिक जब आतंकी हमले की साजिश की खबर की पुष्टि हो गई तो बुधवार की शाम पुलिस, सीआरपीएफ और सेना ने नाकेबंदी की. जब नाके पर खड़ी पुलिस पार्टी ने चेतावनी देते हुए एक कार पर फायरिंग की तो ड्राइवर गाड़ी घुमाकर दूसरी ओर भाग गया. इसके बाद एक और नाका पार्टी ने गाड़ी पर चेतावनी देते हुए फायरिंग की लेकिन अंधेरा होने की वजह से ड्राइवर गाड़ी छोड़कर फरार हो गया. पुलिस ने बताया कि गाड़ी की तलाशी लेने पर भारी मात्रा में विस्फोटक मिला जिसे गुरुवार सुबह में बम निरोधक दस्ते ने कंट्रोल्ड तरीके से नष्ट कर दिया.
जम्मू-कश्मीर पुलिस का कहना है वह इस मामले की शुरुआती जांच खुद करेगी और अगर जरूरत पड़ी तो राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की भी मदद ले सकती है. जिस सैंट्रो कार में विस्फोटक मिला था उस पर फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज है. पिछले दो महीने में जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियां बढ़ गई हैं. पिछले कुछ हफ्तों में हुए आतंकी हमले में सेना के जवानों को मौत का सामना करना पड़ा है. हाले के दिनों में सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में 38 आतंकी भी मारे गए. गौरतलब है कि पुलवामा में इसी महीने की शुरूआत में सुरक्षाबलों ने हिजबुल मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडर रियाज नाइकू को मुठभेड़ के दौरान मार गिराया था. नाइकू ए प्लस प्लस श्रेणी का आतंकी था और उस पर करीब 12 लाख रुपये का इनाम था.
पिछले साल पुलवामा जिले में आतंकियों ने घात लगाकार आत्मघाती हमला किया था. हमला सीआरपीएफ के काफिले पर हुआ था जिसमें उसके 40 जवान मारे गए थे. पुलवामा हमले के बाद ही भारत ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक किया था. शक जताया जा रहा है कि बुधवार की यह घटना भी 2019 में पुलवामा में हुए हमले की तर्ज पर विस्फोट को अंजाम देने की साजिश थी.
कहानी पुलित्जर जीतने वाले भारतीय फोटो पत्रकारों की
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के तीन भारतीय फोटोग्राफरों ने प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार जीता है. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाबंदियों के बीच उन्होंने आखिर कैसे खींची और भेजीं तस्वीरें?
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Khan
"चूहा-बिल्ली" का खेल
"ये हमेशा चूहा-बिल्ली का खेल था" - एसोसिएटेड प्रेस के फोटोग्राफर डार यासीन ने अगस्त 2019 में कश्मीर में लागू हुई तालाबंदी की कहानियों को तस्वीरों में कैद करने के तजुर्बे को कुछ यूं बयान किया है. यासीन और उनके दो और सहयोगियों मुख्तार खान और चन्नी आनंद को इस दौरान जम्मू और कश्मीर में खींची गई तस्वीरों के लिए 2020 के फीचर फोटोग्राफी के पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया है. देखिये इनमें से कुछ तस्वीरें.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Dar Yasin
घोषणा
अगस्त में जम्मू में एक इलेक्ट्रॉनिक्स सामान की दुकान पर टीवी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण सुनते लोग. 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म कर उसे दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था. कश्मीर तब से एक तरह के लॉकडाउन में है जिसके तहत वहां के नागरिकों पर कई कड़े प्रतिबंध लागू हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP/C. Anand
विरोध
अगस्त में श्रीनगर में कर्फ्यू के बीच अर्धसैनिक बल के जवानों पर दूर से पत्थर फेंकता एक प्रदर्शनकारी. श्रीनगर में एपी के फोटोग्राफर मुख्तार खान और यासीन डार को प्रदर्शनकारियों और सेना के जवानों दोनों का ही अविश्वास झेलना पड़ता था.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/D. Yasin
पहरा
अगस्त में श्रीनगर में कंटीली तारों से बंद एक सुनसान सड़क पर पहरा देता एक सुरक्षाकर्मी. श्रीनगर में खान और यासीन कई बार कई दिनों तक घर नहीं लौट पाते थे और अपने परिवारों तक अपनी खबर भी नहीं पहुंचा पाते थे.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/D. Yasin
बंदूकें और बूट
पिछले साल अगस्त में श्रीनगर में तालाबंदी के दौरान ड्यूटी पर तैनात दो सुरक्षाकर्मी. खान और यासीन अपनी खींची हुई तस्वीरें दिल्ली ऑफिस तक पहुंचाने के लिए एयरपोर्ट पर अनजान यात्रियों से अपील करते थे. कुछ यात्री डर कर अपील ठुकरा देते थे तो कुछ मान लेते थे.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Dar Yasin
नमाज
अगस्त 2019 में जम्मू में मस्जिद में ईद पर नमाज अदा करते हुए लोग. आनंद जम्मू में काम करते हैं और कहते हैं कि पुरस्कार से वो अवाक रह गए. वे बीस साल से एपी के लिए काम कर रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/C. Anand
ये कैसी ईद
अगस्त 2019 में ईद पर जम्मू में सुरक्षाबलों की भारी तैनाती के बीच अपने रास्ते पर जाता एक मुस्लिम व्यक्ति. एपी के अध्यक्ष गैरी प्रुइट ने कहा कि इस टीम की बदौलत ही दुनिया कश्मीर में आजादी की लंबी लड़ाई में हुई एक नाटकीय तेजी देख पाई.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/C. Anand
वापसी
अगस्त में प्रवासी श्रमिक जम्मू और कश्मीर को छोड़ अपने अपने घर जाने के लिए जम्मू रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन में बैठे हुए. कर्फ्यू और फोन और इंटरनेट के बंद होने के बावजूद ये तस्वीरें एपी के इन फोटोग्राफरों ने खींचीं और किसी तरह भेजीं.
तस्वीर: picture-alliance/AP/C. Anand
पुलिस
सितंबर 2019 में श्रीनगर में शिया प्रदर्शनकारियों पर डंडे चलाता एक पुलिसकर्मी. एपी के फोटोग्राफरों ने कभी अंजान लोगों के घर में छिप कर तो कभी कैमरों को सब्जियों के थैलों में छिपा कर तस्वीरें खींची.
तस्वीर: picture-alliance/AP/M. Khan
बंदूकों के साए में
नवंबर में श्रीनगर में एक बाजार में हुए एक विस्फोट के स्थल की जांच करता हुआ एक सुरक्षाकर्मी. यासीन कहते हैं कि उनके काम का उनके लिए पेशे-संबंधी और व्यक्तिगत दोनों मतलब है. वे कहते हैं इन तस्वीरों में सिर्फ दूसरों की नहीं बल्कि उनकी खुद की भी कहानी है.