अमेरिकी कार कंपनी फोर्ड ने ऐलान किया है कि वह भारत में कार बनाना बंद कर देगी. गुरुवार को कंपनी ने कहा कि भारत के बाजार में उसकी एक स्थिर जगह बनाने की कोशिशें नाकाम हो गईं जिसके बाद यह फैसला किया गया है.
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फोर्ड कंपनी अब भारत में कारें नहीं बनाएगी. भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया' योजना के लिए यह बड़ा झटका है क्योंकि इससे पहले दो और कंपनियां ऐसा ही कर चुकी हैं. पिछले साल हार्ली डेविडसन ने भी ऐसा ही फैसला किया था. 2017 में जनरल मोटर्स ने भारत छोड़ दिया था.
फोर्ड ने कहा कि पिछल 10 साल में उसे दो अरब डॉलर से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है. 2019 में उसकी 80 करोड़ डॉलर की संपत्ति बेकार हुई. एक बयान में कंपनी के भारत में अध्यक्ष और महाप्रबंधक अनुराग मेहरोत्रा ने कहा, "हम लंबी अवधि में मुनाफा कमाने के लिए एक स्थिर रास्ता खोजने में नाकाम रहे.”
देखिएः सबसे ज्यादा मौके देने वाली अर्थव्यवस्था
सबको सबसे ज्यादा मौके देने वाली अर्थव्यवस्था कौन सी है
सिंगापुर पिछले दो साल से वैश्विक प्रतियोगितात्मकता रैंकिंग में अव्वल दर्जे पर था, लेकिन 2021 की सूची में वह नीचे खिसक गया है. जानिए कौन सा देश अब बन गया है सबको बराबर अवसर देने वाली अर्थव्यवस्था.
तस्वीर: Novartis
फिसला सिंगापुर
स्विट्जरलैंड के लॉजेन स्थित इंस्टीट्यूट फॉर मैनेजमेंट डेवलपमेंट की वैश्विक प्रतियोगितात्मकता रैंकिंग में पिछले दो सालों से चोटी पर रहा सिंगापुर अब फिसल गया है. वह अब दुनिया की सबसे प्रतिस्पर्धात्मक अर्थव्यवस्था नहीं रहा. संस्थान के मुताबिक, रोजगार कम होने, उत्पादकत में आई गिरावट और महामारी के असर की वजह से सिंगापुर अब गिर कर पांचवें पायदान पर पहुंच गया है.
तस्वीर: Yeen Ling Chong/AP Photo/picture-alliance
अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड गिरावट
पिछले साल सिंगापुर की अर्थव्यवस्था में 5.4 प्रतिशत की रिकॉर्ड गिरावट आई, हालांकि अब वहां हालात सुधर रहे हैं. सरकार ने कहा है कि पिछले छह महीनों से निर्यात लगातार बढ़ रहा है और मई में तो नौ प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसी बदौलत रैंकिंग में चोटी के पांच देशों में सिंगापुर एशिया का एकमात्र प्रतिनिधि था.
तस्वीर: Reuters/E. Su
टॉप10 में कौन
चोटी के 10 देशों में एशिया से दो और इलाके हैं - हांग कांग और ताइवान. भारत और मलेशिया भी टॉप 10 तक में नहीं हैं. दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर महामारी का बड़ा असर पड़ा है.
तस्वीर: Kokhanchikov/ Zoonar/picture alliance
चीन का बेहतर प्रदर्शन
महामारी के दौरान भी वृद्धि दर्ज करने की वजह से चीन 20वें से 16वें स्थान पर पहुंच गया. संस्थान के मुताबिक चीन में "गरीबी का कम होना जारी रहा और बुनियादी ढांचा और शिक्षा को बढ़ावा मिलता रहा."
तस्वीर: Tang Maika/HPIC/dpa/picture alliance
अमेरिका और ब्रिटेन स्थिर
अमेरिका 10वें स्थान पर बना रहा और ब्रिटेन एक पायदान की बढ़त हासिल कर 18वें स्थान पर आ गया. संस्थान का कहना है कि दोनों देशों ने महामारी के दौरान "प्रभावशाली" आर्थिक नीतियां लागू कीं.
तस्वीर: Kevin Lamarque/REUTERS
यूरोप की हालत सबसे अच्छी
संस्थान का आकलन है कि कोरोना वायरस महामारी का काफी भारी असर झेलने के बावजूद यूरोप की अर्थव्यवस्थाओं ने "अधिकांश दूसरे देशों के मुकाबले संकट का बेहतर सामना किया."
तस्वीर: Robin Utrecht/picture alliance
सबसे बेहतर देश
इस साल रैंकिंग में स्विट्जरलैंड ने शीर्ष स्थान पाया है. संस्थान के मुताबिक, स्विट्जरलैंड ने महामारी के दौरान "एक अनुशासित वित्तीय रणनीति अपनाई". चोटी के पांच देशों में इसके अलावा यूरोप के तीन देश और रहे - स्वीडन, डेनमार्क और नीदरलैंड. (डीपीए)
तस्वीर: Nataliya Nazarova/Zonnar/picture alliance
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मेहरोत्रा की ओर से जारी बयान में कहा गया कि कंपनी को उम्मीद है कि कंपनी के पुनर्गठन में करीब दो अरब डॉलर का खर्च आएगा. इसमें से 60 करोड़ तो इसी साल खर्च हो जाएंगे जबकि अगले साल 1.2 अरब डॉलर का खर्च होगा. बाकी खर्च आने वाले सालों में होगा.
40 हजार से ज्यादा लोगों पर होगा असर
फोर्ड ने भारत में बिक्री के लिए वाहन बनाना फौरन बंद कर दिया है. उसकी फैक्ट्री पश्चिमी गुजरात में है, जहां निर्यात के लिए कारें बनाई जाती हैं. फैक्ट्री का कामकाज साल के आखिर तक बंद कर दिया जाएगा.
फोर्ड की इंजन बनाने वाली और कारों को असेंबल करने वाली फैक्ट्रियां चेन्नई में हैं जिन्हें अगले साल की दूसरी तिमाही तक बंद कर दिया जाएगा. इस कारण करीब चार हजार कर्मचारी प्रभावित होंगे.
तस्वीरों मेंः दुनिया को कोविड में मिले 52 लाख नए करोड़पति
दुनिया को मिले 52 लाख नए करोड़पति
2020 में जब पूरी दुनिया महामारी की मार से बेहाल थी, धन बढ़ रहा था. क्रेडिस स्विस की हालिया रिपोर्ट बताती है कि 2020 में दुनिया में 52 लाख नए करोड़पति जुड़े हैं. किन देशों में सबसे ज्यादा करोड़पति जुड़े, जानिए...
तस्वीर: Ed Jones/AFP
नंबर 6: ब्रिटेन
दुनिया में करोड़पतियों की संख्या कुल आबादी के एक फीसदी से ज्यादा हो गई है. सिर्फ ब्रिटेन में 2020 में दो लाख 58 हजार नए करोड़पति जुड़े हैं, यानी उनकी कुल संपत्ति एक मिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गई.
तस्वीर: Dominic Lipinski/empics/picture alliance
नंबर 5: फ्रांस
2020 में दुनिया में कुल पांच करोड़ 61 लाख करोड़पति थे. सिर्फ फ्रांस में तीन लाख नौ हजार नए करोड़पति जुड़े.
तस्वीर: ROBIN UTRECHT/picture alliance
नंबर 4: जापान
क्रेडिट सुइस की रिपोर्ट दिखाती है कि महामारी के दौरान सरकार द्वारा खर्चे गए और अनुदान में दिए गए धन का फायदा अमीरों को हुआ. जापान में इस साल तीन लाख 90 हजार नए लोगों की आय एक मिलियन डॉलर यानी पांच करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई.
तस्वीर: Yuri Smityuk/TASS/dpa/picture alliance
नंबर 3: ऑस्ट्रेलिया
पिछले एक साल में ऑस्ट्रेलिया में तीन लाख 92 हजार नए लोगों की कुल संपत्ति एक मिलियन डॉलर को पार कर गई.
तस्वीर: picture alliance/dpa/DUMONT Bildarchiv
नंबर 2: जर्मनी
जर्मनी में एक मिलियन डॉलर से ज्यादा संपत्ति वाले लोगों में छह लाख 33 हजार लोग और जुड़ गए, जो दुनिया में दूसरी सबसे ज्यादा संख्या है.
2020 में करोड़पतियों की संख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी अमेरिका में देखी गई. वहां 17 लाख 30 हजार नए लोगों की कुल संपत्ति एक मिलियन डॉलर यानी लगभग साढ़े पांच करोड़ रुपये को पार कर गई.
तस्वीर: Ed Jones/AFP
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आईएचएस मार्किट नामक फर्म के एसोसिएट डायरेक्टर गौरव वंगाल ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "कार निर्माण क्षेत्र के लिए यह बड़ा झटका है. भारत में कार बनाकर अमेरिका निर्यात करने वाली यह एकमात्र कंपनी थी. और वे ऐसे वक्त में जा रहे हैं जब हम (भारत) कार निर्माताओं को निर्माण के बदले लाभ देने पर विचार कर रहे हैं.”
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन ने फोर्ड के इस फैसले पर निराशा जाहिर की है और कहा है कि इस कारण कार डीलरशिप से जुड़े लगभग 40 हजार कर्मचारी प्रभावित होंगे. एसोसिएशन के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी ने एक बयान में कहा, "मेहरोत्रा ने खुद मुझे फोन किया और कहा कि वे उन डीलरों को समुचित मुआवजा देंगे जो ग्राहकों को सेवाएं देना जारी रखेंगे. हालांकि यह अच्छी शुरुआत है लेकिन काफी नहीं है.”
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पहले से जूझ रही थी फोर्ड
भारत के कार उद्योग में मारुति सुजुकी का बड़ा प्रभाव है. देश भी की कुल कारों के आधे से ज्यादा वही बेचती है. फोर्ड ने 1990 के दशक में भारत में प्रवेश किया था. उसे दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में गिने जाने वाले भारत से बड़ी उम्मीदें थीं. लेकिन कीमतों को लेकर बेहद संवेदनशील माने जाने वाले इस बाजार में जगह बनाने के लिए कंपनी को खासा संघर्ष करना पड़ा.
2019 में फोर्ड ने अपनी भारतीय हिस्सेदारी के लिए महिंद्रा एंड महिंद्रा के साथ समझौता कर लिया था. लेकिन इसी साल की शुरुआत में यह समझौता रद्द हो गया जिसके लिए कोविड महामारी के कारण खराब हुईं ओद्यौगिक परिस्थितियों को जिम्मेदार बताया गया.