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विज्ञानविश्व

गिरते रॉकेट को हवा में ही कैच करने का परीक्षण

२ मई २०२२

रॉकेट बनाने वाली एक छोटी कंपनी रॉकेट लैब यूएसए इंक एक ऐसे अभियान की तैयारी कर रही है जिसमें आसमान से गिरते चार मंजिला रॉकेट को हेलीकॉप्टर की मदद से कैच किया जाएगा.

स्पेस एक्स का रॉकेट फाल्कन 9
स्पेस एक्स का रॉकेट फाल्कन 9तस्वीर: PATRICK T. FALLON/AFP

अमेरिका के कैलिफॉर्निया से काम करने वाली रॉकेट लैब यूएसए कोशिश कर रही है कि एक ही रॉकेट को उपग्रह में भेजने के लिए बार-बार इस्तेमाल किया जा सके. इसके लिए जरूरी होगा कि रॉकेट अंतरिक्ष से लौटते वक्त बर्बाद ना हो और उसे सुरक्षित धरती पर उतार लिया जाए. इस संबंध में कंपनी ने एक तकनीक विकसित की है, जिसके जरिए हेलीकॉप्टर गिरते रॉकेट को रास्ते में ही पकड़ लेगा.

उद्योगपति इलॉन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स भी रॉकेट को दोबारा इस्तेमाल करती है लेकिन उसकी तकनीक अलग है. स्पेसएक्स का रॉकेट फाल्कन 9  धरती पर लौटने के लिए अपने इंजन का ही इस्तेमाल करता है. इसके उलट रॉकेट लैब की कोशिश है कि दो पायलटों वाला हेलीकॉप्टर 39 फुट लंबे रॉकेट को हवा में ही पकड़ ले और रस्सियों, पैराशूट वह हीटशील्ड की मदद से सुरक्षित पृथ्वी पर उतार ले.

फाल्कन 9 से अलग तकनीक

रॉकेट लैब के सीईओ पीटर बेक कहते हैं, "मुझे पूरा यकीन है कि अगर हेलीकॉप्टर के पायलट उसे देख सकते हैं तो पकड़ भी सकते हैं. अगर हम इसे सही समय पर नहीं कर पाए तो कुछ सबक मिलेंगे और अगली बार इसे पकड़ लेंगे. इसलिए मैं बहुत ज्यादा चिंतित नहीं हूं.” इस हफ्ते शुक्रवार को इस बारे में न्यूजीलैंड के माहिया में एक परीक्षण किया जाएगा.

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कपंनी ‘देयर ऐंड बैक अगेन' नाम से एक अभियान के तहत 34 छोटे उपग्रहों को अंतरिक्ष भेजने वाली है. उसी दौरान रॉकेट को पकड़ने की तकनीक को भी आजमाया जाएगा.

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2021 में रॉकेट लैब का वेक्टर कैपिटल के साथ मर्जर हो गया था. कंपनी सरकारी और निजी कंपनियों के लिए दो दर्जन से ज्यादा अभियान सफलतापूर्वक पूरे कर चुकी है. यह उन कई कंपनियों में से एक है जिनका आकार छोटा है लेकिन अंतरिक्ष के क्षेत्र में वे बड़े काम कर रही हैं. नमें एस्ट्रा स्पेस और रिचर्ड ब्रैन्सन की वर्जिन ऑर्बिट भी शामिल हैं.

बेक कहते हैं कि हेलीकॉप्टर और पैराशूट की मदद से रॉकेट बूस्टर को पकड़ने और फिर उसे लंबवत जमीन पर उतारने का फायदा यह होगा कि रॉकेट को अंतरिक्ष अभियान के दौरान अतिरिक्त ईंधन बचाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. फाल्कन 9 इसी तकनीक पर काम करता है. हालांकि इंजीनियरों का मानना है कि हल्के रॉकेट को लंबवत उतारना एक चुनौती होती है.

कैसे पकड़ा जाएगा रॉकेट

पहले चरण के बाद बूस्टर जब अंतरिक्ष की ओर बढ़ता है तो वह अपने साथ जुड़े उपग्रह को कक्षा की ओर फेंकता है. रॉकेट का डिजाइन ऐसा होता है कि वह दूसरे चरण के बाद यानी उपग्रह को कक्षा में छोड़ने के बाद ध्वनि की गति से आठ गुना ज्यादा रफ्तार से पृथ्वी की ओर गिरता है.

रॉकेट लैब इस गिरते हुए रॉकेट को कंप्यूटर्स की मदद से ट्रैक करेगी और उसकी जानकारी हेलीकॉप्टर को देगी. तब कई पैराशूट प्रयोग करके रॉकेट की रफ्तार को कम किया जाएगा और सब ठीक रहा तो पायलट एक लंबी तार की मदद से रॉकेट को पकड़ कर धरती की ओर लाएगा.

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बेक कहते हैं, "हमने हर चीज को अलग-अलग सफलतापूर्वक आजमा लिया है. अब इन सब चीजों को मिलाकर ऑर्केस्ट्रा बनाना है. अगर हम एक रॉकेट को दोबारा प्रयोग कर पाएंगे तो यह हमारे उत्पादन को दोगुना कर देगा.”

वीके/सीके (रॉयटर्स)

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