भ्रष्टाचार केस में रॉल्स-रॉयस पर सीबीआई की एफआईआर
३० मई २०२३सीबीआई की यह कार्रवाई भारतीय वायुसेना और नौसेना के लिए 24 हॉक 115 एडवांस्ड जेट ट्रेनर विमान की खरीद में भ्रष्टाचार के मामले में हुई है. सीबीआई ने इस मामले में छह साल की जांच पूरी करने के बाद रॉल्स-रॉयस इंडिया के निदेशक टिम जोंस, हथियार सप्लायर सुधीर चौधरी, भानु चौधरी, रॉल्स-रॉयस पीएलसी और ब्रिटिश एयरोस्पेस सिस्टम्स के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है.
छह साल की जांच के बाद एफआईआर
सीबीआई ने छह साल की जांच के बाद इन लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत यह मामला दर्ज किया है. पिछले हफ्ते दर्ज की गई प्राथमिकी के मुताबिक अपराध 2003 और 2012 के बीच हुआ था. सीबीआई ने दिसंबर 2016 में मामले की प्रारंभिक जांच शुरू की थी.
एफआईआर में दावा किया गया है, "इस बात पर विश्वास करने के कारण हैं कि रॉल्स-रॉयस द्वारा मध्यस्थों/बिचौलियों को भुगतान की गई महत्वपूर्ण राशि भारत में सरकारी अधिकारियों को भेजी गई थी."
कमीशन देने का आरोप
भारत सरकार की ओर से किसी भी ठेके में बिचौलियों को कमीशन न देने की शर्त होती है, लेकिन आरोप है कि इन विमानों की खरीद में कमीशन दिया गया. इन सभी लोगों पर भारत सरकार के साथ धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है.
करार के मुताबिक 5653.44 करोड़ रुपये में 24 हॉक 115 एडवांस्ड जेट ट्रेनर विमानों की खरीद हुई. सीबीआई के मुताबिक अज्ञात सरकारी अधिकारियों ने अपने पदों का गलत इस्तेमाल किया.
सीबीआई ने कहा कि उसकी प्रारंभिक जांच से पता चला है कि रॉल्स-रॉयस, दो कथित हथियार डीलरों और रॉल्स-रॉयस के तत्कालीन निदेशक टिम जोंस ने विमानों की खरीद के लिए "2003 से 2012 की अवधि के दौरान रक्षा मंत्रालय के अज्ञात अधिकारियों" के साथ मिलकर भारत सरकार को धोखा देने के उद्देश्य से आपराधिक साजिश रची थी.
रॉल्स-रॉयस, पीएलसी ने एक बयान में कहा कि वह "भारतीय अधिकारियों की सहायता करना जारी रखे हुए है." बयान में कंपनी ने कहा, "हम किसी भी प्रकार के व्यापारिक कदाचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे और उच्च नैतिक मानकों को बनाये रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं. भारत रॉल्स-रॉयस के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बना हुआ है और हमारे पास देश में कुशल लोगों और भागीदारों का एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र है."
2017 में ब्रिटेन की एक अदालत ने भी इस सौदे को अंजाम देने के लिए कंपनी की ओर से बिचौलिये को शामिल करने और कमीशन दिए जाने जाने का जिक्र किया था.