पश्चिम बंगाल में चिटफंड और स्टिंग मामले में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के दर्जनों प्रभावशाली नेता, सांसद और मंत्री तो पहले से ही सीबीआई के निशाने पर थे, अब जांच एजंसी की निगाहें करोड़पति चपरासियों पर हैं.
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आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में सीबीआई ने नौ साल में ही करोड़ों की संपत्ति बनाने वाले एक चपरासी के खिलाफ जांच शुरू की है. यह ताजा मामला है राज्य के मालदा जिले का. वहां पोस्ट ऑफिस में चपरासी के पद पर काम करने वाले विश्वजीत विश्वास ने बीते आठ—नौ वर्षों के दौरान अपनी आय के मुकाबले बहुत ज्यादा संपत्ति बना ली. जांच एजंसी ने उसके खिलाफ मामला दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी है. फिलहाल उसे गिरफ्तार तो नहीं किया गया है. लेकिन सीबीआई उससे दो बार पूछताछ कर चुकी है. लेकिन वह इस बात का कोई संतोशजनक जवाब नहीं दे सका है कि आखिर इतनी जल्दी उसने इतनी ज्यादा संपत्ति कैसे बना ली. विश्वास ने महज नौ साल में ही लगभग पांच करोड़ की ससंपत्ति बना ली है.
सीबीआई सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2008 में विश्वास के पास महज आठ लाख की संपत्ति थी. उससे पूछताछ के दौरान इसका खुलासा हुआ कि वर्ष 2008 से 2017 के बीच विश्वास की घोषित आय तो बढ़ कर 12 लाख हो गई. लेकिन उसने इसमें से सात लाख रुपये बचा लिए यानि नौ साल में उसका कुल खर्च महज पांच लाख रहा, लगभग पांच हजार रुपए महीने से भी कम. सीबीआई ने एक गोपनीय सूचना के आधार पर विश्वास के किलाफ जांच शुरू की तो जांच अधिकारियों की आंखें फटी रह गईं. वर्ष 2012 में उस चपरासी ने जिले बुलबुलचंडी नामक अपने गांव में 1.62 करोड़ की लागत से एक आलीशान मकान बनवाया था. उससे पहले उसने पांच लाख रुपये की लागत से दो प्लॉट भी खरीदे थे. यही नहीं, विश्वास ने साढ़े चार लाख में एक स्पा सेंटर और एक ब्यूटी पारलर भी खरीदा है. उसके और उसकी पत्नी के नाम कई बैंक खाते और फिक्स्ड डिपॉजिट भी हैं. सीबीआई को शक है कि उस चपरासी ने अपनी रिश्वत की कमाई या काले धन के बल पर ही इतनी संपत्ति खड़ी की है. एजंसी ने विश्वास के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति होने का मामला दर्ज कर उससे पूछताछ शुरू कर दी है. अगले सप्ताह उसे एक बार फिर पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा.
कहां दी जाती है सबसे ज्यादा रिश्वत
वर्ल्ड बैंक एंटरप्राइज के सर्वेक्षणों के मुताबिक दुनिया को रिश्वत के हिसाब से इस तरह विभाजित किया जा सकता है. ये आंकड़े बता रहे हैं कि किस इलाके में टैक्स अधिकारियों को कितनी कंपनियों को रिश्वत देनी पड़ती है.
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सबसे भ्रष्ट
पूर्वी एशिया और पैसिफिक, जहां 29.8 फीसदी कंपनियों को रिश्वत देनी पड़ी.
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दो नंबरी
दक्षिण एशिया इस मामले में दूसरे नंबर पर है. वहां 19.6 फीसदी ने रिश्वत का दवाब माना.
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नंबर 3
सब-सहारन अफ्रीका में 18.1 फीसदी कंपनियों को रिश्वत देने की जरूरत पड़ी.
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नंबर 4
मध्य-पूर्व में 17.3 फीसदी कंपनियां रिश्वत देकर आगे बढ़ पाईं.
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नंबर 5
मध्य एशिया में रिश्वत देने वाली कंपनियां 9.7 फीसदी रहीं.
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नंबर 6
कैरिबियाई दुनिया में रिश्वत देने की जरूरत 5.9 फीसदी कंपनियों को पड़ी.
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नंबर 7
दक्षिण अमेरिका में 5.8 फीसदी कंपनियां रिश्वत देने की बात मानती हैं.
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नंबर 8
मध्य यूरोप और बाल्टिक देशों में 2.7 फीसदी कंपनियों ने रिश्वत देने का दर्द झेला.
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नंबर 9
पश्चिमी यूरोप में 2.5 फीसदी कंपनियों ने रिश्वत का दबाव महसूस किया.
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सीबीआई जांच
वैसे, बंगाल में सीबीआई की जांच कोई नई नहीं है. शारदा चिटफंड घोटाले से लेकर नारदा स्टिंग वीडियो मामले तक वह तृणमूल कांग्रेस के दर्जनों नेताओं-मंत्रियों व सांसदों के खिलाफ पहले से ही जांच कर रही है. यह बात दीगर है कि मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष ममता बनर्जी इसे राजनीतिक साजिश ही करार देते रहे हैं. उनका आरोप है कि केंद्र की नीतियों और फैसलों का विरोध करने की वजह से पार्टी के नेताओं को झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है. ममता कहती हैं, "केंद्र सरकार बदले की भावना से सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी केंद्रीय एजंसियों का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के तौर पर कर रही है."
शारदा और रोजवैली चिटफंड घोटालों के सिलसिले में तो तृणमूल कांग्रेस के कई सांसद लंबे अरसे तक जेल में रह चुके हैं. कुछ लोग तो अब भी जेल में ही हैं. सीबीआई की जांच और पूछताछ के चलते कभी ममता के बाद पार्टी में नंबर दो रहे मुकुल राय का राजनीतिक करियर लगभग खत्म हो गया है. अभिनेता से सांसद बने तापस पाल अब तक जेल में हैं. इसी तरह नारदा स्टिंग मामले में भी पार्टी के दर्जन भर नेताओं-सांसदों से पूछताछ हो चुकी है. बीते साल विधानसभा चुनावों से ठीक पहले हुए इस खुलासे में इन नेताओं को एक फर्जी कंपनी के प्रतिनिधियों से काम कराने के एवज में रिश्वत के तौर पर लाखों की रकम लेते हुए दिखाया गया था. हालांकि तब भी ममता ने इसे राजनीतिक साजिश करार देते हुए इसके लिए केंद्र की सत्ता पर काबिज बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया था.
भारत के महाघोटाले
भारत में भ्रष्टाचार का मुद्दा राजनीति के केंद्र में है. यूपीए सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही. फिर भ्रष्टाचार मुक्त शासन के वादे के साथ मोदी सरकार सत्ता में आयी. एक नजर भारत के अब तक के महाघोटालों पर.
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कोलगेट स्कैम
यूपीए टू के समय सामने आया कोलगेट घोटाला 1993 से 2008 के बीच सार्वजनिक और निजी कंपनियों को कम दामों में कोयले की खदानों के आवंटन का था. कैग (सीएजी) की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया था कि गलत आवंटन कर इन कंपनियों को 10,673 अरब का फायदा पहुंचाया गया था. इस घोटाले ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की छवि पर नकारात्मक असर डाला. हालांकि अदालत में यह घोटाला साबित नहीं हुआ.
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टूजी स्कैम
कंपनियों को गलत तरह से टूजी स्पैक्ट्रम आवंटित करने का यह महाघोटाला भी यूपीए सरकार के समय का है. कैग के एक अनुमान के मुताबिक जिस कीमत में इन स्पैक्ट्रमों को बेचा गया और जिसमें इसे बेचा जा सकता था उसमें 17.6 खरब रूपये का अंतर था. यानि देश को लगा कई खरब का चूना लगा. लेकिन अदालत में सीबीआई इसको साबित नहीं कर सकी. अदालत ने कहा कि कोई घोटाला ही नहीं हुआ.
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व्यापमं घोटाला
भाजपा शासित मध्यप्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल की ओर से मेडिकल समेत अन्य सरकारी क्षेत्रों की भर्ती परीक्षा में धांधली से जुड़ा 'व्यापमं घोटाला' अब तक का सबसे जानलेवा घोटाला है. अब तक इससे जुड़े, इसकी जांच कर रहे या इस की खबर लिख रहे पत्रकारों समेत दर्जनों लोगों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो चुकी है.
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बोफोर्स घोटाला
स्वीडन की हथियार निर्माता कंपनी बोफोर्स के साथ राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के तोपों की खरीद के सौदे में घूसखोरी का ये घोटाला भारतीय राजनीति का सबसे चर्चित घोटाला है. 410 तोपों के लिए कंपनी के साथ 1.4 अरब डॉलर का सौदा किया गया जो कि इसकी असल कीमतों का दोगुना था. अदालत ने राजीव गांधी को इस मामले से बरी कर दिया था.
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कफन घोटाला
2002 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौर में सामने आया यह घोटाला कारगिल युद्ध के शहीदों के ताबूतों से जुड़ा था. शहीदों के लिए अमेरीकी कंपनी ब्यूट्रॉन और बैजा से तकरीबन 13 गुना अधिक दामों में ताबूत खरीदे गए थे. हर एक ताबूत के लिए 2,500 डॉलर दिए गए.
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हवाला कांड
एलके आडवानी, शरद यादव, मदन लाल खुराना, बलराम जाखड़ और वीसी शुक्ला समेत भारत के अधिकतर राजनीतिक दलों के नेताओं का नाम इस घोटाले में सामने आया. इस घोटाले में हवाला दलाल जैन बंधुओं के जरिए इन राजनेताओं को घूस दिए जाने का मामला था. इसकी जांच में सीबीआई पर कोताही बरतने के आरोप लगे और धीरे-धीरे तकरीबन सभी आरोपी बरी होते गए.
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शारदा चिट फंड
200 निजी कंपनियों की ओर से साझे तौर पर निवेश करने के लिए बनाए गए शारदा ग्रुप में हुआ वित्तीय घोटाला भी महाघोटालों में शामिल है. चिट फंड के बतौर जमा राशि को लौटाने के समय में कंपनी को बंद कर दिया गया. इस घोटाले में त्रिणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद कुणाल घोष जेल भजे गए. साथ ही बीजू जनता दल, बीजेपी और त्रिणमूल कांग्रेस के कई अन्य नेताओं की भी गिरफ्तारियां हुई हैं.
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ऑगस्टा वेस्टलैंड डील
इटली की हेलीकॉप्टर निर्माता फर्म ऑगस्टा वेस्टलैंड से 12, एडब्लू101 हेलीकॉप्टर्स की खरीददारी के इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कुछ भारतीय राजनीतिज्ञों और सेना के अधिकारियों पर घूस लेने के आरोप हैं. ऑगस्टा वेस्टलैंड के साथ इन 12 हेलीकॉप्टर्स के लिए ये सौदा 36 अरब रूपये में हुआ था.
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चारा घोटाला
करीब 9.4 अरब के गबन का चारा घोटाला भारत के मशहूर घोटालों में से एक है. यह घोटाला राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक अवसान की वजह बना. वहीं इस घोटाले से पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और शिवानंद तिवारी का भी नाम जुड़ा था.
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कॉमनवेल्थ
2010 में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ खेल, भारत में खेल जगत का सबसे बड़ा घोटाला साबित हुए. इस खेल में अनुमानित तौर पर 70 हजार करोड़ रूपये खर्च किए गए. गलत तरीके से ठेके देकर, जानबूझ कर निर्माण में देरी, गैर वाजिब कीमतों में चीजें खरीद कर इस पैसे का दुरूपयोग किया गया था. इन अनियमितताओं के केंद्र में मुख्य आयोजनकर्ता सुरेश कल्माड़ी का नाम था.
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विपक्ष के हमले
चिटफंड और स्टिंग घोटाले के मुद्दे पर विपक्षी राजनीतिक दलों ने तो पहले से ही ममता व तृणमूल कांग्रेस पर हमले तेज कर दिये हैं. इस मामले में खासकर बीजेपी का रवैया काफी आक्रामक रहा है. इन मुद्दों के सहारे अपने पैर जमाने में जुटी बीजेपी हाल में हुये नगरपालिका चुनावों में सीपीएम और कांग्रेस को पछाड़ कर दूसरे नंबर पर पहुंच गई है. बीते महीने कोलकाता के दौरे पर आए बीजेपी प्रमुख अमित शाह ने भी तमाम नेताओं व कार्यकर्ताओं को घपलों और घोटालों के सहारे तृणमूल को कटघरे में खड़ा करने के लिए राज्यव्यापी अभियान चलाने की सलाह दी थी.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, "करोड़पति चपरासी के इस मामले से ही साफ है कि राज्य में भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है." कांग्रेस व सीपीएम नेताओं की दलील है कि जब एक चपरासी के पास इतनी संपत्ति है तो सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं की संपत्ति के बारे में तो महज अनुमान ही लगाया जा सकता है.
दुनिया के सबसे भ्रष्ट देश
भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ट्रांसपेरंसी इंटरनैशनल ने 2016 का करप्शन परसेप्शंस इंडेक्स जारी किया है. इसके मुताबिक 176 देशों में सबसे खराब रैंकिंग इन देशों की रही...