जर्मन आम चुनाव के लिए कैसी है ग्रीन पार्टी की तैयारी
२० जुलाई २०१७
कुछ ही हफ्तों बाद जर्मनी में होने वाले आम चुनावों में तुर्की के साथ संबंधों और तुर्क मूल के लोगों के समेकन का मुद्दा कैसे असर डाल सकता है, इस पर डॉयचे वेले ने बात की ग्रीन पार्टी के तुर्क मूल के प्रमुख चेम ओएज्देमीर से.
विज्ञापन
Cem Özdemir joins DW for interview ahead of election
02:08
चांसलर अंगेला मैर्केल की रूढ़िवादी सीडीयू और चुनावों में उन्हें चुनौती देने जा रहे मार्टिन शुल्त्स की सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी जैसे बड़े दल तो हैं ही, यहां जानिए अजीब नामों वाली कुछ छोटी जर्मन पार्टियों के बारे में.
मजेदार नामों वाली जर्मनी की पार्टियां
चांसलर अंगेला मैर्केल की रूढ़िवादी सीडीयू और चुनावों में उन्हें चुनौती देने जा रहे मार्टिन शुल्त्स की सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी जैसे बड़े दल तो हैं ही, यहां जानिए अजीब नामों वाली कुछ छोटी जर्मन पार्टियों के बारे में.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Kappeler
एनीमल प्रोटेक्शन पार्टी
जर्मनी में ऐसे पशु अधिकार कार्यकर्ता भी हैं जो टोड मेंढकों को सड़क पार कराने के लिए पूरा हाइवे ब्लॉक कर चुके हैं. लेकिन पर्यावरण और पशु अधिकारों के एजेंडा पर काम करने वाली बड़ी ग्रीन पार्टी ऐसी कई छोटी पार्टियों की हवा निकाल चुकी है. तभी तो 2013 में एनीमल प्रोटेक्शन पार्टी को छह करोड़ से अधिक जर्मन वोटरों में से डेढ़ लाख से भी कम वोट मिले.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Pleul
द रिपब्लिकंस
जी हां, अमेरिका की ही तरह जर्मनी में भी एक रिपब्लिकन पार्टी है. इन्हें आरईपी कहते हैं और इनका डॉनल्ड ट्रंप की पार्टी से कोई सरोकार नहीं है. जर्मनी के रिपब्लिकंस असल में दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी हैं जो खुद को "रूढ़िवादी देशभक्त" कहते हैं और "अपनी संस्कृति और पहचान को बचाने" के लिए संघर्ष को अपना मकसद बताते हैं.
तस्वीर: DW
द पार्टी
बहुत ही सीधे सादे तरीके से इस पार्टी ने अपना नाम ही पार्टी रखा. जर्मनी की व्यंग्य पत्रिका "टाइटेनिक" के संपादकों ने मिल कर 2004 में इसे स्थापित किया. इस पार्टी के प्रमुख मार्टिन जोनेबॉर्न (तस्वीर में) ने अपनी पार्टी को 2014 में यूरोपीय संसद में एक सीट भी जितायी. आने वाले बुंडेसटाग चुनावों में इन्हें बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है. पिछले चुनाव में तो 80 हजार से भी कम वोट मिले.
तस्वीर: picture-alliance/Sven Simon/M. Ossowski
रेफरेंडम पार्टी
इस पार्टी के लिए स्विट्जरलैंड बहुत बड़ा आदर्श है. पार्टी का नारा है "रेफरेंडम के द्वारा लोकतंत्र" लाना. इनके नेता चाहते हैं कि देश के सभी राजनीतिक फैसले सीधे जनता ही ले. वे मानते हैं कि इसी तरह देश में असली लोकतंत्र की स्थापना होगी और "राजनीतिक दलों के राज" से आगे बढ़ कर सीधे वोटरों के मतलब की नीतियां बनायी जा सकेंगी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट पार्टी ऑफ जर्मनी (एमएलपीडी)
भले ही एक समय पर आधा जर्मनी कम्युनिस्ट राज में रहा, लेकिन एमएलपीडी एक बहुत छोटी पार्टी है. सन 1949 से 1989 तक पूर्वी जर्मनी पर सोशलिस्ट युनिटी पार्टी का राज चला. लेकिन आज अति वामपंथी एमएलपीडी की जर्मन राजनीति में कोई भूमिका नहीं है. पिछले बुंडेसटाग चुनाव में उन्हें केवल 24 हजार वोट मिले.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/H. Link
क्रिस्चियंस फॉर जर्मनी
"एलायंस सी - क्रिस्चियंस फॉर जर्मनी" नाम के अनुसार ही एक ईसाई दल है, जो 2015 में तब बनी जब दो दल क्रिस्चियन-फंडामेंटलिस्ट पार्टी ऑफ बाइबल अबाइडिंग क्रिस्चियंस और पार्टी ऑफ लेबर, एनवायर्नमेंट एंट फैमिली मिल गयीं. पार्टी बाइबल के मूल्यों का समर्थन करती है. जैसे नागरिकों की आजादी, कानून, शादी, परिवार और ईश्वर की रचनाओं का संरक्षण.
तस्वीर: Getty Images/AFP/J. MacDougall
द पेंशनर्स
2017 के बुंडेसटाग चुनाव में यह पार्टी बैटल पेपर पर नहीं दिखेगी. जर्मन पेंशनर्स पार्टी अब रिटायर हो चुकी है. 2013 चुनाव में इन्हें केवल 25 हजार वोट मिले और 2016 में पार्टी ने खुद को भंग करने का फैसला कर लिया. (कार्ला ब्लाइकर/आरपी)