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नागालैंड छह महीने के लिए अशांत क्षेत्र घोषित

ऋषभ कुमार शर्मा
३० दिसम्बर २०१९

नागालैंड को केंद्र सरकार ने अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया है. 2015 में केंद्र सरकार और नागा उग्रवादियों के बीच हुए समझौते के बाद भी वहां से अफस्पा नहीं हटा है. क्या होता है अशांत क्षेत्र घोषित होने का मतलब, आइए जानते हैं.

Indien Nagaland Volk der Naga
तस्वीर: Imago Images/Xinhua

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर नागालैंड को छह महीने के लिए अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया है. गृह मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार की राय में नागालैंड अशांत और खतरनाक स्थिति में है. ऐसे में नागरिक प्रशासन के सहयोग के लिए सशस्त्र बलों का प्रयोग जरूरी है. इसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने 30 दिसंबर 2019 से अगले छह महीने के लिए नागालैंड को अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया है. 

अशांत क्षेत्र घोषित करने की यह कार्रवाई अफस्पा कानून की धारा 3 के तहत की जाती है. अब पूरा राज्य 30 जून 2020 तक अशांत क्षेत्र माना जाएगा. राज्य में उग्रवादी संगठन NSCN-IM और केंद्र सरकार के बीच 2015 में समझौता हो गया था.  लेकिन सरकार ने तब भी नागालैंड से अफस्पा कानून नहीं हटाया था.

क्या है अशांत क्षेत्र और अफस्पा?

1950 के दशक में पूर्वोत्तर के राज्यों में उग्रवाद की बढ़ती घटनाओं के चलते 1958 में नेहरू सरकार ने सैन्य बलों को शक्ति देने वाला एक कानून बनाया था.  इस कानून का नाम सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) कानून 1958 है. इसे अफस्पा भी कहा जाता है. फिलहाल भारत में नागालैंड, असम के कुछ इलाके, मणिपुर के कुछ इलाकों को छोड़कर बाकी राज्य, अरुणाचल प्रदेश के कई इलाके और जम्मू कश्मीर में अफस्पा लागू है.

तस्वीर: AP

त्रिपुरा में 2015 में और मेघालय में 1 अप्रैल 2018 को अफस्पा हटा दिया गया था. फिलहाल असम मेघालय सीमा के 20 किलोमीटर के इलाके में अफस्पा लागू है. पूर्वोत्तर में इस कानून का विरोध होता रहा है. साल 2000 में सेना के लोगों द्वारा मणिपुर के मलोम में एक बस स्टैंड पर खड़े 10 लोगों की गोली मारकर हत्या के बाद मणिपुर में सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने भूख हड़ताल शुरू की. ये हड़ताल 16 साल तक चली. पूर्वोत्तर और कश्मीर में सेना पर अफस्पा का गलत इस्तेमाल के आरोप लगते हैं.

अफस्पा कानून में सेना को अधिक शक्तियां दी गई हैं. अफस्पा लागू होने पर सेना कहीं भी पांच या पांच से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा सकती है. सेना के पास बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार होता है. साथ ही चेतावनी का उल्लंघन करने पर गोली मारने तक का अधिकार सेना के पास होता है. सेना किसी के भी घर में बिना वारंट तलाशी ले सकती है. हालांकि अफस्पा के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को सेना को नजदीकी पुलिस स्टेशन को सौंपना होता है. उसकी गिरफ्तारी के कारण बताने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट भी देनी होती है.

नागा समझौते के वक्त NSCN के नेता और मोदी.तस्वीर: UNI

अशांत क्षेत्र घोषित करने का अधिकार भी अफस्पा कानून के तहत ही आता है. अशांत क्षेत्र घोषित करने का अधिकार केंद्र सरकार, राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल के पास होता है.  वो किसी इलाके, किसी जिले या पूरे राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित कर सकते हैं. इसके लिए भारत के राजपत्र पर एक अधिसूचना निकालनी होती है. यह अधिसूचना अफस्पा कानून की धारा 3 के तहत होती है. इस धारा में कहा गया है कि नागरिक प्रशासन के सहयोग के लिए सशस्त्र बलों की आवश्यकता होने पर किसी क्षेत्र को अशांत क्षेत्र घोषित किया जा सकता है.

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