सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने दो-एक के बहुमत से सेंट्रल विस्टा को मंजूरी दे दी है. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गईं थीं, जिनमें लैंड यूज, पर्यावरण संबंधी याचिकाएं शामिल थीं.
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सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है और इस फैसले के बाद अब नए संसद भवन के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. कोर्ट में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के खिलाफ याचिकाएं दायर की गई थीं और पर्यावरण मंजूरी संबंधी मुद्दों को उठाया गया था. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का ऐलान सितंबर 2019 में किया गया था. नया संसद भवन इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा है. पिछले साल 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन के लिए भूमि पूजन किया था. अब कोर्ट के फैसले से नई संसद बनने का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा है कि पर्यावरण समिति की सिफारिशें सही है. कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार ने अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल नहीं किया है. साथ ही कोर्ट ने कहा है कि पर्यावरण समिति की मंजूरी में भी त्रुटि नहीं है. कोर्ट का कहना है कि सेंट्रल विस्टा कमेटी की तरफ से मंजूरी देने में कोई गड़बड़ी नहीं की गई.
सरकार को शर्तों के साथ मिली मंजूरी
सेंट्रल विस्टा को जस्टिस एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने दो-एक के बहुमत से मंजूरी दी. बेंच में शामिल संजीव खन्ना ने अलग फैसला दिया, जिसमें परियोजना के अवार्ड के मुद्दे पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि इस मामले को जनसुनवाई में वापस भेजा जाना चाहिए क्योंकि हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की पहले से मंजूरी नहीं थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने से पहले सरकार पर्यावरण कमेटी और हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी से मंजूरी ले.
याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने एक समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, "बहुत सारे याचिकाकर्ताओं ने अलग-अलग चिंताओं के साथ कोर्ट में याचिका दी थी. हमने कोर्ट में चेंज ऑफ लैंड यूज को लेकर याचिका दाखिल की थी. चेंज ऑफ लैंड यूज को तब मंजूरी मिली थी जब देश में लॉकडाउन लागू था. उस दौरान लोग अपनी राय दे नहीं पाए थे."
दिल्ली के लुटियंस इलाके में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माण को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पर्यावरण मंजूरी समेत कई मुद्दों को उठाया गया था. 7 दिसंबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने नए संसद भवन के लिए आधारशिला रखने की मंजूरी दी थी, लेकिन इसके साथ में यह भी कहा था कि कोई निर्माण नहीं होगा. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि निर्माण के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखा जाना चाहिए. सेंट्रल विस्टा के तहत नए संसद भवन का भी निर्माण होना है. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट करीब 20 हजार करोड़ का है, जिसमें से 971 करोड़ रुपये नए संसद भवन के निर्माण पर खर्च होंगे.
10 दिसंबर 2020 की तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई है. आज का दिन भारतीय लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक हो गया है क्योंकि आज देश के नए संसद भवन का शिलान्यास हुआ.
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भूमिपूजन से शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन के लिए 10 दिसंबर को पूरे विधिवत तौर पर भूमिपूजन किया. पंडितों ने मंत्रों का उच्चारण किया और उसके बाद मोदी ने नए भवन के लिए नींव रखी. तैयार होने के बाद नया संसद भवन पुरानी संसद की जगह ले लेगा.
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सर्व धर्म प्रार्थना
करीब 971 करोड़ रुपये की लागत से बनने जा रहे संसद के नए भवन का निर्माण कार्य साल 2022 तक पूरा हो जाएगा. इसी साल आजादी की 75वीं वर्षगांठ भी देश मनाएगा. ऐसे में नई संसद का महत्व और बढ़ जाएगा. देश के नए संसद भवन के शिलान्यास के मौके पर सर्व धर्म प्रार्थना भी की गई.
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ऐतिहासिक दिन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन के भूमिपूजन के बाद कहा कि आज का दिन बहुत ही ऐतिहासिक है. आज का दिन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मील के पत्थर की तरह है. उन्होंने कहा, "130 करोड़ लोग नए संसद भवन को बनाएंगे. संसद हमारे लोकतंत्र की धरोहर है, 21वीं सदी के भारत के लिए निर्माण जरूरी है."
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न्यू इंडिया, न्यू पार्लियामेंट
प्रधानमंत्री ने शिलान्यास के मौके पर कहा, "आत्मनिर्भर भारत का गवाह बनेगा नया संसद भवन, आने वाली पीढ़ियों को गर्व होगा. हमारे हर फैसले में राष्ट्रहित सर्वोपरि होना चाहिए."
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नए संसद भवन में नई सुविधाएं
नया संसद भवन भविष्य की जरूरतों को देखते हुए डिजाइन किया गया है. यह भवन पुराने भवन से हर लिहाज से आधुनिक और अधिक बड़ा और आकर्षक होगा. सांसदों की सीट पर विशेष इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स लगे होंगे.
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दो साल में बनेगी नई संसद
नया संसद भवन दो साल में बनकर तैयार हो जाएगा. नया संसद भवन 64,500 स्क्वायर मीटर में बनाया जाएगा, जो चार मंजिला होगा और इसका खर्च 971 करोड़ रुपये आएगा. नए संसद भवन का डिजाइन एचसीपी डिजाइन द्वारा तैयार किया गया है.
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आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल
नया भवन भूकंप रोधी होगा. इमारत इस तरह से तैयार की जाएगी की कि यह सबसे आधुनिक तकनीक को आसानी से अपना ले. सीटों पर बायोमीट्रिक डाटा इकट्ठा करने का भी प्रावधान होगा जिससे वोटिंग में आसानी हो. इसी के साथ ऐसे गैजेट्स लगे होंगे जिससे भाषण का अनुवाद भी आसानी से हो सके. इमारत के भीतर देश की सांस्कृतिक विविधता को भी दर्शाया जाएगा.
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इतिहास में मोदी की छाप
कुछ जानकारों का कहना है कि मोदी इतिहास में अपनी छाप छोड़ना चाहते हैं और लंबे वक्त तक लोगों के जेहन में बने रहना चाहते हैं. इंडिया गेट के पास उन्होंने साल 2019 में शहीदों को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक समर्पित किया था. इंडिया गेट अंग्रेजों ने बनाया था और मोदी ने शहीदों को समर्पित करने के लिए वॉर मेमोरियल बनवाया और इसी तरह से नया संसद भवन भी बनवाया जा रहा है, जो पूरी तरह से आजाद भारत का बनवाया होगा.