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कर्ज में डूबे पंजाब को मिली 'आप' सरकार

चारु कार्तिकेय
१६ मार्च २०२२

भगत सिंह के गांव में एक समारोह में भगवंत मान ने पंजाब के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है. 'आप' ने पहली बार पंजाब में सत्ता संभाली है. एक नजर पंजाब के हालात और नई सरकार की चुनौतियों पर.

आम आदमी पार्टी
भगवंत मान, अरविंद केजरीवालतस्वीर: Charu Kartikeya/DW

पंजाब सरकार लंबे समय से कई वित्तीय संकटों से गुजर रही है. सबसे बड़ी समस्या राज्य सरकार पर बढ़ता कर्ज का बोझ है. पिछले कई सालों से राज्य सरकार कर्ज पर कर्ज लेती जा रही है और उस पर बकाया कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है. राज्य सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2018-19 में उस पर 2,000 अरब रुपयों से भी ज्यादा कर्ज बकाया था.

कई जानकारों का मानना है कि इस समय यह आंकड़ा बढ़ कर करीब 2,800 अरब रुपये हो गया है. यह राज्य के सकल घरेलू उत्पाद के 50 प्रतिशत से भी ज्यादा है. इस लिहाज से भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पंजाब का चौथा स्थान है. इस सूची में भी पंजाब के ऊपर जम्मू और कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड हैं, जो सभी पंजाब से छोटे राज्य हैं.

(पढ़ें: 238 करोड़ रुपयों की संपत्ति वाला पंजाब का 'आम आदमी' विधायक)

वित्तीय संकट

यानी बड़े राज्यों में पंजाब इस मोर्चे पर पहले स्थान पर है. माना जाता है कि हर साल राज्य सरकार की आधी कमाई तो इस कर्ज का ब्याज चुकाने पर ही खर्च हो जाती है. यही कारण है कि राज्य सरकार अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश नहीं कर पाती.

पंजाब में कृषि क्षेत्र भी संकट से गुजर रहा हैतस्वीर: Faqir Muhammad Waraich

निवेश नहीं होगा तो रोजगार के अवसर उत्पन्न नहीं होंगे, और यह पंजाब की दूसरी बड़ी समस्या है. एनएसओ के मुताबिक 2019-20 में पंजाब में 7.4 प्रतिशत बेरोजगारी दर थी, जबकि उस समय राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 4.8 थी. राज्य के लाखों बेरोजगार युवा बस सरकारी नौकरियों की राह देखते रहते हैं और कई सालों तक उनके लिए परीक्षाएं देते रहते हैं.

(पढ़ें: नौकरी का सालों से इंतजार करते पंजाब के युवा)

राज्य में नई सरकारी नौकरियां लाना 'आप' सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती रहेगी. इसके अलावा निजी क्षेत्र में नौकरियां बनें इसके लिए ऐसी औद्योगिक नीति लानी होगी जिससे निजी कंपनियां राज्य में अपना व्यापार ले कर आएं. नौकरियां न होने की वजह से लोगों को राज्य में अपना भविष्य नजर नहीं आता है. इस वजह से दशकों से चल रहा लोगों का पलायन आज भी जारी है. इस पलायन को रोकना भी 'आप' के लिए एक बड़ी चुनौती रहेगी.

ड्रग्स से मुकाबला

कृषि ही मूल रूप से पंजाब की अर्थव्यवस्था का आधार है, लेकिन वो भी किस तरह के संकट से गुजर रहा है यह किसान आंदोलन ने दिखा दिया था. पंजाब आज भी गेहूं और चावल के सबसे बड़े उत्पादकों में से है लेकिन किसानों की आमदनी कई सालों से बढ़ी नहीं है. वहीं खेती की लागत जरूर बढ़ गई और कुल मिला कर खेती घाटे का सौदा बन गई है.

पंजाब से पलायन रोकना नई सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगीतस्वीर: Charu Kartikeya/DW

किसान एमएसपी प्रणाली पर बुरी तरह से निर्भर हैं और अगर एमएसपी हटा दी गई तो वो और भी बुरे हालात में पड़ जाएंगे. अनुपातहीन मात्रा में चावल उगाने की वजह से भूजल का स्तर भी लगातार नीचे जा रहा है. कीटनाशकों के बेजा इस्तेमाल से कई इलाकों में कैंसर की समस्या ने विकराल रूप ले लिया है.

(देखें: पंजाब का वो कैंसर वाला गांव)

ड्रग्स पंजाब की पुरानी समस्या है. कई सरकारें बदलीं लेकिन समस्या वैसी की वैसी रह गई. गांव के गांव और शहरी मोहल्ले ऐसे परिवारों से भरे हुए हैं जिनमें एक नहीं बल्कि कई लोगों की या तो नशे की वजह से जान चली गई या उन्हें कभी न छूटने वाली लत लग गई.

उनका स्वास्थ्य भी खराब हो गया, वो कोई काम करने के लायक भी नहीं रहे और उनका परिवार भी भारी आर्थिक तंगी में आ गया. ड्रग्स की आपूर्ति रोकना, मरीजों को नशामुक्त करवाना, उन्हें और उनके परिवारों को आर्थिक संकट से निकालना, ये सब नई सरकार के सामने बड़ी चुनौतियां रहेगी.

इसके अलावा सीमांत प्रदेश होने की वजह से पंजाब में सीमा पार से होने वाली गतिविधियों के प्रति ज्यादा चौकसी की जरूरत होती है. पिछले कुछ सालों में कई बार ड्रोनों के जरिए सीमा पार से भेजे गए ड्रग्स, हथियार और विस्फोटक भेजे गए हैं, जो एक नई चुनौती है.

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