वैज्ञानिकों ने खोजा मलेरिया रोकने वाला बैक्टीरिया
४ अगस्त २०२३वैज्ञानिकों ने प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले बैक्टीरिया का एक प्रकार खोज निकाला है. यह मच्छरों से इंसानों को होने वाले मलेरिया की रोकथाम में बड़ा हथियार साबित हो सकता है. संयोग से हुई इस खोज के दौरान एक प्रयोग में मच्छरों की एक कॉलोनी में मलेरिया पैरासाइट पैदा ही नहीं हुआ था. शोधकर्ताओं का कहना है कि दुनिया की सबसे पुरानी बीमारियोंमें से एक मलेरिया से निपटने में यह बैक्टीरिया बड़ा मददगार हो सकता है. फिलहाल, यह इस पर और शोध हो रही है ताकि इसके सुरक्षित इस्तेमाल के तरीक ढूंढें जा सके. फिलहाल यह परीक्षण के स्टेज पर ही है.
बड़े काम का बैक्टीरिया
स्पेन की जीएसके फार्मास्युटिकल कंपनी के वैज्ञानिकों ने पाया कि दवा बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मच्छरों की एक कॉलोनी ने मलेरिया फैलाना बंद कर दिया है. इस प्रोग्राम की अगुआई कर रहे डॉ. जेनेथ रोड्रिग्स ने मच्छरों में घटती संक्रमण दर देखी और पाया कि पर्यावरण में टीसी1 नाम के, प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले बैक्टीरिया स्ट्रेन ने मच्छरों की आंतों में मलेरिया पैरासाइट को पैदा होने से रोक दिया. उन्होंने 2014 में प्रयोग से मिले नमूनों को सहेज कर रखा था और उसके नतीजों को देखने के लिए दोबारा उनकी जांच की.
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यह बैक्टीरिया एक बार मच्छरों के अंदर घुस जाए तो फिर उनके पूरे जीवन काल तक वहीं रहता है. शोध में यह निकलकर आया कि यही बैक्टीरिया है जिसने उनकी मलेरिया फैलाने की क्षमता को 73% तक कम कर दिया. बैक्टीरिया हार्मेन नामक एक मॉलिक्यूल का स्राव करता है. यह मच्छर की आंत में मलेरिया पैरासाइट के शुरुआती विकास को रोकता है.
अहम परीक्षण
जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय के साथ मिलकर जीएसके वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि हार्मेन को चीनी से मिलाने पर मच्छर मुंह से निगल सकता है. इसके अलावा, संपर्क में आने पर वह इसे अवशोषित भी कर सकता है. इन जानकारियों के चलते अब यह साफ है कि इलाज की संभावना कैसे ढूंढनी है.
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अब आम जिंदगी में बड़े पैमाने पर हार्मेन के उपयोग की प्रभावशीलता और सुरक्षा का मूल्यांकन करना अगला चरण है. इसके लिए वैज्ञानिक बुरकिना फासो में मॉस्किटोस्फेयर नाम के एक रिसर्च लैबोरेट्री में अतिरिक्त परीक्षण कर रहे हैं.
सफल होने पर, यह मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में अहम होगा, जो सालाना लगभग 620,000 लोगों की जान लेता है. जिसमें बड़ी संख्या में पीड़ित पांच साल से कम उम्र के बच्चे हैं. नई खोज ने उम्मीदें जगा दी हैं और विशेषज्ञों का मानना है कि निरंतर इनोवेशन के साथ हमारी ज़िन्दगी में मलेरिया के खतरे को खत्म करना संभव हो सकता है.
पीवाई/एसबी