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नफरत फैलाने वालों को तो चंदा नहीं दे रहे?

९ जून २०१७

इंटरनेट ने बहुत सारी चीजें आसान बना दी हैं, यहां तक कि धार्मिक आयोजन भी. बहुत से लोग धर्मार्थ संस्थाओं को चंदा भी ऑनलाइन देने लगे हैं. लेकिन सावधान, वे लोगों की मदद करने के बदले घृणा के प्रचारक भी हो सकते हैं.

Muhammad Ahmed Ludhianvi links im Bild von der Ahlan Sunnat wal Jamaat
तस्वीर: Getty Images/AFD/A.Majeed

चैरिटी संस्थाओं के बारे में जानकारी का सबसे बड़ा स्रोत होने का दावा करने वाली वेबसाइट गाइडस्टार ने अब एक और फीचर जोड़ दिया है. इसमें उन गैरमुनाफा संगठनों के बारे में जानकारी है जिन्हें चंदे पर टैक्स से छूट मिली है, लेकिन जिनपर लोगों के बीच विद्वेष और घृणा फैलाने के आरोप हैं. गाइडस्टार खुद को निष्पक्ष सूचना का प्लेटफॉर्म बताता है जहां 20 लाख संगठनों के बारे में जानकारी है. हाल ही में उसने उन 46 संगठनों को एक सूची में रखा है जिन्हें सदर्न पॉवर्टी लॉ सेंटर ने हेटग्रुप बताया है.

गाइडस्टार के सीईओ जैकब हैरल्ड ने कहा है कि वेबसाइट पर नया फीचर इस बात का संकेत है कि इस क्षेत्र में हम अपनी भूमिका किस तरह देखते हैं. उन्होंने कहा कि डाटा का नया स्रोत उस बदलाव का प्रतीक है. उन्होंने नये फीचर को अमेरिका में हाल के दिनों में असहिष्णु बहस में वृद्धि का जवाब भी बताया.

चेतावनी वाली सूची में शामिल संगठनों के कई नेताओं ने कहा है कि वे गाइडस्टार से संपर्क करेंगे और अपने प्रोफाइल से बैन हटाने की मांग करेंगे. कुछ संगठनों ने तो अलाबामा स्थित लॉ सेंटर पर अपने लेबल का इस्तेमाल संगठनों को बदनाम करने के लिए करने का आरोप लगाया है. सेंटर फॉर इमीग्रेशन स्टडीज के मार्क क्रिकोरियान कहते हैं, "यह अपमान है. गाइडस्टार अब इस अपमान का साथी है."

जर्मनी में भी अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय धर्मार्थ संस्थाएं हैं, जो दुनिया भर में जरूरतमंद लोगों की मदद में लगे हैं. अंतरराष्ट्रीय आपदाओं में जरूरत पड़ने पर जर्मन सरकार भी उनकी मदद लेती है और उनके जरिये मदद मुहैया कराती है. राहत संस्थाएं आक्शियोन डॉयचलंड हिल्फ्ट में जर्मनी की राहत संस्थाएं एकजुट हैं. पिछले समय में खाकर पाकिस्तान में स्थित कई मुस्लिम राहत संस्थाओं पर चंदे में इकट्टा धन के गलत इस्तेमाल के आरोप लगे हैं.

एके/एमजे (एपी)

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