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विज्ञानसंयुक्त राज्य अमेरिका

बिना नर के गर्भवती हुई स्टिंग रे मछली

१५ फ़रवरी २०२४

अमेरिका के उत्तर कैरोलाइना प्रांत में पहाड़ियों के बीच बने एक मछलीघर में रहने वाली स्टिंग रे मछली बच्चे देने वाली है. लेकिन वह कभी किसी नर मछली के संपर्क में नहीं आई है.

स्टिंग रे
स्टिंग रे मछली की प्रतीकात्मक तस्वीरतस्वीर: Rafael Ben-Ari/Chameleons Eye/Newscom/picture alliance

हल्के भूरे रंग की शार्लोट का आकार एक बड़ी प्लेट जितना है. इस गोल स्टिंग रे मछली ने अपना अधिकतर जीवन अपालचियान पहाड़ियों के मछलीघर में बिताया है.

उसका कुदरती आवास 3,700 किलोमीटर दूर दक्षिणी कैरोलाइना के समुद्र में है. लेकिन वह उत्तरी कैरोलाइना में अकेली ही रही है. आठ साल में उसने कभी किसी नर मछली के साथ समय नहीं बिताया है. इसलिए जब वह मोटी होने लगी तो विशेषज्ञों को लगा कि उसके पेट में ट्यूमर है. पर वे गलत थे.

मछलीघर मालिक का कहना है कि शार्लोट गर्भ से है. अल्ट्रासाउंड में इस बात का पता चला है और अगले दो हफ्ते में वह चार बच्चे देने वाली है.

हेंडरसनविल कस्बे में एक्वेरियम एंड शार्क लैब की निदेशक ब्रेंडा रामेर ने पत्रकारों को शार्लोट से मिलवाते हुए कहा, "ये रही हमारी प्यारी जो कह रही है, हैपी वैलंटाइंस डे, चलो कुछ बच्चे पैदा करें.”

जिस टैंक में शार्लोट रहती है, उसमें पांच छोटी शार्क मछलियां भी हैं. इसलिए जब शार्लोट के गर्भवती होने की खबर बाहर आई तो यह अफवाह फैल गई कि वह किसी शार्क मछली  के कारण गर्भवती हुई है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि रामेर ने मजाक में यह बात कह दी थी. लेकिन कुछ स्थानीय मीडिया चैनल इस खबर को चलाने लगे.

विज्ञान कहता है कि ऐसा असंभव है. स्टिंग मछलियों के एक विशेषज्ञ ने कहा किसी स्टिंग रे मछली के लिए शार्क मछली से यौन संबंध बनाना संभव ही नहीं है.

कई जीवों में होता है ऐसा

इस मछलीघर की देखभाल टीम एको नाम की एक गैरसरकारी संस्था करती है. इसका मकसद स्थानीय स्कूली बच्चों और जलीय-जीवन में रुचि रखने वाले लोगों की विज्ञान के प्रति जागरूकता बढ़ाना है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पारथेनोजेनेसिस प्रक्रिया का मामला है. यह एक तरह की पुनरोत्पादन प्रक्रिया है जिसमें कुछ मादाएं बिना नर से संबंध बनाए भी गर्भवती हो जाती हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जन्म के वक्त उनके भीतर कोई अंडा रह जाता है.

यह एक बेहद दुर्लभ प्रक्रिया है. कुछ कीट-पतंगों, मछलियों, पक्षियों और उभयचारी जीवों में ऐसे मामले मिलते हैं. लेकिन स्तनधारियों में ऐसे मामले नहीं होते.

कोस्टा रिका में एक मादा मगरमच्छ ने 2018 में इसी प्रक्रिया के तहत अंडे दिये थे. हालांकि मगरमच्छों में मादाएं ऐसे अंडे देती हैं जिनमें से बच्चे नहीं निकलते, लेकिन इस मगरमच्छ के दिये अंडे सामान्य लग रहे थे.

और कमाल तब हुआ जब उनमें से एक ने इनक्यूबेटर में बढ़ना शुरू कर दिया. हालांकि यह अंडा भी पूरी तरह परिपक्व नहीं हो पाया लेकिन उसके अंदर से एक अधूरा तैयार मगरमच्छ का बच्चा निकला.

वैज्ञानिक कहते हैं कि बहुत संभव हो पेट्रोसॉर्स और डायनोसोर्स में भी ऐसा ही हुआ होगा. वैसे वर्जिन बर्थ से पैदा हुए बच्चों के बचने की संभावना कम ही होती है. डॉ. बूथ कहते हैं कि कुछ बच्चे वयस्क हो जाते हैं लेकिन वे सबसे स्वस्थ जीव नहीं होते.

वर्जिन बर्थ

स्टिंग रे में ऐसा होने का शायद यह पहला मामला है. अटलांटा स्थित जॉर्जिया एक्वेरियम में रिसर्च साइंटिस्ट कैडी लियोन्स कहती हैं कि शार्लोट की प्रेग्नेंसी इस प्रजाति में संभवतया ऐसा पहला मामला है.

लेकिन लियोन्स के मुताबिक यह कोई हैरतअंगेज बात नहीं है क्योंकि शार्क, स्केट्स और अन्य रे मछलियों में ऐसा हो चुका है. वह कहती हैं, "मैं बिल्कुल हैरान नहीं हूं क्योंकि कुदरत ऐसा करने के जरिये खोज ही लेती है.”

इस प्रक्रिया को वर्जिन बर्थ भी कहा जाता है. वर्जिन बर्थ यानी बिना नर और मादा के संभोग के बच्चे का पैदा होना एक अनूठी कुदरती प्रक्रिया है. इसमें मादा के शरीर में अंड-कोशिकाएं तैयार होती हैं. इनमें लगातार विभाजन होता रहता है और यह तब तक जारी रहता है जब तक कि एक बच्चे के लिए जरूरी कुल जीन्स में से आधे तैयार नहीं हो जाते.

इसके साथ ही कुछ सह-उत्पाद भी तैयार होते हैं जो तीन कोशिकीय हिस्सों होते हैं जिनमें क्रोमोसोम होते हैं. इन्हें पोलर बॉडीज कहा जाता है.

आमतौर पर ये पोलर बॉडी अलग हो जाते हैं लेकिन कभी कभार ऐसा होता है कि इन तीन में से एक पोलर बॉडी अंडे के साथ मिल जाता है और उसे एक बच्चे के पूरा होने के लिए जरूरी क्रोमोसोम उपलब्ध करा देता है. लियोन्स कहती हैं, "हमें नहीं पता कि ऐसा क्यों होता है. यह एक अद्भुत प्रक्रिया है.”

रिपोर्टः विवेक कुमार (एपी)

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