नवंबर 2022 में पेश किए गए ओपनएआई के चैटजीपीटी ने खूब धूम मचाई. इसके बाद ही ऐसे कई और चैटबॉटों की होड़ लग गई. ये चैटबॉट भाषा के मॉडल पर आधारित हैं और लोगों के सवालों के जवाब देने के आलावा भी बहुत कुछ कर सकता है.
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चैटजीपीटी यानी चैट जेनरेटिव प्री-ट्रेंड ट्रांसफार्मर ओपनएआई के जीपीटी-3.5 और जीपीटी-4 भाषा मॉडल पर आधारित है. चैटजीपीटी आपको आपके पूछे हुए जटिल सवालों के जवाब दे सकता है, या किसी इंटरव्यू के लिए तैयारी करवा सकता है. इसके कई और भी फायदे हैं जैसे आप इस से गणित के सवाल सुलझाने के लिए बोल सकते हैं, या कोई कोड लिखने को भी.चैटजीपीटी को आप इनपुट बोलकर या लिख कर दे सकते हैं, लेकिन जवाब हमेशा लिखित ही आएगा.
भारी मांगके कारण चैटजीपीटी के सर्वर अक्सर ओवरलोड रहते हैं और जरूरत पड़ने पर यह चैटबॉट उपलब्ध नहीं हो पाता. हालांकि इस समस्या को सुलझाने के लिए कंपनी की चैटजीपीटी प्लस नमक सेवा भी है, लेकिन इसके लिए लोगों को अपनी जेब से 20 डॉलर प्रति महीना खर्च करने होंगे. यह चरम समयों के दौरान उपभोक्ताओं को प्राथमिकता देता है और साथ ही प्रतिक्रिया में कम समय लेता है. लेकिन बाजार में कई ऐसी सेवाएं भी हैं जिनको आप मुफ्त में इस्तेमाल कर सकते हैं.
माइक्रोसॉफ्ट बिंग
हाल ही में, माइक्रोसॉफ्ट ने अपने सर्च इंजन बिंग में नए एआई के फीचर्स को जोड़ा जो जीपीटी-4 पर चलते हैं. यह भी सभी लोगों के लिए मुफ्त है और यह लोगों के सवालों के जवाब के साथ साथ उनके स्रोत भी दिखता है. बिंग को इस्तेमाल कर लोग जीपीटी-4 का मजा मुफ्त में उठा सकते हैं, जो इसकी सबसे खास बात है. चूंकि बिंग एक सर्च इंजन है, इसलिए यह इंटरनेट को बेहतर खंगाल कर ज्यादा जानकारी और उनके सटीक स्रोत दिखा सकता है. फिर चाहे कोई लम्बी यात्रा प्लान करनी हो या किसी नए पकवान की रेसिपी खोजनी हो; बिंग इन सभी सवालों के जवाब देने में सक्षम है.
एआई पर कैसे कानून बनाएंगी सरकारें?
एआई में हो रही तरक्की से कई चुनौतियां खड़ी हो रही हैं. दुनियाभर में सरकारें तकनीक के इस्तेमाल को लेकर कानून बनाने की कोशिश कर रही हैं. जानिए कि एआई टूल्स को रेगुलेट करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं.
तस्वीर: ingimage/IMAGO
अमेरिका
अप्रैल 2023 में सेनेटर माइकल बेनेट ने एक बिल पेश किया, जिसमें एआई पर नीतियां बनाने के लिए एक टास्क फोर्स के गठन का प्रस्ताव था. साथ ही, इसमें यह भी देखे जाने की बात कही गई कि निजता, नागरिक अधिकार और यथोचित प्रक्रिया पर संभावित खतरों को कैसे घटाया जाए. बाइडेन प्रशासन ने भी कहा है कि वह एआई सिस्टमों की जिम्मेदारी तय करने पर जनता की भी राय लेगी.
तस्वीर: Jaap Arriens/NurPhoto/picture alliance
ऑस्ट्रेलिया
यहां "दी साइंस एडवाइजरी कमेटी" (एसएसी) विज्ञान से जुड़े मामलों में परामर्श देने वाली मुख्य समिति है. सरकार इससे सलाह लेकर अगले कदमों पर विचार कर रही है.
तस्वीर: Andrea Verdelli/Getty Images
ब्रिटेन
ब्रिटेन ने मार्च में बताया था कि एआई के नियमन के लिए नया विभाग बनाने की जगह मानवाधिकार, स्वास्थ्य-सुरक्षा जैसे पक्षों को देखने वाले मौजूदा रेगुलेटरों में ही जिम्मेदारी बांटी जा रही है. फाइनैंशल कंडक्ट अथॉरिटी समेत कई सरकारी विभागों को एआई से जुड़ी नई गाइडलाइनों की रूपरेखा बनाने का जिम्मा सौंपा गया है. तस्वीर में: एआई की बनाई ब्लैक होल की एक तस्वीर.
तस्वीर: ingimage/IMAGO
चीन
चीन, एआई के इस्तेमाल और संभावित खतरों से भी चिंतित है. कारोबारी ईलॉन मस्क ने अपनी हालिया चीन यात्रा में अधिकारियों से हुई मुलाकात के बाद बताया कि चीन की सरकार अपने यहां एआई से जुड़े नियम बनाएगी. इससे पहले अप्रैल में साइबरस्पेस अडमिनिस्ट्रेशन ऑफ चाइना (सीएसी) ने जेनरेटिव एआई सेवाओं के प्रबंधन से जुड़े मापदंडों का मसौदा पेश किया था.
तस्वीर: Omar Marques/SOPA/ZUMA/picture alliance
यूरोपीय संघ
यूरोपीय संसद इसी महीने ईयू के एआई ऐक्ट का मसौदा बनाने पर वोट करने वाला है. यूरोपियन कंज्यूमर ऑर्गनाइजेशन ने भी चैटजीपीटी और अन्य एआई चैटबोट्स पर चिंता जताई है. उसने ईयू की कंज्यूमर प्रोटेक्शन एजेंसियों से इस तकनीक से लोगों को होने वाले संभावित नुकसान की पड़ताल करने की भी अपील की है.
तस्वीर: Andreas Franke/picture alliance
फ्रांस
अप्रैल 2023 में फ्रांस की डेटा प्रोटेक्शन एजेंसी सीएनआईएल ने बताया कि वह चैटजीपीटी से जुड़ी कई शिकायतों की जांच कर रहा है. इसका संदर्भ निजता से जुड़े कानूनों के संभावित उल्लंघन की आशंका के मद्देनजर इटली में चैटबॉक्स पर लगे अस्थायी बैन से जुड़ा है.
तस्वीर: Knut Niehus/CHROMORANGE/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल इनोवेशन अथॉरिटी में नेशनल एआई प्लानिंग के निदेशक जिव कत्सिर ने बीते दिनों बताया कि पिछले करीब 18 महीनों से एआई रेगुलेशन्स पर काम हो रहा है. मकसद है नई खोज, मानवाधिकार की सुरक्षा और नागरिक हितों के बीच सही संतुलन बनाना. अक्टूबर 2022 में इस्राएल ने 115 पन्नों की एआई पॉलिसी का मसौदा जारी किया था. आखिरी फैसला लेने से पहले जनता से भी फीडबैक लिया जा रहा है.
तस्वीर: JOSEP LAGO/AFP/Getty Images
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परप्लेक्सिटी एआई
परप्लेक्सिटी एआई भी चैटजीपीटी की तरह ही चैटबॉट है जिसे कोई भी आसानी से इस्तेमाल कर सकता है. यानी इससे सवाल पूछ सकते हैं या कुछ लिखवा सकते हैं. इसे भी ओपनएआई के ही एपीआई के एपीआई पर ट्रेन किया गया है और इसके को-पायलट मोड में लॉग इन करके जीपीटी-4 का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
बिंग की तरह यह भी आपके पूछे हुए सवालों के जवाब इंटरनेट पर ढूंढ कर आपको मुहैया कराएगा. साथ ही उनके स्रोत भी दिखाएगा. इसका इस्तेमाल भी आप मुफ्त में कर सकते हैं. अगर आप तय नहीं कर पा रहे हैं की आपको परप्लेक्सिटी एआई से क्या पूछना है, तो बस कुछ लिखना शुरू कीजिए और यह आपकी मदद करेगा उस सवाल को पूरा करने में कुछ प्रॉम्प्ट दिखा कर.
गूगल बार्ड एआई
गूगल बार्ड एआई भी चैटजीपीटी की तरह एक संवादी चैट सेवा है जो मुफ्त में उपलब्ध है. लेकिन बड़ा फर्क यह है कि बार्ड एआई गूगल का ही बनाया हुआ लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) का इस्तेमाल करता है. जिसका नाम है लैम्डा यानी लैंग्वेज मॉडल फॉर डायलाग ऍप्लिकेशन्स. बल्कि इस सूची में शामिल बाकी सारे चैटबॉट जीपीटी श्रृंखला के ही एलएलएम की मदद लेते हैं. यह लिखने से जुड़ी कई चीजों में बढ़िया काम कर सकता है, जैसे कवर लेटर लिखना, या नौकरी के लिए सीवी तैयार करना, इत्यादि. यह कई बार पूछे हुए सवालों के जवाब तस्वीर के रूप में भी देता है. मजेदार बात तो यह है कि आप भी कोई तस्वीर अपलोड करके इससे उसके बारे में पूछ सकते हैं.