भविष्य को लेकर चिंतित हैं केमनित्स के यहूदी
९ नवम्बर २०१८Chemnitz Jewish community
नाजियों के प्रोपेगैंडा स्टीकर्स
नाजियों के प्रोपेगैंडा स्टीकर्स
सार्वजनिक जगहों पर स्टीकर्स चिपका कर, उनमें राजनीतिक संदेश देने का चलन तकरीबन एक शताब्दी पहले शुरू हुआ. जर्मन हिस्टोरिकल म्यूजियम में एक प्रदर्शनी में नाजी दौर के स्टीकर्स को दिखाया जा रहा है.
'गुरिल्ला' तरीका
मार्केटिंग स्ट्रेटेजिस्ट स्टीकर्स के जरिए प्रचार करने की रणनीति को 'गुरिल्ला मार्केटिंग' कहते हैं. कहीं भी, कभी भी स्टीकर्स जल्द से जल्द बांटे या चिपकाए जा सकते हैं. इनका इस्तेमाल ब्रांडिंग या प्रचार के लिए होता है, साथ ही राजनीतिक विचारों के प्रचार प्रसार के लिए भी इन्हें भरपूर इस्तेमाल किया जाता है.
राजनीतिक जोड़-तोड़
प्रदर्शनी में शामिल दस्तावेज दर्शाते हैं कि नाजियों ने राजनीतिक मतभेदों को बढ़ाने और नस्लवादी प्रोपेगैंडा करने के लिए किस तरह स्टीकर्स का इस्तेमाल किया. स्टीकर्स में मौजूद यहूदी विरोधी नारे नाजी दौर की मानसिकता बताते हैं. इनका मकसद यह दिखाना है कि आसानी से बांटा जा सकने वाला स्टिकर क्या क्या कर सकता है.
प्रोपेगैंडा स्टीकर्स
नाजियों ने जानबूझकर लोगों के बीच जाकर इन यहूदी विरोधी स्टीकर्स के जरिए अपना नफरत भरा संदेश बांटा था. 1933 में हिटलर के सत्ता में आने के तुरंत बाद, बर्लिन में नाजी संगठनों एसए और एसएस पैराट्रूपर्स ने यहूदियों के बीच दहशत फैलाने के लिए उनकी दुकानों के बाहर नफरत भरे स्टीकर्स चिपकाए.
नाजी विरोधी प्रोपेगैंडा
यहूदी संगठनों ने भी नाजियों के दमन से खुद को बचाने के लिए इन्हीं तरीकों को इस्तेमाल करने की कोशिश की. 1930 के दशक के शुरुआती सालों में उन्होंने भी इसी तरह के एंटी—प्रोपेगेंडा स्टीकर्स छापे. यहूदी धर्म मानने वाले जर्मन नागरिकों के केंद्रीय संगठन की ओर से जारी ये स्टीकर कहता है, ''नाजी हमारी त्रासदी हैं.''
नफरत भरे प्रेम पत्र
यहां तक कि 1933 से 1945 के बीच, यहूदी विरोधी स्टीकर्स को निजी संदेशों और प्रेम पत्रों में भी इस्तेमाल किया गया. एक राजनीतिक मुहर के बतौर. अक्सर इन पत्रों के लिफाफों को ऐसे सजाया जाता कि पाने वाला तुरंत समझ जाए कि भेजने वाले का राजनीति रुझान क्या है.
सोशल मीडिया से पहले
1970 और 80 के दशक में खासकर जर्मनी में राजनीतिक स्टीकर्स का बहुत इस्तेमाल हुआ. सोशल मीडिया को आए अभी कुछ ही साल हुए हैं लेकिन उससे पहले कई पीढ़ियां राजनीतिक विचारों के प्रसार के लिए स्टीकर्स पर ही निर्भर थीं. इस प्रदर्शनी का एक बड़ा हिस्सा, वोल्फगांग हानी के निजी कलेक्शन का हिस्सा है. उन्होंने 19 वीं सदी के उत्तरार्ध से आज तक इन स्टीकर्स को जमा किया है.
मौजूदा दौर
खासकर ऐतिहासिक संदर्भों पर केंद्रित यह प्रदर्शनी मौजूदा हालातों पर भी आलोचनात्मक नजर डालती है. शरणार्थियों का संकट और उससे पैदा हुई राजनीतिक बहस भी स्टीकर्स की इस प्रदर्शनी का हिस्सा है.