"पुलिस की गोली से 15 साल के एक किशोर की मौत हो गई." सोशल मीडिया के जरिए फैली इस अफवाह के बाद अमेरिकी शहर शिकागो में खूब लूटपाट हुई है. अमेरिका में आए दिन ऐसी हिंसा क्यों हो रही है?
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शिकागो के मेयर लॉरी लाइटफुट के मुताबिक फेसबुक पर फैली अफवाह के बाद इंगलवुड इलाके के लोगों और पुलिस के बीच झड़प शुरू हो गई. अफवाह पुलिस फायरिंग के एक वीडियो के जरिए फैली. पहली बार शाम छह बजकर तीन मिनट पर पोस्ट हुए इस वीडियो के बाद रविवार रात लोगों और पुलिस अधिकारियों के बीच झड़प शुरू हो गई. इसी दौरान लोगों ने शिकागो शहर के सिटी सेंटर जाने का एलान किया.
पैदल आगे बढ़ती भीड़ ने फायरिंग की, शोरूमों के कांच तोड़े और सामान लूटा. महंगे स्टोरों को सबसे ज्यादा निशाना बनाया गया. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कुछ लोग तो लूट का सामान गाड़ियों में लादकर भागे. सोमवार दोपहर तक शहर के मुख्य शॉपिंग सेंटर में बर्बादी का नजारा था. जगह जगह कांच बिखरा पड़ा था. दुकानों की रैकें और सामान अस्त व्यस्त थे.
पुलिस के खिलाफ हिंसा
शिकागो के पुलिस सुप्रीटेंडेंट डेविड ब्राउन के मुताबिक, "यह कोई आयोजित प्रदर्शन नहीं था. बल्कि यह खालिस आपराधिक घटना है. यह हमारे पुलिस अधिकारियों और हमारे शहर के विरुद्ध हिंसा की कार्रवाई थी." शिकागो पुलिस ने 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस का कहना है कि हिंसक लूट के दौरान उसके 13 अधिकारी घायल हुए हैं.
ब्राउन के मुताबिक रविवार को पुलिस के साथ फायरिंग में 20 साल का एक युवक घायल हुआ. युवक की हालत खतरे से बाहर है. अफवाह इसी फायरिंग के बाद फैली. अकादमिक जगत में अच्छी खासी प्रतिष्ठा रखने वाला शिकागो अमेरिका के सबसे बड़े शहरों में से एक है. 2020 में शिकागो में नरहत्या के मामलों में 50 फीसदी इजाफा हुआ है.
व्हाइट हाउस के बाहर फायरिंग
शिकागो में हुई हिंसा के बीच सोमवार को वॉशिंगटन स्थित अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस के बाहर फायरिंग हुई. फायरिंग के दौरान राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप प्रेस को संबोधित कर रहे थे. फायरिंग के चलते प्रेस ब्रीफिंग बीच में ही रद्द कर राष्ट्रपति को सुरक्षित जगह पर ले जाया गया. बाद में पता चला कि व्हाइट हाउस के एक गेट पर सीक्रेट सर्विस ने संदेह के आधार पर एक व्यक्ति पर गोली चलाई थी.
अमेरिका में बीते कुछ बरसों में नस्लीय तनाव चरम पर है. पुलिस की गोली से काले लोगों की मौत के बाद बीच बीच में तनाव भड़क रहे हैं. मई 2020 में पुलिस कार्रवाई में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद दुनिया भर में "ब्लैक लाइव्स मैटर" नाम का आंदोलन शुरू हुआ. कई अमेरिकी प्रांतों में पुलिस पर नस्लीय घृणा से प्रेरित होने के आरोप लग रहे हैं.
अमेरिका वैसा नहीं है जैसा हॉलीवुड की ज्यादातर फिल्में दिखाती हैं. अमेरिका अपने ही भीतर त्वचा के रंग को लेकर संघर्ष करने वाला देश भी है. एक नजर बीते 60 साल में अमेरिका में हुए दंगों पर.
तस्वीर: picture-alliance/AA/I. Tayfun Salci
अगस्त 1965
लॉस एजेंलिस शहर में पुलिस ने आईडेंटिटी चेक के लिए दो अश्वेत पुरुषों को रोका और फिर उन्हें पुलिस स्टेशन ले जाया गया. पुलिस पर आरोप लगा कि उसने ऐसा नस्लीय घृणा के चलते किया. इसके बाद 11-17 अगस्त तक शहर के एक हिस्से में भयानक दंगे हुए. 34 लोगों की मौत हुई.
तस्वीर: AFP
जुलाई 1967
दो श्वेत पुलिस अधिकारियों ने एक मामूली ट्रैफिक नियम उल्लंघन के लिए एक अश्वेत टैक्सी ड्राइवर को गिरफ्तार किया और पीटा. इसके बाद नेवार्क में 12-17 जुलाई तक दंगे हुए. 26 लोगों की मौत हुई और 1,500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए. इसके हफ्ते भर बाद डेट्रॉएट और मिशीगन में भी दंगे हुए, वहां 43 लोग मारे गए और 2,000 से ज्यादा घायल हुए.
तस्वीर: AFP
अप्रैल 1968
मार्टिन लूथर किंग की हत्या के बाद टेनेसी में हिंसा भड़ गई. 4-11 अप्रैल तक चले इन दंगों में 46 लोग मारे गए और 2,600 से ज्यादा घायल हुए. हिंसा इस कदर भड़की कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन बी जॉनसन को दंगा रोकने के लिए सेना भेजनी पड़ी.
तस्वीर: AFP
मई 1980
दिसंबर 1979 में चार श्वेत पुलिस अधिकारियों पर एक अश्वेत मोटरसाइकिल सवार को पीट पीटकर मार डालने का आरोप लगा. सुनवाई के बाद मई में पुलिस अधिकारियों को बरी कर दिया गया. इससे नाराज अश्वेत समुदाय ने मियामी लिबर्टी सिटी में भारी हिंसा की. चार दिन के दंगों में 18 लोग मारे गए.
तस्वीर: AFP
अप्रैल 1992
लॉस एंजेलिस के दंगों में 59 लोग मारे गए. अश्वेत कार चालक की पिटाई के वीडियो बनाने वाले श्वेत पुलिस अधिकारियों की रिहाई की वजह से ये दंगे हुए. यह दंगे अटलांटा, कैलिफोर्निया, लॉस वेगस, न्यूयॉर्क, सैन फ्रांसिस्को और सैन जोस में भी फैले.
तस्वीर: picture-alliance/AP/K. Djansezian
अप्रैल 2001
19 साल के अश्वेत युवक टिमोथी थॉमस को एक पुलिस अधिकारी ने मार डाला. इसके बाद सिनसिनैटी शहर में दंगे भड़क उठे. चार रातों तक शहर में कर्फ्यू लगाना पड़ा.
तस्वीर: AFP/D. Maxwell
अगस्त 2014
श्वेत पुलिस अधिकारी के हाथों एक निहत्थे अश्वेत किशोर की मौत के बाद फर्गुसन शहर में दंगे हुए. 9-19 अगस्त तक हुई हिंसा में काफी आर्थिक नुकसान हुआ. नवंबर में आरोपी पुलिस अधिकारी से हत्या की धाराए हटाने के बाद शहर में फिर तनाव लौट आया.
तस्वीर: AFP/S. Olson
अप्रैल 2015
25 साल के अश्वेत युवा फ्रेडी ग्रे को गिरफ्तार करते समय पुलिस ने इतनी ताकत लगाई कि युवक की पुलिस वैन में मौत हो गई. फ्रेडी की गिरफ्तारी का वीडियो भी सामने आया. वीडियो के प्रसारित होने के बाद बाल्टीमोर में भारी हिंसा हुई जिसके इमरजेंसी लगानी पड़ी.
तस्वीर: Reuters/M. Stone
सितंबर 2016
पुलिस फायरिंग में 43 साल के कीट लैमॉन्ट स्कॉट की मौत के बाद शारलोटे शहर में दंगे हुए. प्रशासन को हिंसा रोकने के लिए कर्फ्यू लगाना पड़ा और सेना बुलानी पड़ी.
तस्वीर: AFP/S. Rayford
मई 2020
मिनियापोलिस शहर में पुलिस अधिकारियों ने जॉर्ज फ्लॉएड नाम के एक अश्वेत शख्स को गिरफ्तार किया. गिरफ्तारी के दौरान फ्लॉएड ने पुलिस को अपनी बीमारी के बारे में बताया. इसके बावजूद पुलिस अधिकारियों ने उन पर ताकत आजमाई. फ्लॉएड की मौके पर ही मौत हो गई. उनकी मौत के एक दिन बाद से ही अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में प्रदर्शन हो रहे हैं. ओएसजे/एके (एएफपी)