क्या समाज में शामिल हो सकेंगे आईएस लड़ाकों के बच्चे
१० जनवरी २०१८
सीरिया और इराक में आतंकी संगठन आईएस अब हार की कगार पर पहुंच गया है. लेकिन समस्याएं अब भी नहीं थमी. इन दिनों जर्मनी में आईएस कैंपों से लौटी महिलाओं के साथ आए बच्चों का क्या किया जाए, इस पर बहस चल रही है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/G. Habibi
विज्ञापन
कौन नहीं चाहता कि दुनिया से आतंकवाद खत्म हो जाए. लेकिन आज जब सीरिया और इराक में आतंकी संगठन आईएस अपनी हार की कगार पर खड़ा है, तो दुनिया को एक और समस्या नजर आने लगी है. जर्मनी में इन दिनों एक बहस जोरों पर है. बहस इस बात पर कि आईएस के खात्मे के बाद उन महिलाओं और बच्चों का क्या होगा, जो अप्रत्यक्ष रूप से इस संगठन से जुड़े थे. दरअसल पिछले कुछ सालों में कई महिलाओं ने कथित रूप से आईएस में शामिल होने के लिए जर्मनी छोड़ दिया था. देश से निकलने के बाद इन महिलाओं ने आईएस लड़ाकों से शादी की और इन शादियों से कई बच्चे भी हुए. लेकिन अब सवाल है कि जो महिलाएं बच्चों के साथ अब आईएस से वापस लौट रहीं है, उनके साथ क्या किया जाए.
विशेषज्ञों की राय
जर्मनी में कई लोग मानते हैं कि जो भी वापस आ रहे हैं, उनसे बच्चों को अलग कर दिया जाए. लेकिन विशेषज्ञों को यह आसान नहीं लगता. जर्मनी के राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया में बच्चों और किशोरों के संरक्षण से जुड़ी कार्यकारी संस्था में काम करने वाली नोरा फ्रीत्शे के मुताबिक इस विकल्प पर सोचना भी आसान नहीं है. उन्होंने कहा, "ऐसे बच्चों के लिए हमेशा ही खतरा बना हुआ है. सिर्फ इतना कह देने से काम नहीं चलेगा कि इनके मां-बाप कट्टर इस्लामिक विचारधारा के हैं. हमें बच्चों के हितों पर ध्यान देना होगा, न कि उनके मां-बाप की सोच पर." नोरा कहती हैं कि किसी बच्चे को अपने परिवार से अलग करने पर निर्णय से पहले, अन्य विकल्पों पर भी सोचा जाना चाहिए. मसलन, परिवारों को परामर्शी सेवाएं देना.
इन्होंने इराक से आईएस को समेट दिया..
अगस्त 2014 में जब इराक में हैदर अल अबादी ने नई सरकार बनायी तो बहुत से लोगों को यकीन था कि वह नाकाम रहेंगे. असल में यह वह दौर था जब इस्लामिक स्टेट की ताकत लगातार बढ़ रही थी. लेकिन तीन साल में अबादी ने पासा पलट दिया.
तस्वीर: picture-alliance
मिशन पॉसिबल
जिसे बहुत से लोग मिशन इंपॉसिबल करार दे चुके थे, उसे हल्की सफेद दाढ़ी रखने वाले इराकी पीएम अबादी ने संभव कर दिया. उन्होंने इराकी सेना को फिर से खड़ा किया और अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों की मदद से आईएस के कब्जे वाले 90 फीसदी हिस्से से उसे भगा दिया है. अबादी ने देश के उत्तरी हिस्से में कुर्द पेशमर्गा लड़ाकों से भी विवादित हिस्सों को फिर से हासिल किया है.
चुनौतियां
मध्य पूर्व मामलों के जानकार फनर हदाद कहते हैं, "अबादी के बारे में माना जाता था कि वह कमजोर हैं, कड़े फैसले नहीं ले सकते और उनका रवैया कुछ ज्यादा ही मेलमिलाप वाला है." जब उन्होंने नूरी अल मालिकी से सत्ता की बागडोर ली तो जिहादी खतरों के अलावा उनके सामने बेहताशा भ्रष्टाचार, लचर बुनियादी ढांचा और तेल के गिरते दामों जैसी चुनौतियां थीं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Al-Rubaye
मोर्चे पर पीएम
अबादी ने इन चुनौतियों को स्वीकार किया और फिर वह मोर्चों पर जाकर और सैनिकों के साथ खड़े होकर सैन्य कामयाबियों का एलान करते रहे. इराकी व्यवस्था को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए भी उन्होंने कई सुधार किये. इन सभी कदमों पर उन्हें इराकी जनता का समर्थन भी मिला है.
तस्वीर: Reuters
सोशल मीडिया पर सक्रिय
अबादी सोशल मीडिया पर भी बहुत सक्रिय हैं. फेसबुक पर उन्हें 25 लाख लोग फॉलो करते हैं. उनके एक समर्थक ने हाल में फेसबुक पर लिखा, "वह इराक के इतिहास में सबसे अच्छे प्रधानमंत्री हैं. वह बोलते कम हैं और काम ज्यादा करते हैं."
तस्वीर: Ali Al-Saadi/AFP/Getty Images
सुन्नियों में भी लोकप्रिय
जानकार भी कहते हैं, जिन क्षेत्रों में इराक के दूसरे प्रधानमंत्री नाकाम रहे, अबादी ने वहां कामयाबी के झंडे गाड़े. इराक में एक हालिया सर्वे में पाया गया है कि 75 प्रतिशत लोग शिया प्रधानमंत्री अबादी का समर्थन करते हैं. यहां तक इराक के अल्पसंख्यक सुन्नी समुदाय में भी वह लोकप्रिय हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. Jensen
शुरुआती जिंदगी
दावा पार्टी के सदस्य अबादी का जन्म 1952 में बगदाद में हुआ, लेकिन इराक में सद्दाम हुसैन के शासनकाल के दौरान ज्यादातर समय अबादी निर्वासन में रहे. ब्रिटेन में रह कर उन्होंने मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की.
तस्वीर: Reuters/Hadi Mizban
सद्दाम का दौर
अबादी के दो भाइयों को सद्दाम हुसैन के शासन में गिरफ्तार कर मौत की सजा दी गयी. उनका कसूर बस इतना था कि वह दावा पार्टी के सदस्य थे. इसी आरोप में उनके तीसरे भाई को दस साल तक जेल में रखा गया. दावा पार्टी सद्दाम के शासन का विरोध करती थी.
तस्वीर: picture alliance/Lonely Planet Images
इराक वापसी
2003 में जब सद्दाम को सत्ता से बेदखल किया गया तो अबादी इराक लौटे. तानाशाही सरकार के पतन के बाद बनी अंतरिम सरकार में अबादी को संचार मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गयी. 2006 में वह संसद के सदस्य बने और उन्हें अर्थव्यवस्था, निवेश और पुर्ननिर्माण समिति और वित्त समिति का चेयरमैन बनाया गया.
तस्वीर: Reuters/Saudi Press Agency
अहम जिम्मेदारी
जुलाई 2014 में अबादी को संसद का डिप्टी स्पीकर बनाया गया. इसके एक महीने बाद ही उन्हें सरकार बनाने का मौका मिला. तीन साल में शायद उनकी सबसे बड़ी कामयाबी देश की सेना और पुलिस को फिर से खड़ा करना है, जो दशकों से लचर अवस्था में थी. वह हजारों सैनिकों और सुरक्षाकर्मियों में जोश का संचार करने में कामयाब रहे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/H. Al-Assadee
लंबा सफर
अबादी के नेतृत्व में इराकी सुरक्षा बलों ने इराक में आईएस के कब्जे वाले 90 फीसदी हिस्से को मुक्त करा लिया है. यह आईएस की "खिलाफत" के लिए बहुत बड़ा झटका है. इसी कामयाबी ने अबादी को आम लोगों के बीच लोकप्रियता दिलायी है. लेकिन इराक को स्थिर करने के राह में अभी उन्हें लंबा रास्ता तय करना होगा.
ऐसा भी कहा गया है कि मां-बाप के अपराध का मतलब यह नहीं है कि बच्चे की भलाई को खतरे में डाला जाए. वर्तमान में जर्मन अदालतें यह मान रही हैं कि आईएस लड़ाकों के साथ रहने वाली महिलाओं को आतंकी समूह का सदस्य नहीं कहा जा सकता. क्योंकि पुरुषों की तरह वे इन संगठनों में निष्ठा को लेकर कोई कसम या शपथ नहीं लेती. लेकिन संघीय अभियोजन कार्यालय इन महिलाओं के साथ कड़ा रुख अपनाने का समर्थक है. अभियोजन कार्यालय का तर्क है कि ये महिलाएं इन आतंकी संगठनों को मजबूत बनाने का काम करती हैं. पत्नी और मां के तौर पर ये उन लड़ाकों की मदद करती हैं. साथ ही अपने बच्चों की ऐसे परवरिश करती हैं कि वे बच्चे आगे चलकर इन संगठनो में शामिल हों. हालांकि अभियोजन पक्ष, सुप्रीम कोर्ट में इस दलील के साथ एक बार हार चुका है. लेकिन अब सवाल है कि क्या इस पक्ष का भी आकलन किया जाना चाहिए, ताकि यह समझा जा सके कि एक बच्चे की भलाई में यह कहां तक जुड़ा है.
कुल कितने बच्चे?
जर्मन सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2012 से लेकर अब तक जर्मनी से करीब 960 लोगों ने आईएस में शामिल होने के लिए इराक और सीरिया का रुख किया. इसमें लगभग 200 महिलाएं थीं. सरकार का कहना है कि इसमें से एक तिहाई, मतलब करीब 50 महिलाएं अब तक वापस आ चुकी हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक लौटने वाली हर महिला के साथ कम से कम एक बच्चा तो है. सरकार ने बताया कि जो बच्चे इन महिलाओं के साथ वापस लौटे हैं, उनमें से कई शिशु हैं. लेकिन देश की घरेलू सुरक्षा एजेंसी के पास इसे लेकर कोई पुख्ता आंकड़ा नहीं है. दरअसल फेडरल कार्यालय (बीएफवी) के पास 14 साल से कम उम्र के बच्चों का डाटा इकट्ठा करने की अनुमति नहीं है. साथ ही यह पता करना भी मुश्किल है कि विदेशों में अपने प्रवास के दौरान महिलाओं के कितने बच्चे थे.
इस्लामिक स्टेट से लड़ती फिलीपींस की सेना
दक्षिण पूर्वी एशिया में इस्लामिक स्टेट ने गहरी जड़ें जमा ली हैं. फिलीपींस का मरावी शहर इसका सबूत है.
तस्वीर: Getty Images/J. Aznar
जिहादियों का गढ़
फिलीपींस की सेना मरावी शहर में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. दक्षिणी फिलीपींस के कुछ हिस्सों में अब भी सेना और इस्लामिक स्टेट के जिहादियों के बीच झड़पें हो रही हैं.
तस्वीर: Getty Images/J. Aznar
कौन है जिहादी
मरावी शहर पर माउते नाम के उग्रवादी संगठन ने हमला किया. संगठन ने शहर को अपने नियंत्रण में लेने के बाद वहां इस्लामिक स्टेट के काले झंडे लगा दिये. माउते पहले ही इस्लामिक स्टेट की खलीफत के प्रति वफादारी जता चुका है.
तस्वीर: Reuters/E. de Castro
बर्बरता के निशान
सैन्य ऑपरेशन के दौरान जिहादियों की बर्बरता के सबूत भी मिले. जिहादियों ने क्रूर तरीके से बच्चों की हत्या की और शवों को सड़कों के किनारे फेंक दिया
तस्वीर: Getty Images/J. Aznar
रमजान में खून खराबा
सेना हेलिकॉप्टरों की मदद से आतंकियों को निशाना बना रही है. सरकार के प्रवक्ता ने मरावी के आम लोगों से रमजान के दौरान हो रही हेलिकॉप्टर कार्रवाई के लिए माफी मांगी है.
तस्वीर: Reuters/E. de Castro
मार्शल लॉ
राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटेर्टे ने मरावी और कुछ अन्य इलाकों में मार्शल लॉ लगा दिया है. उन्होंने नरम धड़े के अलगाववादियों से सेना में शामिल होने की अपील भी की है. दक्षिण फिलीपींस में 1960 के दशक से मुस्लिम अलगाववादियों के खिलाफ जब तब सैन्य कार्रवाई होती रही है.
तस्वीर: Getty Images/J. Aznar
अपने घर में ही शरणार्थी
हिंसा के चलते मरावी के 90 फीसदी लोग शहर छोड़कर जा चुके हैं. लड़ाई से तबाह होते शहर के बाकी बाशिंदे भी वहां से निकलने की फिराक में हैं.
तस्वीर: Getty Images/J. Aznar
तीखी होती लड़ाई
मरावी शहर के कुछ इलाकों में अब भी तीखी लड़ाई छिड़ी है. मृतकों की संख्या बढ़ती जा रही है. कई शव सड़कों पर बिखरे पड़े हैं. स्थानीय राहत और बचाव संस्थाओं के मुताबिक 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.
तस्वीर: Getty Images/J. Aznar
विस्थापन अभियान
2,000 से ज्यादा लोग अब भी शहर में फंसे हुए हैं. सेना उन्हें जल्द से जल्द निकालने की कोशिश कर रही है. विस्थापितों के लिए 38 अस्थायी कैंप बनाये गये हैं.
तस्वीर: Reuters/E. de Castro
कोई नरमी नही
सेना के प्रवक्ता के मुताबिक, "जो आत्मसमर्पण नहीं करेगा, वो मारा जाएगा." सेना को अब भी शहर के बड़े हिस्से तक अपनी पहुंच बनानी है. जिहादी घरों, गलियों और तमाम इमारतों में छुपे हैं.
तस्वीर: Reuters/E. de Castro
9 तस्वीरें1 | 9
बच्चों के पास नहीं विकल्प
बीएफवी के प्रमुख हंस गेऑर्ग मासेन ने हाल में ही चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि युद्ध क्षेत्र और कट्टरपंथी आतंकी समूह के बीच से लौटे बच्चे अब यहां समाज में घुल-मिल रहे हैं. मासेन के मुताबिक बहुत से बच्चों का पूरी तरह ब्रेनवॉश किया जा चुका है और कट्टरपंथ की ओर इनका झुकाव साफ नजर आता है. आईएस बच्चों को नए जमाने का लड़ाकू कह कर उनका प्रचार कर रहा है. मासेन ने कहा, "इस माहौल में इनका लौटना और द्वितीय श्रेणी जिहादियों की तरह इनकी परवरिश खतरनाक हो सकती है."
अतीत छोड़ने का मौका
वॉयलेंस प्रिवेंशन नेटवर्क (वीपीएन) के थोमास म्यूके इस तर्क से सहमत नहीं है. उन्होंने कहा, "जहां तक बच्चों की बात है, मैं नहीं मानता कि वे कट्टरपंथी हैं." म्यूके मानते हैं कि बच्चे एक विचारधारा को मानते हैं लेकिन उन्होंने इसको अपनाया नहीं होता क्योंकि बच्चों पर यह विचारधारा थोपी जाती है. म्यूके का मानना है कि बच्चे पीड़ित हैं. इसलिए यह जरूरी है कि वे एक स्वस्थ माहौल में पले-बढ़ें. वे कहते हैं कि इन बच्चों को अपने अतीत को पीछे छोड़ने का मौका मिलना चाहिए. म्यूके को लगता है कि इन बच्चों को थेरेपी की भी जरूरत होती है ताकि वे अपने अनुभवों से छुटकारा पा सकें. उनके मुताबिक बच्चों के विकास में समाज एक सकारात्मक भूमिका निभा सकता है.
ऊटा श्टाइनवेयर/एए
आईएस के जुर्मानों का रेट
इस्लामिक स्टेट ने अपने कब्जे वाले इलाके में अलग अलग तरह के जुर्माने लगा रखे हैं. शोध संस्थान आईएचएस के मुताबिक यह रहा जुर्मानों का रेट...
तस्वीर: Getty Images/AFP/O. Andersen
दाढ़ी बनाने पर, 100 डॉलर
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Souleiman
शराब रखने पर, 100 डॉलर और 50 कोड़े
तस्वीर: Getty Images/S. Platt
दाढ़ी छोटी करने पर, 50 डॉलर
तस्वीर: Reuters/A. Ismail
शराब पीने पर, 50 डॉलर और 50 कोड़े
तस्वीर: REUTERS/G. Tomasevic
सिगरेट रखने पर, 46 डॉलर (महिलाएं के लिए 23$)
तस्वीर: DW/F. Neuhof
महिलाओं के जुराब या दस्ताने न पहनने पर, 30 डॉलर
तस्वीर: Getty Images/AFP/B. Kilic
महिलाओं के तंग कपड़ों पर, 25 डॉलर
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Dilkoff
नमाज न पढ़ने पर, 25 डॉलर और 39 कोड़े
तस्वीर: Picture-Alliance/dpa/A. Jalil
सिगरेट पीने पर, 25 डॉलर
तस्वीर: Getty Images/AFP/B. Kilic
महिलाओं की आंखें दिखने पर, 10 डॉलर या एक ग्राम सोना