चिली के सांसदों ने समलैंगिक विवाह को वैध बनाने वाले विधेयक के पक्ष में भारी मतदान किया है. रूढ़िवादी लैटिन अमेरिकी देश में समानता के लिए कानून को "एक कदम आगे" कहा जा रहा है.
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सीनेट और निचले सदन दोनों ने इस विधेयक के पक्ष में भारी मतदान किया है. मंगलवार को विधेयक के पारित होने की अधिकार समूहों, समान विवाह अधिकार अधिवक्ताओं और समान-लिंग वाले जोड़ों द्वारा सराहना की गई. संसद के बाहर खड़े रेमन लोपेज ने बताया कि वह कानून के पारित होने की प्रतीक्षा कर रहे थे ताकि वह अपने 21 साल के साथी से शादी कर सकें.
लोपेज ने कहा, "यह कुछ बहुत महत्वपूर्ण है. एक व्यक्ति के रूप में मैं वास्तव में सम्मानित महसूस कर रहा हूं. यह दरवाजे खोलता है और उन सभी पूर्वाग्रहों को तोड़ देता है." मतदान के बाद चिली की सामाजिक विकास मंत्री कार्ला रुबिलर ने कहा कि यह "न्याय के मामले में एक और कदम आगे है, समानता के मामले में और यह पहचान देता है कि प्यार प्यार होता है."
रूढ़िवादी चिली के लिए मील का पत्थर
इसका मतलब यह भी है कि बच्चों के साथ समान-लिंग वाले जोड़े को पूर्ण कानूनी मान्यता प्राप्त मिलेगी. विधेयक के पारित होने के साथ चिली लैटिन अमेरिका में अर्जेंटीना, ब्राजील, कोलंबिया, कोस्टा रिका और उरुग्वे सहित दुनिया भर के 20 से अधिक देशों में समलैंगिक विवाह को वैध बनाने वालों में शामिल हो गया है.
19 दिसंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में चिली को एक महत्वपूर्ण फैसला करना है. चिली के लोग प्रगतिशील उम्मीदवार गेब्रियल बोरिक और सामाजिक रूप से रूढ़िवादी जोस एंटोनियो कास्ट के बीच चयन करेंगे.
रूढ़िवादी मूल्यों को धारण करने के लिए लंबे समय से प्रतिष्ठा के बावजूद, अधिकांश चिली समान-लिंग विवाह अधिकारों का समर्थन करते हैं.
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
समलैंगिकता की आजादी वाले इस्लामी देश
कई इस्लामी देश ऐसे भी हैं जहां समलैंगिकता अपराध नहीं है. हालांकि कानूनी दर्जा मिलने के बावजूद भेदभाव इनके हिस्से में आ ही जाता है...
तस्वीर: picture-alliance/dpa
तुर्की
1858 में ओटोमन खिलाफत ने समान सेक्स संबंधों को मान्यता दी थी. तुर्की आज भी उसपर कायम है. यहां समलैंगिकों और ट्रांसजेंडरों के अधिकारों को मान्यता दी जाती है. हालांकि संविधान से रक्षा ना मिलने के कारण इनके साथ भेदभाव आम है.
तस्वीर: picture-alliance/abaca/H. O. Sandal
माली
माली उन चुनिंदा अफ्रीकी देशों में से है जहां एलजीबीटी संबंधों को कानूनी दर्जा प्राप्त है. हालांकि यहां के संविधान में सामाजिक स्थलों पर यौन संबंध पर मनाही है. लेकिन माली में भी एलजीबीटी समुदाय के साथ बड़े स्तर पर असामनता का व्यवहार किया जाता है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/J. Saget
जॉर्डन
एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों की रक्षा की दिशा में जॉर्डन का संविधान सबसे प्रगतिशील माना जाता है. 1951 में समान सेक्स संबंधों के कानूनी होने के बाद सरकार ने समलैंगिकों और ट्रांसजेंडरों के सम्मान के लिए होने वाली हत्याओं के खिलाफ भी सख्त कानून बनाए.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
इंडोनेशिया
1945 का कानून साफ तौर पर यौन संबंध पर पाबंदी नहीं लगाता. इंडोनेशिया में एशिया की सबसे पुरानी एलजीबीटी संस्था है जो कि 1980 से सक्रिय है. भेदभाव के बावजूद यहां का समलैंगिक समुदाय अपने अधिकारों के लिए लड़नें में पीछे नहीं रहता.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/A. Rudianto
अलबेनिया
हालांकि अलबेनिया मुस्लिम देश है, इसे दक्षिणपूर्वी यूरोप में एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए अहम माना जाता है. इस गरीब बालकान देश में समलैंगिकों और ट्रांसजेंडरों को असमानता से बचाने के लिए भी कई अहम कानून हैं.
तस्वीर: SWR/DW
बहरैन
इस खाड़ी देश में समान सेक्स के बीच संबंध को 1976 में मान्यता मिली. हालांकि अभी भी बहरैन में क्रॉस ड्रेसिंग यानि लड़कों का लड़कियों की तरह कपड़े पहनना मना है.
तस्वीर: Getty Images
फलीस्तीन
गाजा पट्टी में समान सेक्स के बीच संबंध आधिकारिक तौर पर प्रतिबंधित हैं. लेकिन ऐसा पश्चिमी छोर पर नहीं है. हालांकि इसका मतलब यह नहीं कि यहां समलैंगिकों के अधिकारों की रक्षा की जाती है. फलीस्तीन में एलजीबीटी पर पाबंदी हमास से नहीं इंगलैंड से आई थी जब यह इलाका ब्रिटिश कॉलोनी हुआ करता था.