कैपिटोल हिल हमले में जा सकती थी नैंसी पेलोसी की जान
११ फ़रवरी २०२१
पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पर चल रहे महाभियोग में संसद के अंदर लगे कैमरों की फुटेज दिखाई गई है जिससे पता चलता है कि स्पीकर नैंसी पेलोसी को अगर वक्त रहते सुरक्षाकर्मियों ने बाहर ना निकाला होता, तो उनकी जान जा सकती थी.
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अमेरिकी संसद कैपिटोल हिल पर हिंसा भड़काने के आरोप में डॉनल्ड ट्रंप पर चल रहे महाभियोग की सुनवाई के दूसरे दिन ऐसा वीडियो पेश किया गया जिसे देख कर पता चलता है कि यह हमला कितना खतरनाक था. सीसीटीवी कैमरों से ली गई फुटेज को संसद के नक्शे के साथ दिखाया गया ताकि समझाया जा सके कि दंगाई कैपिटोल के अंदर कहां कहां तक पहुंच गए थे.
वीडियो में देखा जा सकता है कि जैसे ही सुरक्षाकर्मी नैंसी पेलोसी और उनके स्टाफ को सुरक्षित कमरे में ले जाते हैं, उसके सिर्फ सात मिनट बाद दंगाइयों का एक झुंड वहां पहुंचता है. ये लोग नैंसी पेलोसी को खोज रहे हैं. एक व्यक्ति चिल्ला चिल्ला कर कह रहा है, "नैंसी तुम कहां हो, हम तुम्हें ढूंढ रहे हैं, नैंसी.."
इम्पीचमेंट मैनेजर स्टेसी प्लैसकेट ने कहा, "सच्चाई सच्चाई है, फिर चाहे उसे माना जाए या नहीं और सच्चाई यह है कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने महीनों तक अपने समर्थकों से एक प्रदर्शन में हिस्सा लेने का आह्वान किया था. वे एक खास दिन, एक खास वक्त और खास जगहों की बात करते रहे.. तब तक, जब तक उनके समर्थकों ने इसे कैपिटोल पर हमला करने के संकेत के रूप में समझ नहीं लिया." प्लैसकेट ने कहा कि इन लोगों के हाथ जो भी कोई लग जाता, ये उसकी जान ले लेते.
प्लैसकेट ने वीडियो के जरिए यह भी समझाया कि दंगाई उपराष्ट्रपति और उनके परिवार से मात्र 100 फीट की दूरी पर थे. सीसीटीवी फुटेज में माइक पेंस और उनके परिवार को सुरक्षाकर्मियों द्वारा चेंबर से बाहर ले जाते देखा जा सकता है. प्लैसकेट ने कहा, "यह संयोग की बात नहीं है, कुछ भी संयोग से नहीं हुआ है. डॉनल्ड ट्रंप ने कई महीनों तक योजनाबद्ध तरीके से हिंसा को बढ़ावा दिया."
ट्रंप के खिलाफ एकजुट
महाभियोग के दौरान रिपब्लिकन पार्टी के कई सांसदों ने ट्रंप के खिलाफ गवाही दी. रिपब्लिकन जेमी रेस्किन ने कहा, "सबूत आपको दिखाएगा कि पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप इसमें बेकसूर मूक दर्शक नहीं थे. सबूत दिखाएगा कि उन्होंने ही 6 जनवरी की हिंसा भड़काई थी. वह दिखाएगा कि डॉनल्ड ट्रंप ने इसमें कमांडर इन चीफ की भूमिका निभाई."
इस दौरान ट्रंप द्वारा किए गए ट्वीट दिखाए गए. एक ट्वीट में वे (हिंसा भड़काने वालों से) कह रहे थे, "और हम लड़ेंगे. हम हर हाल में लड़ेंगे. और अगर आप नहीं लड़े तो आपके पास यह देश नहीं रहेगा.. आपको जोश जारी रखना होगा और आपको मजबूती से आगे बढ़ना होगा."
दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र को ट्रंप समर्थकों ने हिला डाला !
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के समर्थकों ने बुधवार 6 जनवरी 2021 को एक मार्च के दौरान कैपिटल हिल पर धावा बोल दिया. सुरक्षाकर्मियों के साथ उनकी झड़प हुई और समर्थकों के पास से हथियार जब्त किए गए.
तस्वीर: Win McNamee/Getty Images
ट्रंप समर्थकों का बवाल
हाल के कई सालों में अमेरिका से इस तरह की तस्वीरें सामने नहीं आई हैं. सत्ता हस्तांतरण से पहले हिंसा और बवाल ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को हिला कर रख दिया. आरोप ट्रंप समर्थकों पर लगा कि उन्होंने कैपिटल हिल में घुसकर तोड़फोड़ की और उस पर कब्जे की कोशिश की.
तस्वीर: Brendan Smialowski/AFP/Getty Images
चार की मौत
पुलिस और सुरक्षाबलों के साथ झड़प में अब तक चार लोगों की मौत हुई और 52 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. दरअसल कैपिटल बिल्डिंग में कांग्रेस के दोनों सदनों में चर्चा हो रही थी और नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन की जीत की पुष्टि की जानी थी. इसी दौरान वहां हजारों लोग परिसर में घुस आए और बवाल काटा.
तस्वीर: Win McNamee/Getty Images
हथियार, डंडे और झंडे से लैस
वॉशिंगटन डीसी के पुलिस प्रमुख रॉबर्ट कॉन्टे के मुताबिक अब तक 52 में से 47 लोगों को रात का कर्फ्यू के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. कई और लोगों को गैरकानूनी रूप से हथियार रखने या प्रतिबंधित हथियार के साथ चलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. कुछ समर्थकों ने स्प्रे का इस्तेमाल सुरक्षाकर्मियों पर हमला करने के लिए किया.
तस्वीर: Win McNamee/Getty Images
सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प
ट्रंप समर्थकों के बवाल के दौरान 14 पुलिस अफसर घायल हो गए और दो अफसर अभी भी अस्पताल में दाखिल हैं. वॉशिंगटन की मेयर म्यूरियल बॉउसर ने शहर में 15 दिन के इमरजेंसी का ऐलान कर दिया है. यह इमरजेंसी 21 जनवरी तक लागू रहेगी. बॉउसर ने कहा है कि पुलिस जनता से दंगा करने वालों की पहचान करने की मदद मांगने का इरादा कर रही है.
तस्वीर: Win McNamee/Getty Images
संघर्ष
कैपिटल हिल परिसर में तैनात सुरक्षाकर्मियों को ट्रंप समर्थकों से निपटने में खासी मशक्कत करनी पड़ी. हिंसा की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुए. पुलिस से ट्रंप समर्थकों का भिड़ना और कुछ समर्थकों का संसद के भीतर दाखिल होने का वीडियो पूरी दुनिया ने देखा.
तस्वीर: Tasos Katopodis/Getty Images
मार्च के बहाने कैपिटल हिल पर हमला!
बुधवार 6 जनवरी को कैपिटल हिल बिल्डिंग में अमेरिकी कांग्रेस जो बाइडेन की जीत की पुष्टि के लिए बैठी तभी हजारों ट्रंप समर्थकों ने वॉशिंगटन में मार्च निकाला और कैपिटल हिल पर धावा बोल दिया. ट्रंप समर्थकों के मार्च को लेकर सुरक्षा बढ़ाई गई लेकिन देखते ही देखते वे बिल्डिंग की ओर बढ़ गए. उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले भी दागे गए.
तस्वीर: Tasos Katopodis/Getty Images
हिंसा की निंदा
हंगामे और हिंसा की निंदा पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा समेत कई नेताओं ने की है. उनके अलावा नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ट्रंप से देश से माफी मांगने की सलाह दी है. उन्होंने ट्रंप को अपने समर्थकों को समझाने के लिए कहा है.
तस्वीर: Joseph Prezioso/AFP/Getty Images
हार नहीं मानेंगे ट्रंप!
राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने संसद का सत्र शुरू होने से ठीक पहले कहा था कि वह चुनाव में हार को स्वीकार नहीं करेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें धांधली हुई और यह धांधली उनके प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन के लिए की गई थी.
तस्वीर: Stephanie Keith/REUTERS
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रिपब्लिकन जो नेगयूज ने कहा "कुछ लोगों का कहना है कि ट्रंप सिर्फ भाषण दे रहे थे. मैं यह जानना चाहूंगा कि हमारे इतिहास में ऐसा कब हुआ कि किसी राष्ट्रपति ने भाषण दिया और हजारों लोग संसद पर हमला करने पहुंच गए, वह भी हाथ में हथियार लिए.. यह मात्र एक भाषण नहीं था."
इस दौरान उन विज्ञापनों को भी दिखाया गया जो डॉनल्ड ट्रंप ने दिसंबर में चलवाए थे. एक का नाम था "फ्रॉड" और दूसरे को "स्टॉप द स्टील". ट्रंप अपने समर्थकों से यह कहते रहे कि उनसे यह चुनाव छीना जा रहा है, झूठे वोट डलवा कर उन्हें हराने का षड्यंत्र रचा जा रहा है. इस पर उन्होंने पांच करोड़ डॉलर तक खर्च किए. महाभियोग के दौरान कहा गया कि ट्रंप ने इन विज्ञापनों को 5 जनवरी तक चलवाया ताकि 6 जनवरी को हिंसा करवा सकें.
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ना भूलने वाले पल
6 जनवरी की घटनाओं को याद करते हुए रिपब्लिकन मैडलीन डीन की आंखें भर आईं. उन्होंने कहा, "मैं कुछ साथियों के साथ गैलरी में खड़ी थी. तभी एक आवाज आई.. नीचे झुको.. फिर कहा.. लेट जाओ.. अपने ऑक्सीजन मास्क निकाल लो. इसकी कुछ देर बाद चेंबर के दरवाजों को जोर जोर से पीटने की आवाज आने लगी. मैं उन आवाजों को कभी भूल नहीं पाउंगी."
रिपब्लिकन डेविड सिसिलीन ने ट्रंप पर आरोप लगाया कि इस हमले के शुरुआती घटों में ट्रंप ने उसे रोकने की, लोगों को बचाने की कोई कोशिश नहीं की. उन्होंने कहा, "उन्होंने एक बार भी इस हमले की निंदा नहीं की, बल्कि 6 जनवरी को अगर उन्होंने किसी की निंदा की थी तो वो थे उनके उपराष्ट्रपति माइक पेंस, जो इस इमारत में कहीं छिपने पर मजबूर थे क्योंकि उनकी और उनके परिवार की जान पर बन आई थी."
अमेरिकी संसद भवन कैपिटॉल पर ट्रंप समर्थकों के घेराव और उत्पात की तस्वीरों ने दुनिया को हिला कर रख दिया है. हालांकि दुनिया में इस तरह की घटना ना तो पहली बार हुई है और शायद ना ही आखिरी बार.
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1789: बास्टिले में घुसे प्रदर्शनकारी
निरंकुश राजशाही के दौर में आजादी और समानता की मांग को लेकर पेरिस के प्रदर्शनकारियों की भीड़ मध्यकाल के दुर्ग में घुस गई. इस जगह आजादी चाहने वाले कई राजनीतिक कैदियों को रखा गया था. इस घटना ने फ्रांसीसी क्रांति की लौ जलाई. 14 जुलाई 1789 को बास्टिले भीड़ के हाथों में चला गया. लोगों के इस विद्रोह का उत्सव मनाने के लिए अब फ्रांस में इस दिन सार्वजनिक छुट्टी रखी जाती है.
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1917: विंटर पैलेस में विद्रोह
रूस की अक्टूबर क्रांति विंटर पैलेस में बोल्शेविक के धावा बोलने के साथ शुरू हुई. उस वक्त इस इमारत में प्रांतीय सरकार का दफ्तर था. फरवरी में रूसी जार की सत्ता हटाने के बाद बोल्शेविक विद्रोह को रेड अक्टूबर भी कहा जाता है. राजधानी सेंट पीटर्सबर्ग में जब इसने सरकार की सत्ता उखाड़ने में सफलता पा ली तो इसे क्रांति कहा जाने लगा.
तस्वीर: picture-alliance/akg
1958: इराकी सैन्य क्रांति
जुलाई 1958 में लोगों की भीड़ ने इराक के बगदाद में किंग फैसल के महल पर हमला कर उसमें आग लगा दी. यह कदम देश में राजशाही को हटा कर एक गणतांत्रिक सरकार बनाने की सेना की कोशिशों का हिस्सा था. फैसल और उनके करीबी सहयोगी इस दौरान मारे गए. फैसल की मौत के साथ ही इराक से राजशाही का अंत हो गया.
तस्वीर: picture-alliance/akg-images
1973: चिली में सैन्य क्रांति
लोकतांत्रिक रूप से चुने गए राष्ट्रपति सल्वाटोरे आलेंदे तीन साल तक सत्ता में रहने के बाद सैन्य विद्रोह में पद से हटा दिए गए. 11 सितंबर 1973 को भारी हथियारों से लैस सैनिक राष्ट्रपति के महल में घुस गए. इसके बाद आलेंदे ने आत्महत्या कर ली और देश पर जनरल ऑगस्तो पिनोचेट की क्रूर सैन्य तानाशाही का दौर शुरू हुआ.
तस्वीर: OFF/AFP/Getty Images
1981: स्पेन में तख्तापलट की कोशिश
23 फरवरी 1981 को लेफ्टिनेंट गवर्नर अंटोनियो तेजेरो मोलिना स्पेन की संसद में 200 सैन्य पुलिस और सैनिकों के साथ घुस गए. लोकतांत्रिक रूप से चुने हुए सांसदों को 18 घंटे के लिए बंधक बना लिया गया. किंग खुआन कार्लोस ने दखल दे कर फ्रांको का शासन खत्म होने के बाद एक स्थिरता के साथ लोकतांत्रिक व्यवस्था बनाने पर जोर दिया. विद्रोह दबा दिया गया और मोलिना को उसके बाद 15 साल जेल में बिताने पड़े.
तस्वीर: picture-alliance/ dpa
राइषटाग में विद्रोह
राइषटाग या जर्मन संसद को 1933 में जला कर ध्वस्त कर दिया गया था और यह लंबे समय से विरोध प्रदर्शन या विद्रोह का ठिकाना रहा है. अगस्त 2020 में भी कोरोना वायरस रोकने के लिए लगी पाबंदियों का विरोध करने वाले लोगों ने संसद में घुसने की कोशिश की जिन्हें पुलिस ने पीछे धकेला. अमेरिकी के कैपिटॉल पर हुए हमले की तरह ही यहां भी प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर लोग धुरदक्षिणपंथी धारा के समर्थक थे.
तस्वीर: Reuters/C. Mang
अमेरीकी संसद पर आक्रमण
वॉशिंगटन डीसी में "स्टॉप द स्टील" रैली के लिए कैपीटॉल के पास जमा हुए सैकड़ों उग्र प्रदर्शनकारी अचानक से संसद भवन की तरफ कूच कर गए. ये लोग राष्ट्रपति के चुनाव में धांधली के दावों से उत्तेजित थे. संसद भवन में मौजूद पुलिस हिंसक प्रदर्शनकारियों का सामना करने के लिए तैयार नहीं थी. सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुस कर उत्पात मचाया.