प्रदर्शनकारियों की सहायता के आरोप में चीन के निशाने पर एप्पल
९ अक्टूबर २०१९
चीन ने एप्पल कंपनी के ऊपर 'टॉक्सिस एप्प' के माध्यम से हांगकांग में हो रहे विरोध-प्रदर्शन में सहायता करने का आरोप लगाया है.
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हांगकांग के प्रदर्शनकारियों के कथित समर्थन के लिए चीन में विदेशी कंपनियों और संगठनों को निशाना बनाया जा रहा है. एप्पल इसका ताजा उदाहरण है. चीनी अखबार पीपुल्स डेली ने आरोप लगाया कि अमेरिका की दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी ट्रांसपोर्ट एप्प के माध्यम से हांगकांग प्रदर्शनकारियों की सहायता कर रही है. हिंसा को बढ़ावा दे रही है. अखबार में कहा गया है, "मोबाइल एप्प लोगों की सुविधा के लिए परिवहन की जानकारी उपलब्ध कराने का दावा करती है लेकिन वास्तव में इसका इस्तेमाल पुलिस ठिकानों की जानकारी देने के लिए किया जा रहा है. हांगकांग के प्रदर्शनकारियों को हिंसक काम के लिए सहायता दी जा रही है. एप्प के लिए एप्पल की मंजूरी जाहिर तौर पर प्रदर्शनकारियों की मदद करती है. इसका असली इरादा क्या है?"
अखबार ने यह भी शिकायत की है कि एप्पल के म्यूजिक स्टोर में ऐसा गाना है जो चीन से हांगकांग को आजाद कराने का समर्थन करता है. अखबार ने कहा, "कोई नहीं चाहता कि एप्पल को हांगकांग की अशांति में घसीटा जाए. लेकिन लोगों के पास कहने के लिए वजह है कि एप्पल व्यापार के साथ राजनीति कर रहा है. यहां तक की अवैध काम भी कर रहा है. एप्पल को यह सोचना चाहिए कि वह जिस लापरवाही के साथ फैसला ले रहा है, उसका क्या परिणाम होगा."
इस बीच, अमेरिकी सांसदों ने एनबीए (नेशनल बास्केटबॉल एसोसिएशन) और वीडियो गेम डेवलपर ब्लिजार्ड एंटरटेनमेंट सहित अन्य संगठनों की आलोचना की है. सांसदों ने आरोप लगाया कि इन संगठनों ने बाजार में पहुंच प्राप्त करने के बदले बीजिंग के आगे घुटने टेक दिए हैं. इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर चीन के नियंत्रण का क्या असर हो रहा है.
इन तरीकों से प्रदर्शनकारियों और उपद्रवियों को किया जाता है नियंत्रित
हांगकांग में इन दिनों प्रदर्शन चल रहा है. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया. एक नजर उन तरीकों पर जिससे दुनिया के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित किया जाता है.
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लाठी चार्ज
उग्र विरोध-प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों तितर-बितर करने के लिए कुछ देशों में लाठी चार्ज का भी सहारा लिया जाता है. भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश में लाठी चार्ज के मामले अक्सर आते हैं. 2019 में हांगकांग में प्रत्यर्पण बिल को लेकर हो रहे प्रदर्शन के दौरान पुलिन इसी से मिलता-जुलता तरीका अपनाया. हालांकि विकसित देशों में लाठी चार्ज को अमानवीय करार दिया गया है.
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आंसू गैस
उग्र प्रदर्शन या उपद्रव को नियंत्रित करने के लिए पुलिस आंसू गैस का प्रयोग करती है. आंसू गैस की वजह से आंखों में तेज जलन होती है और यह भीड़ को दूर हटने पर मजबूर कर देती है.
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मिर्ची बम
मिर्ची बम को आलियोरेजन भी कहा जाता है. फेंकने के बाद जब यह फटता है तो आंखों और त्वचा में जलन होने लगती है. हालांकि, जब लोगों की संख्या काफी ज्यादा होती है तो यह तरीका उतना असरदार नहीं होता है. इसका असर कुछ लोगों पर ही हो पाता है.
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प्लास्टिक की गोलियां
पुलिस उपद्रवियों पर नियंत्रण के लिए प्लास्टिक की गोलियों का इस्तेमाल करती है. इससे जान को नुकसान नहीं पहुंचता है लेकिन चोट की वजह से लोग भाग जाते हैं.
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रबर की गोलियां
रबर की गोलियों का प्रयोग पुलिस वैसे समय में करती है जब उन्हें लगता है कि प्रदर्शनकारी उग्र हो चुके हैं. रबर की गोलियां शरीर को चोटिल कर देती है और इससे किसी की जान जाने का खतरा भी नहीं होता है.
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वॉटर कैनन
प्रदर्शनकारियों को तितर बितर करने के लिए पुलिस अक्सर वॉटर कैनन का इस्तेमाल करती है. इसमें प्रदर्शनकारियों के ऊपर पानी की तेज बौछार की जाती है. बौछार के दायरे में आने वाले लोग पानी के वेग से छटक से जाते हैं.
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पैलेट गन
भारत के जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजों को नियंत्रित करने के लिए पैलेट गन का इस्तेमाल किया गया था. इसमें एक बार में प्लास्टिक और रबर के कई छर्रे निकलते हैं जो सामने वाले को घायल कर देते हैं. हालांकि, कई मानवाधिकार संगठनों ने इस तरीके का मुखर विरोध किया. कहा गया कि इस वजह से कई लोगों की आंखों की रौशनी चली गई. कुछ लोगों के चेहरे पूरी तरह से खराब हो गए.
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वहीं चीन की सरकारी प्रसारण सेवा सीसीटीवी ने मंगलवार को एनबीए प्री-सीजन चीन खेलों के प्रसारण को स्थगित कर दिया. इसकी वजह ये रही कि बास्केटबॉल लीग के प्रमुख ने प्रदर्शनकारियों के समर्थन में बोलने के लिए ह्यूस्टन रॉकेट्स के महाप्रबंधक डेरिल मोरे के अधिकार का बचाव किया. मोरे ने एक संदेश 'फाइट फॉर फ्रीडम. स्टैड विद हांगकांग' को ट्वीट किया था. बाद में इसे डिलीट कर दिया गया.
हांगकांग में बीते कई सप्ताह से चीन के खिलाफ प्रदर्शन जारी है. इस बीच चीन ने चीन विरोधी समूहों के साथ जुड़े अमेरिकी नागरिकों के वीजा पर प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई है. चीन का सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रायल कई महीनों से अमेरिकी खुफिया सेवा और मानवाधिकार समूहों द्वारा नियोजित व्यक्ति को वीजा देने की संख्या सीमित कर रहा है. चीन को ऐसा लगता है कि अमेरिका और अन्य देश की सरकार कुछ संस्थाओं के माध्यम से हांगकांग में हो रहे प्रदर्शन में मदद कर रही है. सूत्र ने बताया कि, पिछले कई महीनों से वरिष्ठ अधिकारियों के बीच यह चर्चा हो रही थी. हांगकांग में प्रदर्शन और अमेरिका द्वारा चीनी अधिकारियों को वीजा देने पर प्रतिबंध लगाने के बाद यह कदम उठाया गया है.
आज जिस रूप में चीन दिखाई देता है उसकी शुरूआत अब से ठीक 70 साल पहले हुई थी. यहां देखिए इस राष्ट्र के बीते सत्तर साल के इतिहास को.
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राष्ट्रवादियों की हार
गृहयुद्ध में राष्ट्रवादियों की हार के बाद 1 अक्टूबर 1949 को कम्युनिस्ट पार्टी के चेयरमैन माओ त्से तुंग ने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना की. राष्ट्रवादी यहां से भाग कर ताइवान के द्वीप पर चले गए और ताइपेई में अपनी सरकार का गठन किया.
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हंड्रेड फ्लावर्स अभियान
"हंड्रेड फ्लावर्स" अभियान में माओ ने बुद्धिजीवियों से कम्युनिस्ट विचारधारा के बारे में खुल कर अपनी राय देने को कहा. लेकिन फिर आलोचना करने वाले पांच लाख लोगों को लेबर कैम्पों में भेज दिया गया.
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ग्रेट लीप फॉरवर्ड
माओ ने मुख्य रूप से कृषि प्रधान रही अर्थव्यवस्था को औद्योगीकरण और सामुदायिक खेती के जरिए बदलने के लिए ग्रेट लीप फॉरवर्ड अभिययान शुरू किया. यह आर्थिक रूप से विनाशकारी साबित हुआ और 1958-61 के बीच तीन साल के लिए देश में अकाल पड़ गया जिसके नतीजे में 4.5 करोड़ लोगों की जान गई.
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तिब्बत का विद्रोह
1959 में चीन ने तिब्बत में चीनी शासन के खिलाफ हुए विद्रोह को दबाने के लिए सेना भेजी. तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा इसके बाद भाग कर भारत पहुंच गए. दलाई लामा आज भी भारत में रहते हैं. यह बात चीन को जब तब परेशान करती है.
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परमाणु बम
1964 में चीन ने परमाणु बम बना लिया. संयुक्त राष्ट्र में उस पर प्रतिबंध लगाने की बात होती रही और वह परीक्षण करता रहा जब तक कि उसने परमाणु बम बनाने लायक विशेषज्ञता हासिल नहीं कर ली.
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सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांति
माओ ने पूंजीपतियों का प्रभाव खत्म करने के लिए 1966 में सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांति की शुरुआत की ताकि समाज में बराबरी आए. हालांकि 10 साल चली इसी क्रांति के दौरान उन्होंने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को भी निपटा दिया. रेड गार्ड्स के जवान इन दिनों बुर्जुआ होने के आरोप में किसी को भी निशाना बना देते थे. बहुत से बुद्धिजीवी और शिक्षाविद भी शिकार बने.
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बड़ी अशांति का दौर
सांस्कृतिक क्रांति का नतीजा देश में एक बड़ी अशांति और उथल पुथल के रूप में सामने आया. लाखों लोगों का दमन हुआ, उन्हें जेल में डाला गया या फिर उनकी हत्या हुई. आखिरकार 1969 में सेना ने फिर से व्यवस्था कायम की.
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संयुक्त राष्ट्र में चीन स्थायी सदस्य बना
संयुक्त राष्ट्र में चीन के नाम पर सदस्यता ताइपेई के पास थी जिसे 1971 में बीजिंग को सौंप दिया गया. संयुक्त राष्ट्र ने पिपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को ही चीन का असली प्रतिनिधी माना.इसके साथ ही आज का चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में शामिल हो गया.
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माओ की मौत
सितंबर 1976 में माओ की मौत हो गई. इसके अगले महीने ही "गैंग ऑफ फोर" यानी माओ की पत्नी समेत पार्टी के चार ताकतवर लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. इन लोगों ने सांस्कृतिक क्रांति की अगुवाई की थी. उन पर पार्टी विरोधी और समाजवाद विरोधी होने का आरोप लगा और उन्हें लंबी कैद की सजा हुई.
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डेंग शियाओपिंग
इसके बाद 1978 से 1992 तक देश का शासन डेंग शियाओपिंग के हाथ में था. डेंग शियाओपिंग ने चीन में आर्थिक सुधारों की शुरुआत की और देश को विदेशी निवेश के लिए खोला. हालांकि उन्हीं के दौर में लोकतंत्र के लिए थियानमेन चौक पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर सैनिकों ने गोली चलाई जिसमें कई सौ से लेकर हजार से कुछ ज्यादा लोगों की मौत हुई.
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हांगकांग चीन को मिला
1997 में ब्रिटेन ने 99 साल की लीज खत्म होने के बाद हांगकांग चीन को लौटा दिया. इसके साथ ही यह शर्त भी रखी गई कि कारोबार और वित्तीय गतिविधियों के इस केंद्र को अगले 50 साल तक के लिए अधिकतम स्वायत्तता मिलेगी.
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विश्व व्यापार संगठन
दिसंबर 2001 में चीन विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बना, इसके पीछे अमेरिकी की बढ़ी भूमिका थी. हांककांग चीन के हाथों में आने से पहले ही 1995 में ही विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बन गया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AFP/H. Malla
अंतरिक्ष में कदम
चीन ने 1950 में पहले अमेरिकी और फिर सोवियत संघ के खतरों से जूझने के लिए बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम शुरू कर दिया था लेकिन इसके कई दशकों के बाद चीन ने अंतरिक्ष में कदम रखे. 2003 में चीन ने अपना पहला मानव युक्त यान अंतरिक्ष में भेजा और ऐसा करने वाला दुनिया का तीसरा देश बना.
तस्वीर: picture-alliance/Xinhua
जापान से आगे
2010 में चीन की अर्थव्यवस्था जापान को पीछे छोड़ कर अमेरिकी के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई. सस्ते उत्पादन के तौर तरीके अपना कर चीन ने खुद को दुनिया का उत्पादन का केंद्र बना लिया है. दुनिया के कोने कोने तक चीन में बना सामान पहुंच रहा है.
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बेल्ट एंड रोड एनिशिएटिव
2013 में चीन ने बेल्ट एंड रोड परियोजना शुरू की जिसका मकसद कारोबार और अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिए सड़कों, बंदरगाहों और दूसरी बुनियादी सुविधाओं का विकास करना था.
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दक्षिण चीन सागर
2016 में एक अंतरराष्ट्रीय पैनल ने चीन की दक्षिण चीन सागर पर चीनी परिभाषा के खिलाफ फैसला सुनाया जिसके आधार पर चीन इस सागर के हिस्सों पर अपना दावा करता है. हालांकि चीन ने रणनीतिक रूप से अहम सागर के हिस्सों पर अपनी पहुंच का विस्तार करना जारी रखा है.
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कारोबारी युद्ध
2018 में डॉनल्ड ट्रंप ने चीन के साथ कारोबारी जंग शुरू कर की है क्योंकि चीन के तकनीकी और आर्थिक रूप से सुदृढ़ होने के कारण अमेरिकी चिंता बढ़ गई. अमेरिका ने चीन से आने वाली चीजों पर शुल्क बढ़ा दिया है जिसका जवाब चीन ने भी इसी तरह के कदमों से दिया.
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एक आदमी के हाथ में सरकार
2012 में चीन के राष्ट्रपति बने शी जिनपिंग ने 2019 की फरवरी में संसद से कानून पास करवा कर सरकार में अपने शासन की 10 साल की समयसीमा को खत्म करा लिया. शी का नाम संविधान में भी जुड़ गया है और अब वो माओ के बाद चीन के सबसे ताकतवर नेता हैं.
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मानवाधिकार
संयुक्त राष्ट्र ने 10 लाख से ज्यादा उइगुर मुसलमान अल्पसंख्यकों को "रिएजुकेशन" कैंपों में रखने के लिए चीन की आलोचना की है. चीनी अधिकारियों का कहना है कि इन कैंपों का इस्तेमाल अलगाववादी भावनाओं और धार्मिक चरमपंथ को रोकने के लिए किया जा रहा है.
तस्वीर: AFP/G. Baker
हांगकांग में प्रदर्शन
बीते कुछ महीनों में हांगकांग प्रदर्शनों के शोर में घिरा रहा है. हांगकांग के लोगों को चीन में मुकदमा चलाने के लिए प्रत्यर्पित करने की अनुमति वाला एक बिल लाया गया. लोकतंत्र समर्थकों के भारी विरोध के बाद इस बिल को वापस ले लिया गया. हांगकांग चीन को मिलने के बाद यह उसकी सबसे बड़ी चुनौती साबित हुई.