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भारत को लग सकता है 49 अरब डॉलर का फटका

विवेक कुमार२६ मई २०१६

भविष्य में भारत और चीन जैसे देशों को खाने-पीने की महंगाई खासी महंगी पड़ने वाली है. भारत को 49 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है.

तस्वीर: I. Mukherjee/AFP/Getty Images

संयुक्त राष्ट्र ने आशंका जताई है कि अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य पदार्थों की कीमतें दोगुनी हो जाती हैं तो भारत को जीडीपी में 49 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है. यूएन की नई रिपोर्ट में यह भी आशंका जताई गई है कि आने वाले सालों में खाद्य पदार्थों की कीमतें काफी बदलावों से गुजरेंगी.

संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण संबंधी कार्यक्रम ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क की ताजा रिपोर्ट आई है. ईआरआईएससी फेज-2 की इस रिपोर्ट में इस बात पर शोध किया गया है कि पर्यावरणीय बदलाव किस तरह देशों की आर्थिक स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं. रिपोर्ट में उन देशों की लिस्ट बनाई गई है जो खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने से प्रभावित होंगे.

तस्वीर: AP

रिपोर्ट के मुताबिक अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें दोगुनी हो गईं तो चीन को 161 अरब डॉलर का नुकसान होगा जबकि भारत को 49 अरब डॉलर का. रिपोर्ट कहती है, ''खाद्य पदार्थों की सप्लाई और डिमांड में जिस तरह से संतुलन बिगड़ रहा है, भविष्य में दुनिया को बेहद अस्थिर कीमतों से गुजरना पड़ सकता है. जनसंख्या और आय बढ़ने से मांग बढ़ेगी जबकि पर्यावरण का बदलाव उत्पादन को प्रभावित करेगा.''

रिपोर्ट में 110 देशों पर कीमतों के प्रभाव का अध्ययन किया गया है. जीडीपी का सबसे ज्यादा आनुपातिक नकुसान जिन पांच देशों को होगा, वे सब के सब अफ्रीका में हैं. बेनिन, नाइजीरिया, आइवरी कोस्ट, सेनेगल और घाना की जीडीपी सबसे ज्यादा प्रभावित होगी. राशि के हिसाब से देखा जाए तो सबसे ज्यादा 161 अरब डॉलर का नुकसान चीन को झेलना होगा यानी न्यूजीलैंड की कुल जीडीपी के बराबर. दूसरे नंबर पर भारत है जिसे 49 अरब डॉलर का फटका लगेगा. यानी क्रोएशिया की जीडीपी के बराबर.

इस आकलन का आधार कुल खाद्य उत्पादन, उस पर होने वाला कुल खर्च और आयात है. मिस्र, मोरक्को और फिलीपींस जैसे देश खाद्य पदार्थों का ज्यादातर हिस्सा आयात करते हैं और उनका घरेलू खर्च भी ज्यादा है. इसलिए उनका जीडीपी बहुत कम हो जाएगा और वहां महंगाई सबसे ज्यादा बढ़ेगी. चीन, इंडोनेशिया और तुर्की जैसे उभरते बाजार भी खासे प्रभावित होंगे क्योंकि इनका घरेलू खर्च बहुत ज्यादा है.

इस स्थिति से कुछ देशों को फायदा भी होगा. दक्षिण अमेरिका में कैश क्रॉप उत्पादक और निर्यातक देशों का जीडीपी बढ़ेगा. पराग्वे और उरुग्वे का जीडीपी बढ़ेगा. कृषि के पावरहाउस कहे जाने वाले ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों को भी खूब फायदा होगा.

वीके/एमजे (पीटीआई)

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