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चीन ने बदला हांगकांग का चुनावी सिस्टम

३० मार्च २०२१

लोकतांत्रिक व्यवस्था से और दूर ले जाते हुए चीन ने अपने अर्धस्वायत्त क्षेत्र हांगकांग के चुनावी तंत्र में कई ऐसे बदलाव कर दिए हैं, जिससे हांगकांग के शासन में उसका दखल और बढ़ जाएगा.

Hongkong & Sicherheitsgesetz China | Chinesische Flagge
तस्वीर: Reuters/T. Siu

चीन ने हांगकांग की विधायिका के लिए जनता द्वारा सीधे चुने जाने वाले प्रतिनिधियों की सीटों में भारी कमी की है. उनकी संख्या पहले के मुकाबले एक चौथाई से भी कम कर दी गई है. यह भी तय किया गया है कि हांगकांग का शासन चलाने वाले ज्यादातर विधायक सीधे सीधे एक बीजिंग-समर्थक समिति चुनेगी. माना जा रहा है कि हांगकांग में लोकतंत्र के समर्थन में तेज हो रहे आंदोलन को कुचलने के लिए चीन ने यह कदम उठाया है.

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने लिखा है कि हांगकांग के मिनी चार्टर 'बेसिक लॉ' में बदलावों का राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आदेश दे दिया है.

हांगकांग के 75 लाख निवासियों को अब तक नए बदलावों की पूरी जानकारी नहीं मिली है. चीन की संसद में हांगकांग की ओर से अकेले प्रतिनिधि टैम यू-चुंग ने इस बाबत मीडियाकर्मियों से बातचीत में बताया कि हर उम्मीदवार का डॉसियर बनेगा जिसका मूल्यांकन सुरक्षा सेवाएं भी करेंगी. उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय सुरक्षा समिति और राष्ट्रीय सुरक्षा पुलिस हर उम्मीदवार पर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी जिससे रिव्यू कमेटी को उनकी योग्यता तय करने में मदद मिलेगी."

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी इस प्रक्रिया के माध्यम से सुनिश्चतित करना चाहती है कि एक "देशभक्त" हांगकांगवासी ही उसकी विधायिका के लिए लिए चुनाव में खड़ा हो. नए कानून के अनुसार, हांगकांग की विधायिका में सीटों की संख्या 70 से बढ़ाकर 90 कर दी जाएगी. लेकिन इन 90 में से केवल 20 सीटों पर ही हांगकांग के लोगों के जरिए सीधे तौर पर चुने लोग बैठेंगे. अब तक कुल 70 में से आधी सीटों यानि 35 पर जनता के चुने प्रतिनिधि होते थे.

90 में से बाकी की 40 सीटों पर प्रतिनिधियों का चुनाव एक चीन-समर्थक समिति चुनेगी. बची हुई 30 सीटों के लिए प्रतिनिधि तमाम उद्योग धंधों और विशेष समूहों से चुने जाएंगे, जिन्हें 'फंक्शनल कंस्टीचुएंसी' कहा जाता है. यह समूह भी पारंपरिक रूप से चीन का वफादार रहा है.

मार्च की शुरुआत में बीजिंग में कम्युनिस्ट पार्टी के हजारों प्रतिनिधि अपनी संसद की सालाना बैठक के लिए जुटे थे. बैठक में अंतरराष्ट्रीय जगत को चेतावनी दी गई कि वो हांगकांग के मामले में दखल ना दे और ऐसा करने वालों का चीन कड़ाई से विरोध करेगा. चीन ने इसी बैठक में घोषणा की थी कि वह हांगकांग की चुनावी व्यवस्था में बड़े बदलाव करने वाला है जिससे हांगकांग की बागडोर "देशभक्त" लोगों को सौंपी जा सके. पिछले साल भी  चीन ने हांगकांग के लिए जो नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून बनाया था उसका इस्तेमाल कर अब तक कई दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

सन 1997 में ब्रिटेन ने हांगकांग को चीन को सौंपा था और अगले 50 सालों के लिए उसके कुछ राजनीतिक अधिकारों का वादा लिया था. आलोचकों का मानना है कि चीन उन वादों को तोड़ रहा है और हांगकांग में लगातार अपना दखल बढ़ाता जा रहा है. 2019 में चीन हांगकांग के लिए प्रत्यर्पण बिल ले कर आया था जिसका कड़ा विरोध होने पर उसे स्थगित करना पड़ा था. चीन अब हांगकांग की चुनावी व्यवस्था में बदलाव लाकर यह सुनिश्चित कर लेना चाहता है कि फिर वहां ऐसा होना संभव ही ना हो सके. दूसरी ओर, बीते दो सालों से वहां चीन के दखल को कम करने और लोकतांत्रिक सुधारों की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन अब भी जारी हैं.

आरपी/एनआर (एएफपी)

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