चीन ने उन खबरों का खंडन किया है जिनमें कहा गया था कि उसने सुपसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है. उसने कहा कि उसने तो बस एक अंतरिक्ष यान का परीक्षण किया था.
सोमवार को चीन ने कहा कि उसका हालिया रॉकेट परीक्षण सिर्फ यह जांचने के लिए था कि किसी लॉन्च व्हीकल को दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं. उसने कहा कि यह एक अंतरिक्ष यान का परीक्षण था ना कि मिसाइल का.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाओ लीजियान ने कहा, "यह परीक्षण अंतरिक्ष यान की लागत को कम करने की दिशा में एक अहम कदम हो सकता है और मनुष्य के लिए अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के लिए दोबारा इस्तेमाल करने की दिशा में एक सस्ता माध्यम उपलब्ध करा सकता है."
जानें, बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल का फर्क
बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल में क्या है फर्क
मिसाइल आधुनिक समय में युद्ध के अहम हथियार बनते जा रहे हैं. आम तौर पर मिसाइल को उनके प्रकार, लॉन्च मोड, रेंज, संचालन शक्ति, वॉरहेड और गाइडेंस सिस्टम के आधार पर बांटा जाता है. एक नजर मिसाइलों के प्रकार पर.
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क्रूज और बैलेस्टिक
मिसाइल मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं. एक क्रूज मिसाइल होता है जिसके तहत सबसोनिक, सुपरसोनिक और हाईपर सोनिक क्रूज मिसाइल आते हैं. ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल है और ब्रह्मोस 2 हाइपरसोनिक मिसाइल है. वहीं दूसरा बैलेस्टिक मिसाइल होता है.
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क्रूज मिसाइल
क्रूज मिसाइल एक मानवरहित स्व-चालित वाहन है जो एयरोडायनामिक लिफ्ट के माध्यम से उड़ान भरता है. इसका काम एक लक्ष्य पर विस्फोटक या विशेष पेलोड गिराना हैं. यह जेट इंजन की मदद से पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर उड़ान भरते हैं. इनकी गति काफी तेज होती है.
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बैलेस्टिक मिसाइल
बैलिस्टिक मिसाइल एक ऐसी मिसाइल है जो अपने स्थान पर छोड़े जाने के बाद तेजी से ऊपर जाती है और फिर गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से नीचे आते हुए अपने लक्ष्य को निशाना बनाती है. बैलेस्टिक मिसाइल को बड़े समुद्री जहाज या फिर संसाधनों से युक्त खास जगह से छोड़ा जाता है. पृथ्वी, अग्नि और धनुष भारत के बैलिस्टिक मिसाइल हैं.
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सरफेस टू सरफेस मिसाइल
लॉन्च मोड के आधार पर भी मिसाइलों को कई तरह से बांटा गया है. सरफेस टू सरफेस मिसाइल एक निर्देशित लक्ष्य पर वार करती है. इसे वाहन पर रखकर या किसी जगह पर इंस्टॉल कर लॉन्च किया जाता है. आमतौर पर इसमें रॉकेट मोटर लगा होता है या फिर कभी-कभी लॉन्च प्लेटफॉर्म से विस्फोटक के माध्यम से छोड़ा जाता है.
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सरफेस टू एयर मिसाइल
इस मिसाइल का उपयोग जमीन से हवा में किसी निशाने को भेदने के लिए किया जाता है, जैसे कि हवाईजहाज, हेलिकॉप्टर या फिर बैलेस्टिक मिसाइल. इस मिसाइल को आमतौर पर एयर डिफेंस सिस्टम कहते हैं क्योंकि ये दुश्मनों के हवाई हमले को रोकते हैं.
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लैंड टू सी मिसाइल
इस मिसाइल को जमीन से छोड़ा जाता है जो दुश्मनों की समुद्री जहाज को निशाना बनाते हैं.
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एयर टू एयर मिसाइल
एयर टू एयर (हवा से हवा में मार करने वाली) मिसाइल को किसी एयरक्राफ्ट से छोड़ा जाता है, जो दुश्मनों के एयरक्राफ्ट को नष्ट कर देती है. इसकी गति 4 मैक (करीब 4800 किलोमीटर प्रतिघंटा) होती है.
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एयर टू लैंड मिसाइल
एयर टू लैंड मिसाइल को सेना के विमान से छोड़ा जाता है जो समुद्र, जमीन या दोनों जगहों पर निशाना लगाती है. इस मिसाइल को जीपीएस सिग्नल के माध्यम से लेजर गाइडेंस, इफ्रारेड गाइडेंस या ऑप्टिकल गाइडेंस से निर्देशित किया जाता है.
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सी टू सी मिसाइल
इस मिसाइल को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि यह समुद्र में मौजूद अपने दुश्मनों के जहाज या पनडुब्बियों को नष्ट कर देती है. इसे समुद्री जहाज से ही लॉन्च किया जाता है.
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सी टू लैंड मिसाइल
इस तरह के मिसाइल को समुद्र से लॉन्च किया जाता है जो सतह पर मौजूद अपने दुश्मन के ठिकानों को नष्ट कर देती है.
तस्वीर: AP
एंटी टैंक मिसाइल
एंटी टैंक मिसाइस वह होती है जो दुश्मनों के सैन्य टैंकों और अन्य युद्ध वाहनों को नष्ट कर देती है. इसे एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर, टैंक या कंधे पर रखे जाने वाले लांचर से भी छोड़ा जा सकता है.
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चीन का अंतरिक्ष कार्यक्रम उसकी सेना द्वारा ही चलाया जाता है. अगस्त में उसने एक परीक्षण किया था, जिसे लेकर आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं कि यह एक हाइपसोनिक मिसाइल का परीक्षण था. शनिवार को फाइनैंशल टाइम्स अखबार ने खबर छापी थी कि चीन ने एक हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है जो धरती का चक्कर लगाकर धरती पर लौट आई लेकिन निशाना चूक गई.
जाओ ने कहा, "चीन अन्य देशों के साथ मिलकर काम करेगा ताकि मानवता की भलाई के लिए अंतरिक्ष का शांतिपूर्ण प्रयोग किया जा सके."
चीन की बढ़ती ताकत
सोमवार को चीन ने अंतरिक्ष यात्रियों के दूसरे दल को अपने स्पेस स्टेशन में भेजा है. ये यात्री छह महीने लंबे एक अभियान पर गए हैं, जो अंतरिक्ष में चीन का सबसे लंबा अभियान होगा.
अंतरिक्ष तकनीक के साथ-साथ चीन जिस तरह से सैन्य तकनीक का विस्तार कर रहा है, उसे लेकर पश्चिमी और एशियाई देशों में खासी चिंता है. उसका दक्षिणी चीन सागर पर प्रभाव और दावा लगातार मजबूत हो रहा है. यही नहीं, उसने भारत के साथ लगती सीमा पर भी अपनी गतिविधियां आक्रामक कर दी हैं.
अमेरिका ने अगस्त में हुए परीक्षण को लेकर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया लेकिन उसके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि अमेरिका चीन की बढ़ती परमाणु क्षमताओं को लेकर चिंतित है. प्राइस ने कहा, "ये घटनाएं दिखाती हैं कि जैसा कि हम पहले से कहते रहे हैं, (चीन) अपनी दशकों पुरानी परमाणु रणनीति से भटक रहा है."
देखेंः दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमान
दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमान
जंग की तस्वीर बदल गई है और लड़ाकू विमानों की भूमिका अहम हो गई है. अब इन्हें ज्यादा मारक और फुर्तीला बनाने के साथ ही रडारों की पकड़ में आने से बचाने पर भी जोर है. देखिये दुनिया के सबसे उन्नत और कामयाब लड़ाकू विमानों को.
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एफ-22 रैप्टर
अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन का यह विमान रडारों के लिए लगभग अदृश्य रहता है. इसे अब तक का सबसे आधुनिक, महंगा और उन्नत लड़ाकू विमान माना जाता है. इसके कई सेंसर और विमान से जुड़ी कई तकनीकों को गोपनीय रखा गया है. वर्तमान में अमेरिकी वायुसेना की जान यही विमान है. अमेरिका ने इसे अब तक किसी और देश को नहीं बेचा है.
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एफ-35
एफ-35 को भी लॉकहीड मार्टीन ने ही बनाया है. यह एफ-22 से थोड़ा छोटा है और उसमें एक ही इंजिन है हालांकि कई चीजें इसमें एफ-22 जैसी ही हैं. यह अपनी गुप्त चालों के लिए विख्यात है और आसानी से रडारों की पकड़ में नहीं आता. वायु रक्षा अभियानों में यह कई तरह से उपयोगी है. हवा से हवा में और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस है और बमों की वर्षा करने में माहिर.
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चेंगदू जे-20
चीन ने इस विमान को रूस की मिग कंपनी की मदद से बनाया है. चीनी वायु सेना ने इसे 2017 में आधिकारिक रूप से अपने बेड़े में शामिल किया. चीन ने इस विमान के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी है. यह एक मध्य और लंबी दूरी का लड़ाकू विमान है जो जमीन पर भी हमला कर सकता है. इसमें अमेरिकी एफ-22 विमान से ज्यादा हथियार और ईंधन रखने की क्षमता है.
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एफ/ए-18 ई/एफ सुपर हॉर्नेट
वर्तमान में सुपर हॉर्नेट अमेरिकी नौसेना का सबसे काबिल लड़ाकू विमान है. यह विमानवाही युद्ध पोतों से उड़ान भर कर हवा और सतह पर मार कर सकता है. बोइंग कंपनी का बनाया यह विमान ऑस्ट्रेलिया में भी प्रमुख लड़ाकू विमान के रूप में सेवा दे रहा है. इसमें नए इंजिन लगाए गए हैं और ज्यादा मिसाइलें लगाई जा सकती हैं.
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यूरोफाइटर टाइफून
1986 में जर्मनी, इटली, यूके, और बाद में स्पेन ने मिल कर लड़ाकू विमान बनाने के लिए यूरोफाइटर कंसोर्टियम बनाया था. यह विमान उन्नत यूरोपीय मिसाइलों से लैस है और इसमें आधुनिक विमानन की उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है. माना जाता है कि एफ-22 रैप्टर की तुलना में इसकी मारक क्षमता आधी है हालांकि यह एफ-15, फ्रेंच रफाएल, सुखोई 27 जैसे कई और विमानों से काफी बेहतर है.
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राफाल
फ्रांस की दासो कंपनी ने इसे बनाया है जो फिलहाल वहां की वायु सेना और नौ सेना की सेवा में हैं. अत्याधुनिक तकनीकों से लैस इस विमान की फुर्ती बेजोड़ है. यह एक वक्त में 40 निशानों का पता लगाने के साथ ही उनमें से चार पर एक साथ वार कर सकता है. भारत ने इसी विमान के लिए फ्रांस की सरकार से सौदा किया है.
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सुखोई 35
रूस का यह विमान काफी तेज होने के साथ ही फुर्तीला भी है और लंबी रेंज के साथ ही ज्यादा ऊंचाई पर उड़ने और भारी संख्या में हथियारों को ले कर चल सकता है. इसके 12 डैनों में 8000 किलो तक हथियार ले जाने की क्षमता है. इसके बड़े और ताकतवर इंजन लंबे समय तक उड़ान भरने में मददगार हैं. रूस ने यह विमान सुखोई 27 और मिग 29 की जगह लेने के लिए बनाए हैं.
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एफ-15 ईगल
एफ-15 ईगल 30 साल से सेवा में है और यह अभी भी शत्रु की रक्षा पंक्ति को तोड़ने वाले विमानों में अग्रणी माना जाता है. इसने 100 से ज्यादा मारक हवाई हमले किए हैं और इसे शीत युद्ध के दौर का सबसे कामयाब लड़ाकू विमान माना जाता है. दुश्मन के इलाके में उड़ान भरते हुए भी यह उनके विमानों का पता लगाने और उन पर हमला करने में सक्षम है.
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मिग-31
नाटो के हवाई हमलों और क्रूज मिसाइलों से बचने के लिए सोवियत रूस ने इस विमान को बनाया था. इसकी रफ्तार तेज है और यह ऊंची उड़ान भर सकता है हालांकि ऐसा करने के क्रम में इसकी फुर्ती थोड़ी कम हो जाती है. दुश्मनों के जहाज को यह दूर से ही अपनी मिसाइलों से ध्वस्त कर देता है. रूसी हवाई सुरक्षा में अहम जिम्मेदारी आज भी इसी विमान की है.
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एफ-16 फाइटिंग फाल्कन
एफ 16 वास्तव में एफ-15 ईगल का ही हल्का और कम खर्चीला संस्करण है. एफ-15 से उलट यह हवा और जमीन दोनों जगहों पर वार कर सकता है. लॉकहीड मार्टिन ने बड़ी संख्या में यह विमान बनाए हैं और फिलहाल यह अमेरिका समेत 26 देशों की सेना में शामिल है. ये विमान छोटे और फुर्तीले हैं और इसका कॉकपिट पायलट को ज्यादा साफ देखने में मददगार है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/B. Schoonakker
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उन्होंने कहा कि चीन की परमाणु क्षमताओं को लेकर अमेरिका लगातार उसके संपर्क में है और साथ ही अपनी व अपने सहयोगियों की प्रतिरोधक क्षमताएं बनाए रखेगा.
चिंतित हैं प्रतिद्वन्द्वी
सोमवार को ही अमेरिका के निरस्त्रीकरण दूत रॉबर्ट वुड ने इस बात पर चिंता जताई थी कि चीन हाइपरसोनिक मिसाइल बना रहा है. उन्होंने कहा, "चीन हाइपरसोनिक मोर्चे पर जो कर रहा है उसे लेकर हम काफी चिंतित हैं."
चीन के क्षेत्रीय प्रतिद्वन्द्वियों में से एक, जापान ने कहा कि वह चीन के नए हथियार के खिलाफ अपनी सुरक्षा चाक-चौबंद करेगा. सोमवार को जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव हिरोकाजू मात्सुनो ने कहा कि यह एक नया खतरा है और जापान किसी भी हवाई खतरे को पकड़ने, ट्रैक करने और नष्ट करने की क्षमताएं बढ़ाएगा.
मात्सुनो ने कहा कि चीन लगातार ऐसे हाइपरसोनिक परमाणु हथियार विकसित कर रहा है, जो मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भेद सकें.
क्या होती है हाइपरसोनिक मिसाइल?
हाइपरसोनिक मिसाइल सामान्य बैलिस्टिक मिसाइल होती है जो ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा तेज जा सकती है. लेकिन बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में वे वातावरण में काफी कम ऊंचाई पर उड़ सकती हैं इसलिए उन्हें पकड़ पाना कठिन होता है.
अमेरिका पहले ही हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने पर काम कर रहा है. अमेरिकी सेना की वैज्ञानिक शाखा डार्पा ने हाल ही में हाइपर एयर-ब्रीदिंग वेपन कॉन्सेप्ट (HAWC) मिसाइल का सफल परीक्षण किया था. यह हवा में मौजूद ऑक्सीजन का इस्तेमाल ईंधन की तरह करती है.
देखिए क्या क्या है चीन के जखीरे में
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चीन ने 2019 में मध्यम दूरी तक मार करने वाली एक हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया था, जो 2,000 किलोमीटर तक जा सकती है और परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है.
जिस मिसाइल का परीक्षण अगस्त में होने का जिक्र है, वह एक ज्यादा ताकतवर मिसाइल बताई जा रही है. फाइनैंशल टाइम्स की खबर के मुताबिक यह मिसाइल पृथ्वी की कक्षा में जाकर वहां से लौटती है और तब लक्ष्य पर हमला करती है.
रूस ने भी हाल ही में एक हाइपरसोनिक मिसाइल जिरकॉन का परीक्षण किया था. वैसे 2019 से ही उसके पास परमाणु शक्ति संपन्न आवांगार्द हाइपरसोनिक मिसाइल हैं जो ध्वनि से 27 गुना तेज गति से उड़ सकती हैं और रास्ता व ऊंचाई भी बदल सकती हैं.