चीन की सरकारी समाचार एजेंसी के मुताबिक, देश की पुलिस ने इस साल इस ऑनलाइन धोखाधड़ी में शामिल 180 समूहों के खिलाफ कार्रवाई की.
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शिन्हुआ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल देश की पुलिस ने 180 ऐसे समूहों के खिलाफ कार्रवाई की, जो फर्जी सरकारी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर फर्जी घरेलू परियोजनाओं में निवेश के नाम पर लोगों से कई लाख डॉलर की उगाही करने में शामिल थे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने ऐसे 260 मामलों में कार्रवाई की है, जिनमें कुल 21 करोड़ डॉलर की धोखाधड़ी हुई है.
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सरकारी योजनाओं के नाम पर ठगी
इस धोखाधड़ी के तौर-तरीके के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि इसे अकसर विदेश से ऑनलाइन अंजाम दिया जाता है. ऐसे मामलों में आमतौर पर फर्जी सरकारी दस्तावेजों और सरकारी गरीबी उन्मूलन योजनाओं के नाम का इस्तेमाल करके आम नागरिकों से पैसे ठग लिए जाते हैं.
फर्जी स्कीमों के जरिए लोगों से मेंबरशिप या शुरुआती पूंजी निवेश के नाम पर पैसे ठगे जाते हैं जहां ऑनलाइन धोखेबाज अवैध रूप से अपने ब्रांड और लोगो का इस्तेमाल करके निवेशकों को नए उत्पादों पर आकर्षक रिटर्न के साथ धोखा देते हैं.
इस धोखाधड़ी में शामिल लोग आम नागरिकों को झूठा विश्वास दिलाने के लिए अकसर इन कंपनियों के ब्रांड और लोगो का अवैध रूप से इस्तेमाल करते हैं. वे लोगों से झूठा वादा करते हैं कि कथित परियोजनाओं में निवेश के बदले उन्हें मुनाफा मिलेगा.
हो जाइए सावधान, ये हैं साइबर फ्रॉड के नए तरीके
तकनीक तेजी से बदल रही है और साथ ही बदल रही है धोखाधड़ी करने की तकनीक भी. आजकल साइबर ठगों के निशाने पर बैंक खाते भी आ गए हैं और अनजान लिंक पर क्लिक करने भर से आपके पैसे गायब हो सकते हैं. यहां जानिए कैसे रह सकते हैं सतर्क.
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व्हाट्सऐप कॉल से फर्जीवाड़ा
अगर आपको व्हाट्सऐप पर किसी अनजान नंबर से वॉयस कॉल आती है तो आप सावधान हो जाइए क्योंकि फोन करने वाला आपको ठग सकता है. इस वारदात को अंजाम देने के बाद आपके नंबर को ब्लॉक कर सकता है. वॉयस कॉल करने वाला अपनी ट्रिक में फंसाकर आपके पैसे हड़प सकता है.
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यूपीआई
यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस के जरिए किसी को भी आसानी से पैसे भेजे या मंगाए जा सकते हैं. यूपीआई के जरिए ठग किसी व्यक्ति को डेबिट लिंक भेज देता है और जैसे ही वह उस लिंक पर क्लिक कर अपना पिन डालता है तो उसके खाते से पैसे कट जाते हैं. इससे बचने के लिए अनजान डेबिट रिक्वेस्ट को तुरंत डिलीट कर देना चाहिए. अजनबियों के लिंक भेजने पर क्लिक ना करें.
तस्वीर: DW
एटीएम क्लोनिंग
पहले सामान्य कॉल के जरिए ठगी होती थी लेकिन अब डाटा चोरी कर पैसे खाते से निकाले जा रहे हैं. ठग हाईटेक होते हुए कार्ड क्लोनिंग करने लगे हैं. एटीएम कार्ड लोगों की जेब में ही रहता है और ठग पैसे निकाल लेते हैं. एटीएम क्लोनिंग के जरिए आपके कार्ड की पूरी जानकारी चुरा ली जाती है और उसका डुप्लीकेट कार्ड बना लिया जाता है. इसलिए एटीएम इस्तेमाल करते वक्त पिन को दूसरे हाथ से छिपाकर डालें.
तस्वीर: Reuters/R.D. Chowdhuri
कार्ड के डाटा की चोरी
एटीएम कार्ड के डाटा की चोरी के लिए जालसाज कार्ड स्कीमर का इस्तेमाल करते हैं, इसके जरिए जालसाज कार्ड रीडर स्लॉट में डाटा चोरी करने की डिवाइस लगा देते हैं और डाटा चुरा लेते हैं. इसके अलावा फर्जी कीबोर्ड के जरिए भी डाटा चुराया जाता है. किसी दुकान या पेट्रोल पंप पर अगर आप अपना क्रेडिट कार्ड स्वाइप कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि कर्मचारी कार्ड को आपकी नजरों से दूर ना ले जा रहा हो.
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क्यूआर कोड स्कैम
क्यूआर यानि क्विक रिस्पांस कोड के जरिए जालसाज ग्राहकों को भी लूटने का काम कर रहे हैं. इसके जरिए मोबाइल पर क्यूआर कोड भेजा जाता है और उसे पाने वाला शख्स क्यूआर कोड लिंक को क्लिक करता है तो ठग उसके मोबाइल फोन का क्यूआर कोड स्कैन कर बैंक खाते से रकम निकाल लेते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Imaginechina/D. Qing
ई-मेल स्पूफिंग
ई-मेल स्पूफिंग के जरिए ठग ऐसी ई-मेल आईडी बना लेते हैं जो नामी गिरामी कंपनियों से मिलती-जुलती होती हैं और फिर सर्वे फॉर्म के जरिए लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर डाटा चुरा लेते हैं. गूगल सर्च के जरिए भी ठगी के मामले सामने आए हैं. जालसाज सर्च इंजन में जाकर मिलती जुलती वेबसाइट बनाकर अपना नंबर डाल देते हैं और अगर कोई सर्च इंजन पर कोई खास चीज तलाशता है तो वह फर्जी साइट भी आ जाती है.
अगर आप ऑनलाइन मैट्रिमोनियल साइट पर पार्टनर की तलाश कर रहे हैं तो जरा सावधान रहिए क्योंकि इसके जरिए भी ठगी हो रही है. गृह मंत्रालय के साइबर सुरक्षा विभाग के मुताबिक ऑनलाइन वैवाहिक साइट पर चैट करते वक्त निजी जानकारी साझा ना करें और साइट के लिए अलग से ई-मेल आईडी बनाएं और बिना किसी पुख्ता जांच किए निजी जानकारी साझा करने से बचें.
तस्वीर: picture-alliance
बैंक खातों की जांच
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि बैंक खातों की नियमित जांच करनी चाहिए और अस्वीकृत लेनदेन के बारे में तुरंत अपने बैंक को जानकारी देनी चाहिए.
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नौकरी का झांसा
कई जॉब पोर्टल संक्षिप्त विवरण को लिखने, विज्ञापित करने और जॉब अलर्ट के लिए फीस लेते हैं, ऐसे पोर्टलों को भुगतान करने से पहले, वेबसाइट की प्रमाणिकता और समीक्षाओं की जांच करना जरूरी है.
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सतर्कता जरूरी
ऑनलाइन लेनदेन करते समय मोबाइल फोन या कंप्यूटर पर किसी ऐसे लिंक को क्लिक ना करे जिसके बारे में आप सुनिश्चित ना हो. सॉफ्टवेयर डाउनलोड करते समय भी सुनिश्चित कर लें कि वेबसाइट वेरिफाइड हो.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Klose
बैंकों की जिम्मेदारी
साइबर अपराध को रोकने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी दिशा-निर्देश बनाए हैं जिनके तहत बैंकों को साइबर सुरक्षा के पैमाने को और सुधारना, ग्राहकों के डाटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना और साइबर अपराध रोकने के लिए बैंक ग्राहकों को जागरुक करना शामिल हैं.
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मुनाफे के नाम पर ठगी
पिछले महीने सिंगापुर सॉवरिन वेल्थ फंड टेमासेक होल्डिंग्स ने कहा था कि कुछ धोखाधड़ी करने वाले उसके शेनजन दफ्तर का प्रतिनिधित्व करने का दावा कर रहे थे. ठग, लोगों से निवेश के बदले कमीशन के साथ मुनाफा वापस लौटाने का वादा कर रहे थे.
चीन में इस समय ऑनलाइन धोखाधड़ी आम हो गई है, यह हाल तब है जब चीन अपनी अर्थव्यवस्था को तेज करने की कोशिश में जुटा हुआ है.
चीनी पुलिस ने इस साल म्यांमार से चल रहे ऑनलाइन फर्जीवाड़ों पर नकेल कसना शुरू किया, जहां हर दिन एक लाख से अधिक लोग फोन के जरिए होने वाली धोखाधड़ी में शामिल होते हैं. नवंबर में म्यांमार के अधिकारियों द्वारा 31,000 से अधिक ठगी करने वाले संदिग्धों को चीन को सौंपा था.
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भारत में भी ठगे जा रहे लोग
भारत में फोन के जरिए साइबर ठगी के मामले बहुत तेजी से बढ़े हैं. लोग ठगों के झांसे में आकर अपने पासवर्ड और अहम जानकारी साझा कर देते हैं और ऐसे में उनकी मेहनत की कमाई उड़ जाती है.
भारत में पहले सामान्य कॉल के जरिए ठगी होती थी लेकिन अब डाटा चोरी कर पैसे खाते से निकाले जा रहे हैं. ठग हाईटेक होते हुए कार्ड क्लोनिंग करने लगे हैं. एटीएम कार्ड लोगों की जेब में ही रहता है और ठग पैसे निकाल लेते हैं. एटीएम क्लोनिंग के जरिए कार्ड की पूरी जानकारी चुरा ली जाती है और उसका डुप्लीकेट कार्ड बना लिया जाता है.
यही नहीं क्यूआर यानि क्विक रिस्पांस कोड के जरिए जालसाज ग्राहकों को भी लूटने का काम कर रहे हैं. इसके जरिए मोबाइल पर क्यूआर कोड भेजा जाता है और उसे पाने वाला शख्स क्यूआर कोड लिंक को क्लिक करता है तो ठग उसके मोबाइल फोन का क्यूआर कोड स्कैन कर बैंक खाते से रकम निकाल लेते हैं.
इसके अलावा बिजली बिल के बहाने भी ठगी बहुत आम हो गई है. ठग लोगों को मैसेज भेजकर कहते हैं कि आपका बिजली बिल बकाया होने की वजह से कनेक्शन काट दी जाएगी. इसके बाद मैसेज में बताए गए नंबर पर फोन करने को कहा जाता है, फोन करने के बाद बताए गए नंबर पर पैसे ट्रांसफर करा लिए जाते और लोग धोखाधड़ी का शिकार हो जाते.
आमिर अंसारी (रॉयटर्स)
सर्वे: 24 फीसदी लोग मोबाइल में रखते हैं पासवर्ड
भारत में इंटरनेट की पहुंच बहुत तेजी से बढ़ी है और लोग भुगतान के लिए मोबाइल बैंकिंग से लेकर यूपीआई तक का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसी के साथ लोगों के साथ साइबर अपराध के मामले भी बढ़े हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/T. Topgyal
कहां रखते हैं पासवर्ड
लोकल्स सर्वे ने देशभर में एक सर्वे कर यह जानने की कोशिश की कि 2021 के बाद से वित्तीय डेटा की सुरक्षा के मोर्चे पर क्या बदला है. सर्वे में पाया गया कि 24 प्रतिशत लोग मोबाइल में पासवर्ड रखते हैं.
तस्वीर: Writing with Fire/Black Ticket Films
परिवार और दोस्तों के साथ साझा करते हैं पासवर्ड
लोकल्स सर्वे के मुताबिक 30 प्रतिशत भारतीयों ने कहा कि वे दोस्तों, परिवार और कर्मचारियों के साथ वित्तीय पासवर्ड जैसी महत्वपूर्ण जानकारी साझा करते हैं. 88 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने कई आवेदनों, सबूतों और बुकिंग के लिए अपना आधार कार्ड साझा किया है.
तस्वीर: Subrata Goswami /DW
मोबाइल में अहम जानकारियां
सर्वेक्षण में शामिल 8 फीसदी लोगों ने कहा कि वे मोबाइल फोन नोट्स में संवेदनशील जानकारी रखते हैं जबकि 9 फीसदी मोबाइल कॉन्टैक्ट लिस्ट में जानकारी रखते हैं.
तस्वीर: Sajjad Hussain/AFP/Getty Images
याद कर लेते हैं पासवर्ड
सर्वे में शामिल 14 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने अपने पासवर्ड को याद कर लिया है. जबकि 18 प्रतिशत लोगों के पास ऐसे विवरण उनके कंप्यूटर या लैपटॉप में रखे हुए हैं. 39 प्रतिशत लोग ऐसे महत्वपूर्ण व्यक्तिगत डेटा "कहीं और दूसरे तरीके से रखते हैं."
बढ़ते डेटा चोरी और वित्तीय धोखाधड़ी के बावजूद नए सर्वेक्षण से पता चलता है कि संवेदनशील वित्तीय जानकारी सेव करने के लिए अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है. सर्वे में शामिल 17 प्रतिशत लोगों ने ऐसा करने की बात स्वीकार की है.
तस्वीर: DW/P. Samanta
बढ़ रहे वित्तीय अपराध
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अप्रैल-सितंबर 2022 के लिए जारी एक रिपोर्ट में वित्तीय धोखाधड़ी के 5,406 मामले आने की बात कही थी. उसी रिपोर्ट के मुताबिक उससे पिछले साल की समान अवधि में ऐसे 4,069 मामले सामने आए थे.