अफ्रीका में चीनी निवेश को गलत समझा जा रहा है
२६ जून २०१९चीन की दोस्ती से घुटन महसूस करते जाम्बिया के लोग
चीन के बढ़ते निवेश से जाम्बिया के लोग अब परेशान होने लगे हैं. देश चीन के कर्ज में डूब चुका है और कई तरह का कारोबार चीनी निवेशकों के हाथ में कैद हो चुका है.
दोस्ती की रेल
तंजानिया-जाम्बिया रेलवे प्रोजेक्ट 1976 में पूरा हुआ और यह लंबे समय तक विदेशी धरती पर चीन का सबसे बड़ा निवेश बना रहा. इसे चीन की अफ्रीकी देशों के प्रति संवेदनशीलता की तरह पेश किया गया. लेकिन 1990 के दशक के बाद से इस प्रोजेक्ट में नाटकीय बदलाव हुए. अब इस ट्रैक की ट्रेनें यात्रियों से ज्यादा तांबे की ढुलाई करती हैं.
दोस्ती का नया दौर, नया प्रतीक
चीन की आर्थिक मदद से जाम्बिया में 321 किलोमीटर लंबा लुसाका-नडोला डबल लेन हाइवे बन रहा है. निर्माण चीन की कंपनी जियांशी कॉर्पोरेशन कर रही है. ठेका 1.2 अरब डॉलर का है, कर्ज चीन के एक्सिम बैंक ने दिया है. जाम्बिया के राष्ट्रपति एडगार लुंगु इस प्रोजेक्ट को "चीन और जाम्बिया की दोस्ती का नया दौर" बताते हैं.
महंगा सफेद हाथी
चीन के अथाह निवेश का एक और उदाहरण केनेथ कुआंडा इंटरनेशलनल एयरपोर्ट है. हवाई अड्डे के निर्माण का ठेका 36 करोड़ डॉलर है. इसके लिए भी चीन के एक्सिम बैंक ने जाम्बिया को कर्ज दिया है. कर्ज से चीनी निर्माण कंपनी जिआंगशी कॉर्पोरेशन का भुगतान किया जाएगा और फिर बैंक को लोन भी चुकाया जाएगा. जाम्बिया के कई लोग इसे फिजूलखर्ची वाला सफेद हाथी बता रहे हैं.
साइनो-जाम्बियन बैंकिंग सिस्टम
बैंक ऑफ चाइना ने पूरे जाम्बिया में कई शाखाएं खोल दी हैं. 2011 से बैंक चीनी मुद्रा युआन का कैश बिजनेस भी चला रहा है. बैंक जाम्बिया के बाजार में उतरने वाली चीनी कंपनियों को कर्ज देता है. आठ साल के ऑपरेशन के बावजूद यह नहीं पता है कि यह बैंक स्थानीय जाम्बियाई नागरिकों को कर्ज देता है या नहीं.
तांबे की खदानों पर फोकस
तांबा, जाम्बिया का अहम कच्चा माल है. देश इसी का निर्यात करता हैं. वहां स्विट्जरलैंड की ग्लेनकोर, कनाडा की फर्स्ट क्वांटम मिनरल्स एंड बैरिक और भारत की वेदांता जैसी कंपनियां सक्रिय हैं. लेकिन हाल के बरसों में चीन की कंपनियां तेजी से इस क्षेत्र में पैर फैला रही हैं. चामबिशी की खदान में चीन ने 83.2 करोड़ डॉलर का निवेश किया है.
गुप्त चीनी दुकानें
जाम्बिया में विदेशी सिर्फ होलसेल का कारोबार कर सकते हैं. खुदरा बाजार उनके लिए बंद है. लेकिन DW की जांच में पता चला कि राजधानी लुसाका में कई रिटेल दुकानों पर चीनी कारोबारियों का मालिकाना हक है. दुकान जाम्बियाई नागरिक चलाता है और चीनी मालिक बीच बीच में आकर पैसा जमा करता है. कागजों पर स्थानीय लोगों का ही नाम दर्ज होता है.
स्थानीय नौकरियां चट
राजधानी लुसाका के बाहरी इलाके में यह चिकन मार्केट है. दुकानदारों के मुताबिक मुर्गियां और उन्हें लाने वाले बड़े ट्रक चीनी निवेशकों के हैं. स्थानीय स्तर पर चीनी कारोबारियों के प्रति नाराजगी उपज रही है. सरकार यह मानने को तैयार नहीं है कि चीनी कारोबारी पोल्ट्री उद्योग और कृषि में घुसे हुए हैं. (रिपोर्ट: अबु बकर जालोह/ओएसजे)
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