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“बाहरी चुनौतियों के कारण” चीन के रक्षा बजट में भारी वृद्धि

६ मार्च २०२३

चीन ने अपने रक्षा बजट में भारी वृद्धि की है. एक संसदीय प्रवक्ता ने कहा कि यह वृद्धि “उचित व तार्किक” है और इसका मकसद “जटिल सुरक्षा चुनौतियों” का सामना करना है.

बीजिंग में चीन की नेशनल पीपल्स कांग्रेस
बीजिंग में चीन की नेशनल पीपल्स कांग्रेसतस्वीर: Jade Gao/AFP/Getty Images

चीन ने ऐलान किया है कि वह अपने रक्षा बजट में बढ़ोतरी करने जा रहा है. हालांकि यह नहीं बताया गया है कि कितनी वृद्धि होगी लेकिन नेशनल पीपल्स कांग्रेस के प्रवक्ता वांग चाओ ने कहा कि इसमें 7.2 फीसदी की वृद्धि का प्रस्ताव पेश किया गया है. वांग ने कहा कि एक महाशक्ति के रूप में चीन की जिम्मेदारियों को निभाने के लिए ऐसा करना आवश्यक है.

प्रस्ताव पेश करते हुए निवर्तमान प्रधानमंत्री ली केचियांग ने कहा, "बाहरी वातावरण में अनिश्चितताएं बढ़ रही हैं.” उन्होंने देश के सैन्य बल में विस्तार करने की भी जरूरत बताई और कहा कि सेना की "युद्घ के लिए तैयारियों में वृद्धि और सैन्य क्षमताओं को बेहतर बनाने” की जरूरत है ताकि "वे पार्टी और लोगों द्वारा उनमें सौंपी गई जिम्मेदारियों को पूरा कर सकें.”

चीन पहले भी अपनी सैन्य क्षमताओं को तेजी से मजबूत कर रहा है, जिसे लेकर विश्लेषक चिंतित रहे हैं. कई जानकारों का मानना है कि चीन की बढ़ती ताकत ताइवान के लिए बड़ा खतरा है, जो अपने आपको एक स्वतंत्र राष्ट्र मानता है. इसके अलावा दक्षिणी चीन सागर में अमेरिका और चीन के बीच जारी खींचतान के संदर्भ में भी चीनी रक्षा बजट में वृद्धि को एक नए प्रतीकात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है.

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हाल के सालों में चीन का रक्षा बजट तेजी से बढ़ा है. पिछले साल भी उसमें 7.1 फीसदी की वृद्धि हुई थी. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक 2021 में चीन ने अपनी जीडीपी का 1.7 फीसदी धन सेना पर खर्च किया था. दुनिया में सेना पर सबसे ज्यादा अमेरिका खर्च करता है. बीते साल उसकी जीडीपी का 3.5 प्रतिशत सैन्य क्षमताओं पर खर्च हुआ. पिछले साल चीन का रक्षा बजट 229 अरब डॉलर रहा था. उसके पास 20 लाख सैनिकों की विशाल सेना है जिस पर होने वाला खर्च पिछले करीब दो दशक से लगातार बढ़ रहा है. चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी थल सेना है. उसकी जल सेना भी दुनिया में सबसे बड़ी है.

चीन विदेशों में भी सैन्य अड्डे बनाने की योजना पर काम कर रहा है. अफ्रीका के जिबूती में उसका सैन्य अड्डा स्थापित हो चुका है जबकि कंबोडिया के रीम नेवल बेस का भी पुनर्निर्माण किया जा रहा है.

अर्थव्यवस्था को मजबूती का लक्ष्य

बीजिंग स्थित ग्रेट हाल में हो रही सालाना संसदीय बैठक में चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के लगभग तीन हजार प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं. इसमें नई सरकार के गठन और देश की राजनीतिक वह आर्थिक दिशा तय करने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई.

इसी दौरान प्रधानमंत्री ली केचियांग ने पद छोड़ने का भी ऐलान किया. इससे पहले उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था लगभग पांच फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है. पिछले साल चीन की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 5.5 फीसदी रहने का अनुमान था लेकिन लगभग तीन साल तक चली जीरो-कोविड नीति के कारण अर्थव्यवस्था ने भारी नुकसान झेला है और पिछले साल वृद्धि दर मात्र 3 फीसदी रही थी, जो 1976 के बाद दूसरी सबसे कम दर थी. 2020 में यह 2.2 फीसदी थी.

अर्थव्यवस्था को गति देने के मकसद से चीन की 2022 के मुकाबले इस साल और ज्यादा कर्ज बढ़ाने की योजना है. रविवार को पेश किए गए बजट में बजट घाटा करीब 3 फीसदी रहने की बात कही गई है. 2022 में यह 2.8 फीसदी था.

ली ने वैश्विक अर्थव्यवस्था और राजनीतिक दबाव में अनिश्चितता की चेतावनी देते हुए कहा, "इस साल आर्थिक स्थिरता को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है.”

ली केचियांग की विदाई

निवर्तमान प्रधानमंत्री ने कहा, "चीन को रोकने और दबाने के बाहरी प्रयास तेज हो रहे हैं. ” उन्होंने उपभोग बढ़ाने पर जोर दिया और कहा कि देश के शहरों में करीब सवा करोड़ नौकरियां पैदा करनी होंगी, जो कि पिछले साल के लक्ष्य से दस लाख ज्यादा हैं. उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य बेरोजगारी दर को साढ़े पांच फीसदी और मुद्रा स्फीति को तीन फीसदी के आसपास रखना है.

दो कार्यकालों के बाद 67 वर्षीय ली केचियांग सरकार से विदा हो रहे हैं. उनकी जगह शंघाई में पार्टी के नेता रह चुके ली कियांग लेंगे. नई नियुक्तियों को राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा अपनी जी-हुजूरी करने वाले लोगों को बढ़ावा देने के रूप में देखा जा रहा है. अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर रोरी ट्रूएक्स कहते हैं कि शी अपनी हां में हां मिलाने वालों का जमावड़ा जुटा रहे हैं.

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द चाइना प्रोजेक्ट से बातचीत में उन्होंने कहा, "अगर पार्टी के सर्वोच्च स्तरों पर वैकल्पिक सत्ता संरचना और सत्ता केंद्र नहीं हैं तो इसका अर्थ है कि शी को आलोचनात्मक आवाजें नहीं सुनाई देंगी. इससे उन्हें देश को जहां चाहें, उस दिशा में ले जाने की छूट मिल जाएगी. हम जानते हैं कि वह दिशा क्या हो सकती है.”

ट्रूएक्स ने कहा कि यह खतरनाक हो सकता है. उन्होंने कहा, "निजी तानाशाही बहुत बहुत खतरनाक हो सकती है. माओ त्से तुंग उसकी बड़ी मिसाल हैं.”

वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)

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