चीनी अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा चीनी नागरिकों को इस सप्ताह शुरू किए गए कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा के उल्लंघन पर सूचना के लिए एक लाख युआन या करीब 11 लाख रुपये इनाम मिल सकता है.
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चीन में विदेशी जासूसों या अन्य सुरक्षा उल्लंघनों को उजागर करने के लिए पुरस्कार देने का चलन सालों से मौजूद हैं. चीन के सरकारी अखबार के मुताबिक राज्य सुरक्षा मंत्रालय के एक प्रतिनिधि ने कहा कि नए नियमों का उद्देश्य विदेशी खुफिया एजेंसियों और अन्य शत्रुतापूर्ण ताकतों के बढ़ते खतरों से निपटने के लिए पुरस्कार देना और इसका मकसद जनता को प्रेरित करना है.
अखबार लीगल डेली ने मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से लिखा, "उपायों का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यों में समर्थन और सहायता के लिए आम जनता के उत्साह को पूरी तरह से जुटाने के लिए अनुकूल है, जो लोगों के दिल, मनोबल, ज्ञान और ताकत को व्यापक रूप से एकजुट करना है."
मंत्रालय ने अपने नोटिस में कहा सूचना देने वालों को नकद या फिर सर्टिफिकेट दिए जाएंगे. नकद इनाम 10 हजार युआन से लेकर एक लाख युआन तक जा सकता है. इनाम की राशि सूचना की गंभीर पर निर्भर करेगी.
लोग अपनी रिपोर्ट हॉटलाइन या वेबसाइट के जरिए दर्ज करा पाएंगे. पत्र के जरिए, खुद से जाकर या किसी अन्य प्रकार से भी ऐसा किया जा सकता है. अगर एक से ज्यादा व्यक्ति एक ही सूचना को देता है तो पहला व्यक्ति इनाम की कतार में सबसे आगे होगा लेकिन अन्य भी योग्य हो सकते हैं.
युद्ध के पक्के साथी जानवर
जीवन के दूसरे कई पहलुओं की ही तरह इंसान का जानवरों से युद्ध के मैदान में भी गहरा रिश्ता रहा है. कभी संदेश भेजने में तो कभी बम गिराने में, जानवरों ने इंसान के इशारे पर युद्धों में भी अहम भूमिका निभाई है.
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डॉल्फिन
सिटेशियन प्रजाति के डॉल्फिनों का इस्तेमाल दुनिया भर की नौसेनाएं समुद्रों की निगरानी के लिए करती आई हैं. उनकी सोनार शक्ति यानि ध्वनि तरंगें पैदा करने और उससे परिवर्तित कंपनों से किसी चीज का पता लगाने की क्षमता का इस्तेमाल पानी के नीचे मौजूद बारूदी सुरंगों का पता लगाने के लिए होता है, जिसे एकोलोकेशन कहते हैं.
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मधुमक्खी
नाराज होकर डंक मारने वाली मधुमक्खियां दुश्मनों के खिलाफ बहुत प्रभावी हथियार का काम करती है. प्राचीन काल में ग्रीक और रोमन योद्धा भी इनका इस्तेमाल करते थे. आधुनिक युद्धक हथियारों में इनकी काफी शांतिपूर्ण भूमिका है, जिसमें वे बारूदी सुरंगों का पता लगाती हैं.
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सी लायन
कैलिफोर्नियन सी लायन अमेरिकी नौसेना के उसी कार्यक्रम का हिस्सा हैं जिसमें डॉल्फिनों को रखा गया है. ये समुद्री स्तनधारी पानी के नीचे काम करने वाले जासूसों के तौर पर ट्रेन किए जाते हैं. ये माइनस्वीपर और स्काउट का काम भी करते हैं.
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चमगादड़
अमेरिकी नेवी में निशाचर प्राणियों को लेकर खास कार्यक्रम बना था, जिनमें से एक था बम बरसाने के लिए प्रशिक्षित चमगादड़ों का कार्यक्रम. लेकिन ट्रेनिंग में चमगादड़ों ने साथ नहीं दिया और विश्व युद्ध के समय अमेरिका की जापान पर चमगादड़ों से बम गिरवाने की योजना नहीं चल सकी.
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हाथी
धरती पर रहने वाले ये विशालकाय स्तनधारी हजारों सालों से सेना का हिस्सा रहे हैं. इसका सबसे पुराना प्रमाण आल्प्स में ईसापूर्व 218 में हानिबल मार्च में मिलता है. सेना में हाथियों का सबसे पहले इस्तेमाल भारत में हुआ माना जाता है.
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कुत्ते
इंसान का वफादार दोस्त कहलाने वाला कुत्ता सेना में भी कई तरह के काम करता है. बड़े आकार वाले खूंखार कुत्तों को तो दुश्मनों पर छोड़ा जा सकता है और वे अपनी सीमा की रक्षा भी करते हैं. आजकल इनका इस्तेमाल बमों का पता लगाने से लेकर संदेशवाहक, स्काउट और ट्रैकर के रूप में भी होता है.
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घोड़े
युद्ध के मैदान के जानवरों की सूची घोड़ों के बिना पूरी नहीं हो सकती. सैनिक संघर्षों में घोड़े बहुत पहले से शामिल रहे हैं. दुनिया की हर सभ्यता में घोड़ों का इस्तेमाल हुआ है. आधुनिक समय में उनकी जगह काफी हद तक टैंकों ने ले ली है.
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नए नियमों में कहा गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्यों की सूचना देने वाले की निजी सुरक्षा और परिवार को खतरा महसूस होने पर विटनेस प्रोटेक्शन प्रोग्राम को लागू किया जा सकता है.
इसी साल बीजिंग में जासूसी के आरोप में ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार चेंग लेई का मुकदमा शुरू किया गया था. चीन के सरकारी अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क सीजीटीएन की पूर्व एंकर रह चुकीं चेंग को करीब 19 महीनों से देश के गोपनीय दस्तावेज विदेश भेजने के आरोप में हिरासत में रखा गया है. चीन ने उन अपराधों के बारे में कोई और जानकारी नहीं दी है जिन पर चेंग द्वारा करने का संदेह है. चीन में पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर कई बार गंभीर आरोप लगाकर हिरासत में लिए जाने की भी खबरें आती रहती हैं.
एए/सीके (रॉयटर्स)
ताइवान में लोग क्यों ले रहे हथियार चलाने की ट्रेनिंग
यूक्रेन पर रूस के हमले से सबक लेते हुए ताइवान के लोग भी बंदूक चलाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं. उन्हें डर है कि जिस तरह से रूस ने यूक्रेन के साथ किया है कहीं चीन भी ताइवान के साथ न कर दे.
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ताइवान में भी युद्ध की आशंका
ताइवान के कई लोगों को अब इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक बड़ा पड़ोसी अपने छोटे पड़ोसी पर हमला कर सकता है. उनमें से कई लोगों का मानना है कि चीन ताइवान पर कभी भी हमला कर सकता है और ऐसे में चूंकि उसे अपने अस्तित्व के लिए लड़ना है, इसलिए बेहतर होगा कि अभी से तैयारी शुरू कर दी जाए. इसे ध्यान में रखते हुए कई लोगों ने पहले ही बंदूक प्रशिक्षण में दाखिला ले लिया है.
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ताइवान पर बढ़ता दबाव
चीन ताइवान को अपना इलाका मानता है और उसे अपने अधीन लाने का प्रण ले चुका है. रूस ने फरवरी में यूक्रेन पर हमला किया था तब से ताइवानियों के बीच बंदूक प्रशिक्षण में रुचि अभूतपूर्व दर से बढ़ी है. राजधानी ताइपेई के पास पोलर लाइट ट्रेनिंग सेंटर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मैक्स चियांग ने कहा कि बहुत से लोग जिन्होंने अपने जीवन में कभी बंदूक नहीं देखी है, वे इसका इस्तेमाल करना सीख रहे हैं.
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बंदूक के साथ लड़ना सीख रहे
पिछले तीन महीनों में ताइवान में सभी उम्र और व्यवसायों के लोगों में बंदूक प्रशिक्षण में रुचि बढ़ी है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक देश के टुअर गाइड से लेकर टैटू आर्टिस्ट तक लगभग हर कोई एक विशेष परिस्थिति के लिए तैयार रहने के लिए शूटिंग में कुशल होना चाहता है.
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नेता भी सहमे
यूक्रेन में जो हालात हैं उनसे ताइवान के नेताओं का एक बड़ा वर्ग भी चिंतित है. उनमें से कुछ ने तो युद्ध की तैयारी भी शुरू कर दी है. सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के एक नेता लिन पिंग-यू ने कहा कि अगर युद्ध छिड़ता है तो उसके लिए उन्होंने अपने परिवार के लिए आपातकालीन खाद्य आपूर्ति और बैट्री जमा कर ली है.
तस्वीर: Ann Wang/REUTERS
टैटू कलाकार भी मैदान में
चीन से खतरे के खिलाफ तैयारी करने वालों में 39 साल के टैटू कलाकार सु चुन भी हैं. वे एयर गन चलाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं. वे कहते हैं, "मैं युद्ध के कुछ कौशल सीखना चाहता हूं, जिसमें सिर्फ हथियार चलाने की ट्रेनिंग नहीं बल्कि किसी भी तरह की स्थिति पर प्रतिक्रिया देने की ट्रेनिंग शामिल हो."