अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सलीवन ने कहा है कि अगर चीन ने रूस की मदद की तो उसे भी गंभीर नतीजे भुगतने होंगे. सलीवन आज चीन के वरिष्ठ राजनयिक यांग जिएची से रोम में मिलने वाले हैं.
यूक्रेन युद्ध के विरोध में भारत में प्रदर्शनतस्वीर: Sanjeev Gupta/SOPA Images/ZUMA/picture alliance
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अमेरिका ने कहा है कि रूस की मदद चीन को भी भारी पड़ सकती है. अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सलीवन ने चीनी राजनयिक से रोम में होने वाली मुलाकात से पहले चेतावनी दी है कि यदि प्रतिबंधों से बचने में रूस की मदद की तो चीन को भी परिणाम भुगतने होंगे. सलीवन सोमवार को यांग जिएची से मिलकर उन्हें अमेरिकी चिंताओं से अवगत कराएंगे.
अमेरिका का कहना है कि रूस ने चीन से सैन्य उपकरण मांगे हैं. इस बारे में फाइनैंशल टाइम्स अखबार ने खबर छापी है. हालांकि चीन ने इसका खंडन किया है. पूछे जाने पर वॉशिंगटन स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंगयू ने कहा, "मैंने तो ऐसा कभी नहीं सुना.”
यूक्रेन युद्ध के बीच खूब याद किया जा रहा है शांति के प्रतीक कबूतर को
प्राचीन काल से कबूतर को शांति के प्रतीक के रूप में माना गया है. यूक्रेन में युद्ध छिड़ने के बाद यह चिड़िया एक बार फिर मित्रता और एकता की अहमियत की याद दिलाने वाला एक जरिया बन गई है. देखिए लोग कैसे इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
तस्वीर: Rolf Vennenbernd/dpa/picture alliance
यूक्रेन के लिए शांति की कामना
जर्मन कलाकार जस्टस बेकर ने फ्रैंकफर्ट में एक इमारत की बाहरी दीवार पर जैतून की एक शाख लिए एक कबूतर का विशाल चित्र बनाया है. जैतून की शाख को यूक्रेन के राष्ट्रीय रंगों नीले और पीले रंग में रंगा गया है. बेकर को यह म्यूरल बनाने में तीन दिन लगे. वो इसके जरिए यूक्रेन के साथ एकजुटता और शांति के लिए उम्मीद का संदेश देना चाहते हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa
सफेद और शुद्ध
प्राचीन काल से ऐसी मान्यताएं रही हैं कि कबूतरों में खास शक्तियां होती हैं. लोगों का मानना था कि इस चिड़िया के शरीर में पित्ताशय या गॉल ब्लैडर नहीं होता है इसलिए इसके व्यवहार में ना कटुता होती है और न दुष्टता. सफेद कबूतर यूनान में प्रेम की देवी एफ्रोडाइटी का साथी माना जाता है.
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बाइबल में उम्मीद का प्रतीक
बाइबल के अनुसार महाप्रलय के बाद अपनी नाव में 40 दिन बिताने के बाद नोआ ने पानी के बीच जमीन खोजने के लिए सबसे पहले कबूतरों को भेजा. जैतून की शाख लिए ये कबूतर न सिर्फ प्रलय के अंत का बल्कि भगवान के साथ फिर से शांति की स्थापना का प्रतीक थे.
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शांति का आइकॉन
पिकासो द्वारा बनाया कबूतर का चित्र 1950 के दशक में शांति आंदोलन का प्रतीक बन गया था और उसने विश्व इतिहास में अपनी जगह बना ली थी. उसके बाद पिकासो ने कई बार अपने चित्रों में कबूतर को दर्शाया और अपनी बेटी का नाम भी "पालोमा" रखा, जिसका स्पेनिश भाषा में अर्थ कबूतर होता है.
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भारत में भी कबूतर
पिकासो के चित्र ने जिन कलाकारों को प्रेरणा दी उनमें भारतीय शहर चंडीगढ़ का डिजाइन बनाने वाले आर्किटेक्ट ल कोर्बूजिए भी थे. उन्होंने शहर में यह कलाकृति बनाई, जिसमें एक खुली हथेली को एक कबूतर के आकार में दिखाया गया है. यह कलाकृति अंग्रेजी हुकूमत से भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक थी.
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शांति आंदोलन का प्रतीक
शांति प्रदर्शनों में इस्तेमाल होने वाले इस लोगो को 1970 के दशक में फिन्निश ग्राफिक डिजाइनर मीका लौनीस द्वारा ली गई एक कबूतर की तस्वीर से बनाया गया था. अब हर शांति प्रदर्शन में नीले झंडे दिखाए जाते हैं जिन पर यह लोगो बना होता है.
तस्वीर: Daniel Naupold/picture alliance/dpa
एक पुराना संदेश
यूक्रेन युद्ध के खिलाफ प्रतिक्रिया के रूप में जर्मन थिएटर कंपनी बर्लिनर औंसौम्ब्ल ने पिकासो के मशहूर चित्र के साथ इस झंडे को दर्शाया. इस झंडे को सबसे पहले 1950 के दशक में जर्मन थिएटर जगत के दिग्गज बेर्टोल्ट ब्रेक्ट ने स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में लगाया था. बर्लिनर औंसौम्ब्ल ब्रेक्ट की शांति की अपील को फिर से जीवित करना चाहता है और यूक्रेन के साथ एकजुटता दिखाना चाहता है.
तस्वीर: Jens Kalaene/dpa/picture alliance
युद्ध की क्रूरता
इस साल जर्मनी के शहर कोलोन में पारंपरिक रोज मंडे परेड को एक शांति रैली में बदल दिया गया, जिसमें 25,000 लोगों ने हिस्सा लिया. एक झांकी में खून से लथपथ एक कबूतर को और रूस के झंडे को उस कबूतर के आर पार दिखाया गया. (किम-आइलीन स्टरजेल, लैला अब्दल्ला)
तस्वीर: Rolf Vennenbernd/dpa/picture alliance
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लियू ने कहा कि यूक्रेन के मौजूदा हालात से चीन परेशान है. उन्होंने कहा, "हम इस संकट के शांतिपूर्ण हल के लिए हरसंभव प्रयास का समर्थन और प्रोत्साहन करते हैं. मुश्किल स्थिति के बावजूद रूस और यूक्रेन की एक शांतिपूर्ण हल तक पहुंचने के लिए पूरी मदद की जानी चाहिए.”
किसी देश को मदद नहीं करने देंगे
इससे पहले जेक सलीवन ने समाचार चैनल सीएनएन को रविवार को बताया कि रूस की यूक्रेन पर हमले की योजना के बारे में चीन पहले से जानता था, भले ही उसे योजना के विस्तार के बारे में पूरी जानकारी ना हो. उन्होंन कहा कि अमेरिका इस बात पर नजर बनाए हुए है कि चीन किस हद तक रूस की मदद करता है और अगर ऐसा हुआ तो चीन पर भी प्रतिबंध लगाए जाएंगे.
युद्ध के बीच यूक्रेन में ऐसी है जिंदगी
यूक्रेन में हो रही तबाही से जुड़ी सैकड़ों तस्वीरें बाहर आ रही हैं. खंडहर, जो कुछ दिनों पहले तक घर थे. जहां कल बाजार थे, वहां कंक्रीट का मलबा भरा है...ये सब तो फिर भी निर्जीव हैं. लाखों इंसान शरणार्थी बन गए हैं.
तस्वीर: Alexandros Avramidis/REUTERS
बर्बादी के दस्तावेज
8 मार्च को ली गई इस तस्वीर में खारकीव की एक क्षतिग्रस्त इमारत दिख रही है. सामने जहां मलबा पड़ा है, उसे गौर से देखिए. कुछ दिनों पहले तक यहां बच्चों के खेलने का मैदान था. उन दिनों की निशानी उस हरे-पीले झूले में खोजिए, जिसपर कुछ रोज पहले तक बच्चे मजे से फिसलते होंगे. अब उसी यूक्रेन के 10 लाख बच्चे शरणार्थी हो गए हैं.
तस्वीर: Sergey Bobok/AFP/Getty Images
आत्मरक्षा
रूस से जंग में नागरिक भी साथ हैं. 4 मार्च को पश्चिमी कीव में मोलोतोव कॉकटेल बना रही एक महिला. चेकपोस्ट बनाना, खंदक खोदना, टायर जमा करके उनपर किताबों के ढेर रखना, ताकि जरूरत पड़ने पर रूसी सैनिकों को चकमा देने के लिए उसे जलाकर काला धुआं पैदा किया जा सके...कीव की घेराबंदी कर रहे रूसी सैन्य काफिले से मुकाबले के लिए राजधानी में नागरिक बड़े स्तर पर तैयारियां कर रहे हैं.
तस्वीर: Lafargue Raphael/ABACA/picture alliance
मिलकर लड़ेंगे
राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की लगातार सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर नागरिकों का हौसला बढ़ा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से मदद मांग रहे हैं. आपने युद्ध पर बनी पीरियड फिल्में देखी हैं? जब सेनापति युद्ध में आगे रहता है, तो सेना का हौसला बना रहता है.
तस्वीर: Instagram/@zelenskiy_official/via REUTERS
ऑल फॉर वन
नागरिकों को युद्ध लड़ने की इमरजेंसी ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि रूसी सेना से लड़ने के लिए लोगों की कमी ना हो. यह तस्वीर राजधानी कीव के पश्चिम में बसे जेटोमेयर की है.
तस्वीर: Viacheslav Ratynskyi/REUTERS
चोट लगी है, टूटे नहीं हैं
9 मार्च को मारियोपोल के एक मैटरनिटी अस्पताल पर हमला हुआ. तस्वीर में एक महिला क्षतिग्रस्त इमारत के बाहर अपना सामान लिए खड़ी है. 12 दिनों से रूस ने इस शहर की घेराबंदी की हुई है. गोलीबारी में अब तक डेढ़ हजार से ज्यादा आम लोग मारे गए हैं. मारियोपोल काउंसिल ने अपने बयान में कहा है कि वे अपने शहर में मानवता के खिलाफ किए जा रहे अपराध को ना कभी भूलेंगे और ना इसके लिए रूस को कभी माफ करेंगे.
यह तस्वीर यूक्रेन के ओडेसा की है. 27 साल के विक्टर अनातोलेविच अपनी तीन बरस की बेटी को गोद में थामे अंडरग्राउंड शेल्टर में जा रहे हैं. जब बमबारी के लिए रूसी विमान आ रहे होते हैं, जब कोई मिसाइल दागी जा रही होती है, तो हमले का संकेत देने के लिए सायरन बजता है. लोग फौरन शेल्टरों की ओर भागते हैं. घंटों वहां दुबके रहना पड़ता है.
तस्वीर: Alexandros Avramidis/REUTERS
शरणागत
4 मार्च की इस तस्वीर में कीव सेंट्रल स्टेशन पर बचाव ट्रेन में चढ़ने की कोशिश करते लोग दिख रहे हैं. 24 फरवरी से अब तक करीब 25 लाख लोग शरणार्थी बन चुके हैं.
तस्वीर: Dimitar Dilkoff/AFP/Getty Images
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सलीवन ने कहा, "हम सीधे ही निजी तौर पर बीजिंग को सूचित कर रहे हैं कि अगर रूस को प्रतिबंधों से बचने में मदद की गई तो निश्चित तौर पर उसके परिणाम भुगतने होंगे. हम ऐसा किसी सूरत नहीं होने देंगे और दुनिया के किसी भी देश को रूस पर लगी पाबंदियों से बचने में मदद नहीं करने देंगे.”
चीन-अमेरिका बैठक
सलीवन सोमवार को ही चीनी अधिकारियों से मिलने वाले हैं. हालांकि यह बैठक पहले से तय थी और इसका मकसद अमेरिका और चीन की सरकारों के बीच संवाद बढ़ाना और दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच प्रतिद्वन्द्विता पर चर्चा करना है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाओ लीजियां ने कहा कि बैठक का उद्देश्य उस महत्वपूर्ण सहमति को लागू करना है जो चीनी राष्ट्रपति शी जिन पिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच नवंबर में हुई वर्चुअल बैठक में बनी थी.
बीजिंग स्थित एक थिंकटैंक के प्रमुख और चीन सरकार के सलाहकार वांग हुयाओ ने न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखे एक लेख में रविवार को कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध रोकने के लिए चीन रणनीतिक रूप से सटीक जगह पर है. वांग ने लिखा, "भले ही पश्चिम में कुछ लोगों को यह विचार अरुचिकर लगे लेकिन रूसी नेता को चीन की मदद से बाहर निकलने के लिए रास्ता दिया जाना चाहिए.”