चीनी अर्थव्यवस्था में दर्ज हुई वृद्धि
१७ जुलाई २०१७चीन यूरोप में एक बड़ा निवेशक बनकर उभरा है. चीन ने यूरोप में तमाम रणनीतिक और हाई टेक साझेदारियां की हैं. चीन का यूरोप में ये दखल उत्साहवर्धक भी है और चिंता में डालने वाला भी. एक नजर यूरोप में चीन के बड़े निवेश पर.
चीन के निवेश से घबराया यूरोप
चीन यूरोप में एक बड़ा निवेशक बनकर उभरा है. चीन ने यूरोप में तमाम रणनीतिक और हाई टेक साझेदारियां की हैं. चीन का यूरोप में ये दखल उत्साहवर्धक भी है और चिंता में डालने वाला भी. एक नजर यूरोप में चीन के बड़े निवेश पर..
कूका
चीन के चर्चित निवेशों में से एक है जर्मन रोबोटिक कंपनी कूका का अधिग्रहण. कूका को चीनी कंपनी मिडया ने 4.6 अरब यूरो में खरीदा है. इस सौदे में संवेदशनशील टेक्नोलोजी के आदान-प्रदान पर चिंता जताई गई थी लेकिन जर्मन सरकार ने इस सौदे को मंजूरी देते हुये कहा था कि इससे देशहित प्रभावित नहीं होंगे.
न्यूक्लिर प्रोजेक्ट
ब्रिटेन में भी चीन बड़ा निवेशक है. साल 2015 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ब्रिटेन यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच तकरीबन 54.6 अरब यूरो के सौदों पर हस्ताक्षर हुये थे. इनमें से एक निवेश था ब्रिटेन के विवादित न्यूक्लिर प्रोजेक्ट में चीन की फंडिग. फिलहाल ब्रिटेन के साथ चीन मुक्त व्यापार समझौते पर भी विचार कर रहा है.
तंगी का लाभ
आर्थिक तंगी से गुजर रहे ग्रीस में भी चीनी कंपनियां निवेश के अवसर खंगाल रही हैं. पिछले साल चीन की सरकारी कंपनी कोस्को ने ग्रीस के पायरियोस बंदरगाह को 36.85 करोड़ यूरो में खरीदा था. हालांकि कोस्को ने इसमें 35 करोड़ यूरो के अतिरिक्त निवेश का भी वादा किया है. इस बंदरगाह को एशिया, पूर्वी यूरोप और उत्तर अफ्रीका के प्रवेश द्वार के रूप में देखा जाता है.
अधिग्रहण
चीन की सरकारी कंपनी कैमचाइना ने 38 अरब यूरो में स्विस कीटनाशक कंपनी सिंगेंटा का अधिग्रहण किया. यह चीन का यूरोप में सबसे बड़ा सौदा है. सिंगेंटा एजी एक स्विस कंपनी है जो एग्रोकेमिकल्स और बीज तैयार करती है. एक बायोटेक्नोलॉजी कंपनी होने के नाते यह जिनोमिक रिसर्च भी करती है.
बढ़ता प्रभाव
चीन का निवेश सिर्फ पश्चिमी यूरोप तक ही सीमित नहीं है बल्कि चीन ने मध्य और पूर्वी यूरोप के देशों पर भी ध्यान दिया है. इसी रणनीति के तहत चीन ने चेक गणराज्य में अरबों यूरो का निवेश किया है. चेक एयरलाइन, वहां की ब्रुयरी और फुटबाल टीम में भी चीन ने हिस्सेदारी हासिल कर ली.
रद्द समझौते
हालांकि यूरोप और अमेरिका में तमाम नियामकीय बाधाओं के चलते चीन के कई सौदे रद्द भी हुये हैं. कानूनी फर्म बेकर मैकेंजी और रोडियम समूह की एक स्टडी मुताबिक पिछले साल 75 अरब डॉलर के तकरीबन 30 सौदों को नियामक कार्रवाई और विदेशी मुद्रा प्रतिबंधों के कारण छोड़ दिया गया.
घबराहट
चीन के साथ जिन सौदों पर बात नहीं बन पाई और जो सौदे रद्द हो गये वे चीनी निवेश के कारण यूरोप में बढ़ती घबराहट को भी दर्शाते हैं. संवेदनशील तकनीकों से जुड़े विदेशी अधिग्रहण की जांच के लिए यूरोपीय संघ के पास अमेरिका जैसी विदेशी निवेश समिति नहीं है. यहां यूरोपीय पक्ष की हताशा आंशिक तौर पर चीन-ईयू के निवेश असंतुलन से जुड़ी हुई है.
आर्थिक पुनर्रचना
विनिर्माण क्षेत्र में चीन की रणनीति भी यूरोप के लिए चिंता का सबब है. चीन की "मेड इन चाइना 2025" रणनीति का मकसद अर्थव्यवस्था को श्रम-आधारित और निम्न उत्पादन से उच्च विनिर्माण की ओर बढ़ाना है. यूरोप को चिंता है कि चीन के अधिग्रहण सौदे के जरिए लंबी अवधि में सारी प्रमुख औद्योगिक टेक्नोलोजी चीन के हाथों में चली जाएगी. (रिपोर्ट- श्रीनिवास मजूमदारु/एए)