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क्या उत्तर कोरिया को काबू में कर सकता है चीन?

२३ नवम्बर २०२२

अमेरिका चाहता है कि चीन उत्तर कोरिया को परमाणु हथियारों के परीक्षणों से रोके लेकिन क्या चीन के लिए ऐसा कर पाना संभव है? सवाल यह भी है कि क्या क्या सचमुच चीन ऐसा करना भी चाहता है.

शी जिनपिंग और किम जोंग उन
चीन उत्तर कोरिया का सहयोगी है लेकिन उस पर कितना असर रखता है यह नहीं कहा जा सकतातस्वीर: Yonhap/picture alliance

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले हफ्ते चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से पूछा कि क्या वो उत्तर कोरिया नये परमाणु हथियार का परीक्षण रोकने पर बात करने की कोशिश करेंगे. इसके साथ ही बाइडेन ने यह भी कहा कि वह नहीं जानते कि चीन के पास यह क्षमता है या नहीं.  उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों और मिसाइलों का जखीरा तैयार कर रहा है ताकि जिनमें पूरे एशिया और अमेरिका पर हमला करने की क्षमता है. ऐसे में अपने पुराने सहयोगी पर लगाम लगाने की चीन की क्षमता पर सवाल खासतौर से अहम हो गया है.

हालांकि अमेरिका और चीन के बीच भी तनाव बढ़ रहा है, खासतौर से ताइवान को लेकर. ऐसे में सवाल सिर्फ चीन की उत्तर कोरिया को प्रभावित करने की क्षमता ही नहीं, इच्छा पर भी है. अमेरिका से एक उपयोगी बफर के रूप में इस्तेमाल हो रहे उत्तर कोरिया पर लगाम कसने में चीन की कितनी दिलचस्पी लेगा यह भी समझने की कोशिश हो रही है.

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इंडो पैसिफिक में अमेरिका को चुनौती

पूर्व अमेरिकी अधिकारी और अब फाउंडेशन फॉर डिफेंस डेमोक्रेसीज से जुड़े क्रेग सिंगल्टन कहते हैं, "चीन के परिप्रेक्ष्य में उत्तर कोरिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका को चुनौती देने के लिए ताकत बढ़ाने वाले के रूप में काम कर सकता है. सामान्य रूप से देखिये, जितने ज्यादा देश इंडो पैसिफिक में अमेरिकी नेतृत्व वाली सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देंगे या जटिल बनाएंगे, उतना अच्छा होगा."

उत्तर कोरिया ने बीते हफ्ते शुक्रवार को इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया. यह वो समय था जब एशिया पैसिफिक इकोनॉमिक कॉर्पोरेशन फोरम के नेता बैंकॉक में जमा थे. हाल के परीक्षणों से यह आशंका तेज हुई है कि 2017 के बाद उत्तर कोरिया एक बार फिर परमाणु हथियारों का परीक्षण करने की तैयारी में है. शुक्रवार के परीक्षण से पहले ही बाइडेन ने जब इंडोनेशिया में शी से मुलाकात की तो उन्हें यह बता दिया कि उत्तर कोरिया के हथियारों का विकास इलाके में अमेरिका की मौजूदगी और बढ़ाएगा.

उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षणों ने कोरियाई प्रायद्वीप में हलचल मचा दी हैतस्वीर: KCNA/KNS/AP/picture alliance

चीन अपने पड़ोस में परमाणु हथियारों से लैस उत्तर कोरिया नहीं देखना चाहता. ना ही वह यह चाहता है कि अमेरिका के परमाणु हथियार इलाके में तैनात हों. हालांकि अमेरिकी सेना की मौजूदगी के विस्तार ने चीन की दूसरी प्राथमिकताओं को भी ज्यादा अहम बना दिया है. वॉशिंगटन में उत्तर कोरिया प्रोजेक्ट, नॉर्थ 38 की जेनी टाउन का कहना है, "वो अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान को एक सुरक्षा संगठन बनाते देख रहे हैं. ऐसे में इसका जवाब देने के लिए उन्हें भी एक संगठन चाहिए, जिसमें उत्तर कोरिया शामिल होगा. उत्तर कोरिया के खिलाफ सख्ती का कोई भी फैसला इस लिहाज से परखा जाना चाहिए कि कहीं वह उनके लिए अपने सुरक्षा सहयोगी से रिश्ते गहरे करने का कारण ना बने."

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चीन का कितना नियंत्रण

1950-53 के बीच हुए कोरियाई युद्ध में चीन उत्तर कोरिया की ओर से लड़ा था और उसके बाद से ही आर्थिक और कूटनीतिक रूप से उसकी मदद कर रहा है. लेकिन इस शासन पर उसका असर बहुत सीमित है. सोल की योनसेई यूनिवर्सिटी में चाइनीज स्ट्डीज के प्रोफेसर जॉन डेलुरी कहते हैं, "अमेरिकी लोगों ने उत्तर कोरिया पर चीन के असर को ज्यादा आंक लिया है."

 उत्तर कोरिया कई सालों से प्रतिबंधों का सामना करके कभी हथियारों का विकास कर रहा है क्योंकि उसका मानना है कि अमेरिका वहां सत्ता परिवर्तन कराना चाहता है और उसे अपनी रक्षा करनी है. यहां तक कि कोविड की महामारी के दौरान स्वघोषित अलगाव के सालों में भी उत्तर कोरिया ने हथियारों पर अपना काम जारी रखा.

डेलुरी पूछते हैं, "चीन क्या करेगा? उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाएगा, जिसने खुद को कोविड के कारण तीन साल तक दुनिया से काट लिया था और मिसाइलों का परीक्षण करता रहा? मुद्दा यह है कि चीन उत्तर कोरिया को नियंत्रित नहीं करता."

अमेरिका और चीन के बीच भी ताइवान की वजह से तनातनी हैतस्वीर: Saul Loeb/AFP/Getty Images

हालांकि फिर भी अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चीन उत्तर कोरिया के नियमित संपर्क में है. चीन उसे इलाके को चिंता में डालने और परमाणु महत्वाकांक्षाओं के प्रदर्शन को रोकने के लिए समझा सकता है. अमेरिका अधिकारी ने कहा, "हम जरूर सोचते हैं कि चीन की एक भूमिका है. निश्चित रूप से यह हमारी कूटनीति में शामिल होगा कि चीन को अपना असर इस्तेमाल करने के लिए रजामंद करें."

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चीन के विदेश मंत्रालय ने उत्तर कोरिया के "वाजिब चिंताओं" का हवाला दे कर एक "संतुलित समाधान" की मांग की है जिसमें एक तरफ परमाणु निरस्त्रीकरण को बढ़ावा दिया जाए और साथ ही कोरियाई प्रायद्वीप में शांति व्यवस्था लागू हो. चीन की नीति के बारे में समाचार एजेंसी रॉयटर्स के पूछे एक सवाल के जवाब में मंत्रालय ने कहा, "चीन हमेशा से प्रायद्वीप में शांति और स्थिरता के प्रति समर्पित रहा है. वह सभी पक्षों के साथ मिल कर काम करना चाहता है."

प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक एंड इंटरनेशनल अफेयर्स में विजिटिंग रिसर्च स्कॉलर तोंग जाओ का कहना है कि अगर उत्तर कोरियाई नेता किन जोंग उन अपने प्रतिरोध को विकसित करने के लिए परमाणु परीक्षण करने पर आमादा हैं तो उन्हें रोकने की कम ही गुंजाइश है.

जाओ ने कहा, "अगर उत्तर कोरिया को परीक्षण करने की तकनीकी जरूरत है तो मुझे नहीं लगता कि चीन सचमुच इस तरह की गतिविधियों को रोक सकता है. ज्यादा से ज्यादा चीन इन परीक्षणों में देरी ही करवा सकता है."

एनआर/वीके (रॉयटर्स)

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