पैसिफिक में मात के बावजूद बढ़ रहे हैं चीन के हौसले
विवेक कुमार
३ जून २०२२
चीन को पैसिफिक देशों के साथ समझौता करने में कामयाबी नहीं मिली. लेकिन उसके हौसले लगातार बढ़ रहे हैं और वे कामयाब भी हो रहे हैं.
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इसी हफ्ते कनाडा की सेना ने आरोप लगाया है कि चीन के लड़ाकू विमान अंतरराष्ट्रीय समुद्र में उसके विमानों से उलझने की कोशिश कर रहे हैं. उत्तर कोरिया की निगरानी में तैनात कनाडाई विमानों ने यह शिकायत की है.
कनाडा ने कहा है कि उत्तर कोरिया को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के उल्लंघन से रोकने के लिए निगरानी करने वाले उसके विमानों को चीन की सेना परेशान कर रही है. कनाडा की सेना का कहना है कि कई बार चीनी विमान उसके विमानों के रास्ते में आ गए जिस कारण उन्हें अपना रास्ता बदलना पड़ा.
कनाडा की सेना का आरोप है कि 26 अप्रैल से 26 मई के बीच पीपल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स के विमानों ने कई बार रॉयल कनेडियन एयर फोर्स के सीपी-140 औरॉरा पट्रोलिंग एयरक्राफ्ट का रास्ता रोका. बुधवार को जारी एक बयान में कनाडा की सेना ने कहा कि एक महीने के भीतर ऐसा एक से ज्यादा बार हुआ.
भारत और चीन की सैन्यशक्ति की तुलना
पड़ोसी और प्रतिद्वन्द्वी भारत और चीन की सैन्य ताकत को आंकड़ों के आधार पर समझा जा सकता है. यूं तो भारत चीन से सिर्फ एक कदम पीछे, दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है लेकिन शक्ति में अंतर बड़ा है.
तस्वीर: Xinhua/imago Images
भारत और चीन की तुलना
थिंकटैंक ग्लोबल फायर पावर ने चीन को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति माना है और भारत को चौथी. यह तुलना 46 मानकों पर परखने के बाद की गई है, जिनमें से 38 में चीन भारत से आगे है.
तस्वीर: Manish Swarup/AP/picture alliance
सैनिकों की संख्या
चीन के पास 20 लाख से ज्यादा बड़ी सेना है जबकि भारत की सेना में 14 लाख 50 हजार जवान हैं. यानी चीन की सेना साढ़े पांच लाख ज्यादा जवानों के साथ मजबूत है.
तस्वीर: Ding Kai/Xinhua/picture alliance
अर्धसैनिक बल
भारत में 25 लाख 27 हजार अर्धसैनिक बल हैं जबकि चीन में मात्र छह लाख 24 हजार. यानी भारत 19 लाख तीन हजार अर्धसैनिक बलों के साथ हावी है.
तस्वीर: Sourabh Sharma
रक्षा बजट
भारत रक्षा मद में 70 अरब डॉलर यानी लगभग साढ़े पांच लाख करोड़ रुपये खर्चता है. इसके मुकाबले चीन का बजट तीन गुना से भी ज्यादा यानी लगभग 230 अरब डॉलर है.
तस्वीर: Stringer/ Photoshot/picture alliance
लड़ाकू विमान
चीन के पास 1,200 लड़ाकू विमान हैं जबकि भारत के पास 564. चीन के पास कुल विमान भी ज्यादा हैं. भारत के पास कुल 2,182 विमान हैं जबकि चीन के पास 3,285.
तस्वीर: Nie Haifei/Xinhua/picture alliance
टैंक
भारत के पास 4,614 टैंक हैं जो चीन के 5,250 टैंकों से कम हैं. बख्तरबादं गाड़ियां भी चीन के पास ज्यादा हैं. उसके पास 35,000 बख्तरबंद गाड़ियां हैं जबकि भारत के पास 12,000.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
विमानवाहक युद्धक पोत
भारत के पास सिर्फ एक विमानवाहक पोत है जबकि चीन के पास दो. भारत के पास 10 डिस्ट्रॉयर जहाज हैं और चीन के पास 41.
तस्वीर: Zuma/picture alliance
पनडुब्बियां
भारत के पास 17 पनडुब्बियां हैं और चीन के पास 79.
तस्वीर: Xinhua/imago Images
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कनाडा ने कहा, "इस संपर्क के दौरान चीनी विमान ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा नियमों का पालन नहीं किया. यह संपर्क गैर-पेशेवराना है और/या हमारी वायु सेना के अफसरों की सुरक्षा को खतरे में डालने वाला है.” बयान में बताया गया कि कुछ मामलों में तो उसके वायुसैनिकों को इतना ज्यादा खतरा महसूस हुआ कि उन्हें एकाएक रास्ता बदल लेना पड़ा ताकि कहीं टक्कर ही ना हो जाए.
चीन ने अभी इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है. कनाडाई सेना ने कहा कि ये संपर्क और इनकी बढ़ती संख्या चिंता का विषय हैं. कनाडा की वायु सेना संयुक्त राष्ट्र की इजाजत से उत्तर कोरिया पर प्रतिबंधों का पालन कराने वाले अभियान का हिस्सा है.
ऑपरेशन नियोन
कनाडा जिस मिशन की बात कर रहा है, उसका नाम ऑपरेशन नियोन है. इस अभियान के तहत सैन्य जहाज, विमान और सुरक्षाबलों को समुद्र में निगरानी के लिए तैनात किया जाता है. इस तैनाती का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि प्रतिबंधित सामान की आवाजाही या लेनदेन ना हो. वे देखते हैं कि उत्तर कोरिया का कोई जहाज समुद्र के बीच में भी किसी अन्य जहाज से सामान का आदान प्रदान तो नहीं कर रहा है.
चीन लगातार उत्तर कोरिया से सहानुभूति दिखाता रहा है. पिछले हफ्ते भी उत्तर कोरिया पर ताजा प्रतिबंध लगाने का एक प्रस्ताव चीन और रूस ने सुरक्षा परिषद में वीटो कर दिया था. अमेरिका के नेतृत्व में यह प्रस्ताव उत्तर कोरिया के लगातार किए जा रहे मिसाइल परीक्षणों के विरोध में था जिसे चीन और रूस ने रोक दिया.
सबसे शक्तिशाली देश
सक्रिय सैन्य शक्ति के विभिन्न मानकों जैसे सैनिकों की संख्या, कुदरती संसाधन, एयरपोर्ट और बजट आदि पर परखने के बाद थिंक टैंक 'ग्लोबल फायर पावर' ने सबसे शक्तिशाली देशों की सूची बनाई है. टॉप 10 देश हैं...
तस्वीर: Eraldo Peres/AP/picture alliance
सबसे शक्तिशाली है अमेरिका
अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश है. उसका रक्षा बजट 801 अरब डॉलर का है. उसके पास करीब 14 लाख से ज्यादा सैनिक हैं, जो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना है.
तस्वीर: U.S. Army/ZUMA Press Wire Service/picture alliance
रूस
विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सैन्य ताकत रूस के पास 10 लाख से ज्यादा सैनिकों की जमात है. उसके पास हथियारों का विशाल जखीरा है.
तस्वीर: Sefa Karacan/AA/picture alliance
चीन
चीन को सैन्य शक्ति के रूप में तीसरे नंबर पर रखा गया है. उसकी सेना दुनिया में सबसे बड़ी है. चीन के पास लगभग 22 लाख सक्रिय सैनिक हैं.
तस्वीर: Yang Pan/Xinhua/picture alliance
भारत
कुल सैन्य शक्ति में भारत चीन से थोड़ा ही पीछे माना गया है. चौथे नंबर की शक्ति भारत के पास परमाणु हथियारों का भी फायदा है.
जापान के पास सैनिकों की संख्या भले ही ज्यादा ना हो लेकिन वह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है, अपनी तकनीक और हथियारों के बल पर. उसके पास एक हजार के करीब तो लड़ाकू विमान हैं. 2021 में उसका रक्षा बजट दुनिया में छठा सबसे बड़ा था.
तस्वीर: The Yomiuri Shimbun/AP/picture alliance
दक्षिण कोरिया
उत्तर कोरिया से युद्ध का खतरा झेलना वाला दक्षिण कोरिया भी बड़ी सैन्य शक्ति के रूप में तैयार है. उसके पास करीब छह लाख सक्रिय जवान हैं, जो दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी सेना बनाते हैं.
तस्वीर: Kim Jae-Hwan/AFP
फ्रांस
फ्रांस हथियारों के निर्माण में सबसे बड़े देशों में से एक फ्रांस के आधुनिक हथियार उसे सातवीं सबसे बड़ी शक्ति बनाते हैं.
तस्वीर: abaca/picture alliance
ब्रिटेन
रक्षा बजट के मामले में टॉप 5 देशों में शामिल ब्रिटेन की सेना दुनिया की सबसे पुरानी सेनाओं में से एक है. हालांकि उसके पास सक्रिय जवानों की बहुत बड़ी संख्या नहीं है लेकिन परमाणु और अन्य आधुनिक हथियार उसे ताकत देते हैं.
तस्वीर: Andrew Matthews/PA Images/imago images
पाकिस्तान
भारत का पड़ोसी और प्रतिद्वन्द्वी पाकिस्तान नौवें नंबर पर है. उसके पास भी परमाणु हथियार हैं जो उसे शक्तिशाली देशों में शामिल करते हैं.
तस्वीर: Anjum Naveed/AP/picture alliance
ब्राजील
ब्राजील दुनिया का दसवां सबसे ताकतवर देश माना गया है. उसके पास चार लाख से कम सक्रिय सैनिक हैं और विदेशों से खरीदे व घरेलू स्तर पर बनाए गए उसके ताकतवर हथियार उसकी ताकत हैं.
तस्वीर: Eraldo Peres/AP/picture alliance
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चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्त जाओ लीजियान ने बुधवार को साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों को बताया, "मौजूदा हालात में प्रतिबंधों को बढ़ाना समस्या का हल नहीं है.” चीन और रूस की वायु सेनाओं ने पिछले हफ्ते जापान सागर, पूर्वी चीन सागर और पश्चिमी प्रशांत सागर में एक साझा अभ्यास भी किया था. यूक्रेन पर रूस द्वारा सैन्य कार्रवाई शुरू किए जाने के बाद अपनी तरह का यह पहला अभियान था.
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हिंद-प्रशांत में चीन की कोशिशें
चीन हिंद-प्रशांत में सैन्य और कूटनीतिक दोनों ही तरह की गतिविधियां लगातार बढ़ा रहा है. पिछले हफ्ते ही चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने दस पैसिफिक देशों को मिलाकर एक अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौता करने की कोशिश की थी जिसमें उसे कामयाबी नहीं मिल पाई है.
वांग यी ने पिछले हफ्ते आठ पैसिफिक देशों का दौरा किया था. शनिवार को वह फिजी के अपने दौरे पर पहुंचे थे. फिजी के प्रधानमंत्री फ्रैंक बैनिमारामा ने चीन द्वारा प्रस्तावित समझौते को पैसिफिक देशों द्वारा नकार दिए जाने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि पैसिफिक देश इस बात पर एकमत हैं. वांग यी के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, "हमेशा की तरह, हमने किसी भी समझौते के लिए आम सहमति को प्राथमिकता दी है. फिजी द्विपक्षीय संबंधों के लिए हमेशा नई गुंजाइशों की तलाश में रहेगा. जब तक हम मिल जुलकर अपने लोगों की चुनौतियों का समाधान नहीं खोजेंगे, चुनौतियां बढ़ती जाएंगी.”
चीन के लिए यह एक बड़ा झटका है क्योंकि बीते दिनों हीअमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 11 पैसिफिक देशों को मिलाकर जापान में एक व्यापार समझौते का ऐलान किया था. उसके बाद वांग यी इस समझौते को लेकर खासे उत्सुक थे. फिजी में चीन के राजदूत कियान बो ने कहा कि कुछ प्रशांत देशों को प्रस्तावों के कुछ तत्वों पर आपत्तियां थीं. उन्होंने बताया, "ये दस देश, जिनके साथ हमारे कूटनीतिक संबंध हैं, आमतौर पर समर्थन करते हैं लेकिन कुछ विशेष मुद्दों पर उनकी कुछ चिंताएं हैं.”
कितने परमाणु हथियार हैं दुनिया में और किसके पास
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के तीन दिन बाद ही परमाणु हथियारों को भी हाई अलर्ट पर रखने का हुक्म दिया. रूस के पास कुल कितने परमाणु हथियार हैं. रूस के अलावा दुनिया में और कितने परमाणु हथियार है?
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
कितने परमाणु हथियार
स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान यानी सीपरी हर साल दुनिया भर में हथियारों के बारे में रिपोर्ट तैयार करती है. सीपरी के मुताबिक 2021 की शुरुआत में दुनिया भर में कुल 13,080 परमाणु हथियार मौजूद थे. इनमें से 3,825 परमाणु हथियार सेनाओं के पास हैं और 2,000 हथियार हाई अलर्ट की स्थिति में रखे गए हैं, यानी कभी भी इनका उपयोग किया जा सकता है. तस्वीर में दिख रहा बम वह है जो हिरोशिमा पर गिराया गया था.
तस्वीर: AFP
किन देशों के पास है परमाणु हथियार
सीपरी के मुताबिक दुनिया के कुल 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं. इन देशों में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राएल और उत्तर कोरिया के नाम शामिल हैं. दुनिया में परमाणु हथियारों की कुल संख्या में कमी आ रही है हालांकि ऐसा मुख्य रूप से अमेरिका और रूस के परमाणु हथियारों में कटौती की वजह से हुआ है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
उत्तर कोरिया
डेमोक्रैटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया यानी उत्तर कोरिया ने 2006 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. वर्तमान में उसके पास 40-50 परमाणु हथियार होने का अनुमान है.
तस्वीर: KCNA/KNS/AP/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण कब किया इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. फिलहाल इस्राएल के पार 90 परमाणु हथियार होने की बात कही जाती है. इस्राएल ने भी परमाणु हथियारों की कहीं तैनाती नहीं की है. तस्वीर में शिमोन पेरेज नेगेव न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर नजर आ रहा है. इस्राएल ने बहुत समय तक इसे छिपाए रखा था.
तस्वीर: Planet Labs Inc./AP/picture alliance
भारत
भारत के परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 156 हथियार हैं जिन्हें रिजर्व रखा गया है. अब तक जो जानकारी है उसके मुताबिक भारत ने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है. भारत ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण 1974 में किया था.
तस्वीर: Indian Defence Research and Development Organisation/epa/dpa/picture alliance
पाकिस्तान
भारत के पड़ोसी पाकिस्तान के पास कुल 165 परमाणु हथियार मौजूद हैं. पाकिस्तान ने भी अपने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है और उन्हें रिजर्व रखा है. पाकिस्तान ने 1998 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
ब्रिटेन
ब्रिटेन के पास मौजूद परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 225 हथियार है. इनमें से 120 परमाणु हथियारों को ब्रिटेन ने तैनात कर रखा है जबकि 105 हथियार उसने रिजर्व में रखे हैं. ब्रिटेन ने पहला बार नाभिकीय परीक्षण 1952 में किया था. तस्वीर में नजर आ रही ब्रिटेन की पनडुब्बी परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
फ्रांस
फ्रांस ने 1960 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था और फिलहाल उसके पास 290 परमाणु हथियार मौजूद हैं. फ्रांस ने 280 परमाणु हथियारों की तैनाती कर रखी है और 10 हथियार रिजर्व में रखे हैं. यह तस्वीर 1971 की है तब फ्रांस ने मुरुरोआ एटॉल में परमाणउ परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
चीन
चीन ने 1964 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. उसके पास कुल 350 परमाणु हथियार मौजूद हैं. उसने कितने परमाणु हथियार तैनात किए हैं और कितने रिजर्व में रखे हैं इसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है.
तस्वीर: Zhang Haofu/Xinhua/picture alliance
अमेरिका
परमाणु हथियारों की संख्या के लिहाज से अमेरिका फिलहाल दूसरे नंबर पर है. अमेरिका ने 1,800 हथियार तैनात कर रखे हैं जबकि 2,000 हथियार रिजर्व में रखे गए हैं. इनके अलावा अमेरिका के पास 1,760 और परमाणु हथियार भी हैं. अमेरिका ने 1945 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: Jim Lo Scalzo/EPA/dpa/picture alliance
रूस
वर्तमान में रूस के पास सबसे ज्यादा 6,255 परमाणु हथियार हैं. इनमें से 1,625 हथियारों को रूस ने तैनात कर रखा है. 2,870 परमाणु हथियार रूस ने रिजर्व में रखे हैं जबकि दूसरे परमाणु हथियारों की संख्या 1,760 है. रूस के हथियारों की संख्या 2020 के मुकाबले थोड़ी बढ़ी है. रूस ने 1949 में परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल की थी.
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
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उन्होंने कहा कि वांग यी के दौरे के बाद चीन अपने रुख पर एक पत्र प्रकाशित करेगा. बो ने कहा, "हम अपने दोस्तों के साथ लगातार विचार विमर्श करते हैं. यह चीन की नीति है. हम अन्य देशों पर कुछ नहीं थोपते. ऐसा कभी नहीं हुआ. हमने फिजी के साथ तीन समझौते किए हैं, जो आर्थिक विकास से जुड़े हैं.”
उधर चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा चीन पैसिफिक देशों को बिना किसी राजनीतिक शर्त के समर्थन करता रहेगा. उन्होंने कहा, "सभी ने बेल्ट एंड रोड सहयोग के उच्च-गुणवत्ता वाले विकास के प्रति प्रतिबद्धता जताई है और कहा है कि कोविड-19 जैसी चुनौतियों से मिलकर निपटना है व आर्थिक बहाली की ओर बढ़ना है.”
‘रुकेगा नहीं चीन'
चीन के यूरोपीय मामलों के महानिदेशक वांग लूटोंग का कहना है कि पैसिफिक देश किसी के घर का पिछवाड़ा नहीं हैं. ट्विटर पर उन्होंने लिखा, "चीन और पैसिफिक देशों के बीच सहयोग इलाके के लोगों के लिए वास्विक लाभ लेकर आएगा. चीन पैसिफिक के द्वीपीय देशों और उनके लोगों की आवाज सुनता रहेगा. वे किसी का बैकयार्ड नहीं हैं.”
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के बेंजामिन हेर्सकोविच ने अल जजीरा से बातचीत में कहा कि इस इनकार से चीन रुकने वाला नहीं है. उन्होंने कहा, "चीन अपने कूटनीतिक, व्यापारिक, आर्थिक और नागरिकों के बीच परस्पर संबंधों को और बढ़ाएगा ताकि इस तरह का समझौता किया जा सके.”
यूं बनते हैं ताइवान के सबसे शक्तिशाली योद्धा
ये ताइवान के सबसे शक्तिशाली सैनिकों में से हैं. देश के सबसे विशेष दल एंफीबियस रीकॉनेसाँ ऐंड पट्रोल (एआरपी) यूनिट में भर्ती होना अमेरिका के सबसे विशिष्ट सैन्य दल नेवी सील जैसा ही मुश्किल है. देखिए...
तस्वीर: ANN WANG/REUTERS
लोहे से सख्त सैनिक
ताइवान की सबसे विशेष सैन्य यूनिट एआरपी में भर्ती होने के लिए ट्रेनिंग दस हफ्ते चलती है. इस साल 31 प्रतिभागियों ने इस ट्रेनिंग में हिस्सा लिया लेकिन कामयाब सिर्फ 15 हो पाएंगे. इस ट्रेनिंग में सैनिकों की शरीर और आत्मा दोनों को कठिनतम हालात से गुजरना होता है.
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शीत स्नान
दिनभर समुद्र में ट्रेनिंग करने के बाद सैनिकों को इस तरह बर्फीले पानी से नहलाया जाता है. कांपते हुए भी इन्हें खंभों की तरह खड़े रहना होता है.
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सामान्य नहीं अभ्यास
इन सैनिकों का अभ्यास देखने में जितना सामान्य लगता है, उतना है नहीं. प्रशिक्षक बेहद कठोर होते हैं और जरा भी समझौता नहीं करते. सैनिक घंटों तक पानी और जमीन पर अभ्यास करते हैं. छुट्टी के नाम पर कुछ मिनट ही मिलते हैं.
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युद्ध के लिए तैयारी
इन जवानों को हर तरह के हालात के लिए तैयार रहने की ट्रेनिंग दी जाती है. अफसर उम्मीद करते हैं कि इस अभ्यास से जवानों में इच्छाशक्ति पैदा होगी और वे एक दूसरे के लिए व देश के लिए हर हालात में खड़े रहेंगे.
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पानी में जीवन
इन जवानों को अधिकतर समय समुद्र या स्विमिंग पूल में गुजारना होता है. वे पूरी वर्दी में तैरने से लेकर लंबे समय तक पानी के अंदर सांस रोकने जैसे कौशल सीखते हैं. कई बार उन्हें हाथ-पांव बांधकर पानी में फेंक दिया जाता है.
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टूटने की हद तक
जवानों के शरीर को टूट जाने की हद तक तोड़-मरोड़ा जाता है. इस दौरान उनकी चीखें निकलती हैं. और अगर कोई जवान प्रशिक्षक का विरोध कर दे, तो फौरन उसे बाहर कर दिया जाता है.
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पथरीला रास्ता
आखरी ट्रेनिंग को स्वर्ग का रास्ता कहा जाता है. इस अभ्यास में जवानों को एक बेहद मुश्किल बाधा दौड़ से गुजरना होता है. उन्हें बिना कपड़े पहने ही, कुहनियों पर चलने से लेकर, पत्थरों पर घिसटने तक कई ऐसी बाधाएं पार करनी होती हैं जो आम इंसान के लिए असंभव हैं.
तस्वीर: ANN WANG/REUTERS
जीत की घंटी
पास होने वाले जवानों को यह घंटी बजाने का मौका मिलता है. प्रोग्राम में शामिल सभी जवानों की किस्मत में यह घंटी नहीं होती. लेकिन इस बेहद कठिन ट्रेनिंग के लिए जवान अपनी इच्छा से आते हैं.
तस्वीर: ANN WANG/REUTERS
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अमेरिका सरकार ने पिछले समय में पैसिफिक में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है, जिसका मकसद चीन की बढ़त को रोकना माना जाता है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि इन तमाम कोशिशों के बावजूद चीन एशिया में अपनी बढ़त लगातार बना रहा है. ऑस्ट्रेलिया के लोवी इंस्टीट्यूट का एशिया पावर इंडेक्स दिखाता है कि 2018 के बाद से इलाके में अमेरिका का प्रभाव लगातार कम हो रहा है जबकि चीन का प्रभाव बढ़ रहा है.
इस इंडेक्स का विश्लेषण करते हुए इंस्टीट्यूट की फेलो सुजैना पैटन लिखती हैं कि 20 साल पहले दक्षिणपूर्व एशिया का सिर्फ पांच प्रतिशत निर्यात चीन को होता था और 16 प्रतिशत अमेरिका को जाता था. 2020 तक दोनों 15-15 प्रतिशत के साथ बराबरी पर आ गए थे. पैटन लिखती हैं, "पूरे व्यापार पर नजर डाली जाए तो चीन का बढ़ता कुनबा स्पष्ट नजर आता है. मात्रा के मामले में क्षेत्र में चीन का व्यापार अमेरिका से लगभग ढाई गुना ज्यादा है. चीन अब लगभग हर एशियाई देश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है.”