चीन के नियामक ने जैक मा के अलीबाबा समूह के खिलाफ एंटीट्रस्ट जांच यानी एकाधिकार का गलत इस्तेमाल करने के मामले में जांच का आदेश दिया है. चीनी सरकार को शक है कि अलीबाबा एकाधिकार का गलत इस्तेमाल कर रहा है.
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चीनी सरकार के बाजार विनियमन ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि उसने अलीबाबा के संदिग्ध एकाधिकार कार्य की जांच के आदेश दिए हैं. बाजार नियामक ने कहा कि वह अलीबाबा की "दो में से एक चुनो" की नीति पर नजर रख रहा था. जिसके लिए व्यापार भागीदारों को प्रतियोगियों के साथ काम करने से बचने की आवश्यकता होती है. असल में अलीबाबा अपने पार्टनरों के साथ ऐसा समझौता करता है ताकि वे प्रतिद्वंदी प्लेटफॉर्म पर अपने उत्पाद नहीं बेच पाएं. यानी जो विक्रेता अलीबाबा के साथ व्यापार कर रहे हैं वो किसी दूसरी कंपनी के साथ व्यापार नहीं कर सकते हैं.
नियामक ने कहा कि वह अलीबाबा की वित्तीय सेवा सहायक एंट समूह के साथ "पर्यवेक्षी और मार्गदर्शन" वार्ता भी आयोजित करेगा. गौरतलब है कि पिछले महीने बीजिंग ने एंट समूह के 37 अरब डॉलर के आईपीओ को खारिज कर दिया था. इस आईपीओ को भारी प्रतिक्रिया मिली थी. शंघाई और हांगकांग के शेयर बाजार में लिस्टिंग के ठीक दो दिन पहले चीन सरकार ने आईपीओ पर रोक लगा दी थी. एंट समूह ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि "वह विनियामक विभाग के सभी नियामक आवश्यकताओं का सख्ती से पालन करेगा और उससे जुड़े कार्य करने के लिए प्रयास करेगा."
चीनी नेताओं ने पहले ही कहा था कि वे एकाधिकार विरोधी कदम को तेज कर देंगे. वे विशेष रूप से अलीबाबा और अन्य प्रमुख इंटरनेट कंपनियों के बारे में चिंतित थे जो वित्त और स्वास्थ्य देखभाल के बाजार में विस्तार कर रही हैं.
एंट समूह अपने मुख्य उत्पाद अलीपे की सफलता के बाद तेजी से बढ़ा है. अलीपे एक ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म है जिसने चीनी अर्थव्यवस्था में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है. अलीपे लाखों लोगों और छोटे व्यवसायों को ऋण, ऋण निवेश और बीमा जैसे उत्पाद देता है. चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के आधिकारिक अखबार पीपुल्स डेली ने अपने संपादकीय में लिखा, "यह हमारे देश के लिए इंटरनेट क्षेत्र में एकाधिकार-विरोधी निगरानी को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, अगर एकाधिकार को सहन किया जाता है और कंपनियों को अव्यवस्थित तरीके से विस्तार करने की इजाजत दी जाती है तो उद्योग का विकास स्वस्थ और टिकाऊ तरीके से नहीं होता है."
अलीबाबा के संस्थापक और चीन के सबसे अमीर व्यक्ति जैक मा पूर्व में चीन की वित्तीय प्रणाली पर भड़ास तक निकाल चुके हैं. वे चीन के सरकारी बैंक को "ब्याजखोर की दुकान" तक कह चुके हैं.
एए/सीके (एपी, एएफपी)
ये हैं भारत के सबसे बड़े दानी
एडेलगिव हुरुन इंडिया ने सबसे बड़े दानियों की सूची में विप्रो के अजीम प्रेमजी को एक बार फिर शीर्ष पर रखा. पिछले साल के मुकाबले बिड़ला परिवार और हिंदुजा भाइयों ने अपना योगदान कहीं ज्यादा बढ़ाया है. देखिए दान जाता कहां है.
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अजीम प्रेमजी एंड फैमिली
विप्रो के संस्थापक और अध्यक्ष अजीम प्रेमजी इस सूची में सबसे ऊपर हैं. शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने इस साल 7,904 करोड़ रुपये दान किए यानि हर दिन औसतन 22 करोड़ का दान. शिक्षा के अलावा प्रेमजी ने कोरोना महामारी से निपटने के मद में भी बड़ी राशि दान की.
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शिव नाडर एंड फैमिली
बीते साल सालों की ही तरह इस साल भी भारत में कुल दान का सबसे बड़ा हिस्सा शिक्षा के क्षेत्र में गया. इसमें एचसीएल टेक्नॉलजीज के शिव नाडर ने 795 करोड़ दिए. इस साल की सूची में दूसरे नंबर पर रखे गए 75 वर्षीय नाडर के दान से करीब 30,000 छात्रों को सीधा लाभ मिला.
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मुकेश अंबानी एंड फैमिली
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और सबसे धनी भारतीय मुकेश अंबानी ने आपदा राहत के क्षेत्र में बड़े दान का एलान करते हुए 458 करोड़ की राशि पीएम केयर्स फंड को दी. इसके अलावा महाराष्ट्र और गुजरात राज्य सरकारों को भी उन्होंने कोविड से निपटने के लिए 5-5 करोड़ का दान दिया.
आदित्य बिड़ला समूह ने बीते एक साल में 276 करोड़ का दान शिक्षा के क्षेत्र में दिया. इस राशि के आधार पर हुरुन की सूची में चौथे नंबर पर रखे गए बिड़ला समूह ने इस साल कोरोना महामारी फैलने पर पीएम केयर्स फंड में करोड़ों का दान दिया और 50 करोड़ की राशि एन95 मास्क, पीपीई किट और वेंटिलेटरों की सप्लाई के लिए मुहैया कराए.
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अनिल अग्रवाल एंड फैमिली
वेदांता समूह के संस्थापक और अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने 215 करोड़ तो केवल स्वास्थ्य के क्षेत्र में दान किए. सितंबर 2014 में ही उन्होंने प्रण ले लिया था कि वह अपनी दौलत का 75 फीसदी चैरिटी में लगाएंगे. उनका फाउंडेशन शिक्षा और कंप्यूटर सिखाने के क्षेत्र में भी सक्रिय है.
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अजय पीरामल एंड फैमिली
पीरामल समूह के अजय पीरामल ने इस साल 196 करोड़ रुपये शिक्षा के मद में दान किए. इसके अतिरिक्त इस साल अप्रैल में फार्मा कंपनी के तौर पर उन्होंने कोरोना की महामारी से निपटने के लिए भी केंद्र सरकार के पीएम केयर्स फंड में बहुत बड़ा योगदान दिया.
इंफोसिस के संस्थापक नंदन निलेकणि ने इस साल 159 करोड़ रुपयों की दान राशि टिकाऊ विकास योजनाओं पर लगाई. अपने लिए उन्होंने कंपनी से कोई वेतन नहीं लेने की घोषणा की, वहीं इंफोसिस के सीईओ सलिल पारेख के वेतन पैकेज में इस साल करीब 39 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई. इसी साल उनकी कंपनी के 74 कर्मचारी करोड़पति बन गए.
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हिंदुजा भाई
हिंदुजा समूह के मालिक हिंदुजा भाइयों ने इस साल 133 करोड़ का दान स्वास्थ्य के क्षेत्र में दिया. इस साल बीते साल की तुलना में स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुए दान में करीब 111 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई, जिसे कोरोना का असर माना जा रहा है.
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गौतम अडानी एंड फैमिली
शिक्षा के क्षेत्र में 88 करोड़ के दान के साथ ही हुरुन रिपोर्ट में उन्हें दानी लोगों की सूची में नौंवां स्थान मिला है. सूची में चोटी के 10 दानियों को देखें तो 2020 में पिछले साल के मुकाबले कुल दान राशि में 175 फीसदी का उछाल दिखा है.
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राहुल बजाज एंड फैमिली
ऑटो कंपनी बजाज के फाउंडेशन ने इस साल 74 करोड़ की राशि लोगों की जीविका सुधारने के मद में दान की. भारत में 10 करोड़ से बड़ी राशि दान करने वालों की संख्या भी पिछले साल के 37 से बढ़कर इस साल 78 हो गई है.
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दान में बढ़ चढ़ कर सामने आईं महिलाएं
नंदन निलेकणि की पत्नी 61 वर्षीया रोहिनी निलेकणि ने इस साल 47 करोड़ का दान दिया और महिलाओं में सबसे आगे रहीं. देश के सबसे बड़े दानियों की सूची में इस बार सात महिलाओं ने जगह बनाई. इसमें थर्मेक्स कंपनी की अनु आगा एंड फैमिली के 36 करोड़ के दान के अलावा बायोकॉन की किरण मजूमदार शॉ (फोटो में) का 34 करोड़ का दान भी शामिल है.
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कैसे बनी सूची
हुरुन रिपोर्ट के लिए भारत के 1,000 से भी अधिक सबसे सफल उद्यमियों का सर्वेक्षण किया गया. फिर मीडिया रिपोर्टों और चैरिटी फाउंडेशन से मिली जानकारी के साथ क्रॉस चेक किया गया. इस रिपोर्ट को तैयार करने में इन व्यक्तियों, फाउंडेशनों, कंपनियों द्वारा दान में दिए गए नकद और 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 के बीच इस मद में दी गई लिखित प्रतिबद्धता को शामिल किया है.