अगर यह मिशन सफल होता है, तो चीन सौरमंडल में परिक्रमा कर रहे किसी एस्टेरॉयड की सतह से सैंपल लाने वाला तीसरा देश बन जाएगा.
थ्येनवन-2 पृथ्वी के निकट स्थित क्षुद्रग्रह 2016 एचO3 से नमूने एकत्र करने जा रहा हैतस्वीर: CHINA DAILY/ REUTERS
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चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बताया कि चीन ने गुरुवार, 29 मई को पृथ्वी के निकट स्थित क्षुद्रग्रह की सतह से सैंपल जुटाने के लिए अपना पहला अंतरिक्ष मिशन लॉन्च किया. अगर यह मिशन सफल होता है, तो चीन शोध के लिए परिक्रमा कर रहे क्षुद्रग्रहों की सतह से चट्टान के नमूने धरती पर लाने वाला तीसरा देश बन जाएगा.
क्या है चीन का मिशन?
इस मिशन के लिए, लॉन्ग मार्च-3बी रॉकेट द्वारा थ्येनवन-2 को खोज के लिए अंतरिक्ष में भेजा गया है. यह रॉकेट चीन के दक्षिण-पश्चिमी सिचुआन प्रांत में स्थित शीछांग उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से अपने मिशन पर रवाना हुआ.
शिन्हुआ ने चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (सीएनएसए) के हवाले से कहा कि थ्येनवन-2 अंतरिक्ष यान को क्षुद्रग्रह 2016 एचO3 की स्थानांतरण कक्षा में प्रवेश करने में 18 मिनट लगे. थ्येनवन-2 का मुख्य कार्य क्षुद्रग्रह 2016 एचO3 का अन्वेषण करना, नमूने जुटाना और पृथ्वी पर वापस लाना है. इसके बाद मुख्य बेल्ट धूमकेतु 311पी का वैज्ञानिक अन्वेषण किया जाएग. क्षुद्रग्रह 2016 एचO3 अब तक खोजे गए पृथ्वी के अर्ध-उपग्रहों में से एक है.
रिपोर्ट के मुताबिक "अंतरिक्ष यान ने अपने सौर पैनलों को सुचारू रूप से तैनात किया और सीएनएसए ने प्रक्षेपण को सफल घोषित किया है."
थ्येनवन-2 का सफर
थ्येनवन-2जुलाई 2026 में क्षुद्रग्रह पर पहुंचेगा और वहां से निकाले गए पत्थरों से भरे कैप्सूल के साथ नवंबर 2027 में पृथ्वी पर वापस आएगा. क्षुद्रग्रह की खोज 2016 में अमेरिका की हवाई प्रयोगशाला से वैज्ञानिकों ने की थी. इसका व्यास लगभग 40 से 100 मीटर (130-330 फीट) है और यह पृथ्वी के करीब परिक्रमा कर रहा है. चीन ने अपने विस्तारित अंतरिक्ष कार्यक्रम के माध्यम से तेजी से दुनिया में अपनी पहचान बनाई है.
पिछले कुछ वर्षों में, चीन ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम पर अरबों डॉलर खर्च किए हैं, जिसे राष्ट्रपति शी जिनपिंग देश का "अंतरिक्ष सपना" कहते हैं. चीन के पास पहले से ही पृथ्वी की कक्षा में अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन है और हाल के वर्षों में उसने अपने रोबोट को चंद्रमा के ऐसे हिस्से में भेजने में सफलता हासिल की है, जो पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है. चीन अब 2030 तक इंसानों को चांद की सतह पर भेजने की योजना बना रहा है.
'ब्लू घोस्ट' ने ली चांद पर सूर्यास्त की तस्वीरें
अमेरिका की निजी कंपनी फायरफ्लाई एयरोस्पेस के अंतरिक्ष यान 'ब्लू घोस्ट' ने चांद की सतह से सूर्यास्त की तस्वीरें ली हैं. नासा को उम्मीद है कि इस यान की मदद से वो चांद पर देखे गए एक अजीब कोहरे के रहस्य का पता लगा सकेगी.
तस्वीर: The Yomiuri Shimbun/AP Photo/picture alliance
चांद पर सूर्यास्त हुआ कैमरे में कैद
'ब्लू घोस्ट' ने चांद पर सूर्यास्त की हाई-डेफिनिशन तस्वीरें ली हैं. उसे बनाने वाली कंपनी फायरफ्लाई एयरोस्पेस ने इन तस्वीरों को मंगलवार 18 मार्च को जारी किया. यह पहली निजी कंपनी है जिसका रोबोटिक यान चांद पर सीधा उतरा है.
तस्वीर: Firefly Aerospace/Handout/REUTERS
सूरज, शुक्र और धरती एक फ्रेम में
ब्लू घोस्ट द्वारा ली गई तस्वीरों में सूरज क्षितिज के ठीक ऊपर चमकता हुआ नजर आ रहा है. उसके हेलो पर हल्का हरा रंग नजर आ रहा है. सूरज के ऊपर एक छोटे से बिंदु के रूप में शुक्र ग्रह नजर आ रहा है. फ्रेम के सबसे ऊपर धरती की चमकदार छाया नजर आ रही है, जो लगभग सूरज जितनी ही बड़ी नजर आ रही है.
तस्वीर: Firefly Aerospace/HANDOUT/AFP
हरी रोशनी में नहाया सूरज
एक और तस्वीर में हरी रोशनी में नहाया हुआ ढलता सूरज नजर आ रहा है. यह तस्वीर पश्चिम की तरफ मुंह किए हुए कैमरा से ली गई है. इस तस्वीर में लैंडर के सामने मिट्टी पर लैंडर के पीछे स्थित पहाड़ों से रिफ्लेक्ट होकर पड़ती हुई रोशनी भी नजर आ रही है. तस्वीर की बारीकी, चांद की सतह पर रौशनी कैसे बिखरती है, यह जानने में वैज्ञानिकों की मदद कर सकता है.
तस्वीर: Firefly Aerospace via X/REUTERS
क्या चांद पर तैरती है धूल?
वैज्ञानिक यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि 'होराइजन ग्लो' या 'डस्ट लॉफ्टिंग' नजर आ रही है या नहीं. वैज्ञानिकों का मानना है कि मुमकिन है कि चांद पर धूल के कण सूरज से आ रही अल्ट्रावायलेट रेडिएशन की वजह से आवेशित हो जाते हैं और सतह के ऊपर तैरने लगते हैं.
तस्वीर: Firefly Aerospace/HANDOUT/AFP
दशकों पहले देखी गई थी धूल
इसे पहली बार 1960 के दशक में नासा के सर्वेयर मिशनों ने और फिर अपोलो के अंतरिक्ष यात्रियों ने देखा था. नासा के वैज्ञानिक इन तस्वीरों को ब्लू घोस्ट के उपकरणों से मिली रीडिंग्स से मिलाएंगे और मौजूदा सिद्धांतों में सुधार लाने की कोशिश करेंगे.
लगभग दो गैंडों के आकार का ब्लू घोस्ट दो मार्च को मोंस लात्रेल में उतरा था, जो चांद के उत्तर पूर्व में स्थित मेयर क्रिसियम इलाके में एक ज्वालामुखी नुमा फीचर है. इसने 16 मार्च तक काम किया और चांद पर रात की शुरुआत के साथ खुद को बंद कर लिया. (एएफपी)