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चांद की दूसरी तरफ से सिग्नल भेजेगा चीन का नया उपग्रह

२० मार्च २०२४

चीन ने एक नया उपग्रह छोड़ा है जो चांद की दूसरी तरफ बनने वाले उसके मिशन से पृथ्वी तक सिग्नल भेजने में मदद करेगा. यह चांद पर चीन के दीर्घकालिक अभियान का नया चरण है.

चांद
चांद का वो हिस्सा जो पृथ्वी से नजर नहीं आतातस्वीर: Chinese National Space Agency and Chinese Academy of Sciences

चीन के सरकारी मीडिया के मुताबिक 1.2 मीट्रिक टन वजन के इस उपग्रह 'किशाओ-2' को ले कर चीन के एक 'लॉन्ग मार्च आठ' रॉकेट को हैनान द्वीप से छोड़ा गया. रॉकेट में तिआंदु-1 और तिआंदु-2 नाम के दो मिनिएचर उपग्रह भी हैं. किशाओ चीनी पौराणिक कथाओं में नीलकंठ पंछियों से बने एक पुल का नाम है.

पृथ्वी से दिखाई देने वाला चांद का हिस्सा हमेशा पृथ्वी की तरफ ही रहता है. इसका मतलब है सीधी दृष्टि रेखा के अभाव में दूसरी तरफ से डाटा भेजा जाना असंभव है. किशाओ-2 चांद के चक्कर लगाएगा और चांग'ई मिशन को सिग्नल भेजेगा और वहां से सिग्नल हासिल करेगा. उम्मीद की जा रही है कि चांग'ई मिशन को मई में छोड़ा जाएगा.

चीन की लंबी योजना

यह मिशन चांद के एक प्राचीन इलाके से सैंपल लाने की कोशिश करेगा. अगर यह कोशिश सफल रही तो यह पहली बार होगा जब चांद की सतह के छिपे हुए हिस्से से सैंपल लाया जाएगा. किशाओ-2 को 2026 में चांग'ई-7 चंद्र मिशन और 2028 में चांग'ई-8 के लिए एक रिले प्लेटफार्म के रूप में भी इस्तेमाल किया जाएगा.

लॉन्ग मार्च 3बी रॉकेट जो 2018 में चीन के चांग'ई-4 चंद्र मिशन को लेकर उड़ा थातस्वीर: A Ran/HPIC/dpa/picture alliance

योजना यह है कि 2040 तक किशाओ-2 को रिले उपग्रहों के एक समूह का हिस्सा बना दिया जाए जो चंद्र मिशनों और मंगल और शुक्र पर जाने वाले मिशनों के लिए एक संचार पुल का काम करे. तिआंदु-1 और तिआंदु-2 मिनिएचर उपग्रह इस समूह को बनाने के लिए परीक्षण करेंगे.

चीन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर एक रिसर्च स्टेशन बनाने की भी योजना बना रहा है और यह उपग्रह समूह उस स्टेशन के लिए भी संचार, नैविगेशन और रिमोट सेंसिंग सपोर्ट देने का काम करेगा. किशाओ-2 के अलावा अमेरिका, भारत और जापान ने भी वहां करीब छह उपग्रह तैनात किए हुए हैं.

चांद की कक्षा में

किशाओ-2 की आयु कम से कम आठ साल है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि वह 2030 के बाद भी चंद्र मिशनों के काम आएगा. चीन को उम्मीद है कि 2030 में वह पहली बार अंतरिक्ष यात्रियों को चांद की सतह पर उतरेगा.  किशाओ-2 से उम्मीद की जा रही है कि वह एक ऐसी कक्षा में प्रवेश करेगा जो चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास से हो कर गुजरती है. चीन वहीं पर अपना रिसर्च स्टेशन बनाएगा.

चांद पर कारोबार की बेशुमार उम्मीदें

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किशाओ-2 के डिजाइनर शांग लिहुआ ने 2021 में एक लेख लिखा था, जिसके मुताबिक उसकी कक्षा बेहद अंडाकार होगी, जो उसकी सतह के ऊपर 8,600 किलोमीटर तक जाएगी और आठ घंटों तक पृथ्वी और चांद के बीच एक संचार लिंक बनाएगी. कक्षा करीब 12 घंटों की होगी. उसके बाकी हिस्से में किशाओ-2 चांद की सतह के बस 300 किलोमीटर ऊपर होगा.

यह उपग्रह 2018 में भेजे गए किशाओ-1 की जगह ले लेगा. किशाओ-1  किशाओ-2 से तीन गुना ज्यादा बड़ा है और वह चांद के दूसरी तरफ भेजा जाने वाल पहला उपग्रह था. वह चांग'ई-4 मिशन की मदद कर रहा है. उसे पांच साल काम करने के लिए डिजाइन किया था, लेकिन वह अभी भी अंतरिक्ष में चांद से करीब 70,000 किलोमीटर दूर काम कर रहा है.

सीके/एए (रॉयटर्स)

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