आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी खोजों के पेटेंट हासिल करने के मामले में चीन पूरी दुनिया को पीछे छोड़ चुका है. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े दिखाते हैं कि चीन ने अमेरिका से छह गुना ज्यादा पेटेंट अर्जियां दाखिल की हैं.
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चैटबॉट जैसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी खोजों के मामले में चीन ने अमेरिका और बाकी तमाम देशों को पीछे छोड़ दिया है. उसने अमेरिका से छह गुना ज्यादा पेटेंट फाइल किए हैं. इनमें जेनरेटिव एआई से जुड़ी खोजें शामिल हैं जो अपने आप टेक्स्ट, तस्वीरें, कंप्यूटर कोड और संगीत आदि बना सकती है.
बुधवार को संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूआईपीओ) ने अपनी रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में बताया गया कि चीन ने पिछले एक दशक में 50 हजार से ज्यादा खोजों के पेटेंट फाइल किए हैं. इनमें से एक चौथाई तो पिछले साल ही फाइल किए गए. डब्ल्यूआईपीओ दुनिया की पेटेंट व्यवस्था की निगरानी करती है.
चीन की फैक्ट्री में यूं बनते हैं इंसानों जैसे रोबोट
चीन की एक कंपनी ह्यूमनोएड यानी इंसानों जैसे रोबोट बना रही है. ये ह्यूमनोएड इंसानों जैसे दिखते ही नहीं हैं बल्कि उनकी नकल भी कर सकते हैं.
तस्वीर: Florence Lo/REUTERS
इंसान जैसे रोबोट
चीन की कंपनी एक्स-रोबोट्स के इंजीनियर ह्यूमनोएड यानी इंसान जैसे दिखने वाले ये रोबोट तैयार कर रहे हैं. इनका मकसद है रोबोट को इंसानी चेहरे के हाव-भाव सिखाना.
तस्वीर: Florence Lo/REUTERS
अभी सिर्फ म्यूजियम के लिए
फिलहाल फैक्ट्री में जो रोबोट बनाए जा रहे हैं, वे सिर्फ संग्रहालयों में रखने के लिए हैं. लेकिन आने वाले समय में इनका इस्तेमाल अन्य जगहों पर भी किया जा सकेगा.
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एआई का इस्तेमाल
एक्स-रोबोट्स के सीईओ ली बोयांग कहते हैं कि ह्यूमनोएड सबसे जटिल रोबोट होते हैं. इन्हें तैयार करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जा रहा है जो रोबोट को इंसान की नकल करना सिखाता है.
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कीमत, दो करोड़ रुपये
कंपनी का कहना है कि एक ह्यूमनोएड को बनाने में दो हफ्ते से एक महीने तक का समय लगता है. और कीमत है 15 से 20 लाख युआन यानी तकरीबन दो करोड़ रुपये.
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हाथ हिलाना सीखे
ये रोबोट इंसान की तरह सिर और हाथ हिलाने जैसी क्रियाएं सीख गए हैं. इसके लिए एआई आधारित सॉफ्टवेयर और एल्गोरिदम तैयार किए गए हैं. हो सकता आने वाले समय में ये चेहरों को पहचानने भी लगें.
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स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए
ली बोयांग कहते हैं कि आने वाले समय में ये रोबोट शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ-साथ अन्य उद्योगों में भी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.
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डब्ल्यूआईपीओ के पेटेंट एनालिटिक्स मैनेजर क्रिस्टोफर हैरिसन ने कहा, "यह तेजी से बढ़ता क्षेत्र है. इसकी बढ़ने की रफ्तार भी बहुत तेज है और हमें अनुमान है कि अभी इसमें और वृद्धि होगी.”
सबसे ज्यादा पेटेंट चीन से
रिपोर्ट कहती है कि 2014 से 2023 के बीच चीन ने जेनरेटिव एआई से जुड़े 38 हजार से ज्यादा पेटेंट फाइल किए. उसके मुकाबले अमेरिका के पेटेंट एप्लिकेशन मात्र 6,276 थे. ये पेटेंट सिर्फ एआई से जुड़े हैं और हर क्षेत्र की अर्जियों की संख्या कहीं ज्यादा है.
हैरिसन ने बताया कि चीन ने जिन खोजों के लिए पेटेंट दायर किए, उनका दायरा बहुत विस्तृत है. इन खोजों में बिना इंसानी मदद के ड्राइविंग से लेकर प्रकाशन और डॉक्युमेंट मैनेजमेंट तक हर तरह की तकनीक शामिल है.
एआई में पेटेंट की अर्जियों की संख्या के हिसाब से दक्षिण कोरिया दुनिया में तीसरे नंबर पर रहा. उसके बाद जापान और फिर भारत का नंबर है. रिपोर्ट कहती है कि भारत की वृद्धिदर सबसे तेज रही है.
एआई पर कैसे कानून बनाएंगी सरकारें?
एआई में हो रही तरक्की से कई चुनौतियां खड़ी हो रही हैं. दुनियाभर में सरकारें तकनीक के इस्तेमाल को लेकर कानून बनाने की कोशिश कर रही हैं. जानिए कि एआई टूल्स को रेगुलेट करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं.
तस्वीर: ingimage/IMAGO
अमेरिका
अप्रैल 2023 में सेनेटर माइकल बेनेट ने एक बिल पेश किया, जिसमें एआई पर नीतियां बनाने के लिए एक टास्क फोर्स के गठन का प्रस्ताव था. साथ ही, इसमें यह भी देखे जाने की बात कही गई कि निजता, नागरिक अधिकार और यथोचित प्रक्रिया पर संभावित खतरों को कैसे घटाया जाए. बाइडेन प्रशासन ने भी कहा है कि वह एआई सिस्टमों की जिम्मेदारी तय करने पर जनता की भी राय लेगी.
तस्वीर: Jaap Arriens/NurPhoto/picture alliance
ऑस्ट्रेलिया
यहां "दी साइंस एडवाइजरी कमेटी" (एसएसी) विज्ञान से जुड़े मामलों में परामर्श देने वाली मुख्य समिति है. सरकार इससे सलाह लेकर अगले कदमों पर विचार कर रही है.
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ब्रिटेन
ब्रिटेन ने मार्च में बताया था कि एआई के नियमन के लिए नया विभाग बनाने की जगह मानवाधिकार, स्वास्थ्य-सुरक्षा जैसे पक्षों को देखने वाले मौजूदा रेगुलेटरों में ही जिम्मेदारी बांटी जा रही है. फाइनैंशल कंडक्ट अथॉरिटी समेत कई सरकारी विभागों को एआई से जुड़ी नई गाइडलाइनों की रूपरेखा बनाने का जिम्मा सौंपा गया है. तस्वीर में: एआई की बनाई ब्लैक होल की एक तस्वीर.
तस्वीर: ingimage/IMAGO
चीन
चीन, एआई के इस्तेमाल और संभावित खतरों से भी चिंतित है. कारोबारी ईलॉन मस्क ने अपनी हालिया चीन यात्रा में अधिकारियों से हुई मुलाकात के बाद बताया कि चीन की सरकार अपने यहां एआई से जुड़े नियम बनाएगी. इससे पहले अप्रैल में साइबरस्पेस अडमिनिस्ट्रेशन ऑफ चाइना (सीएसी) ने जेनरेटिव एआई सेवाओं के प्रबंधन से जुड़े मापदंडों का मसौदा पेश किया था.
तस्वीर: Omar Marques/SOPA/ZUMA/picture alliance
यूरोपीय संघ
यूरोपीय संसद इसी महीने ईयू के एआई ऐक्ट का मसौदा बनाने पर वोट करने वाला है. यूरोपियन कंज्यूमर ऑर्गनाइजेशन ने भी चैटजीपीटी और अन्य एआई चैटबोट्स पर चिंता जताई है. उसने ईयू की कंज्यूमर प्रोटेक्शन एजेंसियों से इस तकनीक से लोगों को होने वाले संभावित नुकसान की पड़ताल करने की भी अपील की है.
तस्वीर: Andreas Franke/picture alliance
फ्रांस
अप्रैल 2023 में फ्रांस की डेटा प्रोटेक्शन एजेंसी सीएनआईएल ने बताया कि वह चैटजीपीटी से जुड़ी कई शिकायतों की जांच कर रहा है. इसका संदर्भ निजता से जुड़े कानूनों के संभावित उल्लंघन की आशंका के मद्देनजर इटली में चैटबॉक्स पर लगे अस्थायी बैन से जुड़ा है.
तस्वीर: Knut Niehus/CHROMORANGE/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल इनोवेशन अथॉरिटी में नेशनल एआई प्लानिंग के निदेशक जिव कत्सिर ने बीते दिनों बताया कि पिछले करीब 18 महीनों से एआई रेगुलेशन्स पर काम हो रहा है. मकसद है नई खोज, मानवाधिकार की सुरक्षा और नागरिक हितों के बीच सही संतुलन बनाना. अक्टूबर 2022 में इस्राएल ने 115 पन्नों की एआई पॉलिसी का मसौदा जारी किया था. आखिरी फैसला लेने से पहले जनता से भी फीडबैक लिया जा रहा है.
तस्वीर: JOSEP LAGO/AFP/Getty Images
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पिछले एक दशक में जिन कंपनियों ने सबसे ज्यादा पेटेंट फाइल किए हैं उनमें चीन की बाइटडांस सबसे ऊपर है. बाइटडांस ही वीडियो ऐप टिकटॉक की मालिक है. चीन की ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा और अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट का नंबर उसके बाद है. माइक्रोसॉफ्ट ही चैटजीपीटी बनाने वाली कंपनी ओपनएआई की बैकर है.
हैरीसन ने कहा कि यूं तो कस्टमर सर्विस को बेहतर बनाने के लिए खुदरा विक्रेताओं से लेकर तमाम उद्योगों में चैटबॉट का इस्तेमाल हो रहा है लेकिन जेनरेटिव एआई में विज्ञान, प्रकाशन, ट्रांसपोर्ट और रक्षा समेत तमाम आर्थिक क्षेत्रों को क्रांतिकारी रूप से बदल देने की क्षमता है.
उन्होंने कहा, "पेटेंट डेटा दिखाता है कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसका भविष्य में बहुत से उद्योगों पर बड़ा असर होगा.”
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भारत की रफ्तार बढ़ी
2023 में जिन कंपनियों ने सबसे ज्यादा पेटेंट फाइल किए उनमें चीन की ह्वावे टेक्नोलॉजीज सबसे ऊपर है. उसके बाद दक्षिण कोरिया की सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स और फिर अमेरिका की क्वॉलकॉम का नंबर है.
2023 में भारत में पेटेंट दायर करने में लगभग 45 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई. हालांकि इसके पीछे एक वजह डब्ल्यूआईपीओ के नियमों में दी गई ढील भी बताई गई है. भारत के अलावा दक्षिण कोरिया और तुर्किये ही ऐसे देश थे जिनकी पेटेंट अर्जियों में सालाना आधार पर वृद्धि दर्ज की गई, जबकि चीन और अमेरिका की पेटेंट अर्जियां 2022 के मुकाबले कम हुईं.
पेटेंट फाइल करने के लिए दुनिया में अलग-अलग संस्थाएं और व्यवस्थाएं हैं जैसे कि डब्ल्यूआईपीओ की पेटेंट कोऑपरेशन ट्रीटी (पीसीटी), इंटरनेशनल ट्रेडमार्क और द हेग सिस्टम. पीसीटी के तहत अर्जियां दाखिल करने के मामलों में 1.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. 14 साल में पहली बार इस संख्या में गिरावट आई है. इंटरनेशनल ट्रेडमार्क सिस्टम में भी 7 फीसदी की गिरावट हुई. इसकी मुख्य वजह ऊंची ब्याज दरों और आर्थिक अनिश्चितता को बताया गया.
कुदरत और इसके ज्ञान पर एकाधिकार क्यों जमाती हैं कंपनियां
08:05
मार्च में आई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि सभी तकनीकी और आर्थिक क्षेत्रों में पीसीटी के तहत 2023 में 2,72,600 अर्जियां दाखिल हुईं. इनमें से 69,610 अर्जियां चीन की थीं, जो 2022 के मुकाबले 0.22 फीसदी कम थीं. ऐसा पहली बार है जब चीन की अर्जियां पिछले साल के मुकाबले कम हुईं.
अमेरिका ने 55,678 अर्जियां दाखिल कीं जो 2022 से 5.3 फीसदी कम थीं. जापान 48,879 अर्जियों के साथ तीसरे नंबर पर था. दक्षिण कोरिया ने 2022 से 1.2 फीसदी ज्यादा यानी 22,288 पेटेंट फाइल किए. जर्मनी की अर्जियों की संख्या 3.2 फीसदी घटी और उसने 16,916 अर्जियां दाखिल कीं.
पीसीटी के तहत सबसे अधिक पेटेंट फाइल करने वाले अन्य देशों में भारत, तुर्किये, नीदरलैंड्स और फ्रांस शामिल हैं.