अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के अधिकारी दुनियाभर से अपने यहां आने और निवेश करने की अपील कर रहे हैं लेकिन ज्यादातर देश उनके साथ काम करने को तैयार नहीं हैं. पर ऐसे हालात में भी चीन वहां धीरे-धीरे अपने पांव पसार रहा है.
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चीनी अधिकारियों और तालिबान के बीच हाल के दिनों में कई बैठकें हुई हैं, जिनमें खनिज दोहन और सड़कें बनाने को लेकर समझौते हुए हैं. हालांकि चीन इन समझौतों को लेकर चुप्पी बनाए हुए है और ज्यादा अहमियत देने से बच रहा है लेकिन विश्लेषक और अधिकारी कहते हैं कि इन समझौतों से दोनों देशों को फायदा हो रहा है.
पेरिस स्थित फाउंडेशॉन फॉर स्ट्रैटिजिक रिसर्च में एनालिस्ट वैलरी निके कहती हैं, "अफगानिस्तान एक चुनौतीपूर्ण जगह है लेकिन चीनी लोग वहां पहुंचने के लिए जाने जाते हैं जहां कोई नहीं जाता. वे इस बात का फायदा उठाने की कोशिश में हैं. अफगानियों को हर संभव मदद की दरकार है और चीन उन्हें मदद का हाथ बढ़ा रहा है.”
इस देश का पासपोर्ट सबसे शक्तिशाली
पासपोर्ट की शक्ति को रैंक करने वाली कंपनी आर्टन कैपिटल ने साल 2024 के लिए सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट की रैंकिंग जारी की है. जानिए, किस देश का पासपोर्ट है सबसे ताकतवर.
तस्वीर: Hannes P. Albert/dpa/picture alliance
कैसे तय होती है पासपोर्ट की ताकत
पासपोर्ट कितना ताकतवर है, यह उस देश के पासपोर्ट के मोबिलिटी स्कोर से तय किया जाता है. इस रैंकिंग के लिए वीजा फ्री, वीजा ऑन अराइवल और ई-वीजा जैसी सुविधा का मूल्यांकन किया जाता है.
तस्वीर: Maksym Yemelyanov/Zoonar/picture alliance
कुल 199 देशों के पासपोर्ट का मूल्यांकन
आर्टन कैपिटल के मुताबिक इस सूचकांक में जिन पासपोर्टों का मूल्यांकन किया गया है उनमें 193 संयुक्त राष्ट्र सदस्य और 6 शासित क्षेत्र शामिल हैं. जो क्षेत्र अपने खुद के पासपोर्ट जारी नहीं करते हैं उन्हें बाहर रखा गया है और उन्हें डेस्टिनेशन के रूप में नहीं माना जाता है.
तस्वीर: Ebrahim Noroozi/AP Photo/picture alliance
कमजोर पासपोर्ट
सबसे कमजोर पासपोर्ट की सूची में सीरिया, अफगानिस्तान, इराक और सोमालिया हैं. इन देशों के पासपोर्टधारक सिर्फ छह से लेकर 12 देशों में वीजा फ्री यात्रा कर सकते हैं. जबकि बाकी के देशों की यात्रा के लिए वीजा की जरूरत होती है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Majeed
भारत का पासपोर्ट कितना ताकतवर
पासपोर्ट इंडेक्स में भारत के पासपोर्ट को 77 मोबिलिटी स्कोर दिया गया है. भारतीय पासपोर्ट वाले 26 देशों की वीजा फ्री यात्रा कर सकते हैं और वीजा ऑन अराइवल 51 देशों में उपलब्ध है. वहीं 121 देशों की यात्रा के लिए वीजा लेने की जरूरत है.
तस्वीर: Fotolia/Arvind Balaraman
पाकिस्तान के पासपोर्ट का हाल
इस सूची में पाकिस्तान के पासपोर्ट का मोबिलिटी स्कोर 47 है. यहां के पासपोर्टधारक 11 देशों की वीजा फ्री यात्रा कर सकते हैं. जबकि 36 देशों में वीजा ऑन अराइवल सेवा है और 151 देशों की यात्रा के लिए पाकिस्तान के पासपोर्टधारक को वीजा के लिए अप्लाई करना पड़ता है.
तस्वीर: Piotr Niemiec/Polish Border Guar/dpa/picture alliance
तीसरे नंबर पर कौन
177 मोबिलिटी स्कोर के साथ यूरोप के ही पांच और देश तीसरे स्थान पर हैं. ये देश हैं स्वीडन, फिनलैंड, लग्जमबर्ग, ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड. इन देशों के पासपोर्टधारक 128 से लेकर 133 देशों की वीजा फ्री यात्रा कर सकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Keystone
दूसरे नंबर पर यूरोप के पांच देश
इस सूची में यूरोपीय देश जर्मनी, स्पेन, फ्रांस, इटली और नीदरलैंड्स हैं. इन देशों का मोबिलिटी स्कोर 178 है. इन देशों के पासपोर्टधारक 134 देशों की वीजा फ्री यात्रा कर सकते हैं.
तस्वीर: Annegret Hilse/REUTERS
सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट वाला देश
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का पासपोर्ट दुनियाभर में सबसे शक्तिशाली है. इस देश के पासपोर्ट का मोबिलिटी स्कोर 180 है. यूएई के पासपोर्टधारक बिना पूर्व वीजा के 130 देशों की यात्रा कर सकते हैं. यहां के पासपोर्टधारक वीजा ऑन अराइवल वाले 50 देशों में जा सकते हैं.
तस्वीर: Hannes P. Albert/dpa/picture alliance
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सितंबर में चीन दुनिया का पहला देश बना था जिसने काबुल में अपना राजदूत तैनात किया था. मंगलवार को तालिबान ने बीजिंग में अपना राजदूत तैनात किया. साथ ही वहां एक दर्जन अधिकारियों को भी तैनात किया गया है. मंगलवार को तालिबानी राजदूत ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपने दस्तावेज सौंपे.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, "मुझे लगता है कि जब सभी पक्षों की चिंताओं को दूर किया जाएगा तो अफगानिस्तान सरकार को मान्यता अपने आप मिल जाएगी.”
चीन का पूरा समर्थन
पिछले महीने यूएन सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान के लिए विशेष दूत नियुक्त करने पर बात हुई थी तब रूस और चीन ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया. अफगानिस्तान इस प्रस्ताव का विरोध कर रहा था और उसे चीन और रूस का साथ मिला.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय तालिबान से कई मांगें कर रहा है. इनमें महिलाओं को शिक्षा, काम और सुरक्षा के अधिकारों के अलावा अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और सरकार में उनकी हिस्सेदारी शामिल है.
चीन का रवैया दूसरी तरह का है. उसने तालिबान को आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी है लेकिन दोनों ने एक-दूसरे के यहां दूतावास खोल दिए हैं. यानी चीन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के खिलाफ भी नहीं गया और उसने अफगानिस्तान के साथ रिश्ते भी बना लिए हैं.
निके कहती हैं, "मूलभूत रूप से चीन महिला अधिकारों की ज्यादा परवाह करता ही नहीं है. अगर तालिबान के साथ नजदीकी बढ़ाने से उसके हित सधते हैं तो वह किसी तरह की शर्त नहीं लगाएगा.”
चीन के समर्थन के बदले में तालिबान ने भी चीन में उईगुर मुसलमानों के शोषण के आरोप पर चुप्पी साध रखी है. चीन को इस समर्थन का फायदा अफगानिस्तान में मौजूद अथाह संसाधनों तक पहुंच के रूप मिलेगा. साथ ही चीनी उत्पादों के लिए बाजार भी मिलेगा.
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चीन के आर्थिक हित
काबुल स्थित करदान यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान पढ़ाने वाले जलाल बाजवान कहते हैं, "अफगानिस्तान में तांबा, लीथियम और अन्य कई दुर्लभ खनिज उपलब्ध हैं जो चीन के लिए विशाल आर्थिक संभावनाएं रखते हैं.”
दिसंबर में जब बिलाल करीमी को बीजिंग में अफगानिस्तान का राजदूत तैनात किया गया था, तभी उन्होंने चीनी सरकारी कंपनी एमसीसी के साथ बातचीत शुरू कर दी थी. इस बातचीत में काबुल से करीब 40 किलोमीटर दूर मेस अयनाक स्थित दुनिया के दूसरे सबसे बड़े तांबा भंडार में दोहन शामिल था.
तालिबान की 'होली' में जलाये गए गिटार, हारमोनियम, तबला
तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता में आते ही सार्वजनिक स्थानों पर संगीत बजाने पर पाबंदी लगा दी थी. अब वाद्य यंत्रों को जला कर तालिबान ने संगीत के प्रति अपनी नफरत का और भी वीभत्स चेहरा दिखाया है. देखिये तस्वीरों में.
तस्वीर: Afghanistan's Ministry for the Propagation of Virtue and the Prevention of Vice/AFP
वाद्य यंत्रों की 'होली'
तालिबान सरकार के नैतिकता मंत्रालय ने जब्त किये हुए वाद्य यंत्रों और उपकरणों की 'होली' जलाई है. यह 'होली' 30 जुलाई को को हेरात प्रांत में जलाई गई.
तस्वीर: Afghanistan's Ministry for the Propagation of Virtue and the Prevention of Vice/AFP
गिटार, हारमोनियम, तबला - सब खाक
जिन चीजों को आग लगाई गई उनमें एक गिटार, दो और तार वाले वाद्य यन्त्र, एक हारमोनियम, एक तबला, एम्पलीफायर और स्पीकर भी शामिल थे. इनमें से अधिकांश चीजों को हेरात के वेडिंग हॉलों से जब्त किया गया था.
तस्वीर: Afghanistan's Ministry for the Propagation of Virtue and the Prevention of Vice/AFP
सैकड़ों डॉलर का सामान
जला दिए गए समाना की कीमत सैकड़ों डॉलर थी, लेकिन संगीत प्रेमियों के लिए यह सब बेशकीमती सामान था. तालिबान संगीत को अनैतिक मानता है.
तस्वीर: Hussein Malla/AP Photo/picture alliance
क्या कहा तालिबान ने
'सदाचार को बढ़ावा देने और दुराचार को रोकने' के मंत्रालय के हेरात विभाग के मुखिया अजीज अल-रहमान अल-मुहाजिर ने कहा, "संगीत को बढ़ावा देने से नैतिक भ्रष्टाचार होता है और उसे बजाने से युवा भटक जाएंगे."
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
इस्लाम के बहाने
अगस्त 2021 में सत्ता हथियाने के बाद से तालिबान के अधिकारियों का इस्लाम के जिस कट्टर रूप में विश्वास है उसे लागू करने के लिए कई नियम और कानूनों की घोषणा की है. इनमें सार्वजनिक स्थानों पर संगीत बजाने पर बैन भी शामिल है.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP/picture alliance
महिलाओं पर गिरी गाज
नए नियमों का सबसे बड़ा खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ा है. वो बिना हिजाब पहने घर से बाहर नहीं का सकतीं. किशोर लड़कियों और महिलाओं को स्कूलों और विश्वविद्यालयों से प्रतिबंधित कर दिया है. देशभर में हजारों ब्यूटी पार्लरों को भी बहुत खर्चीली या गैर-इस्लामी बता कर बंद कर दिया गया है.
सीके/एए (एएफपी)
तस्वीर: ALI KHARA/REUTERS
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एमसीसी को 2008 में वहां खनिज दोहन के अधिकार मिले थे लेकिन 3.5 अरब डॉलर का यह प्रोजेक्ट युद्ध की वजह से सिरे नहीं चढ़ पाया. फिर वहां बौद्ध अवशेष मिलने के बाद मामला और जटिल हो गया.
अफगान खनिज मंत्रालय के प्रवक्ता हुमायूं अफगान कहते हैं, "ये ऐतिहासिक धरोहरें अफगानिस्तान का सांस्कृतिक धन हैं, उसकी पहचान का हिस्सा हैं.” वैसे 23 साल पहले इसी तालिबान ने बामयान में बौद्ध मूर्तियों को गैर-इस्लामिक बताकर तोड़ दिया था.
चीन को हाइड्रोकार्बन की भी भूख है और अफगानिस्तान में मौजूद तेल की संभावनाओं में भी उसकी दिलचस्पी है. जनवरी 2023 से उसने अमू बेसिन में तेल दोहन के लिए समझौते पर बातचीत फिर से शुरू की थी और अब 18 तेल कुओं में दोहन शुरू हो चुका है. इसके अलावा चीनी कंपनियों ने देश में सौर ऊर्जा में करीब आधा अरब डॉलर का निवेश भी किया है.