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चीन ने जारी किया 'वैश्विक सुरक्षा प्रस्ताव'

२१ फ़रवरी २०२३

वैश्विक सुरक्षा पहल चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का प्रमुख प्रस्ताव है. चीन ने यह भी कहा कि वह यूक्रेन में संघर्ष के बारे में "गंभीरता से चिंतित" है.

चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग
चीनी राष्ट्रपति जिनपिंगतस्वीर: CCTV/AP/picture alliance

पिछले साल अप्रैल में चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने एक नए वैश्विक सुरक्षा प्रस्ताव (जीएसआई) को पेश किया था. यह संगठन पुरानी वैश्विक विकास पहल (जीडीआई) का राजनीतिक समकक्ष है. चीनी सरकारी मीडिया ने बताया कि यह पहल वैश्विक शांति और सुरक्षा के संबंध में मूल अवधारणाओं और सिद्धांतों को पेश करती है.

हाल ही में जर्मनी के म्यूनिख में सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेते हुए चीन के केंद्र सरकार के विदेश मामलों के आयोग के कार्यालय के अध्यक्ष वांग यी ने कहा था कि एक सुरक्षित दुनिया के लिए हमें विभिन्न देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने पर कायम रहना चाहिए. उन्होंने कहा था, "एक सुरक्षित दुनिया के लिए हमें बातचीत और परामर्श के जरिए विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर देना चाहिए. एक सुरक्षित विश्व के लिए, हम सभी को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों की ओर लौटना होगा."

साथ ही मंगलवार को देश के शीर्ष राजनयिक ने कहा कि चीन यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के बारे में "गंभीरता से" चिंतित है. 24 फरवरी को यूक्रेन युद्ध को एक साल पूरा हो जाएगा.

यूक्रेन युद्ध पर क्या है चीन की स्थिति?

चीनी विदेश मंत्री चिन गांग ने कहा कि उनका देश "बातचीत और परामर्श को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करेगा, सभी पक्षों की चिंताओं को दूर करेगा और सभी की सुरक्षा के रास्ते तलाश करेगा."

उन्होंने कहा, "साथ ही हम संबंधित देशों से आग्रह करते हैं कि वे जल्द से जल्द आग में घी डालने का काम बंद करें. चीन पर दोष देना बंद करें."

बीजिंग ने कहा था कि वह यूक्रेन संकट के "राजनीतिक समाधान" के लिए इस सप्ताह एक प्रस्ताव प्रकाशित करेगा.

चिन ने अपने बयान में रूस का उल्लेख नहीं किया है जिस पर अमेरिका ने चीन पर उसका समर्थन करने का आरोप लगाया था. अमेरिका का आरोप है कि चीन हथियारों के साथ मॉस्को की मदद कर रहा है.

ताइवान पर क्या बोले चिन

चिन ने आज यूक्रेन कल ताइवान वाली भविष्यवाणियों को हास्यास्पद बताया. उन्होंने यूक्रेन के खिलाफ आक्रामकता और ताइवान के बीच होने वाली तुलना को खारिज कर दिया. उन्होंने देशों से "आज यूक्रेन, कल ताइवान" वाले कोलाहल को बंद करने का आग्रह किया.

गृहयुद्ध के बाद 1949 में ताइवान और चीन अलग हो गए थे, लेकिन तब से चीन लगातार ताइवान पर अपना दावा जताता है. बीजिंग धमकी भी दे चुका है कि अगर जरूरत पड़ी तो वह ताकत का इस्तेमाल कर ताइवान को खुद में मिला लेगा. वन चाइना पॉलिसी के तहत चीन दुनिया भर के देशों से ताइवान को चीन के हिस्से के रूप में स्वीकार करने का दबाव भी डालता है.

एए/वीके (एएफपी, रॉयटर्स)

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