दक्षिण चीन सागर में चीनी और फिलीपीनी जहाजों की टक्कर
१९ अगस्त २०२४
दक्षिणी चीन सागर में फिलीपीन और चीन के जहाजों की टक्कर के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है. चीन ने फिलीपीनी जहाज पर जानबूझकर टक्कर मारने का आरोप लगाया है.
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दक्षिण चीन सागर में सोमवार तड़के विवादित सेकेंड थॉमस शोल के पास चीनी और फिलीपीनी जहाजों की टक्कर हो गई, जिससे दोनों देशों के बीच पहले से जारी तनाव और बढ़ गया है. यह घटना उस क्षेत्र में हाल के महीनों में हुई कई झड़पों में से एक है, जो क्षेत्रीय विवादों का केंद्र बना हुआ है.
चीन की सरकारी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक, चीनी तट रक्षक जहाज 21551 और फिलीपीनी जहाज 4410 की टक्कर स्थानीय समयानुसार सुबह 3:24 बजे हुई. चीनी अधिकारियों ने दावा किया है कि फिलीपीनी जहाज ने कई चेतावनियों को नजरअंदाज करते हुए जानबूझकर टक्कर मारी. चीन के सरकारी प्रसारक सीसीटीवी ने चीन तट रक्षक प्रवक्ता गेंग यू के हवाले से कहा कि फिलीपीनी जहाज ने "गैर-पेशेवर और खतरनाक तरीके" से काम किया.
"अस्थायी व्यवस्थाओं का उल्लंघन"
चीन सरकार ने अपने रुख पर कायम रहते हुए कहा है कि फिलीपीनी जहाजों ने जियानबिन रीफ के पास, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबीना शोल के नाम से जाना जाता है, चीनी जलक्षेत्र में अवैध रूप से प्रवेश किया था. उसके मुताबिक टक्कर उस समय हुई जब चीनी तट रक्षक समुद्री कानूनों का पालन करवा रहा था. गेंग यू ने कहा कि फिलीपीनी कार्रवाई "अस्थायी व्यवस्थाओं" का उल्लंघन है और आगे उकसावे की स्थिति में परिणाम भुगतने की चेतावनी दी.
चीन की पांडा-डिप्लोमेसी
चीन के प्रधानमंत्री ली चियांग ऑस्ट्रेलिया गए तो उन्होंने पांडा भेजने का वादा किया. मूल रूप से चीन में पाए जाने वाले पांडा उसके के लिए कूटनीति का एक औजार रहे हैं. देखिए, कैसे काम करती है चीन की पांडा-कूटनीति.
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क्या है चीन की पांडा डिप्लोमेसी?
पांडा भालू चीन में ही पाए जाते हैं. अक्सर चीन इन्हें विदेशों को तोहफे में देता है. इसे चीन की तरफ से दोस्ती का हाथ बढ़ाने के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है.
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कब शुरू हुई यह कूटनीति?
1949 में पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना के बाद से ही चीन ने पांडा कूटनीति का इस्तेमाल किया है. 1957 में चीनी नेता माओ त्से तुंग ने सोवियत संघ की 40वीं वर्षगांठ पर पांडा भेंट किए थे. 1972 में जब अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन चीन की ऐतिहासिक यात्रा पर गए थे, तो उन्हें भी पांडा भेंट किए गए.
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अब उपहार नहीं
1984 के बाद चीन ने पांडा उपहार में देना बंद कर दिया क्योंकि उनकी आबादी घट रही थी. अब ये विदेशी चिड़ियाघरों को उधार पर दिए जाते हैं. अक्सर यह उधार 10 साल के लिए होता है और एक जोड़ा पांडा एक साल रखने के लिए चीन 10 लाख डॉलर तक लेता है.
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खुश करने के लिए
2013 में ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी ने एक अध्ययन में कहा था कि चीन पांडा कूटनीति का इस्तेमाल व्यापारिक साझीदारों को खुश करने के लिए करता है. जैसे कि कनाडा, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया को जब पांडा उपहार में दिए गए तो उस वक्त उन देशों से चीन ने यूरेनियम को लेकर समझौता किया था.
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नाराजगी जाहिर करने के लिए
2010 में चीन ने अमेरिका में जन्मे दो पांडा, ताई शान और माई लान को वापस बुला लिया. उसके बाद उसने तत्कालीन अमरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की तिब्बत के नेता दलाई लामा के साथ मुलाकात पर आपत्ति जताई.
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बढ़ रही है आबादी
एक वक्त चीन में पांडा की प्रजाति खतरे में पड़ गई थी. लेकिन पिछले सालों में उनकी संख्या में वृद्धि हुई है. 1980 के दशक में वहां 1,100 पांडा थे जो 2023 में बढ़कर 1,900 हो गए. अन्य देशों में फिलहाल 728 पांडा हैं.
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चीनी तट रक्षक ने सोशल मीडिया पर घटना का एक छोटा वीडियो भी जारी किया, जिसमें टक्कर से पहले की स्थिति दिखाई गई है. वीडियो में समय और जहाजों की पहचान के संकेतक लगे हुए हैं, जो बीजिंग के दावों का समर्थन करते हैं कि फिलीपीनी जहाज ने चेतावनियों की अनदेखी की थी. इस वीडियो को चीन में व्यापक रूप से शेयर किया जा रहा है.
सबीना शोल के पास टक्कर के बाद, चीनी अधिकारियों ने बताया कि वही फिलीपीनी जहाज बाद में सेकेंड थॉमस शोल के पास पहुंचा, जो पहले से ही तनाव का केंद्र रहा है. सेकेंड थॉमस शोल पर फिलीपीनी नौसेना का जहाज बीआरपी सिएरा माद्रे मौजूद है, जिसमें दो दशकों से अधिक समय से फिलीपीनी मरीन की एक छोटी टुकड़ी तैनात है. चीन ने इस चौकी तक फिलीपीनी सप्लाई को बार-बार रोकने की कोशिश की है, जिससे फिलीपीनी तट रक्षक के साथ अक्सर टकराव होते रहते हैं.
दक्षिण चीन सागर में चीन के व्यापक दावे कई दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ विवाद का कारण बने हुए हैं. 2016 में द हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय ने फैसला सुनाया कि चीन के दावों का अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत कोई कानूनी आधार नहीं है. हालांकि, बीजिंग ने इस फैसले को लगातार खारिज किया है और क्षेत्र में अपना प्रभुत्व कायम रखने की कोशिश जारी रखी है.
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आक्रामक हुआ है फिलीपींस
फिलीपीनी सरकार ने टक्कर पर अभी तक आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है और फिलीपीनी तट रक्षक से टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं हो सका है. हालांकि, इस घटना से मनीला और बीजिंग के बीच पहले से जारी तनाव और बढ़ने की संभावना है. फिलीपींस ने हाल के वर्षों में अपने क्षेत्रीय दावों को लेकर अधिक आक्रामक रुख अपनाया है, खासकर दक्षिण चीन सागर में चीनी कार्रवाइयों के जवाब में.
2023 में बढ़ गए तैनात परमाणु हथियार
स्वीडन के थिंक टैंक सिप्री (SIPRI) के मुताबिक परमाणु शक्ति संपन्न देशों की नीतियों में परमाणु हथियारों की भूमिका शीत युद्ध के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है.
तस्वीर: Liu Kun/Xinhua/picture alliance
परमाणु हथियारों की भूमिका
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट ने कहा है कि परमाणु शक्ति संपन्न नौ देशों की कूटनीति में परमाणु हथियारों की भूमिका तेजी से बढ़ रही है.
तस्वीर: Getty Images
हर सेकंड 2,898 डॉलर का खर्च
इंटरनेशनल कैंपेन टु अबॉलिश न्यूक्लियर वेपंस (ICAN) के मुताबिक बीते साल इन नौ देशों ने परमाणु हथियारों पर कुल मिलाकर 91.4 अरब डॉलर खर्च किए. यानी प्रति सेकेंड 2,898 डॉलर खर्च किए गए.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
10.7 अरब डॉलर की वृद्धि
2022 के मुकाबले 2023 में परमाणु हथियारों पर 10.7 अरब डॉलर ज्यादा खर्च किए गए. इसका सबसे ज्यादा 80 फीसदी अमेरिका ने खर्च किया.
तस्वीर: abaca/picture alliance
अमेरिका सबसे ऊपर
अमेरिका ने एक साल में परमाणु हथियारों पर 51.5 अरब डॉलर खर्च किए जो बाकी आठ देशों के कुल खर्च से भी ज्यादा है.
तस्वीर: UIG/IMAGO
चीन दूसरे नंबर पर
परमाणु हथियारों पर खर्च के मामले में चीन दूसरे नंबर पर रहा. 2023 में उसने 11.8 अरब डॉलर खर्च किए. 8.3 अरब डॉलर खर्च के साथ रूस तीसरे नंबर पर रहा.
तस्वीर: Xu Yu/Xinhua/picture alliance
2,100 परमाणु हथियार हमले के लिए तैयार
सिप्री का अनुमान है कि इस वक्त 2,100 परमाणु हथियार हमले के लिए पूरी तरह तैयार स्थिति में रखे गए हैं. इनमें से अधिकतर अमेरिका और रूस के हैं. हालांकि चीन ने भी कुछ हथियार तैनात कर दिए हैं जो कि पहली बार है.
तस्वीर: ARTYOM KOROTAYEV/AP/picture alliance
12,121 परमाणु हथियार
सिप्री के मुताबिक दुनिया में कुल 12,121 न्यूक्लियर वॉरहेड हैं जिनमें से 9,585 सेनाओं के पास हैं और इस्तेमाल किए जा सकते हैं. 3,904 वॉरहेड मिसाइलों और विमानों के साथ तैनात किए गए हैं. यह संख्या जनवरी 2023 के मुकाबले 60 ज्यादा है.
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यह घटना उस समय हुई है जब चीन और फिलीपींस ने सेकेंड थॉमस शोल क्षेत्र में तनाव को कम करने के लिए कुछ हफ्ते पहले एक अस्थायी समझौता किया था. हालांकि, चीनी तट रक्षक जहाजों की मौजूदगी और उनके आक्रामक कदमों पर पश्चिमी देशों ने कड़ी आलोचना की है, जो बीजिंग पर अपने क्षेत्रीय दावों को लागू करने के लिए डराने-धमकाने के आरोप लगाते हैं.
दक्षिण चीन सागर में स्थिति अत्यधिक अस्थिर बनी हुई है, और दोनों देशों के दावों को लेकर आगे टकराव का जोखिम बढ़ रहा है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर अमेरिका और उसके सहयोगी, इस घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं, क्योंकि कोई भी बढ़ा हुआ तनाव क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है.