चीन के साथ नॉर्वे के संबंध अब सामान्य हो गए हैं. लेकिन चीन अपने इस रुख पर कायम है कि जिन लोगों को अतीत में शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया वे अलगावादी और अपराधी हैं.
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दोनों देशों के संबंध 2010 में उस वक्त खराब हो गए थे जब नॉर्वे की नोबेल समिति ने चीन के मानवाधिकार कार्यकर्ता लिउ शिआओबो को शांति का नोबेल पुरस्कार दिया था. 59 वर्षीय लिउ को 2009 में देशद्रोह के आरोप में 11 साल की सजा सुनाई गई थी. उन्हें यह सजा चीन में एक पार्टी के शासन को खत्म करने के पक्ष में मुहिम चलाने के आरोपों में दी गई. वह अब भी जेल में हैं. नोबेल समिति के अनुसार उन्हें चीन में मानविधारों के लिए संघर्ष के लिए 2010 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया.
चीन ने इसके लिए नॉर्वे की सरकार को जिम्मेदार ठहराया, हालांकि नोबेल समिति किसको पुरस्कार के लिए चुनेगी, इस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होता. हाल में नॉर्वे के विदेश मंत्री बोएर्गे ब्रेंडे ने बीजिंग का दौरा किया ताकि दोतरफा राजनयिक और राजनीतिक रिश्ते सामान्य किए जा सके. दोनों देश एक मुक्त व्यापार समझौते पर काम कर रहे हैं.
ये हैं 2016 के नोबेल पुरस्कार विजेता
2016 के नोबेल प्राइज
2016 के लिए नोबेल पुरस्कारों का ऐलान हो चुका है. अपने-अपने क्षेत्र में असीम ऊंचाइयां हासिल करने वाले लोगों का सम्मान करने का यह मौका दुनियाभर के लिए खास है. इस बार किस किस को मिला नोबेल...
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साहित्य
महान अमेरिकी गीतकार, संगीतकार को साहित्य का नोबेल दिया जाएगा. वह पहले गीतकार हैं जिन्हें इस पुरस्कार के लिए चुना गया है.
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इकनॉमिक्स
अमेरिका के ऑलिवर हार्ट और बेंग्ट होल्मस्ट्रॉम को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला. दोनों को कॉन्ट्रैक्ट थ्योरी पर किये गए काम के लिए सम्मानित किया गया है.
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केमिस्ट्री
इस साल रसायन शास्त्र का नोबेल ज्यां पीएरे सौवाग, फ्रेजर स्टोडार्ट और बर्नाड फेरिंगा को दिया जाएगा. उन्हें ये सम्मान अणु मशीनों के डिजाइन और कृत्रिम रचनाओं के लिए दिया जाएगा.
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फिजिक्स
ब्रिटेन में पैदा हुए तीन वैज्ञानिकों डेविड थोलेस, डंकन हैलडेने और माइकल कोस्टरलिट्स को भौतिक शास्त्र के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया. इन्होंने अपना ज्यादातर शोध कार्य अमेरिका में किया.
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मेडिसिन
जापान के योशीनोरी ओहसुमी को इस साल चिकित्सा क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है. ये पुरस्कार उन्हें कोशिकीय तत्वों के टूटने और दोबारा बनने की प्रणाली खोजने के लिए दिया जा रहा है.
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शांति
कोलंबिया के राष्ट्रपति हुआन मानुएल सांतोस को इस साल का शांति दूत चुना गया है. सांतोस को देश में जारी विद्रोह को खत्म करने की कोशिशों के लिए सम्मानित किया जाएगा. कोलंबिया में 50 साल से ज्यादा समय से जारी फार्क विद्रोह को खत्म करके शांति समझौता किया है.
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जब चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता से पूछा गया कि क्या नोबेल शाति पुरस्कार पर चीन का रुख बदल गया है तो उन्होंने कहा कि इस पुरस्कार की स्थापना बुनियादी तौर पर लोगों के बीच शांति और मित्रता और निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए हुई थी. उनके मुताबिक, "हम उम्मीद करते हैं कि यह पुरस्कार दुनिया में शांति बनाने के प्रयासों में मददगार होगा. अतीत में, कुछ राजनीति उद्देश्यों को पाने के लिए गलती से नोबेल शांति पुरस्कार ऐसे लोगों को दिया गया है जो चीन को बांटना चाहते हैं, इसकी जातीय एकता को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं और चीन की राजनीतिक शक्ति के खिलाफ काम करने वाले अपराधी हैं.”
चीनी प्रवक्ता ने कहा, "यह न सिर्फ मिस्टर नोबेल की अंतिम इच्छाओं और नोबेल शांति पुरस्कार के उद्देश्यों के विपरीत है, बल्कि यह चीन के आंतरिक मामलों में बर्बर हस्तक्षेप भी है. चीन पूरी तरह इसका विरोधी है और इस बारे में हमारा रुख कतई नहीं बदला है.”
तिब्बतियों के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को 1989 में शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया था. अपने लाखों समर्थकों के साथ भारत में शरण लिए हुए दलाई लामा को चीन एक अलगाववादी मानता है. हालांकि उन्होंने बार-बार कहा है कि वह चीन से तिब्बत की आजादी नहीं मांग रहे हैं, बल्कि वह सिर्फ वास्तविक स्वायत्तता चाहते हैं. 1950 पचास के दशक में दलाई लामा को भागकर भारत में शरण लेनी पड़ी थी. तभी से वहां चीन का राज है.
एके/ओएसजे (रॉयटर्स)
नोबेल शांति पुरस्कार तस्वीरों में
नोबेल शांति पुरस्कार तस्वीरों में
दुनिया भर में स्वतंत्र पत्रकारिता पर हमले हो रहे हैं और लोकतंत्र के इस खंभे को कमजोर करने की कोशिश हो रही है. 2021 का नोबेल शांति पुरस्कार दो पत्रकारों को दिया जाना अभिव्यक्ति की आजादी के महत्व को दिखाता है.
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2021: पत्रकारों को मिला सम्मान
इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार फिलीपींस के समाचार संगठन 'रैपलर' की सीईओ मारिया रेसा और रूसी पत्रकार दिमित्री मुरातोव को दिया गया. उन्हें 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बचाव करने के प्रयासों' के लिए यह पुरस्कार दिया गया है.
2020: वर्ल्ड फूड प्रोग्राम
नोबेल कमेटी की अध्यक्ष बेरिट राइस एंडर्सन के अनुसार 2019 में 88 देशों के करीब 10 करोड़ लोगों तक वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की सहायता पहुंची. डब्ल्यूएफपी दुनिया भर में भूख को मिटाने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने वाला सबसे बड़ा संगठन है. कोरोना के दौर में इस संगठन का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है.
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2019: अबीय अहमद
इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबीय अहमद को एरिट्रिया के साथ जंग के बाद रिश्तों में 20 साल से चले आ रहे ठहराव को खत्म करने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया.
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2018: नादिया मुराद और डेनिस मुकवेंगे
इराक की यजीदी मानवाधिकार कार्यकर्ता नादिया मुराद और कांगो के स्त्रीरोग विशेषज्ञ डेनिस मुकवेंगे को 2018 का शांति का नोबेल पुरस्कार मिलेगा. युद्ध और संघर्षों के दौरान हथियार के तौर पर यौन हिंसा के इस्तेमाल को रोकने के अपने प्रयासों के कारण वे इस पुरस्कार के लिए चुने गए हैं.
2017: आईसीएएन
दुनिया भर में परमाणु हथियारों के खिलाफ अभियान चला रहे संगठन इंटरनेशनल कैम्पेन फॉर एबॉलिशमेंट ऑफ न्यूक्लियर वीपंस को इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है.
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2016 युआन मानुएल सांतोस
कोलंबिया के राष्ट्रपति युआन मानुएल सांतोस को फार्क विद्रोहियों के साथ समझौता करने के लिए 2016 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया. सांतोस ने इस पुरस्कार को देश के गृहयुद्ध के पीड़ितों को समर्पित कर दिया.
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2015: नेशनल डायलोग क्वार्टेट
ट्यूनीशिया के राष्ट्रीय डायलोग क्वार्टेट को यह सम्मान 2011 की क्रांति के बाद बहुलवादी लोकतंत्र के निर्माण के लिए दिया गया है. इस क्रांति के बाद अरब देशों में लोकतांत्रिक आंदोलनों वाले अरब वसंत की शुरुआत हुई थी.
तस्वीर: Reuters/A. Mili
2014: मलाला और कैलाश सत्यार्थी
इस साल शांति के लिए नोबेल पुरस्कार भारत में बचपन बचाओ आंदोलन के कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा के लिए लड़ने वाली मलाला यूसुफजई को दिया गया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
2013: ओपीसीडब्ल्यू
ऑर्गेनाइजेशन फॉर प्रोहिबिशन ऑफ केमिकल वीपन्स यानी ओपीसीडब्ल्यू को रासायानिक हथियारों के निशस्त्रीकरण की कोशिश के लिए नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाएगा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
2012: यूरोपियन यूनियन
60 सालों से ज्यादा से शांति, मैत्री, लोकतंत्र और मानवाधिकार की दिशा में यूरोपियन यूनियन के योगदान को लिए 2012 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया.
तस्वीर: Cornelius Poppe/AFP/Getty Images
2011: मानवाधिकारों के लिए
लाइबेरिया की राष्ट्रपति एलेन जॉनसन सरलीफ, लाइबेरिया की शांति कार्यकर्ता लेमा बोवी और यमन की कार्यकर्ता तवाकुल करमन को महिला अधिकारों की खातिर संघर्ष के लिए संयुक्त रूप से 2011 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया.
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2010: ल्यू चियाओबो, चीन
चीन में अहिंसा और मानव अधिकारों की रक्षा के लिए प्रयास करने वाले चियाओबो को 2010 के शांति पुरस्कार से नवाजा गया.
तस्वीर: picture alliance/dpa
2009: बराक ओबामा, अमेरिका
अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और सहयोग के लिए ओबामा ने 2009 में यह सम्मान हासिल किया. हालांकि उस समय उन्हें शांति पुरस्कार दिया जाना खासा विवादास्पद रहा.
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2008: मारत्ती अहतिसारी, फिनलैंड
अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को सुलझाने में अहतिसारी का तीस सालों से अहम योगदान रहा है जिसके लिए उन्हें शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
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2007: आईपीसीसी
इंटरनेशनल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज(आईपीसीसी) ने 2007 में नोबेल शांति पुरस्कार हासिल किया. तस्वीर में अमेरिका के अल गोर और भारत के राजेंद्र पचौरी.
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2006: मुहम्मद यूनुस और ग्रामीण बैंक, बांग्लादेश
आर्थिक और सामाजिक विकास की दिशा में बांग्लादेश के मुहम्मद यूनुस और उनके ग्रामीण बैंक को नोबेल शांति पुरस्कार 2006 में दिया गया.
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2005: मोहम्मद अलबरदेई, मिस्र
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी और मुहम्मद अलबरदेई के प्रयास रहे कि परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल सैन्य जरूरतों के लिए ना हो, इसका इस्तेमाल केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए ही हो. उनके प्रयासों को 2005 में शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया.