चीन ने हांग कांग के स्थायी निवासी जिसके पास अमेरिकी नागरिकता भी है, उसे जासूसी के लिए आजीवन कारावास की सजा दी है.
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चीन की एक स्थानीय अदालत ने 78 साल के एक अमेरिकी नागरिक को जासूसी के आरोप में सोमवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक जॉन शिंग वान लियांग हांग कांग का स्थायी निवासी हैं और उनके पास अमेरिकी नागरिकता भी है.
2021 में हिरासत में लिया गया था
एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक लियांग को 15 अप्रैल 2021 को सुजाऊ के दक्षिणपूर्वी शहर में काउंटर इंटेलिजेंस एजेंसी द्वारा हिरासत में लिया गया था. इस व्यक्ति की सजा की खबर सोमवार को सुजाऊ में एक इंटरमीडिएट पीपल्स कोर्ट के वीचैट अकाउंट के जरिए से आई.
अदालत ने एक बयान में कहा कि लियांग को "जासूसी का दोषी पाया गया, उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, जीवन भर के लिए राजनीतिक अधिकारों से वंचित किया गया" है.
हालांकि अदालत ने लियांग की सजा की घोषणा की, उन पर क्या आरोप लगाया गया था, इसके बारे में कोई और विवरण नहीं दिया गया.
बीजिंग में अमेरिकी दूतावास ने टिप्पणी के लिए समाचार एजेंसी एएफपी के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया.
वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच संबंध व्यापार, प्रौद्योगिकी, मानवाधिकारों और क्षेत्रीय दावों के प्रति चीन के दृष्टिकोण पर विवादों से भरे हुए हैं. सेफगार्ड डिफेंडर्स की ओर से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक चीनी और विदेशी नागरिक चीन के निकास प्रतिबंधों के जाल में फंस गए हैं. जबकि समाचार एजेंसी रॉयटर्स के विश्लेषण में यह भी पाया गया कि हाल के सालों में इस तरह के प्रतिबंधों से संबंधित अदालती मामलों में वृद्धि हुई है और विदेशी व्यापार लॉबी अब इस स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त कर रही है.
देश से बाहर जाने से रोकने के लिए कानूनी सहारा
सेफगार्ड डिफेंडर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, "जब से शी जिनपिंग ने 2012 में सत्ता संभाली है, चीन ने देश छोड़ने पर प्रतिबंध के लिए कानूनी परिदृश्य का विस्तार किया है और कभी-कभी कानूनी औचित्य के बाहर उनका इस्तेमाल किया है."
समूह की अभियान निदेशक लॉरा हर्थ के मुताबिक, "2018 से इस साल अब तक कम से कम पांच नए कानून या मौजूदा कानूनों में संशोधन किए गए हैं जो निकास प्रतिबंधों के इस्तेमाल की अनुमति देते हैं. अभी तक इस संबंध में कुल 15 कानून अस्तित्व में आ चुके हैं."
चीन ने हाल ही में अपने जासूसी विरोधी कानून में भी सुधार किया, जो किसी भी चीनी या विदेशी को देश छोड़ने से प्रतिबंधित कर सकता है.
एए/वीके (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)
कहां घट रही है और कहां बढ़ रही है आबादी
दुनिया की आबादी ने भले ही आठ अरब का आंकड़ा पार कर लिया हो, लेकिन चीन समेत कई देशों की आबादी घट रही है. जानिए दुनिया के किस कोने में किस तरह के बदलाव आ रहे हैं.
तस्वीर: Roberto Paquete/DW
कम बच्चे पैदा हो रहे हैं
कई देशों की आबादी घट रही है और यह गिरावट आगे भी जारी रहेगी. इसके लिए कई कारण जिम्मेदार हैं, जैसे खर्चों का बढ़ना, ज्यादा महिलाओं का नौकरी करना, लोगों का देर से बच्चे पैदा करना, आदि. इन सब की वजह से कई देशों में पहले के मुकाबले कम बच्चे पैदा हो रहे हैं.
तस्वीर: CFOTO/picture alliance
चीन नहीं रहेगा नंबर एक
पिछले साल चीन की आबादी 60 सालों में पहली बार घट गई, जिसकी वहज से अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसी साल वो दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले देश की पहचान खो देगा. साल 2100 तक चीन की आबादी आज के स्तर से लगभग आधी, यानी 1.4 अरब से 77.1 करोड़ हो सकती है. भारत इसी साल चीन की जगह ले सकता है.
तस्वीर: Wang Zhao/AFP/Getty Images
यूरोप में गिरी आबादी
जुलाई 2022 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 10 सालों में एक करोड़ से ज्यादा आबादी वाले आठ देशों की आबादी कम हो गई. इनमें से अधिकांश देश यूरोप में हैं, जिनमें यूक्रेन, यूनान, इटली, पोलैंड, पुर्तगाल और रोमानिया शामिल हैं.
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यूरोप के बाहर भी गिरावट
इस सूची में सिर्फ जापान और सीरिया गैर-यूरोपीय देश हैं. सीरिया में 2011 से युद्ध चल रहा है और उसका देश की आबादी पर गहरा असर पड़ा है. लेकिन आने वाले सालों में सीरिया की आबादी के बढ़ने का अंदाजा है. बाकी सात देशों में आबादी में आई गिरावट जारी रहेगी.
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जापान में दोहरी समस्या
जापान में ज्यादा बुजुर्गों के होने की वजह से देश की कुल आबादी गिर रही है. वहां आप्रवासन भी कम हो रहा है. 2011 से 2021 के बीच जापान की आबादी में तीस लाख से ज्यादा की गिरावट आई.
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कई और देशों में भी आएगी गिरावट
2030 तक रूस, जर्मनी, दक्षिण कोरिया और स्पेन की आबादी भी घटनी शुरू हो जाएगी. 2050 तक थाईलैंड, फ्रांस, उत्तर कोरिया और श्रीलंका की आबादी भी गिरने लगेगी. कई दूसरे देशों के लिए इस सदी के दूसरे हिस्से में आबादी के गिरने का पूर्वानुमान है. इनमें भारत, इंडोनेशिया, तुर्की और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं.
तस्वीर: Subrata Goswami/DW
अफ्रीका में अलग तस्वीर
जहां साल 2100 तक यूरोप, अमेरिका और एशिया की आबादी में गिरावट आ रही होगी, वहीं उस समय तक अफ्रीका में अलग तस्वीर उभरने का पूर्वानुमान है. अनुमान है कि अफ्रीका की आबादी बढ़ती रहेगी और 2100 तक 1.4 अरब से बढ़कर 3.9 अरब हो जाएगी. जहां इस समय अफ्रीका में दुनिया की आबादी करीब 18 फीसदी हिस्सा रहता है, वहीं 2100 तक यह आंकड़ा बढ़कर 38 प्रतिशत हो जाएगा.
तस्वीर: Roberto Paquete/DW
कई दशक बाद गिरेगी दुनिया की आबादी
लेकिन संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक कुल मिला कर धरती की आबादी में गिरावट 2090 के दशक में शुरू होगी. गिरने से पहले पूरी दुनिया की दुनिया बढ़ कर 10.4 अरब तक पहुंच जाएगी. (एएफपी)