चीन के एक अखबार में छपी एक रिपोर्ट ने वीडियो गेमिंग कंपनी को अरबों डॉलर की चपत लगा दी. कंपनी को कई कदम उठाने पर भी मजबूर होना पड़ा.
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चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी के अखबार पीपल्स डेली में छपे एक लेख में सरकार को सलाह दी गई है कि बच्चों को इंटरनेट के खतरों से बचाए जाने की जरूरत है. मंगलवार को चीन के एक अन्य अखबार इकनॉमिक इन्फॉर्मेशन डेली में ऑनलाइन गेमिंग के बारे में एक रिपोर्ट छपी थी जिसमें गेमिंग को ‘आध्यात्मिक अफीम' बताया गया था.
देश में यह रिपोर्ट हजारों बार शेयर की गई जिसके बाद गेम डिजाइन करने वाली कंपनी टेनसेंट होल्डिंग्स लिमिटेड के शेयर 6.1 प्रतिशत से ज्यादा गिर गए. बाद में उस रिपोर्ट को दोबारा छापा गया और उसमें से ‘आध्यात्मिक अफीम' को हटा लिया गया.
खतरों पर उपदेश
पीपल्स डेली में लेख झाओ यिचेन ने लिखा है. उन्होंने कुछ खास ऑनलाइन मीडिया के खतरों का जिक्र करते हुए देश में हाल ही में लाए गए बदलावों की तारीफ की. झाओ ने लिखा है, "मिसाल के लिए कुछ ऑनलाइन गेम और वेबकास्ट पूरी तरह अभद्रता, हिंसा और अन्य ऐसे तत्वों से भरे हुए हैं जो किशोरों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं.”
गेमिंग में शोहरत की इतनी बड़ी कीमत!
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झाओ लिखते हैं कि न्यू मीडिया के युग में बच्चों को ‘नेटवर्क' से बचाना उतना आसान नहीं है जितना लत से बचाना. वह कहते हैं, "नई इंटरनेट ऐप्लिकेशन नई समस्याएं पैदा कर रही हैं, जिस कारण बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा तुरंत जरूरी हो गई है.”
टेनसेंट ने उठाए कदम
मंगलवार को इकनॉमिक इन्फॉर्मेशन डेली में छपी रिपोर्ट के बाद टेनसेंट होल्डिंग्स लिमिटेड ने अवयस्क किशोरों तक अपनी प्रमुख वीडियो गेम की पहुंच रोकने के लिए कदम उठाने का ऐलान किया है. इकनॉमिक इन्फॉर्मेशन डेली की रिपोर्ट छपने के कुछ ही घंटे में इस चीनी कंपनी के शेयर 10 फीसदी तक गिर गए थे.
ये 'मीम' क्या बला है
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इकनॉमिक इन्फॉर्मेशन डेली ने अपनी रिपोर्ट में कंपनी की प्रमुख वीडियो गेम ‘ऑनर ऑफ किंग्स' का जिक्र किया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि किशोरों को गेमिंग की लत लग रही है और इस उद्योग पर पाबंदियां लगाए जाने की जरूरत है. इकनॉमिक इन्फॉर्मेशन डेली अखबार चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ से संबंद्ध है.
इस रिपोर्ट के प्रकाशित होते ही निवेशकों में हड़कंप मच गया. उन्हें आशंका थी कि सरकार गेमिंग के खिलाफ कछ कदम उठाने जा रही है. इस आशंका का आधार सरकार द्वारा हाल ही में प्रॉपर्टी, शिक्षा और तकनीकी क्षेत्रों पर लगाई गई पाबंदियां भी थीं.
अरबों का नुकसान
बीजिंग स्थित कन्सल्टेंसी फर्म ट्रिवियम के ईथर यिन निवेशकों के बारे में कहते हैं, "उन्हें लगता है कि किसी भी चीज पर पाबंदी लगाई जा सकती है इसलिए वे तुरंत कदम उठाते हैं और कई बार सरकारी मीडिया में छपी चीजों पर जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया भी देते हैं.”
तस्वीरों मेंः पबजी खेल और कमाई का जरिया
पबजी खेल और कमाई का जरिया
चीन से तनाव के बीच भारत ने मशहूर गेमिंग ऐप पबजी समेत 118 चीनी मोबाइल ऐप्स को बैन कर दिया है. पबजी बैन को लेकर कहीं खुशी तो कहीं गम वाला माहौल है. जानिए पबजी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य.
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भारत में बैन पबजी
भारत सरकार ने अपनी ताजा कार्रवाई में 118 चीनी मोबाइल ऐप्स को बैन कर दिया है. पबजी एक मोबाइल गेमिंग ऐप है जो कि भारत में काफी लोकप्रिय है. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब 5 करोड़ सक्रिय पबजी यूजर्स हैं. इस गेम से जुड़े आंकड़ों के मुताबिक हर रोज 13 लाख लोग इसे खेलते हैं. सिर्फ भारत में पबजी को 17.5 करोड़ से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है.
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पबजी क्यों बैन
भारत सरकार का कहना है कि पबजी समेत 118 चीनी ऐप्स को इसलिए बैन किया गया है क्योंकि ये देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा है. पबजी के अलावा जिन गेमिंग ऐप्स को बैन किया गया है वे हैं-लूडो वर्ल्ड, चेस रश, राइज ऑफ किंगडम्स, साइबर हंटर, वॉर पाथ, डांक टैंक्स और गेम ऑफ सुल्तान्स. भारत में अब तक 224 चीनी ऐप्स को बैन किया जा चुका है.
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पबजी की लोकप्रियता
भारत ही नहीं दुनिया भर में पबजी के चाहने वालों और उसे खेलने वालों की कोई कमी नहीं है. चीनी कंपनी टेनसेंट के हाथों में पबजी का कंट्रोल है. सिर्फ सात महीनों में पबजी ने 3 अरब डॉलर की वैश्विक आय कर ली है. चीन और अमेरिका में भी यह काफी लोकप्रिय है.
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पबजी बैन, लगा सदमा!
पबजी खेलने वाले युवाओं को इसके बैन होने से झटका तो लगा ही है लेकिन उनका कहना है कि देश के आगे कुछ नहीं है. कुछ बच्चों ने लॉकडाउन के दौरान समय बिताने के लिए पबजी डाउनलोड किए थे लेकिन गेम में दिलचस्पी बढ़ने के साथ उनका इस प्लेटफॉर्म पर समय ज्यादा बीतने लगा, जिससे माता-पिता भी परेशान हो गए थे. बैन होने से माता-पिता को खुशी तो हुई है लेकिन गेम खेलने वालों में मायूसी है.
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प्रोफेशनल गेमर्स
पबजी पर लोग केवल समय काटने के लिए गेम नहीं खेलते हैं बल्कि इस पर प्रोफेशनल गेमर्स पैसे भी कमाते हैं. भारत में कुछ प्रोफेशनल गेमर्स लाखों रुपये तक कमा लेते हैं. भारत में पबजी के पोस्टर ब्वॉय नमन 'मॉर्टल' माथुर गेम को यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीम करते आए हैं और उनके यूट्यूब पर 60 लाख से अधिक फालोअर्स हैं. उनकी तरह कई और प्रोफेशनल खिलाड़ी हैं जो पबजी पर गेम खेलने के साथ साथ पैसे कमाते आए हैं.
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पबजी से कमाई
एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रोफेशनल खिलाड़ी गेमिंग कंपनी के साथ करार कर एक लाख रुपये तक महीना कमा सकते हैं. यही नहीं कोई खिलाड़ी अपने गेम की लाइव स्ट्रीमिंग कर विज्ञापन के जरिए भी महीने के 25 से 30 हजार रुपये कमा सकता है.
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पबजी टूर्नामेंट
पिछले साल भारत में पहली बार पबजी टूर्नामेंट का आयोजन किया गया था. विजेता टीम ने इनाम के तौर पर 30 लाख रुपये जीता था. पबजी टूर्नामेंट्स भी खिलाड़ियों के लिए अच्छी खासी कमाई का जरिया रहा है.
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'पहले से था अंदेशा'
पबजी के प्रोफेशनल खिलाड़ियों का कहना है कि उन्हें पहले से ही पबजी के बैन होने का अंदेशा था. उनके मुताबिक जब से वीडियो शेयरिंग ऐप टिक टॉक बैन हुआ है उन्हें लग ही रहा था कि अब पबजी की बारी आने वाली है. प्रोफेशनल खिलाड़ी इस बैन को झटके के तौर पर ले रहे हैं. उनका कहना है कि यह उनकी आय का जरिया था.
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देसी ऐप्स के लिए मौका
भारत में कई ऐसी तकनीक कंपनियां हैं जो गेमिंग ऐप पर काम करती हैं लेकिन अब तक उन्हें पबजी जितनी लोकप्रियता हासिल नहीं हुई है. कुछ देसी मोबाइल ऐप के लिए पबजी का बैन होना एक अवसर के तौर पर आया है. आने वाले दिनों में वे टूर्नामेंट के जरिए अपनी लोकप्रियता बढ़ा सकती हैं.
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मां-बाप को लाखों की चपत
कुछ महीने पहले पंजाब में एक लड़के ने इन-ऐप पर्चेजेस और ऐप अपग्रेडिंग के लिए 16 लाख रुपये उड़ा दिए थे. इस लड़के के पास अपने माता-पिता के तीन बैंक खातों की जानकारी थी और उसने पबजी मोबाइल ऐप में पैसे खर्च करने के लिए इन बैंक खातों का इस्तेमाल कर डाला.
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इस भय का चीन की सबसे बड़ी सोशल मीडिया और वीडियो गेम कंपनी को भारी खामियाजा चुकाना पड़ा. उसकी बाजार पूंजी में से लगभग 60 अरब डॉलर कुछ ही घंटों में सफाचट हो गए.
इकनॉमिक इन्फॉर्मेशन डेली की रिपोर्ट का असर यूरोप और अमेरिका की गेमिंग कंपनियों के शेयरों पर भी पड़ा. चीनी बाजार में सबसे ज्यादा पहुंच रखने वाली एक्टिविजन ब्लिजर्ड के शेयर 3.8 फीसदी गिर गए थे.