अमेरिका की चेतावनी और ऑस्ट्रेलिया की चिंताओं को धता बताते हुए चीन ने प्रशांत महासागर स्थित द्वीपीय देश सोलोमन आईलैंड्स के साथ रक्षा समझौता कर लिया है.
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चीन ने सोलोमन आईलैंड्स के साथ एक समझौता किया है जिसे लेकर पश्चिमी देश पहले से ही चिंता जता रहे थे. ऑस्ट्रेलिया के पास ही स्थित सोलोमन आईलैंड्स के प्रधानमंत्री मनासे सोगावारे ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार ने चीन के साथ "आंखें खोलकर" समझौते पर दस्तखत किए हैं. हालांकि इस समझौते की शर्तें सार्वजनिक करने के सवाल का उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.
मंगलवार को चीन ने इस समझौते का ऐलान किया. मंगलवार को चीन की शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने विदेश मंत्री वांग यी के हवाले से लिखा था कि दोनों देशों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हो गए हैं. शिन्हुआ के मुताबिक वांग यी ने कहा, "दोनों पक्ष सामाजिक व्यवस्था, लोगों के जान ओ माल, मानवीय सहायता और आपदा प्रबंधन के क्षेत्रों में सहयोग करेंगे, ताकि सोलोमन आईलैंड्स की अपनी सुरक्षा कर पाने की क्षमता को बढ़ाया जा सके."
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया काफी समय से इस समझौते को लेकर चिंताएं जता रहे थे. उन्होंने आशंका जताई थी कि इस समझौते के जरिए चीन दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाना चाहता है.
कितने परमाणु हथियार हैं दुनिया में और किसके पास
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के तीन दिन बाद ही परमाणु हथियारों को भी हाई अलर्ट पर रखने का हुक्म दिया. रूस के पास कुल कितने परमाणु हथियार हैं. रूस के अलावा दुनिया में और कितने परमाणु हथियार है?
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
कितने परमाणु हथियार
स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान यानी सीपरी हर साल दुनिया भर में हथियारों के बारे में रिपोर्ट तैयार करती है. सीपरी के मुताबिक 2021 की शुरुआत में दुनिया भर में कुल 13,080 परमाणु हथियार मौजूद थे. इनमें से 3,825 परमाणु हथियार सेनाओं के पास हैं और 2,000 हथियार हाई अलर्ट की स्थिति में रखे गए हैं, यानी कभी भी इनका उपयोग किया जा सकता है. तस्वीर में दिख रहा बम वह है जो हिरोशिमा पर गिराया गया था.
तस्वीर: AFP
किन देशों के पास है परमाणु हथियार
सीपरी के मुताबिक दुनिया के कुल 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं. इन देशों में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राएल और उत्तर कोरिया के नाम शामिल हैं. दुनिया में परमाणु हथियारों की कुल संख्या में कमी आ रही है हालांकि ऐसा मुख्य रूप से अमेरिका और रूस के परमाणु हथियारों में कटौती की वजह से हुआ है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
उत्तर कोरिया
डेमोक्रैटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया यानी उत्तर कोरिया ने 2006 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. वर्तमान में उसके पास 40-50 परमाणु हथियार होने का अनुमान है.
तस्वीर: KCNA/KNS/AP/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण कब किया इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. फिलहाल इस्राएल के पार 90 परमाणु हथियार होने की बात कही जाती है. इस्राएल ने भी परमाणु हथियारों की कहीं तैनाती नहीं की है. तस्वीर में शिमोन पेरेज नेगेव न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर नजर आ रहा है. इस्राएल ने बहुत समय तक इसे छिपाए रखा था.
तस्वीर: Planet Labs Inc./AP/picture alliance
भारत
भारत के परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 156 हथियार हैं जिन्हें रिजर्व रखा गया है. अब तक जो जानकारी है उसके मुताबिक भारत ने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है. भारत ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण 1974 में किया था.
तस्वीर: Indian Defence Research and Development Organisation/epa/dpa/picture alliance
पाकिस्तान
भारत के पड़ोसी पाकिस्तान के पास कुल 165 परमाणु हथियार मौजूद हैं. पाकिस्तान ने भी अपने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है और उन्हें रिजर्व रखा है. पाकिस्तान ने 1998 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
ब्रिटेन
ब्रिटेन के पास मौजूद परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 225 हथियार है. इनमें से 120 परमाणु हथियारों को ब्रिटेन ने तैनात कर रखा है जबकि 105 हथियार उसने रिजर्व में रखे हैं. ब्रिटेन ने पहला बार नाभिकीय परीक्षण 1952 में किया था. तस्वीर में नजर आ रही ब्रिटेन की पनडुब्बी परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
फ्रांस
फ्रांस ने 1960 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था और फिलहाल उसके पास 290 परमाणु हथियार मौजूद हैं. फ्रांस ने 280 परमाणु हथियारों की तैनाती कर रखी है और 10 हथियार रिजर्व में रखे हैं. यह तस्वीर 1971 की है तब फ्रांस ने मुरुरोआ एटॉल में परमाणउ परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
चीन
चीन ने 1964 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. उसके पास कुल 350 परमाणु हथियार मौजूद हैं. उसने कितने परमाणु हथियार तैनात किए हैं और कितने रिजर्व में रखे हैं इसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है.
तस्वीर: Zhang Haofu/Xinhua/picture alliance
अमेरिका
परमाणु हथियारों की संख्या के लिहाज से अमेरिका फिलहाल दूसरे नंबर पर है. अमेरिका ने 1,800 हथियार तैनात कर रखे हैं जबकि 2,000 हथियार रिजर्व में रखे गए हैं. इनके अलावा अमेरिका के पास 1,760 और परमाणु हथियार भी हैं. अमेरिका ने 1945 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: Jim Lo Scalzo/EPA/dpa/picture alliance
रूस
वर्तमान में रूस के पास सबसे ज्यादा 6,255 परमाणु हथियार हैं. इनमें से 1,625 हथियारों को रूस ने तैनात कर रखा है. 2,870 परमाणु हथियार रूस ने रिजर्व में रखे हैं जबकि दूसरे परमाणु हथियारों की संख्या 1,760 है. रूस के हथियारों की संख्या 2020 के मुकाबले थोड़ी बढ़ी है. रूस ने 1949 में परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल की थी.
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
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सोगारेव की सरकार ने इन चिंताओं की परवाह नहीं करते हुए समझौता करने का फैसला किया. उन्होंने अपनी संसद को "गौरव और सम्मान" का अनुभव करते हुए जानकारी दी कि अधिकारियों ने "कुछ दिन पहले" इस समझौते पर दस्तखत किए हैं. लेकिन विपक्ष ने जब जानना चाहा कि समझौता क्या हुआ है और उसे कब सार्वजनिक किया जाएगा, तो उन्होंने बताने से इनकार कर दिया.
इतनी चिंता क्यों है?
इस समझौते के प्रस्ताव का एक मसौदा पिछले महीने लीक हो गया था, जिसने खासतौर पर पश्चिमी देशों को परेशान कर दिया था. उस मसौदे में एक शर्त यह भी थी कि समझौते के तहत चीन की जल सेना को सोलोमन आईलैंड्स पर तैनाती का अधिकार मिल जाएगा. उसके बाद ही ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका इस समझौते को रोकने की कोशिश में जुट गए थे लेकिन वे नाकाम रहे.
सोलोमन आईलैंड्स का ऑस्ट्रेलिया के साथ भी एक रक्षा समझौता है जो अगस्त 2017 में हुआ था. उस समझौते के तहत जरूरत पड़ने पर ऑस्ट्रेलिया की पुलिस, सेना और नागरिक अधिकारियों को द्वीपीय देश में तैनात किया जा सकता है.
सोगारेव ने कहा कि चीन के साथ जो समझौता हुआ है वह ऑस्ट्रेलिया के साथ समझौते के संपूरक के तौर पर काम करेगा. उन्होंने कहा कि यदि उनका देश मौजूदा स्थिति में बदलाव नहीं करता तो ‘गंभीर सुरक्षा अंतर' को पाटने में मुश्किल होती. सोगारेव ने कहा, "मैं लोगों को आशवस्त करना चाहता हूं कि चीन के साथ समझौता हमने खुली आंखों से किया है, जो हमारे राष्ट्रीय हितों के अनुरूप है." उन्होंने अपने "पड़ोसियों, दोस्तों और साझीदारों से सोलोमन आईलैंड्स के संप्रभु हितों का सम्मान" करने को कहा.
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ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने की आलोचना
ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मरीस पाएन ने इस समझौते के लिए सोगोरेव सरकार की आलोचना की है. उन्होंने पादर्शिता की कमी का आरोप लगाया और कहा कि अन्य प्रशांत देशों से इस बारे में विचार-विमर्श नहीं किया गया. पिछले हफ्ते ही देश के प्रशांत मामलों के मंत्री जेड सेसेल्या ने सोलोमन आईलैंड्स की यात्रा की थी और उसे समझौता ना करने के लिए मनाने की कोशिश की थी. अमेरिका के एशिया मामलों के मंत्री कर्ट कैंबल और ईस्ट एशियन व प्रशांत मामलों के सहायक मंत्री डेनियल क्रिटेनब्रिंक इसी हफ्ते सोलोमान आईलैंड्स जा रहे हैं.
यूं बनते हैं ताइवान के सबसे शक्तिशाली योद्धा
ये ताइवान के सबसे शक्तिशाली सैनिकों में से हैं. देश के सबसे विशेष दल एंफीबियस रीकॉनेसाँ ऐंड पट्रोल (एआरपी) यूनिट में भर्ती होना अमेरिका के सबसे विशिष्ट सैन्य दल नेवी सील जैसा ही मुश्किल है. देखिए...
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लोहे से सख्त सैनिक
ताइवान की सबसे विशेष सैन्य यूनिट एआरपी में भर्ती होने के लिए ट्रेनिंग दस हफ्ते चलती है. इस साल 31 प्रतिभागियों ने इस ट्रेनिंग में हिस्सा लिया लेकिन कामयाब सिर्फ 15 हो पाएंगे. इस ट्रेनिंग में सैनिकों की शरीर और आत्मा दोनों को कठिनतम हालात से गुजरना होता है.
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शीत स्नान
दिनभर समुद्र में ट्रेनिंग करने के बाद सैनिकों को इस तरह बर्फीले पानी से नहलाया जाता है. कांपते हुए भी इन्हें खंभों की तरह खड़े रहना होता है.
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सामान्य नहीं अभ्यास
इन सैनिकों का अभ्यास देखने में जितना सामान्य लगता है, उतना है नहीं. प्रशिक्षक बेहद कठोर होते हैं और जरा भी समझौता नहीं करते. सैनिक घंटों तक पानी और जमीन पर अभ्यास करते हैं. छुट्टी के नाम पर कुछ मिनट ही मिलते हैं.
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युद्ध के लिए तैयारी
इन जवानों को हर तरह के हालात के लिए तैयार रहने की ट्रेनिंग दी जाती है. अफसर उम्मीद करते हैं कि इस अभ्यास से जवानों में इच्छाशक्ति पैदा होगी और वे एक दूसरे के लिए व देश के लिए हर हालात में खड़े रहेंगे.
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पानी में जीवन
इन जवानों को अधिकतर समय समुद्र या स्विमिंग पूल में गुजारना होता है. वे पूरी वर्दी में तैरने से लेकर लंबे समय तक पानी के अंदर सांस रोकने जैसे कौशल सीखते हैं. कई बार उन्हें हाथ-पांव बांधकर पानी में फेंक दिया जाता है.
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टूटने की हद तक
जवानों के शरीर को टूट जाने की हद तक तोड़-मरोड़ा जाता है. इस दौरान उनकी चीखें निकलती हैं. और अगर कोई जवान प्रशिक्षक का विरोध कर दे, तो फौरन उसे बाहर कर दिया जाता है.
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पथरीला रास्ता
आखरी ट्रेनिंग को स्वर्ग का रास्ता कहा जाता है. इस अभ्यास में जवानों को एक बेहद मुश्किल बाधा दौड़ से गुजरना होता है. उन्हें बिना कपड़े पहने ही, कुहनियों पर चलने से लेकर, पत्थरों पर घिसटने तक कई ऐसी बाधाएं पार करनी होती हैं जो आम इंसान के लिए असंभव हैं.
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जीत की घंटी
पास होने वाले जवानों को यह घंटी बजाने का मौका मिलता है. प्रोग्राम में शामिल सभी जवानों की किस्मत में यह घंटी नहीं होती. लेकिन इस बेहद कठिन ट्रेनिंग के लिए जवान अपनी इच्छा से आते हैं.
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व्हाइट हाउस के एक प्रवक्ता ने इसी हफ्ते कहा था कि अमेरिका इस मामले पर सोलोमन आईलैंड्सके नेताओं के साथ बात करेगा. इस प्रवक्ता ने कहा, "हम इस समझौते में पारदर्शिता की कमी और स्पष्टता ना होने को लेकर चिंतित हैं क्योंकि यह चीन उसी चलन का हिस्सा है जिसके तहत चीन मछली पकड़ने, संसाधनों के प्रबंधन और विकास सहायता आदि के बारे में बिना क्षेत्रीय सहयोगियों से परामर्श किए अस्पष्ट समझौते कर रहा है."