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गलवान घाटी की झड़प में शामिल चीनी सैनिक का सम्मान

३ फ़रवरी २०२२

बीजिंग में शुक्रवार से शुरू हो रहे शीतकालीन ओलंपिक पहले राजनीतिक विवादों के घेरे में हैं, अब एक घटना ने कुछ भारतीयों को भी इस आयोजन पर सवाल उठाने का मौका दे दिया है.

बीजिंग ओलंपिक की मशाल रिले में पीएलए के रेजिमेंट कमांडर की फाबाओ
बीजिंग ओलंपिक की मशाल रिले में पीएलए के रेजिमेंट कमांडर की फाबाओतस्वीर: REUTERS

शीतकालीन ओलंपिक की मशाल रिले में एक चीनी सैनिक के हिस्सा लेने को वहां के राष्ट्रीय मीडिया ने बढ़-चढ़कर दिखाया जिस पर भारत में तीखी प्रतिक्रिया हुई. यह चीनी सैनिक पीपल्स लिबरेशन आर्मी का रेजिमेंट कमांडर की फाबाओ हैं, जो 2020 में गलवान में भारतीय सैनिकों के साथ हुई झड़प में शामिल थे.

चीन के ग्लोबल टाइम्स अखबार ने फाबाओ को एक नायक बताते हुए कहा कि वह मशाल रैली के 1,200 हिस्सेदारों में से एक थे. गलवान में भारतीय सैनिकों के साथ हुई झड़प में की घायल हो गए थे. उनके सिर पर गंभीर चोटें लगी थीं.

की के मशाल रैली में हिस्सा लेने पर भारतीय पत्रकार अभिषेक भल्ला ने ट्विटर पर लिखा, "चीन का आक्रामक सूचना युद्ध जारी है. अपने सैनिकों के मरने के बारे में ऐलान करने में तो उन्हें समय लगा था लेकिन अब की फाबाओ मशालधारी है.”

द हिंदू अखबार से जुड़े चीनी मामलों पर लिखने वाले पत्रकार अनंत कृष्णन ने ट्विटर पर लिखा, "पीएलए कमांडर को शीतकालीन ओलंपिक खेलों में मशालधारी के रूप में इस्तेमाल करना चीन के उन कई कदमों में से एक है जो गलवान में हुई झड़प को सुर्खियों में बनाए रखने के लिए उठाए गए हैं.”

कृष्णन के इस ट्वीट के जवाब में ग्लोबल टाइम्स में टिप्पणीकार हू शीजिन ने लिखा, "की फाबाओ एक खूनी संघर्ष में बचे हैं. उन्होंने मशाल रिले में हिस्सा लिया. इसमें मुझे तो यह नजर आया कि यह भारत-चीन सीमा पर शांति की अपील है, दुनिया में शांति की अपील है. इसमें क्या गलत है? अगर आप नैतिक आधार पर नहीं सोचते हैं तो आपको हर चीज बिगड़ी हुई नजर आती है.”

शीतकालीन ओलंपिक में राजनीति

चीन के बीजिंग में हो रहे ये खेल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीति का जरिया बन गए हैं. खेलों का उद्घाटन शुक्रवार को होना है लेकिन दुनियाभर के कई देशों ने इन खेलों का बहिष्कार किया है. अमेरिका ने चीन के शिनजियांग में उइगुर मुसलमानों की प्रताड़ना को मुद्दा बनाते हुए खेलों का बहिष्कार किया है, जिसमें कई देशों ने उसका साथ दिया है.

इसके अलावा कोविड-19 महामारी के चलते भी बहुत से देशों के राजनेताओं ने खेलों के समारोहों में शामिल ना होने का फैसला किया है. जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने भी बीजिंग जाने से इनकार कर दिया है.

भारत की तरफ से ओलंपिक खेलों में सिर्फ एक खिलाड़ी हिस्सा ले रहा है. जम्मू-कश्मीर के रहने वाले स्कीअर आरिफ मोहम्मद खान भारत के अकेले प्रतिनिधि हैं.

गलवान में क्या हुआ था?

20 जून 2020 को लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक मुठभेड़ हुई थी. इस मुठभेड़ में भारत के 20 सैनिकों की मौत हो गई थी. यह कम से कम 40 सालों में ऐसा पहला मौका था जब दोनों देशों के बीच असल नियंत्रण रेखा पर जानें गई हैं.

खबरों के अनुसार भारत पर चीन ने आरोप लगाया ता कि भारतीय सिपाही वास्तविक नियंत्रण रेखा पार कर चीन के इलाके में घुस गए थे जिसके बाद दोनों देशों के सिपाहियों के बीच मुठभेड़ हुई. इस मुठभेड़ में डंडों और अन्य पारंपरिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था. बाद में चीन ने कहा था कि उसके पांच सैनिक हताहत हुए.

तब से भारत और चीन के संबंधों में तनाव लगातार बना हुआ है. दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच 14 बार मुलाकात हो चुकी है लेकिन तनाव में कमी के कोई संकेत नहीं मिले हैं. (पढ़ेंः भारतीय इलाके में 'कथित चीनी नागरिकों' ने खड़े किए टेंट: रिपोर्ट)

रिपोर्टः विवेक कुमार (एएफपी)

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